हर घर नल का जल : योजना आ यथार्थ
अवाम, 21 मार्च 2022
कोरोनाक भय
गाम में एकदम नहिं छैक. अर्थात् आब लोक सामूहिक रूपें सब प्रकारक सामाजिक उत्सव मना
रहल अछि. हमरा ओहि ठाम मातमी माहौल छैक. ‘ब्राह्मणस्य ब्राह्मणों गतिः’ क अनुकूल
ब्राह्मणकें पयर पुजबैत देखलियनि. ई पयर पूजा हम स्वयं सिमरिया घाट में 1975 में कए
चुकल छी. ओहि वर्ष हमर जेठ भाई ऊधोजी अकस्मात् चलि बसल रहथि. मुदा, हमरा अपना, ने तहिया
आ ने आइ एहि सब में विश्वास रहल. देखि रहल छी, तीस हज़ार रुपैया में बच्छा तरे दू
टा गाए अइलीहे. मुदा, दान होइते पात्र ओकरा पाँच हज़ार डिस्काउंट पर घाटहिं पर बेचलनि.
मने मन सोचैत छी, ई पात्र जं स्वयं गाए बेचबाक व्यवसाय करितथि तं यजमान कें आफियत
होइतैक.
युगक अनुकूल
दानक लिस्ट समकालीन भेल जा रहल छैक. सात वर्ष पूर्व हमर स्वशुरक काज भेल रहनि. ओहि
में मोबाइल फोन सेहो दान भेल रहैक ! एखनो टॉर्च, रेचार्जेबुल लालटेन लिस्ट में
शामिल अछि. चौकी-खाट-पलंग तं हेबेक चाही. मच्छड़ स्वर्गहु में छैक. तें, मच्छरदानी सेहो.
हमर जेठ भाई
भरत जीक बालक, सरोज कुमार एखन एहि कर्मकांडक कर्त्ता थिकाह. सब किछु एही परिवार
में भए रहल छैक. किन्तु, हमर भाई भरत जी सब किछु कें एक वाक्य में समेटि कए कहलनि,
‘ एहि सबहक एके टा उद्देश्य; समाज में जकर खा आयल छिऐक, तकर बदला चुका रहल छी. बाँकी
के देखलकैए !’ हमरा नहिं लगैत अछि, कोनो दार्शनिक एहि विषय कें एहिसँ बेसी नीक
जकाँ बुझा सकैत छथि. किन्तु, लोक खर्च करैत अछि.
नवकी पोखरिक
मोहार पर जाहि ठाम भौजीक काज भए रहल छनि, ओकर लगहिं एकटा नव पानिक टंकी देखैत
छियैक. बिहार सरकारक नारा ‘ हर घर नल का जल’ पानी टंकीक गुमटी में लिखल छैक. एहि
परियोजना में 12,59,000 टाका खर्च भेलैए, से गुमटीक देवाल पर लिखल छैक. मुखिया
लोकनिक नाम सेहो लिखल रहनि. मुदा, केओ उकाठी पद छोड़ि, केवल नाम कें पाथरसँ मेटा
देने छनि. सेहो नीके. कारण, टोल पर गेला पर घरे-घर पानिक टैप लागल देखलिऐक. मुदा, सुखायल.
पानि नदारद. पता लागल जे पानि ने टंकी में छैक, आ ने नल में. एहन परिस्थिति में
एहि परियोजनाक समापनक वाहवाही के लेत !
सोचए लगलहुँ,
गाम में इनार सब पहिनहिं भत्थन भए चुकल अछि. जं लोक एहि नल जल पर हैण्डपंप कें
उखाड़ब आरंभ कए देलक तं ओ दिन दूर नहिं जे एतहु चेन्नई आ बंगलोर जकाँ, एतहु लोक प्रतिदिन
पानि किनब आरंभ कए देत. ओना किछु गोटे कहलनि, गाम में बोतल बंद पानि बिका रहल अछि.
ततबे नहिं कमला कात हमर गाम में भूमिगत जलक स्तर तीन सौ फीट धरि पहुँचि गेल छैक !
शुकुर अछि, हमरा अंगना में ज़मीनक 120 फीट नीचा धरि गाड़ल कल में एखनो ओहने निर्मल
शीतल मधुर पानि आबि रहल अछि जेहन 1979 में कल गड़यबाक समय अबैत छल ! हमरा अंगनाक ई
कल हमर पिताक निसानी थिक. मुदा, कहिया धरि रहत, कहब असंभव.
एहि बेर पुनः
किछु गौआं / टोलबैया लोकनि हमरा लोकनिक ओतय जमा छथि. दुर्गामन्दिरक परिसर में गेट लगयबा
ले सहायता चाहियनि. एहि गाम में आइ धरि कहियो केओ सड़कक मरम्मत वा स्कूल में पढ़ाईक
समस्याक चर्चा धरि नहिं केलनिए. केओ अस्पताल वा हेल्थ सब सेंटर खोलबाक गप्प नहिं
करैत छथि. मुदा, ब्राह्मण, पिछड़ा, दलित, सब गोटे मन्दिरक नाम पर एकमत छथि. ताहू
में पिछड़ा वर्गक लोक मन्दिर निर्माण में अगुआ छथि. हमरा आश्चर्य नहिं होइछ, किन्तु,
गामक प्राथमिकता बदलितैक से मनोरथ तं होइते अछि. मुदा, गामक लोकक अनपढ़ होइतो हिनक
लोकनि कें गार्जियनक आवश्यकता नहिं. केवल हिनका लोकनिक योजनाक कार्यान्वयन ले अर्थ
चाहियनि. ततबे.
गामक पूब
कमलाक तटबंध पर हाईवे बनत से सुनलहुँ. मिथिला में सड़कक जाल बिछाओल जा रहल अछि. किन्तु,
कोनो उद्योग आरंभ हएत वा कल-कारखाना लागत तकर कोनो लक्षण नहिं. माने, बिहार अगिलो
समय में पंजाबसँ ल कए केरल धरिक हेतु दिहाड़ी मज़दूर आपूर्तिक हेतु झारखंड आ उड़ीसाक संग
मुख्य श्रोत रहत. बिहारक विद्यार्थी
इंजीनियरिंग पढ़बाले कर्णाटक, तमिलनाडु वा महाराष्ट्रे जेताह. पढ़ल इंजीनियर नौकरी
ले बंगलोर, गुडगाँव, चेन्नई, हैदराबादे जेताह
!
नहिं जानि
कहिया बिहारक प्रतिभा आ परिश्रम बिहार में बिकायत. बिहारक उत्पादन में योगदान करत.
sab gaamak satya etbe achhi!
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