समैया बसात
1
अपने बोली,अपने भाखा, लगैए अजगुत
अपने स्वर लगैए अनचिन्हार
गामक सुनल पुरान गीत लगैए नव
अपने पुरान बानि लगैए अनसोहांत ।
2
चिन्हल रिआय लगैए दडकल
चिन्हले लोकक व्यवहार देखै छी बदलल
घोदामाली भेल परिजन सुतै छल निस्संक निर्विकार
आब, ख़ुशफैल शान्त आवास में, लोक बरमहल अछि अनिद्राक शिकार ।
3
नीक लोकक आन करितै प्रशंसा
अनटोटल व्यवहारक होइतै उपहास
स्वेच्छा स लोक चुनैत मुखिया
प्रचारक कोन दरकार
4
एखनि विपटा बनल अछि विशिष्ट
सबतरि उधियाइए प्रचार
मुंह कोनो खतियान छै !
ठकि आउ संसार ! !
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अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.