बटालिक आ ब्रोग्पा समुदाय
सत्यतः, 1999 में जं भारत-पाकिस्तानक बीच युद्ध नहिं होइत तं लद्दाख़क बाहर , सैनिक लोकनिकें छोडि अन्तय लोक बटालिकक नामो नहिं सुनैत. लद्दाख़क एहि भागमें पर्यटककें आकृष्ट करबा योग्य स्थल वा संरचना छैको नहिं. आम पर्यटक लेह सं आबि खालसीमें सिन्धुकें पार कय लामयुरु-मुलबेख होइत कारगिल जाइत छथि. कारगिल जेबाबला नागरिक चाहे तं मजबूरीमें सोझ बाट( बटालिकक बाट) पकड़इत छथि अथवा बटालिकमें ब्रोग्पा समुदायक गाम सबहक भ्रमणक इच्छुक पर्यटक सोझ पश्चिम जाइत छथि. एम्हर कतहु सोझ, कतहु सर्पाकार सड़क सिन्धुक कछेर पकड़ने चलैछ. एहि बाट पर आगू दुमखर, स्कुर्बुचन, अचिनाथांग, आ हनुथांग गांओ भेटत. हमरालोकनि अचिनाथांगमें रात्रि-विश्राम करब. अपेक्षाकृत संकीर्ण पाट, आ नीचा दिसुक बहावक कारण एम्हर आबि कय सिन्धुक गति खूब तेज आ गरजैत-सन भ जाइछ. बहुतो ठाम सड़क क्षतिग्रत-सन छैक आ कतेको ठाम सीमा सुरक्षा संगठनक कर्मी सब सड़कक मरम्मतिमें लागल छथि.
दा-हानु,ब्रोग्पा समुदाय
लद्दाख़क समुदायक अनेक मूलक संगम थिक. पूब में तिब्बती, उत्तर में मध्य एशियाइ मूलक, पश्चिम सं बाल्टी, आ दक्षिणमें कश्मीरी मूलक संगम आ सम्मिश्रणक प्रभाव एतुका समुदायक काया कलेवरमें सबठाम देखबामें आओत. किन्तु, लद्दाख़क एक इलाका आ समुदाय जे करीब विगत 2500 वर्ष सं अपन मौलिक स्वरुप आ रक्तकें ओहिना शुद्ध रखने अछि तं, ओ थिक दा ,हानु,गारखोन, आ दारचिक गामक ब्रोग्पा-बौद्ध समुदाय.मानल जाइछ, आर्य मूलक ब्रोग्पा समुदायक पूर्वजलोकनि सिकंदर महानक संग भारत आयल छलाह एखनुक ब्रोग्पा लोकनि हुनके संतति थिकाह छथि जे एखन धरिअपन मूल स्वरुपकें अद्यावधि जोगा कय रखने छथि. ब्रोग्पा समुदायक नारि-पुरुष लोकनिक चामक रंग, ठाढ़ नाक, नील आँखि, आ माथपर
गढ़ नारंगी रंगक सुखायल फूलसं सजल पागक कारण कतहु स्वतः चिन्हबामें आबि
जेताह.
माथपरहक फूल ब्रोग्पा लोकनिक सुपरिचित निसान थिक |
हिनका लोकनिक बौद्ध परम्परा आम लद्दाखी आ तिब्बती बौद्ध परम्परा सं भिन्न अछि. ई लोकनि आस्थासं बौद्ध किन्तु, व्यवहारसं प्राकृतिक संरक्षक थिकाह. ई लोकनि गाछ वृक्षके काटब पाप बूझैत छथि. भोजन में मांस-माछ तं दूर ई लोकनि दूधदही धरिक सेवन नहिं करैत छथि. ब्रोग्पा लोकनिक समाज में मदिरा पान आ आन समुदाय सं विवाह दान पूर्णतः वर्जित अछि. अस्तु, अपने समुदायक बीच विवाह-दानक बाध्यता सं ब्रोग्पा समुदायमें, वहुविवाह(polygamy) आ एके नारिक एके परिवारक एकसं अधिक पुरुषसं विवाह ( polyandry) क परम्परा प्रथा प्रचलित छैक. ज्ञातव्य थिक, एके नारिक एके परिवारक एकसं अधिक पुरुषसं विवाह (polyandry) क परम्परा प्रथा बौद्ध लोकनिक बीच लद्दाख़सं ल क कय पूर्वोत्तर भारतक अरुणाचल धरि प्रचलित अछि. ततबे नहिं, लद्दाख़क ब्रोग्पा समुदायमें जाहि नारिकें वैवाहिक दायरामें सन्तान नहिं होइत छैक हुनका आन पुरुषक सहयोगसं सन्तान धारणके उचित बूझल जाइछ. किन्तु, ई स्वतंत्रता अपने समाज धरि सीमित अछि.
एहि ठाम दा गाममें 500 सौ वर्ष पुरान दू गोट जुनिपरक गाछ एतुका वार्षिक उत्सवक केंद्र विन्दु थिक. उत्सवक अवसरपर एहि वृक्ष सबके पंजियाकय एहि समुदायक सदस्य लोकनि एहि वृक्ष सब सं सांकेतिक रूपें उर्जा प्राप्त करैत छथि. उत्सवक अतिरिक्त आनो दिन ग्रामीण लोकनि एहि गाछ लग बैसैत छथि आ एक दोसरासं अपन जीवनक अनुभवक आदान-प्रदान करैत छथि. छथि हमरा लोकनि अपन यात्रा में ब्रोग्पा गाम देखैत आगू बढ़लहु. दा, हानु सं किछु दूर आगू, सिन्धुक कछेरमें तैनात भारतीय सेनाक तोपखाना ( artillery gun), सैनिक लोकनिक गहमा - गहमी, आ सैनिक यूनिट सबहक फार्मेशन नंबर सं बुझबा में आबय लागलजे हमरा लोकनि बटालिकक सैनिक मोर्चापर पहुंचि गेल छी. स्थानीय इन्फेंट्री बटालियनक कमान अधिकारी कर्नल दयाल सं भेंट कयल. अपना ऑफिसमें कर्नल दयाल अपना एरियाक मोर्चा सबहक संक्षिप्त जानकारी देलनि. एहन क्रूर जलवायु आ एहन मारुख स्थान- भयानक नदी, ऊँच पहाड़ आ दुर्दांत शत्रु. किन्तु, एहि सबहक दमन मात्र सेनाक मनोबल आ शौर्य करैछ. तें, एहि दुर्गम सीमा क्षेत्रमें जं ककरो भयभीत हेबाक चाही, तं, केवल भारतीय सेनाक शत्रुकें. कमांडिंग ऑफिसरक ब्रीफिंगक संग-संग सैनिक परम्पराक अनुकूल आवभगत आ सौजन्य भेलैक ; सेना कतहु रहय, बंकर में वा बम्बईमें कार्य पद्धति एके रहैत छैक. पछाति बुझबा में आयल कर्नल दयाल पटनाक थिकाह. किन्तु, सेनामें ई गौण थिक. कमांडिंग ऑफिसरक ब्रीफिंगक पछाति यूनिट MI Room ( डाक्टरी जांच कमरा) में रोगी लोकनिक जांच कयल. बटालिक-सन संकीर्ण स्थानमें बटालियनक सब अवयवके पर्याप्त स्थान भेटब सुलभ नहिं. ताहि पर सं माल-असबाब आ सैनिक लोकनिक आवासकें शत्रुक नज़रि आ तोपखानाक लक्ष्य सं बंचाकय राखब अनिवार्य. रोगी लोकनिक जांच-पड़तालक पछाति भोजन आ थोड़ेक काल विश्राम भेलैक. तकर पछाति चरैवेति; आब सांझ सं पूर्व कारगिल पहुंचाक अछि. बटालिक सं कारगिलक बाटमें एकटा ऊँच पहाड़ी पास ( दर्रा) हम्बोटिंग-ला अबैत छैक. एहि सैनिक जीवन में नहिं जानि कतेक पास पार कयल- खरदुंग-ला, चांगला- फोतुला- नामिकला- आ आइ हम्बोटिंग-ला. कतेक बेर हवाई जहाजहु सं कुदलहु . ने कतहु दम फूलल, ने कतहु आयासक अनुभुव भेल. सब किछु माता-पिताक देल हाड़-मांस-देह,आ मनक देन थिक. सबल मन अनेरो शरीर में स्फूर्ति आनि दैत छैक आ दुर्बल मन सबल शरीरहुमें दुर्बलताक बोध आनि दैत छैक. तदर्थ हम्बोटिंग-ला पर एक क्षण विरमि माता-पिताक प्रति मूक तर्पण. ने कुश,ने जल, ने तिल. केवल अनावृत्त आकाश,निर्मल वायु, प्रखर रौद आ माता-पिताक स्मरण. त्रिप्यन्तु, तृप्ताः यान्तु ! आ पुनः अन्तहीन यात्रा : चरैवेति ! सैनिक जे थिकहु !!
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