Wednesday, June 8, 2022

महादेव पूरण टिबरेवाल इंगलिश उच्च (MPTHE) विद्यालय, झंझारपुर : हमर उदारवादी गुरुकुल

 

महादेव पूरण टिबरेवाल इंगलिश उच्च (MPTHE) विद्यालय, झंझारपुर

( वर्ष १९६७-७१ )

भारतक स्वतंत्र भेलाक पछाति शिक्षित वर्गमे धिया-पुताकें पढ़यबाक प्रवृत्ति जोर पकड़लकैक. किन्तु, मिथिलांचलमे स्कूल आ ताहूमे हाई स्कूल अत्यंत अभाव रहैक. अधिकतर हाई स्कूल सब निजी दान आ दाताक उदारतासँ  स्थापित भेल रहैक. तहिया शिक्षा उद्योग नहि बनल छल. स्कूलक दूरी, यातायातक असुविधा आ अर्थक अभावक कारण बहुतो विद्यार्थी ले हाई स्कूलमे पढ़ब कठिन रहैक. पुरान दरभंगा जिलामे गनल-गुथल हाई स्कूल रहैक. महादेव पूरण टिबरेवाल उच्च विद्यालय, झंझारपुर हमर गामसँ सबसँ लग छल. हमर नाम ओतहि लिखाओल गेल. ओहि समयमे हमरालोकनि, अपन गामक करीब पन्द्रह-सोलह विद्यार्थी, प्रतिदिन पाँव-पैदल झंझारपुर जाइ. छात्रक दलमे आठवाँसँ   कए एगारहवाँ धरिक छात्र रहथि. एहिमे कमलाक पछबरिया तटबंधक पश्चिमक  अवाम, रतौल, मदनपुर, रहीटोल धरिक विद्यार्थी रहथि. किछु विद्यार्थी पोखरिभिंडा आ उजानसँसेहो आबथि. अवामक विद्यार्थी सब कमलाक पश्चिमी बान्हपर संग होइत छलहुँ आ ओहिसँ आगू धबौली बाध होइत कमलाक काते-कात झंझारपुर चल जाइत छलहुँ. साईकिल ककरो लग नहिं रहैक. ककरो पयरमे जूता-चप्पल नहि. छात्र लोकनिकमे एकोटा कन्या नहि रहथि. अधिकतर कन्याक विवाह प्राथमिक शिक्षासँ पहिनहि वा ओकर तुरत बाद भए जाइनि. कन्या लोकनि शिक्षाक प्राथमिकताक सूचीमे सबसँ नीचा रहथि. तें, हाई स्कूलमे छात्रा लोकनिक संख्या नगण्य छल. जे केओ स्कूल आबथि ताहि म सँ एक दू टा स्थानीय माड़वारी व्यापारी लोकनिक परिवारसँ वा स्थानीय सरकारी अधिकारी लोकनिक कन्या रहथिन. तें, सहशिक्षाक वातावरणमे बालक आ कन्या लोकनिक एक दोसरासँ  परिचयक कारण किशोरक जे मनोवैज्ञानिक विकास होइत छैक, ताहि वातावरणक अभाव रहैक.

महादेव आ  पूरण  टिबरेवाल उच्च विद्यालय, झंझारपुरक स्थापना, वर्ष 1952 मे भेल छल. महादेव आ  पूरणमल  टिबरेवाल नामक दू टा स्थानीय माड़वारी व्यापारी एहि विद्यालयक स्थापना कयने रहथि. एहि इलाकाक दू टा पुरान स्कूल- केजरीवाल स्कूल आ  मधेपुर हाई स्कूल- कोस भरि दूर झंझारपुर बाज़ार आ दू कोस दूर पूब रहैक. प्रायः तें एतुका व्यापारी लोकनि हाई स्कूलक आवश्यकता अनुभव कएलनि आ एतहि नव स्कूलक स्थापना केलनि.

महादेव आ  पूरण  टिबरेवाल हाई स्कूल झंझारपुर रेलवे जंक्शन ( तहियाक स्टेशन) क ठीक उत्तर, पूबे-पच्छिमे जाइत रेलवे लाइनक दोसर उत्तर अछि. हमरा सबहक समयमे स्कूल, दक्षिण मुँहक फूसक भवनमे रहैक. छात्रावास खपरैल भवन पश्चिम मुँहे छल. विद्यालयक दुनू भवनक दुनू अंग मिला कए L-आकारक रहैक. स्कूलक आगू पैघ फील्ड रहैक जकर पूर्व-दक्षिण कोन पर हैण्ड पम्प आ दक्षिण-पश्चिम कोन पर एकमात्र सर्विस टॉयलेट रहैक. फील्डक पश्चिम पोखरि रहैक. स्टेशनसँ उत्तर गेनिहार यात्री लोकनि स्कूलक फील्ड होइत जाइत रहथि. फील्डमे खेल-कूदक कोनो व्यवस्था नहिं.

एहि स्कूलमे  विज्ञान, कला एवं वाणिज्य, पढ़ाईक तीनू विकल्प उपलब्ध रहैक. स्कूलक नीक पढ़ाई रहैक. विद्यार्थी लोकनि जिज्ञासु रहथि आ शिक्षक लोकनि विद्यार्थीक जिज्ञासा शान्त करबामे तत्पर रहथि. शिक्षक लोकनि योग्य आ अनुभवी रहथि. किछु गोटे सामूहिक आ प्राइवेट ट्यूशन सेहो दैत रहथिन. हेडमास्टर स्व. जीव नारायण दास तं एहि स्कूलमे अयबासँ पूर्व बेलाही हाई स्कूलमे उपप्रधानाध्यापकक रूपमे सेहो काज केने रहथि. दू गोट उद्धरण जे ओ बेसी काल कहथिन. कहथि, हौ बाइबिल में कहने छैक” ‘Man is the cream of creation.’  Napoleon Bonaparte क कथन  Impossible is the word found only in the dictionary of fools.’ सेहो ओ यदा-कदा कहथिन.

स्कूलमे विज्ञान, कला आ वाणिज्य तीनू विकल्पक पढ़ाई होइत रहैक. जीव विज्ञान पढ़यबाक व्यवस्था नहिं रहैक. पदाथ विज्ञान आ रसायन विज्ञानक हेतु प्रयोगशालाक व्यवस्था रहैक. छात्रकें प्रयोग करबाक अवसर भेटैक. कोर्स-वर्कक अतिरिक्त कहिओ काल वाद-विवाद प्रतियोगिता होइक, पुरस्कार भेटैक. मेरिट टेस्ट नामक भिन्न-भिन्न विषयक घंटा भरिसँ कम अवधिक मासिक परीक्षा हमरा लोकनिक हेतु विशेष आकर्षण रहय. मेरिट टेस्टमे सबसँ अधिक नम्बर अननिहार एकाधिक विद्यार्थीकें पुरस्कार-स्वरुप किताब, कापी,कलम सन छात्रोपयोगी उपकरण भेटैक.तहिया तकर बड्ड महत्व रहैक.   

एहि स्कूलमे मुसलमान छोड़ि समाजक सब वर्गक छात्र रहथि. हमरा लगैत अछि, ओहि समयमे एहि इलाकाक  मुसलमान समुदायक छात्र प्राथमिक स्कूलसँ कदाचिते आगू पढ़ि पबैत रहथि. मुसलमान छात्रक अभावक अनुमानित कारण इएह थिक. शिक्षकहुमे केओ मुसलमान नहि छलाह. स्कूलक वातावरण उदारवादी रहैक. शारीरिक दण्ड पूर्ण रूपें संपत नहिं भेल रहैक. मुदा, ताहि में शिक्षक ई नहिं देखथिन जे विद्यार्थी संस्थापकक परिवारक थिकाह, कि आन केओ.

तहिया देश स्वतंत्रताक बेसी दिन नहिं भेल रहैक. ओहि समयमे आदर्शवादी विचारधारा क निंदा नहि आरंभ भेल रहैक. गाँधी तहिया पूज्य छलाह. यद्यपि, वादविवाद मे राजनेता वा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आलोचनासँ परे नहिं रहथि.   

विश्वप्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन अपन संस्मरण ‘Home in the World’ में लिखैत छथि, ‘संस्मरणक स्मृति-चर्वणमे अनका रूचि होइक से आवश्यक नहिं. किन्तु, की भेलैक आ अनकर अनुभव आ विचारक की अर्थ निकाली ताहिमे अनका रूचि संभव छैक.’ तें, हम ओहि समय मे महादेव पूरण टिबरेवाल इंग्लिश उच्च  (MPTHE) विद्यालय, झंझारपुर मे केहन वातावरण रहैक तकर किछु उदाहरण दैत छी.

स्कूलक दैनिक कार्यक आरम्भ जयशंकर प्रसादक कविता ‘हिमाद्रि तुंग श्रृंग से’ कविताक गान होइक, कोनो देवी-देवताक स्तुति नहि. पाठकक हेतु ओहि कविताकें एतय उद्धृत करैत छी :

हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती
'
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!'
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी!
अराति सैन्य सिंधु में, सुवाडवाग्नि से जलो,
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो, बढ़े चलो!

प्रतिदिनक प्रातः कालीन असेंबलीमे एहि कविता पाठक नेतृत्व पण्डित बनखंडी मिश्र करैत रहथि. पण्डित जी संस्कृतक विद्वान रहथि. किन्तु, विचार उदारवादी रहनि. स्वतंत्रता संग्राम आ द्वितीय विश्वयुद्धक गप्प यदा-कदा सुनबिथिन. राजनितिक गतिविधि पर हुनक नजरि रहनि. भाषा शुद्ध लिखल जाय तकर आग्रही रहथि. आनो शिक्षक लोकनि शुद्ध भाषा लिखबा पर  जोर देथिन.

जं कहियो पण्डित जीक अनुपस्थिति मे भोरुका सामूहिक ‘प्रार्थना’क भार शिक्षक महावीर पोद्दार पर पड़नि तं ओ ‘ दयाकर दान भक्ति का हमें परमात्मा देना’ क प्रार्थना कराबथि. ओहि दिन’ हिमाद्रि तुंग शृंग से’क गान नहि होइक. मुदा, से अभावृत्तिए.  स्कूल में NCC/ ACC सन संस्थाक प्रवेश नहि रहैक. योग आ व्यायामक प्रचार नहिं रहैक. मुदा, पदार्थ-विज्ञान (Physics)क शिक्षक महावीर पोद्दार हमरा सत्यानन्द सरस्वतीक योगासनक एकटा पुस्तक देने रहथि. हम प्रायः आठमे वर्ग मे ओहि पोथीक सहायतासँ बहुत योगासन सीखि नेने रही जे आइओ बिना ककरो सहायता आ निर्देशके करैत छी.

स्कूलमे पढ़ाई नीक रहैक रहैक. शिक्षकमे विशेषतः प्रधानाध्यापक जीबनारायण दासक अतिरिक्त, महेश्वर सिंह, महावीर पोद्दार, कीर्त्यानन्द मिश्र, मदनेश्वर मिश्र, पं. बनखंडी मिश्र आ कपिलेश्वर महतो मन पड़ैत छथि. ई लोकनि क्रमशः रसायन शास्त्र, पदार्थ विज्ञान, गणित, समाज अध्ययन, संस्कृत-हिन्दी, एवं हिन्दी पढ़ाबथि  प्रधानाध्यापक जीबनारायण दास मैथिलीमे लिखितो रहथि. ओ अंग्रेजी आ मैथिली पढ़बथिन. गीता प्रेसक एक पोथीक हुनक मैथिली अनुवाद ‘भक्त आओर भगवान’ एखनो हमरा लग अछि.

ई सब शिक्षक पढ़यबाक अतिरिक्त हमरा सबकें परिश्रम करबाक हेतु,  आ आगू बढ़बाक हेतु प्रेरितो करथि. प्रेरक व्यक्तित्व मे प्रधानाध्यापक जीव नारायण दासक अतिरिक्त हमरा स्व. मदनेश्वर मिश्र एवं महेश्वर सिंह विशेषतः मन पड़ैत छथि.

स्कूलमे साहित्य, आ कलाक क्षेत्रमे रटि कए लिखलासँ उत्तर नीक मानल जाइक. तें, समाज अध्ययन, हिन्दी, मैथिली आ संस्कृतमे हमरो लोकनि शिक्षकक लिखाओल उत्तरकें कंठस्थ कए ली. ओहिसँ नम्बरो आबय आ शिक्षक सेहो संतुष्ट होथि. पढ़बाक ओहि विधिसँ समाज अध्ययनक विद्वान् सबहक उद्धरण रटब काज आबय. भाषाक उत्तर शुद्ध होइक. किन्तु, साधारण विद्यार्थीक रचनात्मकता अवश्य दुर्बल होइक, प्रायः. तथापि, ओहि शिक्षक लोकनिक प्रति हमरा मनमे असीम आदर आ आस्थाक अतिरिक्त आओर किछु नहिं. हमरा नहिं लगैछ, ओहि कोटिक शिक्षक आब एहि इलाकाक कोनो स्कूलमे भेटताह. कारण बूझब कठिन नहि.

हाई स्कूलक अवधिमे हमर ध्यान योगासन आ स्वास्थ्य दिस गेल. किछु दिन गामक अखाड़ा पर सेहो गेलहुँ. अखाड़ा पर गामक पिछड़ा वर्गक युवक सब बेसी जाथि. कहबी रहैक:

            घोखन्त  विद्या लपटन्त जोर

            नहिं किछु तं थोड़बो थोड़

 किन्तु, हम जखन पढ़ाई दिस बेसी व्यस्त भेलहुँ तं अखाड़ा छुटैत गेल, किन्तु, स्वास्थ्यक प्रति जागरूकताक जे बीज गाममे मन मस्तिष्कमे पड़ल छल से जिनगी भरि संग रहल.  पछाति, जखन सेना सेवामे अयलहुँ तं ओतहु नियमित जीवन पद्धति आ स्वास्थ्य पर जोर रहैक. किन्तु, अपन अनुशासनक बलें  जतय कतहु गेलहुँ विपरीत जलवायु  आ कठिन जीवन पद्धतिओसँ कहियो स्वास्थ्य प्रभावित नहिं भेल. हमरा लगैत अछि, छात्र जीवनमे स्वास्थ्यक प्रति जागरूकताक जे बीआ हमरा मनमे रोपल गेल छल तकर लाभ हमरा जीवन भरि होइत रहल.

१९७१ ई मे महादेव पूरण टिबरेवाल इंगलिश उच्च (MPTHE) विद्यालय, झंझारपुरसँ हम मैट्रिक पास भेलहुँ. जहिया एहि स्कूलमे हमर नाम लिखल गेल छल, हमर गौआं लोकनि कहथि जे स्कूलक सम्मान सारिणी ( Roll of Honour ) पर अहाँक नाम अयबाक चाही. हम ओकर अधिकारी तं अवश्य भेलहुँ, किन्तु, समान सारिणी पर नाम लिखल गेल गेल वा नहि से देखबाक अवसर फेर कहियो नहि भेटल. एतबा अवश्य जे मैट्रिक परीक्षाक प्राप्तांक आधार पर हम राष्ट्रीय छात्रवृत्ति अधिकारी भेलहुँ. ई छात्रवृत्ति हमरा फाइनल एम बी बी एस धरि पार लगा देलक. तखन हम अपन स्कूल आ ओतुका गुरु लोकनिकें कोना बिसरि सकैत छियनि.

कहितो छैक:  अज्ञान तिमिरांधस्य ज्ञानांजन शलाकया चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्री गुरवे नम: ||

गुरुलोकनि आ गुरुकुलकें नमन.

 

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