नव विधान
गप्प जे पहिने घंटों चलैत छल,
से भ गेल 😊😍👍👏👏!
संवाद आ विवाद
जाहि सँ पचैत छल अन्न
भ' गेल मूक .
माथ घूमैछ, चक्कर अबैछ ?
चाही नहिं औषधि,
चाही परिवारक समूह.
मुदा, कतय पाबी ?
नेना दिल्ली, नाति देहरादून
पुत्र जापान, आ पोता पेरिस,
तखन जं होअय मथदुःखी,
बिसरि जाउ सासु-बहु सीरियल
वा नवयुवक कर्णकटु गान.
मन होअय तँ
पढ़ गीता, पढ़ू विष्णु-पुराण, वा उपन्यास.
पड़ोसिया अओता नहिं,
छै सामाजिक दूरीक विधान,
अहां कतहु जायब नहिं,
छी कोरोना सँ समधान,
तखन, मनहिं मन करू अपने विचार,
अपने थिकहुँ,
मित्र, दोस्त, पड़ोसिया,
बेटा-बेटी-नाति,
सासु-पुतहु-आ समधिन,
करू एसगरे एसगरे अपन निमहता
अपने अपन उद्योग,
छै ने केहन समीचीन,
सब किछु अपने अधिन !
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नव विधान कविकुलगुरु रबीन्द्रनाथ ठाकुरक एकटा उपन्यासक नाम सेहो थिक
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