1
वृद्ध केर ह्रदय होइछ नेने जकां
नेनोक मोन होइछ बूढ़
बुझबा ले मनुक्खक ह्रदय चाही
से बुझथि नहिं मूढ़
2
कडलूर क साँझ , पांडिचेरी क सूर्योदय
अवाम केर घास परहक ओस
लद्दाख क रौदक दुलार
उत्तरांचलक फुलबारी क सिंगार
मोन में जगबइ अछि एके भाव;
जं सबतरि के बूझी अप्पन,
तं कथुक नहिं अभाव !
3
दृष्टिक सीमाक पार
दूर दूर धरि पसरल
चंचल सागरक पसार
दूर दूर धरि समयक असीम पसार में
बौआईत मोन
एकहि संग देखबैत अछि
स्मरण नन्दन काननक
आ नरकक दारुण दृश्य
जेना
नागफनीक जंगल सं छनि कय अबैत सूर्योदय क स्वर्णिम किरण
थिक जीवनक सत्यक प्रतिरूप