ककहरा का अभियान
सत्तर बरस के लोग, समझते है सत्तर पार को नादान
इसलिए, चला रखा है,
उम्रदराज को ककहरा पढ़ाने का अभियान
क्योंकि,
तर्क चलता कहाँ ,
अगर मित्र ने
मान लिया बाबा वाक्य प्रमाण!
किन्तु हे, मित्र! न बाबा हैं चिर नवीन,
न आप ही हैं मोतियाबिन्दु से अभय !
इसलिए, बदलते रहिए चश्मे,
साफ रखिए कान।
क्या पता बदलते वक्त की आवाज,
और दीवारों पर लिखे शब्द से
रह जायें आप बेखबर,
क्योंकि,
बाबा
कभी भी
चोला भी बदल सकते हैं
और चाल भी!
(ककहरा का अर्थ = वर्णमाला )
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