Tuesday, August 20, 2024

डिजिटल संस्करण आ डिजिटल मार्केटिंग प्लैटफॉर्मक सहायतासँ पोथीक पहुँच बढ़ाबी

 

डिजिटल संस्करण आ डिजिटल मार्केटिंग प्लैटफॉर्मक सहायतासँ पोथीक पहुँच बढ़ाबी 

एहि बीच हमर रुचिक अनेक मैथिली पोथी छपल. हम किनबाक नेआरो करैत रही. मुदा, डिजिटल प्लेटफार्म पर पोथीक अनुपलब्धता वा प्लैटफॉर्म पर डिजिटल संस्करणक अभावक कारण ‘दूर रहैत’ पोथी किनि नहि सकलहुँ. अस्तु, एहि संक्षिप्त लेखमे हम मैथिली पोथीक  डिजिटल संस्करणक अभाव एवं  डिजिटल मार्केटिंग प्लैटफॉर्म ओकर अभावक विषय पर विचार करय चाहैत छी.

सर्वविदित अछि, इन्टरनेट आविष्कार आ मोबाइल फ़ोन टेक्नोलॉजीक सहायतासँ पढ़ब आ लिखब दुनू सुलभ भेलैए. के नहि जनैछ, विश्वभरिक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय आ अनेक अन्य संस्थाक पुस्तकालयक द्वारि घर बैसल, ओहि सब पाठकक हेतु खूजल छनि, जे इन्टरनेटक प्रयोग करब जनैत छथि. ई वरदान थिक. एहि सब ‘वेब साइट’ पर पोथी, पाण्डुलिपि, इंटरव्यू, फिल्म, सब किछु भेटत. संयोगवश, एहि किछु ‘वेब साइट’ पर मैथिलिओक किछु पोथी उपलब्ध अछि. मुदा, बहुत नहि. श्री गजेन्द्र ठाकुर ‘विदेह ई पाक्षिकक’ पत्रिकाक माध्यमसँ मैथिलीक अनेक पुस्तक आ छात्रोपयोगी सामग्री http://www.videha.co.in/archive.htm पर पाठकक हेतु संकलित कयने छथि. किछु लेखक लोकनि सेहो यदा-कदा https://archive.org/ एवं अन्य साइट पर अपन पोथी देने छथिन. तथापि, हमरा जनैत, संम्पूर्ण मैथिली साहित्यिक सम्पदाकें ध्यानमे रखैत ई पर्याप्त नहि. आ नव पोथी मुफ्त बिलहबाक तं प्रश्ने नहि उठैछ.
तथापि, एक दिस जं मैथिलीमे पोथी नहि बिकयबाक समस्या छैक, तं दोसर दिस पोथी-पत्रिकाक पाठक धरि नहि पहुँचबाक समस्या सेहो छैक.  एहि विषयक चर्चा  हम आइसँ करीब पाँच वर्ष पूर्व पहिने अपन ब्लॉग (‘
बेचबाले पोथीकें किनबा जोग बनाउ, पाठक धरि पहुँचाउ’) (https://kirtinath.blogspot.com/2019/08/blog-post.html) मे कयने रही, जे आइओ प्रासंगिक अछि. कारण, आइओ पुस्तक वितरण आ विपणनमे बहुत परिवर्तन नहि भेलैए. फलतः, ‘पोथी नहि बिकाइए’क चिंता जहिना तहिया रहैक, तहिना आइओ छैक.
एहि अवधिमे नव पीढ़ीक रचनाकारक नीक संख्या सोझाँ आयल छथि. स्थापित रचनाकार तं छथिए. तथापि, ग्रामीण क्षेत्रमे एवं डिजिटल मार्केटिंग प्लैटफॉर्म पर सब नव-पुरान पोथी भेटबो नहि करत. भेटबो करत तं पोथीक  इलेक्ट्रॉनिक संस्करण (
kindle edition) भेटत कि नहि, कहब असंभव.
अस्तु, आइ मैथिलीमे जे कोनो पोथी छपैत अछि, सबहक डिजिटल एडिशन बनाबी आ सबहक डिजिटल वर्शन डिजिटल मार्केटिंग प्लैटफॉर्म पर पाठकक हेतु किनबा लेल उपलब्ध हो. जाहि सबसँ पाठक कतहु होथि पोथी किनि सकथि. जे ‘हार्ड कॉपी किनय चाहथि, ओ तं किनिए सकैत छथि.

एतय ई कहब अतिशयोक्ति नहि हएत जे, कारण, एखनि पोथीक प्रकाशनमे कंप्यूटरक प्रयोग अनिवार्य अछि, आ पोथीक डिजिटल संस्करणमे ततेक थोड़ श्रम लगैछ जे एकरा ‘दालि-भातक कओर’ बूझि सकैत छी. अस्तु, मुद्रक-प्रकाशकक संग पोथी आ पत्रिकाक प्रकाशनक करारमे पोथी-पत्रिकाक डिजिटल कॉपीक प्रकाशन आ डिजिटल प्लैटफॉर्म पर मार्केटिंगक हेतु लिस्ट करबाक करार सेहो अवश्य सम्मिलित कराबी. एहिसँ पोथी-पत्रिका आ मैथिली साहित्यक पहुँच संपूर्ण विश्व धरि तं पसरिए जायत, हमरालोकनिकें दूर देशमे बैसल मैथिलीक पाठकक सहयोग सेहो अनायास भेटत. मातृभाषा-पिपासु पाठक लोकनिक संतुष्टिक तं गपे नहि हो.      

5 comments:

  1. मैथिली मे ऑनलाइन वा डिजिटल संस्करणक अभाव अछि जे अवश्य दूर हेवाक चाही ताकि मैथिली केर सुधि पाठक निचेन भ' पोथी कें पढ़ि सकय। 🙏🙏

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    1. धन्यवाद। ततबे नहि, अमेरिका- योरपमे बैसल पाठक केवल डिजिटल संस्करण पढ़ि सकैत छथि। ओतय धरि छपल पोथी पहुँचायब श्रमसाध्य आ महग तँ छैके, समयो बहुत लगतैक। अहाँलोकनिक मांगसँ परिस्थिति बदलि सकैछ।

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  2. ठीके, आइ काल्हि इ जरूरिए भ ' गेलै अछि । उपयोगी आलेख।

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    1. धन्यवाद। ई पाठकक हेतु सेहो जरूरी थिक। कारण, पढ़निहार मिथिलासँ बाहरो बहुत छथि।

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  3. प्रशंसनीय आओर स्वागत योग्य विचार🙏

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