मैथिलीक माध्यमसं उत्तर आ दक्षिणक बीच भाषिक सेतुक निर्माण : परिप्रेक्ष्य आ प्रस्ताव
राष्ट्रक अनेक भाग, भाषा आ धर्मक बीच सहमति आ संपर्क
एकताक सेतु थिकै.
अन्यथा, तमिलनाडुक वेदारण्यम आ
गुजरातक दांडीमें एके दिन नमक-सत्याग्रह कोना होइत, काशी आ रामेश्वरम् एक सूत्र
में कोना बान्हल जाइत.
तथापि, एहि सूत्रक अनेक आयाम एखन
धरि तन्नुक अछि,
जकरा दृढ़
करबाक आवश्यकता छैक.
निचला एके
टा उदाहरण एहि आवश्यकताक औचित्यक प्रतिपादन करत.ई उदाहरण उत्तर आ दक्षिणक बीच भाषा
सबहक सम्पर्क सं संबंधित अछि.
इतिहास विदित अछि, वैदिक संस्कृत सँ अभिज्ञ जनताक
हेतु, ‘मुक्ति’क मार्ग सुलभ करबाले
भक्त-संत लोकनि भक्तिक बाट तकलनि. दक्षिण भारतमे वैष्णव-संत
आड़वार लोकनि,
आ शैव-संत
नयनार लोकनि एकर प्रवर्तक रहथि.
पछाति भक्ति-परंपरा उत्तरमें सेहो पुष्पित-पल्लवित भेल. जयदेव-तुलसी-सूर-रसखान-विद्यापति-चैतन्य-कबीर, सब, एही परंपराक सूत्र मे गांथल
मालाक फूल थिकाह.
किन्तु, उत्तर
आ दक्षिणक सब संत एक दोसरासँ सुदूर आ संपर्कहीन.
ज्ञातव्य थिक, जाहि विष्णु-कृष्णक भक्ति गीत अड़बार
संत लोकनि नेपालक मुक्तिनाथसं तमिलनाडुक श्रीरंगम् आ मथुरा सँ द्वारिका धरि गओलनि, जाहि शिव भक्तिक गीत नयनार
संत लोकनि रामेश्वरम-कांञ्ची सं काशी-सोमनाथ-मल्लिकार्जुन धरि गओलनि, ओही विष्णु-कृष्ण-शिवक
भक्तिमें तँ विद्यापति आ चंदा झा सेहो गीत लिखलनि, रामायण रचलनि. किन्तु, ने उत्तरमें वैष्णव अड़बार
प्रणीत दिव्य-प्रबंधक स्तुति लोक गबैत
अछि, ने शैव लोकनि तिरुवाचकम्
गबैत छथि. दोसर दिस, ने दक्षिणमें भक्त लोकनि विद्यापतिक भक्ति गीत गबैत छथि ने चंदा
झाक रामायण पढ़ैत छथि.
सत्य
थिक, तमिल कवि कंबन् केर रामायणक मैथिली अनुवाद उपलब्ध अछि. किन्तु, ई कोनो एक व्यक्तिक अपन प्रेरणाक
परिणाम आ परिश्रमक फल थिक.
पैघ स्तर
पर मैथिली आ तमिल वा दक्षिणक आन भाषा-साहित्य कें एक दोसराक हेतु बुझबा योग्य करबाक
हेतु सरकारी सहायता आ वृहत् दीर्घकालिक योजना एखन नहिं अछि. किन्तु, तकर आवश्यकता
छैक.
अस्तु, हमरा
विचारें,
आरम्भमें
केंद्र सरकारक योजनाक अंतर्गत Central
University of Bihar आ
तमिलनाडुक
Central Institute Classical Tamil क
बीच एकटा एहन दीर्घकालिक संकल्प-पत्र (Moratorium of
Understanding) क
आदान प्रदान हेबाक चाही जाहि सं चुनल, प्रतिभाशाली
आ रुचि-संपन्न तमिल- आ मैथिल-भाषी छात्र मैथिली आ तमिल
केर परस्पर अध्ययन कय एहि दुनू भाषाक बीच सुदृढ़ सेतुक निर्माण करथि, एक दोसराक साहित्यक अनुवाद
करथि, आ राष्ट्रीय- भाषिक, आ सांस्कृतिक सूत्रकें निरंतर
दृढ़ करैत रहथि. आगू जं ई योजना सफल
भेल, तं ई प्रयोग उत्तर आ दक्षिणक आन-आन भाषाक बीच सेहो सेतु निर्माणमें सहायक सिद्ध
हयत. एहि पहलसं भारतक राष्ट्रीय एकता दृढ़ हयत, से हमर विश्वास अछि.
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