Thursday, June 26, 2025

सेना चिकित्सा कोरमे -2

 

चंडीमन्दिर, राजस्थान, आ ऑपरेशन ब्रासटैक्स

1983 ई. मे हमरा चिकित्सा सेवा कोर (AMC) मे सॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) भेटल छल; अवधि पाँच वर्ष रहैक. अर्थात् स्थायी कमीशन (PC) क हेतु चाहे तँ पुनः लोक सेवा आयोगक प्रतियोगिता परीक्षामे बैसू, वा तीन वर्षक सेवाक पछाति आवेदन करू, विभागीय इंटरव्यू दिऔक आ जँ चुनल गेलहुँ, तँ स्थायी कमीशन लियअ. मुदा, नौकरी आरंभहुमे हमरा सिविलियन लाइफक प्रति मोह छले. तेँ, तहिया सॉर्ट सर्विस कमीशन अनुकूले बूझि पड़ल छल. कारण, SSC लेने पांच वर्षक सेनाक नौकरीक पछाति, असैनिक सेवामे जयबाक बाट तँ खुजले रहैत, हमर पत्नीक रोजगारक अवसर एवं करियर सेहो सुरक्षित रहितनि. ओही योजनाक अनुकूल ओ  पढ़ाईमे लगले छलीह.  फलतः, यावत्  हमर नौकरीक तीन वर्ष पूर भेल, हमर पत्नी दुनू बच्चाक संग दरभंगामे रहि, एम.ए.(समाजशास्त्र) पूरा कए लेलनि. ई हमरा सभक उद्देश्यक अनुकूल छल. कारण, शुरुएसँ हमरालोकनिक ई धारणा छल जे नारीक असली सशक्तीकरण केवल रोजगार आ आर्थिक स्वंतन्त्रतासँ संभव छैक. मुदा, ताहि लेल योग्यता चाही, जे जखनि चाहब, तखन हासिल नहि भए सकैछ. संयोगसँ विवाहक समय हमर पत्नीक केवल इंटरमीडिएट आर्ट्स पास रहथि. तेँ, विवाहक पछाति ओ रेगुलर क्लास करैत पढ़ाई जारी रखलनि आ लगातार बी.ए (ऑनर्स) पूरा केलनि. पढ़ाई आ परीक्षाक बीचहि, 1981 क फरबरी मासमे  हमरालोकनिक कन्या सुष्मिता जन्म सेहो भेलनि. तथापि, ठीक अगिला दू वर्षमे ओ  एम ए सेहो पूरा कए गेलनि.

दोसर दिस, हमहूँ  बिहार सरकार स्नात्तकोत्तर मेडिकल एडमिशन टेस्टमे भाग लेलहुँ आ नीक अंकसँ सफल भेलहुँ. तीन वर्षक भीतर एहि परीक्षामे ई हमर दोसर सफलता छल. रिजल्टक बाद इंटरव्यू भेलैक आ  पटना मेडिकल कॉलेजमे एम एस ( नेत्र चिकित्सा)मे नामांकनक हेतु हमर चुनाव भए गेल. योजना ई छल जे यावत धरि हम 1988 ई. मे सेनाक SSC सँ मुक्त होइतहुँ, दानापुरमे रहैत हमर एस एस (नेत्र चिकित्सा) डिग्री भेटि गेल रहैत. एवं प्रकारे सेवानिवृत्तिसँ पहिनहि हम दुनू गोटे अपन-अपन क्षेत्रमे जीविकाक हेतु योग्य भए  जैतहुँ. एहि योजनाक अनुसार हमर पत्नीक योजना सफल भए गेलनि, आ कटिहारक एक अंगीभूत कालेजमे लेक्चररक रूपमे हुनक नियुक्तिओ भए गेलनि आ ओ ओतय ज्वाइन कए लेलनि. हमरो दानापुर पोस्टिंगक चिट्ठी आबि गेल. मुदा, हमर पोस्टिंगमे एकटा नव बाधा आबि गेल; हम दानापुर स्थित जाहि यूनिटमे जा कए योगदान करितहुँ, ओ यूनिट दानापुरसँ चलि चंडीमन्दिर चल गेलैक. तहिया हमरा एतबा जानकारी नहि छल जे हम पोस्टिंग बदलबाक हेतु सेना मुख्यालयमे आवेदन दितिऐक  आ पटना मेडिकल कालेजमे एडमिशन अवसर बचा लितहुँ. फलतः, हम तीन सालक सेवाक पछाति दूमदूमासँ रिलीव भए, दानापुरक बदला चंडीमन्दिर (हरियाणा) मे ज्वाइन कए लेल. एतावता,  स्नात्तकोत्तर पढ़ाईक ई दोसरो अवसर हमर हाथसँ निकलि गेल.

चंडीगढ़ शहरसँ करीब आठ किलोमीटर उत्तर चंडीमन्दिर, पंचकुला शहरक सटले, राष्ट्रीय राजमार्ग 5 क दोसर कात, भारतीय सेनाक छावनी थिक, जकर स्थापना 1960 ई. मे भेल रहैक. चंडीमन्दिर छावनी एवं चण्डीगढ़ शहर दुनूक नामकरण, एतुका चंडीमन्दिरहि पर भेल अछि; ई मन्दिर राष्ट्रीय राजमार्गक कातहि छावनीक समीपहि अछि. अम्बाला-कालका रेलमार्ग पर छोट-सन चंडीमन्दिर  रेलवे स्टेशन सेहो छावनी लगहि छैक. चंडीमन्दिरमे भारतीय सेनाक पश्चिमी कमानक मुख्यालय छैक आ सेनाक हिसाबे ई उत्तम पोस्टिंग भेल. कारण, सुपरिचित महानगरक समीप आ पैघ मिलिट्री स्टेशन, माने सोना मे सोहागा भेलैक.

हम फील्ड एरियासँ आयल रही. डेराक प्रतीक्षा सूचीमे हमरा प्राथमिकताक भेटल आ  तुरते अपन ओहदाक अनुकूल आवास भेटि गेल. एतय हमर पोस्टिंग एकटा वायु रक्षा रेजिमेंटमे (पुनः) आर एम ओ क पद पर  भेल छल.

चंडीमन्दिरमे ओ सब  सुविधा  रहैक, जतेक ‘पीस-स्टेशन’मे  सैनिक सुविधा भए सकैछ. तेँ, वस्तुतः चंडीमन्दिरहिमे पहिल बेर  हमरा लोकनिकेँ‘पीस-स्टेशन’मे सैनिक जीवनक अनुभव भेल, आ विवाहक पछाति हमरालोकनिकेँपहिल बेर अपन स्वतंत्र  घर-आश्रम बसयबाक मनोरथ पूर भेल. एतय शीघ्रे दुनू नेनाक नाम स्कूलमे लिखल गेलनि. एतहि पहिले बेर हमर माता सेहो हमरा लोकनिक गृहस्थीमे अइलीह. बिहारसँ बाहर माताक ई पहिल यात्रा रहनि. एतय हमर पत्नी सेहो अपन परिवारिक आ रेजिमेंटल जिनगीक दायित्वमे लागि गेलीह. ई बुझबाक थिक जे सैनिक जीवनमे सैनिक ऑफिसरक पत्नीलोकनि सेहो जवान लोकनिक हेतु  परिवारक कल्याणक हेतु अनेक गतिविधि चलबैत छथि.

मध्यवित्त परिवारमे चिंता-बेगरताक अंत नहि; अपनो आ दोसरोक. माता चंडीमन्दिर आबि तँ गेल रहथि, मुदा, ओहिसँ पहिनहि सब सुख-मनोरथ त्यागि गाममे हम जेना-तेना  तीन कोठलीक घर ठाढ़ कयने रही. प्रायः चालीस वर्ष पुरान गामक भीतघर बाढ़िक मारल, आ जर्जर छल. अपन जीवनकालमे दादा कहुना दोसर घर बनयबाक नीव तँ दए गेल रहथि, मुदा, पक्का घरमे रहबाक हुनक मनोरथ पूर नहि भए सकलनि. माताक हेतु घर मनोरथ नहि, आवश्यकता रहनि. अस्तु, नौकरीक आरंभिक तीन वर्षक भीतरे घर बनायब हमर अपन परिवारक सामूहिक त्यागक परिणाम छल. ई घर अगिला 17 वर्ष धरि गाममे माताक अवास तँ छलनिए, एहि अवधिमे हमर भैयारीक विस्तृत परिवारक सब काज-करतेबतामे ओही घरमे भेलनि. ततबे नहि,  इएह घर माताक मृत्युक बीस साल बादहु हमरा सबकेँगामसँ  जोड़ने रहल.

चंडीमंदिर

आकस्मिकता सैन्य जीवनक सत्य आ पर्याय दुनू थिकैक. तेँ, जहिना नेनालोकनि आ हमर पत्नी अपन नव परिवेशमे चंडीमन्दिर पहुँचलीह, हमरा पन्द्रह दिनक हेतु एक युद्ध-अभ्यास (Exercise) पर चंडीमन्दिरसँ किछु दूर जाय पड़ल. डेरामे घरेलू टहलूक अतिरिक्त सैनिक अर्दली छल.  लगहिमे बैंक, अस्पताल आ स्कूल बसक स्टैंड रहैक. युद्ध-अभ्यासक क्षेत्र सेहो लगे रहैक, तेँ बीच-बीचमे एक आध बेर चंडीमन्दिर अयबाक अवसरो भेटल. मुदा, किछुए दिन पछाति, हमरालोकनिकेँ एक एक पैघ सैनिक अभ्यासक हेतु लंबा दूरी आ अवधिक यात्रा पर चंडीमन्दिरसँ निकलय पड़ल.

ऑपरेशन ब्रासटैक्स (OP Brasstacks)

चंडीमन्दिरक संक्षिप्त युद्ध अभ्यासक किछुए दिन बाद भारतीय सेनाक इतिहासक तहियाक सबसँ बड़का युद्ध-अभ्यास- ऑपरेशन ब्रासटैक्स (OP Brasstacks) क चारिम चरणक अभियान (mass mobilization) आरंभ भेलैक. एहि अभियानमे भारतीय सेनाक लगभग आधा सैन्यबल एवं दू गोट मुख्य कमान- पश्चिमी एवं दक्षिणी कमान, एवं सशस्त्र सेनाक तीनू अंगक सहभागिता रहैक. तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल कृष्णस्वामी सुन्दरजी द्वारा संयोजित एहि युद्ध अभ्यासमे भारतीय सेनाक अनेक प्रकारक सैन्य क्षमताक परीक्षाक योजना छलैक. समाचार पत्र सभमे प्रकाशित आंकड़ाक अनुसार 1986-87क एहि युद्ध अभ्यासमे भारत सरकार एक हज़ार करोड़ टाका व्यय तँ कयनहि छल, एहि युद्ध-अभ्यासक कारण पाकिस्तानमे तेहन हड़कंप पसरि गेलैक जे पाकिस्तानक सेना सेहो अकस्मात्  सीमा पर हमरालोकनिक सोझाँ आबि ठाढ़ भए गेल. युद्ध आरंभ हयबालेल ई पर्याप्त छल. मुदा, युद्ध भेलैक नहि. एहि ऑपरेशनक नाम पछाति, OP Trident भेलैक.

ज्ञातव्य थिक, जखन सेना युद्ध वा युद्ध अभ्यासक लेल सीमा दिस विदा होइछ, तखन सब किछु पूर्व  निर्धारित योजना आ समय सीमाक अनुकूल कयल जाइछ. एहिमे व्यक्तिसँ  ल’ कए, प्रत्येक छोट वा पैघ यूनिटक अपन-अपन निर्धारित दायित्व होइत छैक. कोनो गतिविधिकेँ ‘ भोजक बेर पर कुम्हड़ रोपबाक हेतु’ नहि छोड़ल जाइछ. एतेक धरि जे (सीमा दिस) यात्राक हेतु सेनाक प्रत्येक यूनिटक मार्ग, दिन, समय आ सामग्री उपलब्ध रहैत छैक. अतः, सैन्य-बल अपन संचार आ संवादक आधारभूत व्यवस्थाक बलें एकटा सक्षम एवं आधुनिक मशीन-जकाँ पूर्व निर्धारित योजनाक अनुसार चलैत चल जाइछ. जँ, एहिमे कतहु गतिरोध एलैक, तँ, प्रत्येक स्तर पर सेनाक नेतृत्व समस्याक निवारण करैछ, जाहिसँ बिना बाधाक अभियानक मुख्य लक्ष्य- विजय- प्राप्त कयल जा सकय.

ऑपरेशन ब्रासटैक्स (OP Brasstacks)क हेतु  हमरालोकनि नवंबर 1986मे चण्डीमन्दिरसँ विदा भेल रही आ  करीब तीन मासक बीच पंजाब-हरियाणा- आ राजस्थानक विभिन्न शहर- पटियाला-संगरूर-बठिंडा-मंडीडबबाली-हनुमानगढ़-सूरतगढ़- लूनकरणसर-जामसर-बीकानेर-नागौर- बाप - फलौदी - पोकरण- लाठी-जैसलमेर होइत भारत-पाकिस्तान सीमासँ किछुए दूर साम धरि गेल रही.

यात्राक पहिल राति हमरालोकनिक पड़ाव बठिंडा छावनीमे छल. दोसर दिन, भोरहि मंदिरमे कमान अधिकारीक संग संपूर्ण रेजिमेंट सामूहिक पूजामे सम्मिलित भेल छल. रेजिमेंटक पण्डितजी (religious teacher) आरती देखओलनि, सैनिक लोकनि प्रसाद बंटलनि, मन्दिर सहित भगवान गाड़ी पर सवार भेलाह आ अगिला यात्रा आरंभ भेल रहैक. अगिला पड़ाव जामसर (राजस्थान)मे भेल रहैक. ई पड़ाव लंबा अवधिक छल.  एतय हमरालोकनि मास-डेढ़ माससँ कम नहि रहल हएब. बीच-बीचमे अनेक यात्रा आ छोट-छोट अभ्यास होइत रहलैक. सबठाम हमर ड्यूटी सैनिकक स्वास्थ्यक रक्षा एवं उपचार करबाक छल. एहि हेतु हमरा संग एक गोट नर्सिंग असिस्टेंट, आ मेडिकल इंस्पेक्शन रूम (MI Room)क साजोसामान आ औषधिक भंडार रहैत छल.

जामसरमे हमरा लोकनिक ब्रिगेड हेडक्वार्टर्स आ पाँच टा रेजिमेंट एक ठाम छल. माने,  करीब पाँच हज़ार सैनिक अस्सी-नब्बे अफसर आ गोटेक हज़ार विभिन्न प्रकारक मोटर वाहन, भारी सैन्य उपकरण, माल असबाब, गोला बारूद, सैनिकलोकनि व्यक्तिगत हथियार एवं गोला बारूद. ऑप ब्रासस्टैक्स (OP Brasstacks) मे पहिले बेर भारतीय सेना first-line ammunition ल’ कए युद्ध अभ्यासमे गेल छल; हमरो सभक अपन-अपन अस्त्र एवं गोला-बारूद संग छल; ई भूतपूर्व रहैक. सब यूनिटमे मूलभूत चिकित्सा सुविधा आ नर्सिंग असिस्टेंट रहिते छलैक. कोनो-कोनो यूनिटमे RMO सेहो रहथि.

थार रेगिस्तान आ जामसर  

जनशून्य इलाका, कतहु-कतहु, दू चारि घर. चारू कात सुच्चा बालु. कतहु-कतहु कीकर, आक आ बबूलक गाछ. घास-पात नदारद. तैओ एहि मरुभूमिक सुन्दरता हमरा आकृष्ट केलक, यद्यपि, साहित्यमे मरुभूमिकेँ ह्रदयहीनताक पर्याय बूझल जाइछ. कारण, पानिक अभाव, छाया नहि. खेत-खरिहान कतहु-कतहु. ऊपरसँ साँप आ बीछक भरमार. तैओ समुद्रक पानिक जकाँ हिलकोरैत सोन-सन बालुक असीमित प्रसार मनमोहक लागय. ऊपरसँ  प्रचुर वन्यजीव; चिंकारा आ ब्लैक बक केर पैघ-पैघ झुण्ड. नीलगाय, खरहा, मयूर, तित्तिर, चील-चिल्होरि आ विषधर साँप तँ सहजहि. एतुका हरिण-चिंकारा हमरा आकृष्ट केलक; जिज्ञासु, मृदु, भयभीत आ आँखिमे अबोध नेनाक आँखिक निश्छलता आ तरलता. तेँ, प्रकृतिसँ जँ प्रेम हो तँ  अनुकूल ऋतुमे राजस्थानक मरुभूमिक  सौन्दर्य अद्भुत आ अतुलनीय बूझि पड़त.  

आश्चर्य भेल ने? एहेन मरूभूमिमे एतेक वन्यजीव कोना पलैत छैक! मुदा, एहि प्रश्नक उत्तर पृथ्वी आ पर्यावरणक बीचक संतुलनमे भेटत, जे सम्पूर्ण प्राणी जगतकेँ लाखों सालसँ पालैत आबि रहल अछि. हँ, एतबा अवश्य, एहिमे मनुष्य योगदान तँ छैके; नीको आ बेजायो. राजस्थानक मरुभूमिक पर्यावरण संतुलनमे राजस्थान एवं हरियाणाक विश्नोई समुदायक अहम भूमिका छनि. ई शाकाहारी समुदाय वन्यप्राणीक रक्षाक हेतु कृतसंकल्प छथि. ई वन्यप्राणीक प्रति हुनका लोकनिक मात्सर्येक परिणाम थिक जे सलमान खान-सन फिल्म अभिनेताकें वन्य जन्तुक हत्याक आरोपमे कतेक वर्ष धरि कठघरामे ठाढ़ होबय पड़लनि. सुनैत छी, ओ अन्ततः न्यायालय द्वारा बरी भेलाह.  

सर्वविदित अछि थार मरुभूमिमे गर्मी आ बालुक अंधड़क कारण गर्मीक ऋतुमे दिनमे बहरायब कठिन आ अहितकर छैक. मुदा, राति शीतल होइत छैक. जाड़क मासमे तँ बहुते जाड़. राति एतेक सर्द जे, सुनलिऐक, भोर होइत-होइत बाहरमे राखल पानि जमि कए बर्फ भए जाइत छलैक. हमरा हमरा विश्वास नहि होअय. तेँ, हमर नर्सिंग असिस्टेंट रामचन्द्र ठाकुर एक दिन भोरे हमर टेंटक बाहर उपस्थित भेलाह. हाथमे बाल्टी रहनि. हमरा बहराइते ओ बाल्टीकेँ उठा सोझे उल्टा देलखिन, बाल्टीमे पाथर भेल पानि देखि, हमरा हँसी लागि गेल.ओ चकित करबायोग्य दृश्य एतेक वर्षक पछातियो मानस पटल ओहिना अंकित अछि.

पछाति एक बेर मई मासक 52° C तापमानमे सेहो राजस्थानक मरुभूमिमे इंदिरा गाँधी नाहरक कछेर पर  मास भरि रहबाक अवसर भेल. मुदा, व्यवस्था, सावधानी, आ मनोबल सब किछुकेँ पराजित कए दैछ. तेँ, एहि अनुभव सबकेँ हम  जीवनक अद्भुत अनुभव संज्ञा दैत छियैक. कारण, सेनाक बाहर एहन अनुभव हमरा आओर कतय भेटैत! तें, सोचैत छी, सेनाक सेवाक अनुभवक कोनो जोड़ा नहि! तें, भले किछुओ दिन लेल, देशक प्रत्येक नागरिककें सैन्य-जीवनक किछु दिनुक अनुभवक अवसर भेटबेक चाही. विशेषतः, किशोर वयसमे सैन्य अनुशासनक अनुभव भावी नागरिकक मनमे देश-सेवा एवं अनुशासनक बीआ रोपबामे अचूक डेग साबित हयत. राष्ट्रनिर्माणक हेतु हमरा ई आवश्यक प्रतीत होइछ.

आब पुनः विषय पर घूरि आबी.
गर्मीक ऋतुक विपरीत समयमे रेगिस्तानी इलाकामे सैनिकलोकनि अधिकतर काज रौद गरमएलासँ पहिनहि समाप्त लैत छथि. तथापि, गर्मी प्रभावसँ  सैनिकलोकनि लू सँ प्रभावित होइते छथि; ई गर्मीक ऋतुमे रेगिस्तानमे एक  प्रमुख environmental रोग थिक, जे अनेक सावधानीक बावजूद सैनिककेँ प्रभावित करिते छैक. किन्तु, ई तं व्यावसायिक खतरा भेल, ट्रेनिंगक हिस्सा भेल. तें, केनहि कुशल.

ज्ञातव्य थिक, युद्ध तथा  युद्ध अभ्यासक दौरान सैनिकक आवास नितांत अस्थायी एवं  मूलतः टेंट वा बंकरमे होइछ. तथापि, ऑफिस, क्वार्टर मास्टरक स्टोर- राशन-पानी, गोला-बारूद- पेट्रोलियम आयल एवं लुब्रिकेंट (FOL), गाड़ी एवं युद्ध उपकरणक रखरखावक स्थान, (उपकरणक) मरम्मतिक वर्कशॉप, अफसर मेस, जे सी ओ क्लब, सैनिकक भनसाघर-भोजनालय, डाक्टरी जाँच कमरा (Medical Inspection Room), मन्दिर/ पूजास्थलक अतिरिक्त अफसरसँ ल’ कए जवान धरिक आवासक सब किछुक समावेश टेंटमे वा बंकरमे होइछ. सब वस्तुक आवश्यक भंडार सेना संग लए चलैछ. गन्तव्य लोकेशन पर पहुँचलाक  बाद जेना-जेना जे वस्तु खर्च होइत छैक, चलिते-चलिते संबंधित विभागक स्थानीय भंडारसँ वस्तुक आपूर्ति होइत रहैत छैक. एहि सभ पर संबंधित अधिकारी एवं कमान अधिकारी/कमांडिंग ऑफिसर (CO) निरंतर नजरि रखैत छथि.

एहि अभियानमे हमरालोकनिक कमान अधिकारी कर्नल अजित चह्वाण साँझुक पहर अफसर मेसमे बैसथि. बैटरी कमांडर लोकनि चारू कातसँ  घेरि लेथिन. जूनियर अफसर लोकनि सेहो तत्पर रहथि. कमान अफसर दिन भरिक गतिविधिक जायजा लेथि. कोनो व्यतिक्रम भेने, जूनियर अफसर लोकनिक खूब रेबाड़ल जाथि. एकदिसाह ‘अंग्रेजीक  गारि’. मुदा, अंग्रेजीक गारि मैथिली-हिन्दी-पंजाबीक गारि सन वीभत्स नहि लगैत छैक.  ई फौजक ट्रेनिंग थिकैक, फौजक सोहाग-भाग थिक. यूनिटक डाक्टर एहि खिंचाईसँ ऊपर भेलाह. कारण, डाक्टरक काज भिन्न प्रकारक होइछ. तैओ सबठाम उपस्थिति अनिवार्य. फौजमे सब किछु अनिवार्ये  होइछ, सब परेड थिकैक, पार्टी धरि.  मुदा, ओहि बीच हमरा स्नातकोत्तर पढ़ाई प्रतियोगिताक हेतु पढ़ाई माथ पर छल. एडजुटैंट कप्तान प्रभात कपूर डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कालेज द्वारा संचालित ‘मास्टर ऑफ़ मिलिटरी साइंस’क प्रवेश परीक्षा तैयारी करैत रहथि. तेँ, हमरा दुनूक रहबाक व्यवस्था  एके टेंटमे कयल गेल छल.  तेँ, साँझुक बैसाड़क समय,  CO हमरा दुनू गोटेकेँ पढ़बाक लेल अवकाश दए देथि आ हमरालोकनि सोझे अपन टेंटमे चल जाई. हमरालोकनिकेँ भोजनक लेल सेहो मेस नहि जाय पड़य. सेवादार टेंटमे भोजन पहुँचा दिअय. CO एवं बाँकी अफसर लोकनिक बैसाड़ तावत धरि चलनि, यावत् धरि मध्यरातिक आसपास धरि CO साहेबक ‘छाक’ पूरा नहि होइनि आ भोजन समाप्त नहि भए जाइक. संयोग एहन भेलैक जे जामसरमे रहिते सेनामे स्थायी कमीशनक हेतु  इंटरव्यूक लेल सेना मुख्यालयसँ हमरा बजाहटि आबि गेल. ओतहिसँ तीन-चारि दिनक हेतु दिल्ली जा कए हम इंटरव्यू दए एलहुँ.

बुझबाक थिक, राजस्थानक क्षेत्रमे सड़कक अछैतो तहिया यातायात एकटा बड़का समस्या रहैक. यद्यपि, सीमा सड़क संगठन अंतर्राष्ट्रीय सीमाक समानान्तर संचारक हेतु सामरिक आवश्यकताक अनुकूल ठोस सड़कक निर्माण कयने रहैक. ओकर निरंतर रखरखाओ होइत रहैक. किन्तु, बाट  छोड़ि चलब सैन्य अभियानक बाध्यता थिकैक; ऊपरसँ युद्धक अनेक आओर बाध्यता आ आकस्मिकता होइछ. ओहुना बिहाड़ि अयला पर उड़ैत बालुक तर पक्की सड़क ओहिना बिला जाइछ, जेना बाढ़ि अयला पर सब किछु डूबि  जाइछ. तहिया GPS क इजाद नहि भेल रहैक. अमेरिकन सेनाक विपरीत भारतीय सेना लग मोबाइल टेक्नोलॉजी उपलब्ध नहि रहैक.

ऊपरसँ रेगिस्तानमे भारी-भरकम मोटर वाहन आ सैन्य उपकरण बालुमे तहिना धसैत छैक जेना कमलाक पाँकमे मनुख. तेँ, जहिना बर्फसँ झाँपल क्षेत्रमे मोटर वाहन सभक पहिया सबमे non-skid chain लगाओल जाइत छैक, तहिना, मरुभूमिमे सेना मोटर वाहनक पहियामे sand टायर लगबैत अछि. कएक ठाम  निर्धारित बाट पर मीलो दूर धरि पहिनेसँ बनाओल, काठक डक-बोर्ड बिछाओल जाइक. जाहिसँ निर्बाध आवागमन चलैत रहैछ. सोचबाक थिक, राष्ट्रीय सुरक्षा आ युद्धक अभियान श्रमसाध्य काज थिक, जाहिमे प्रचुर व्यय होइछ. मुदा, एहि व्ययक बलें सुनिश्चित सुरक्षासँ  नागरिक जीवन आ राष्ट्रक विकास निर्बाध चलैत रहैछ. तेँ, राष्ट्रीय सुरक्षा पर भेल व्यय राष्ट्रक विकासमे निवेश थिक, भविष्य निर्माणमे लगाओल पूँजी  थिक.

ज्ञातव्य थिक यातायात विभागक सवारी वाहन आ व्यक्तिगत वाहनमे sand tyre क सुविधा नहि होइछ. तेँ, ई गाड़ी सब जतहि सड़कसँ उतरल, संभव अछि ओतहि फँसि जायत. एही प्रकारक एक घटना एखनो स्मरण अछि. एक दिन हमरालोकनि दू-तीन दिनुक एक छोट युद्ध-अभ्यासक पछाति जामसर मुख्यालय आपस अबैत रही. जाड़क मास. प्रायः साँझुक चारि बजैत छल हेतैक. सूर्यास्त हेबा पर रहैक. किछु दूर आगू , झलफल होइते रहैक कि हमरालोकनिक गाड़ीक लंबा काफिलाक गति अनेरे मंद होबय लगलैक (प्रायः आगूमे कोनो पैघ गाड़ी भंगठल छल हेतैक).  क्रमशः गाड़ी सब  एकदमे ठमकि गेलैक. सेनाक रेजिमेंटक गाड़ीक एहि काफिला (convoy)मे कमांडिंग अफसरक गाड़ी सबसँ आगू आ आर एम ओ क गाड़ी सबसँ पाछू चलैछ. तेँ, हम कोना बुझितिऐक जे गाड़ी सब किएक ठमकि रहल छैक. अनुभवी यायावर आ सैनिक ड्राईवरकेँ इलाकाक गुण-दोष बूझल रहैछ. हमरा लेल ई नव अनुभव छल. ओहुना, तत्काल कोनहुना आगू बढ़बाक बाध्यता आ समय सीमा नहि रहैक, तँ, सैनिक यूनिटक हेतु अपन क्षेत्रमे ठहराव कोनो विप्पत्ति नहि थिक. कारण, डेरा-डंडा, राशन-पानी, दवाई-दारू, भनसाघर, भनसिया, डाक्टर आ डाक्टरी- जाँच कमरासँ  ल’ कए मन्दिर-पुजगिरी आ धार्मिक उपदेशक (religious teacher) सब संगहि चलैत छथि. माने, जँ स्थान, मौसम आ दुश्मनक भय नहि हो तँ ‘जतहि धड़, ततहि घर’ चरितार्थ कए सकैत छी. मुदा, रेगिस्तानमे चलैत बस-कार आ बैलगाड़ी- ऊँट-गाड़ी कोना कतहु ठमकि जायत. बस आ एम्बुलेंसमे जाइत रोगी, आ यात्रा पर बहरायल दुधपिबा नेनाक परिचर्या कोना हेतैक. जे किछु,

मुदा, जखन काफिला ठमकल रहैक, तँ अन्हार नहि भेल रहैक. तेँ, आगू बढ़बाक हड़बड़ीमे नागरिक वाहन सबकें जकरा जतय भेलैक, सड़क छोड़ि नीचा समतल बालुमे उतरि अवरोधकेँ बाईपास कए आगू बढ़बाक प्रयास करय लागल. मुदा, भारी वा हल्लुक, सब गाड़ी जहाँ-तहाँ फँसैत चल गेलैक. किछुए कालमे वज्र अन्हार भए गेलैक.  मरुभूमिक इजोरिया जेहने स्वच्छ, अन्हार तेहने बज्र. हाथकेँ हाथ नहि सुझैत. तरेगन अतिरिक्त इजोतक कोनो आन श्रोत नहि. तखन सब त्राहि-त्राहि. अंततः, हमरा लोकनि ‘पीर-बावर्ची-भिश्ती-खर’ तुरत तत्पर भेलाह. आ ओहि राति हमरेलोकनिक सैनिकलोकनिक बनाओल भोजन ओतय फँसल यात्रीओलोकनि खेलनि. पछाति, कखनो आधा रातिक बाद जखन बाट खुजलैक, तँ हमरालोकनि आगू बढ़लहुँ. मुदा, हमरा लोकनि जखन जामसर कैंप  पहुँचलहुँ तँ लगभग भोर भए गेल रहैक.

भूमि आ मौसमक विचित्रताक अतिरिक्त, परिचित स्थान, गाछ-वृक्ष, पोखरि, आ बस्तीक अभावमे रेगिस्तानमे दिशा ज्ञान राखब कठिन होइछ., खास कए रातिमे, बाट भुतियायब, एकटा बड़का समस्या. पहिने अपना टेंटसँ बहरा किछुए दूर गेला पर भुतिया जायब सामान्य रहैक.  वाहन सभक हेतु आब जी पी एसक सुविधा एकर समस्याक समाधान थिक. मुदा, जुनि बिसरी गूगल मैप लग सेहो केवल ओही क्षेत्रक मैप होइछ जतय नगरिकक अवावागमन होइछ, गाड़ी चलैछ. विश्वास अछि, सेना लग आब एकर समाधान अवश्य हेतैक.

आब पुनः ऑप ब्रासस्टैक्स (OP Brasstacks)क चर्चा. एहि महान युद्ध अभ्यासक पहिने विभिन्न स्तर पर अनेक छोट-पैघ युद्ध-अभ्यास भेलैक. अस्तु, यूनिटक संग बहुतो ठाम गेलहुँ, बहुतो अद्भुत अनुभव भेल. किन्तु, हमरालोकनि जामसरसँ कतेक दिनुक बाद डेरा तोड़ल से सरि भए कए स्मरण नहि अछि. मुदा, हमरालोकनि ओतयसँ जोधपुर शहर एवं पोकरण रेंज - जतय  18 मई 1974 दिन भारत पहिल परमाणु विस्फोट कयने छल- सँ आगू श्री भादरिया लाठी गेलहुँ. श्री भादरिया लाठी जयबाक हमरालोकनिक उद्देश्य दोसर छल. लाठी वायुरक्षा उपकरणक फायरिंग रेंज छैक. ओतय हमरालोकनिक संग आनो यूनिट सभक एयर डिफेन्स फायरिंगक प्रैक्टिस भेलैक. आब एहि प्रैक्टिस केर हेतु पायलटलेस टारगेट एयरक्राफ्ट (Pilotless Target Aircraft, PTA) उपयोग होइछ. मुदा, तहिया कैनबरा हवाई ज़हाज दूरस्थ हवाई अड्डासँ  उड़ैत अबैक. हवाई जहाजक भीतर लागल चरखी ( Winch) सँ बहराइत एलुमिनियमक तारसँ  जुड़ल नारंगी रंगक बड़का बेलनाकार टारगेट बैग  हवाई जहाजक पाछूसँ उड़ैत अबैक. जखन ओ टारगेट फायरिंग रेंजक ऊपर अबैक तँ वायु रक्षा बैटरी ओहि पर निशाना साधय. जे बैटरी टारगेट बैगकेँअपन निशाना बनाकए खसौलक ओ ट्राफीक रूपमे बैग मुख्यालय अनैत छल आ रेजिमेंटल हेडक्वार्टरमे अपन बैटरी कमांडरक ऑफिसक बाहर गौरवपूर्ण रूपें प्रदर्शित करैत छल.

 श्री भदरिया लाठीक समीपे  श्री भदरिया जी माताक प्राचीन मन्दिर छनि. ई मन्दिर जैसलमेर जिलाक एक प्रसिद्ध मन्दिर थिक. एहि इलाकामे रामदेवरा नामक तीर्थ सेहो अछि. यात्राक दौरान एहि दुनू तीर्थस्थलमे दर्शन कयल. एही यात्रामे हमरालोकनि जैसलमेर सेहो गेलहुँ. ओतुका ऐतिहासिक जैसलमेर किला देखल. एहि किलाक भीतर एखनो गाँओ बसल छैक. जैसलमेरसँ करीब बेयालिस किलोमीटर दूर  साम नामक स्थानमे बालुक बड़का टीला सभक पैघ क्षेत्र छैक. हमरालोकनि ओतहु गेलहुँ. पहिल बेर ओतहि ऊँटक सवारी कयल. ई इलाका विशाल Sand Dune National Park थिक जे जैसलमेर एवं बाड़मेर जिलाक तीन हज़ार वर्ग किलोमीटरसँ बेसी पैघ क्षेत्रमे पसरल अछि आ राजस्थान अयनिहार पर्यटकक हेतु एक प्रमुख आकर्षण थिक. सामसँ आपस भए हमरालोकनि ओहि राति  राजस्थान सरकारक पर्यटन विभागक मूमल नामक गेस्ट हाउसक परिसरमे बॉन-फायरक चारू कात बैसि पार्टी कयल, आ भोजन, पेय एवं स्थानीय लोकगीत- पल्लो लटकै-क  आनन्द उठाओल. 

श्री भादरिया लाठीमे वायु रक्षा फायरिंगक पछाति हमरा लोकनिक रेजिमेंट फेर तेसर ठाम बढ़ल. मुदा, जखन असल ऑप ब्रासस्टैक्स (OP Brasstacks) आरंभ भेल रहैक, तँ राति-राति भरि गाड़ी-टैंक- तोपखानाक आवागमनसँ जेहने आसमर्द होइक, तहिना बालु उड़ैक. मुदा, ई युद्ध अभियानक सोहाग-भाग थिकैक. संयोगसँ एहि अवधिमे  भारत-पाकिस्तानक बीच तनातनीक बावजूद युद्ध नहि भेलैक से बड़का संतोषक विषय. तैओ नवंबर 1986 मे चंडीमन्दिरसँ बहरायल यूनिट यावत्  परमानेंट लोकेशन चंडीमन्दिर आपस भेल वापस तावत मार्च 1987 भए गेल रहैक. ओकर किछुए दिन पछाति हमरा सेनामे स्थायी कमीशन (PC)क सूचना आबि गेल.  
अगिला वर्ष 1988क मई मासमे  फील्ड फायरिंगक हेतु  रेजिमेंटक संग हम राजस्थानक दोसर यात्रा पर गेलहुँ. ओही अवधिमे  मेजरक रूपमे हमर प्रोमोशन भेल. यूनिटमे बड़का पार्टी देबय पड़ल. फील्ड एरियामे सेनाकेँ केवल ‘एक्शन’ आ पार्टी नीक लगैत छैक: खूब मेहनत करू आ प्रसन्न रहू. सैन्य जीवनमे मन प्रसन्न रखबाक इएह मूलमंत्र थिकैक.

किछुए दिनुक बाद मास्टर ऑफ़ सर्जरी ( MS Ophthalmology) मे दिल्ली विश्वविद्यालयमे नाम लिखयबाक हेतु सेना मुख्यालयसँ  हमर चुनाव भेल आ संगहि हमर पोस्टिंग सेहो आबि गेल आ निर्धारित तिथि पर हम सेना अस्पताल ( रिसर्च एवं रेफरल), दिल्ली कैंटमे योगदान कयल. ई हमरा हेतु बड़का प्रसन्नताक  विषय छल. परीक्षामे प्रत्येक बेर सफलताक बावजूद,  स्नात्तकोत्तर पढ़ाईक अवसर दू बेर छूटि गेल छल. ओहि पढ़ाईक ई तेसर अवसर छल. दिल्ली जाइते हम दिल्ली विश्वविद्यालयक प्रतियोगिता परीक्षामे बैसलहुँ आ  जुलाई 1988मे दिल्ली विश्वविद्यालय हमर नामांकन भए गेल.

             

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