रावण-दहन
मैदानमे ठाढ़,
जरबा लेल तैयार,
रावणक ठोर पर पसरि गेलनि मुसुकी,
देखिते ठाढ़ मंच पर
मुँहपुरुखक समूह.
मने कहैत होथि ओ:
भाइलोकनि,
सत्ते, थिक ई बड्ड सनगर खेल !
पुनः क्षणहिमे जेना
ठहाका दए हँसय लगलाह रावण.
थम्हलनि ठहाका
तँ, गजय लगलाह मनहि-मन,
देलनि मोँछ पर ताओ,
दैत एकत्र समूहकेँ चुनौती,
भाईलोकनि, करह जतेक होअह ब्योंत,
जरबह नहि हम किन्नहु,
हेबो करत नहि ताधरि हमर वध,
ने हएत हमर दिन बाम
जाधरि तोहरा लोकनिक ह्रदयक कोनमे
नुकायल रहबह हम
आ दुबकल पड़ल रहताह राम !
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