कने सोचियउ त
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बगडा भ गेल निपत्ता,
मुदा गिद्ध भ गेल संरक्षित !
माने, चाही , अफरात चरी ,
चारूभर सुरक्षा चक्र,
आ भयमुक्त विचरण !
तें तं ,सुरक्षा चक्र में गिद्ध निस्संक लगा रहल छथि बगडा क भोग !
आ असहाय चिडइ -चुनमुनी मना रहल अछि मनहि -मन शोक !!
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एकटा कोठली तीन टा लोक ,
बाजा-ने-भुकी , मेल-ने-जोल
पड़ोसियाक घर में लागल छै आगि ,
मचल छै अनघोल ,
धत्तोरिके ! बुझलियइ कहाँ ,
हमरा सबहक कान में लागल छल फोन !
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बाबा, केहन होई छै , बम्मई आम ?
बड होइए सेहन्ता, कने बुझितियइ स्वाद !
की करू बाउ, कोना बुझाऊ , अद्भुत अछि सवाल ,
मुदा, पुछियनु पितामह गूगुल के ,
कदाचित् , हुनका लग होइन कोनो बराबरीक स्वाद !
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अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.