Sunday, August 23, 2020

नव विधान

 नव विधान 

गप्प जे पहिने घंटों चलैत छल,

से भ गेल 😊😍👍👏👏!

संवाद आ विवाद

जाहि सँ पचैत छल अन्न 

भ' गेल मूक .

माथ घूमैछ, चक्कर अबैछ ?

चाही नहिं औषधि,

चाही परिवारक समूह.

मुदा, कतय पाबी ?

नेना दिल्ली, नाति देहरादून

पुत्र जापान, आ पोता पेरिस,

तखन जं होअय मथदुःखी,

बिसरि जाउ सासु-बहु सीरियल

वा नवयुवक कर्णकटु गान.

मन होअय तँ

पढ़ गीता, पढ़ू विष्णु-पुराण, वा उपन्यास.

पड़ोसिया अओता नहिं, 

छै सामाजिक दूरीक विधान,

अहां कतहु जायब नहिं,

छी कोरोना सँ समधान,

तखन, मनहिं मन करू अपने विचार,

अपने थिकहुँ,

मित्र, दोस्त, पड़ोसिया,

बेटा-बेटी-नाति,

सासु-पुतहु-आ समधिन,

करू एसगरे एसगरे अपन निमहता

अपने अपन  उद्योग,

छै ने केहन समीचीन,

सब किछु अपने अधिन !

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नव विधान कविकुलगुरु रबीन्द्रनाथ ठाकुरक एकटा उपन्यासक नाम सेहो थिक 

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