Wednesday, January 24, 2018

कारगिल आ द्रास




कारगिल आ द्रास
कारगिल: ओना तं कारगिल सुदूर लद्दाख़क मात्र एकटा जिला थिक, किन्तु, कारगिल युद्धक पछाति भारतमें कारगिलक नाम के नहिं सुनने हयत. कारगिल, श्रीनगर-लेह मार्ग पर लगभग बीचोबीच अबैछ. एतय शहर, सैनिक प्रतिष्ठान आ जनसंख्या शहरक लम्बाईक बीचोबीच बहैत सुरु नदीक दुनू कात बसल अछि.भारत-पकिस्तान नियंत्रण रेखाक समीप कारगिल श्रीनगर-लेह-बटालिक-आ जान्सकार जेबाबला सड़कक चौबटिया थिक. अस्तु कारगिलक सामरिक महत्वकें सहजहि बूझल जा सकैछ. सर्वविदित अछि, एहि सामरिक महत्वकें बूझितो भारत 1999 में जखन घोरनिन्न में सूतल छल, पाकिस्तान हमरा लोकनिक राष्ट्रिय सुरक्षामें सेंध मारि रहल छल. कारगिल युद्ध हेबनिक घटना थिक. तें, एतय कारगिल युद्धक पृष्ठभूमि, रणनीति, आ भारतीय सुरक्षापर एकर परिणामक विशद विवेचना आवश्यक नहिं. इहो सर्वविदित अछि, पकिस्तान जतेक बेर भारत पर आक्रमण केलक अछि ओकरा पारजयक संग प्रतिष्ठाक हानि सेहो भेलैये. अस्तु, आब जं पुनः पाकिस्तान भारत पर आक्रमण केलक तं ओकर परिणाम पकिस्तानले की हेतैक से कहब कठिन. तथापि, पीठपर परमाणु बमक अहंकार सं पाकिस्तान भारतक विरुद्ध उपद्रव् करैत रहत से पूर्णतया संभव. कहैत छैक, रोग कें आ शत्रु कें कखनहु थोड़ नहिं बूझी. स्वतंत्र भारतक इतिहासक अनुभव कहैत अछि, हमरा लोकनि पाकिस्तानके  अविश्वसनीय पडोसी आ घातक शत्रु बूझी सएह उचित. पाकिस्तान हमरा लोकनि कें समर्थ पडोसी आ सशक्त शत्रु बूझय ताहिमें कोनो हर्ज़ नहिं. कारण, सबल भारत  पकिस्तान क दमन क सकैछ, आ पाकिस्तानक हमरा लोकनिक प्रति शत्रुता ओकरा पंगु बना सकैछ.
हम जहिया कारगिल गेल रही, कारगिल युद्ध कें बेसी दिन नहिं भेल रहैक. स्थानीय फील्ड एम्बुलेंसक ऑपरेशन थिएटरक टिनक छत पर पाकिस्तानी गोलाबारीक निशान ओहिना रहैक. सुरु नदीक दोसर पार भारतीय सेना क गोला-बारूदक भण्डार आ पेट्रोल-डीजलक डंप पाकिस्तानी गोलाबारीमें कोना नष्ट भेल रहैक से लोक कें बिसरल नहिं रहैक. कहल जाइछ एहि अग्निकांडक फलस्वरूप अनेक दिन धरि फाटैत बम-गोला अनेक दिन धरि  कारगिल शहर पर वज्र-जकां बरसैत रहल छल. एतय फील्ड एम्बुलेंस (भारतीय सेनाक युद्धकालीन मेडिकल प्रतिष्ठान ) आ इन्फेंट्री बटालियनसं सोझे नीचा सुरु नदीपर बनल इकबाल पुलपर होइत सड़क सोझे कारगिल शहर जाइछ. अस्तु, हम सांझुक पहर टहलान ले शहर दिस बिदा भेलहुँ. ई कश्मीरमें एखन सम्भव नहिं. कश्मीरक विपरीत लाद्दखक इलाका पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद सं मुक्त अछि. कारगिल मुस्लिम बहुल इलाका थिक.  किन्तु, एतुका मुस्लिम लोकनि सिया थिकाह आ ई लोकनि सिया सम्प्रदायक ईरानी गुरु लोकनिक अनुयायी छथि. पाकिस्तान-सऊदी अरबिया सुन्नी साम्राज्यक अंग थिक. एहि ठाम ओकरा लोकनिकें खाद-पानि भेटब मुश्किल.
हम कारगिल शहर पहुंचल रही तं सांझ हेबा पर रहैक. ओहि दिन संयोगसं कोनो धर्मगुरुक ईरानसं अबैया रहनि. बाजारमे जहां-तहां लोक सब स्वगात्में एकत्रित छल.  खुटपुटिया दोकानदार सब बाटक कातहिं बोरा बिछाकय वा भूमिए पर दोकान लगौने छल. एक गोटे बासन म सं निकालि-निकालि, सीसाक छोट-छोट चाहक गिलास में दही-चीनी बेचैत छलाह. दोसर गोटेक आगू एकटा तौला-सन  पात्र रहैक. कौतूहल भेल पुछलियैक, 'की थिकह ?'
-रिस्ता है, जनाब !
जं अहां मांसाहारी छी आ कश्मीरी पुलाव, रिस्ता-गुस्तावा-यख़नी नहिं खेलहु-ए, तं बिलम्ब जुनि करी. आब तं सब ठाम सब किछु भेटैत छैक. रिस्ता-गुस्तावा मासुक कीमाक लड्डूक  आकारक व्यंजन थिक जकरा स्वादिष्ट सुगन्धित झोरमें बरकाओल जाइछ आ पुलाव-पराठाक संग परसल जाइछ. भ गेल ने लोभ. भ आउ कश्मीर, जुलाई में जायब तं कश्मीरक उपत्यका, अमरनाथक शिवलिंग आ गुस्तावाक भोजन सब किछु क लेब.
द्रास: प्रसिद्धि ले दुइए टा चाही- नीक वा बेजाय. द्रास उपत्यकाक प्रसिद्धि एहिठामक भीषण सर्दीक कारण छैक. श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर अवस्थित ई छोट-सन उपत्यका एशियाक सब सं सर्द आ विश्वक दोसर सब सं बेसी ठंढा स्थान थिक. एतय जाड़क समयमें तापमान शून्यसं 60 डिग्री सेंटीग्रेड (-60° C) धरि जेबाक रिकॉर्ड छैक. ज्ञातव्य थिक, एहि इलाका में मसको-द्रास-कारगिल धरि राजमार्गक उत्तरक पहाड़ीक समीपे नियंत्रण रेखा छैक. जाहि स्थान में भारतीय चौकी ऊँच स्थान पर अछि भारतीय सेना नीचाक पाकिस्तानी पोस्ट पर सोझे प्रहार क कय दबदबा बना सकैछ. विपरीत परिस्थितिमें भारतले सेहो परिस्थित विपरीते छैक. सर्द इलाका आ भयानक बर्फ़बारीक कारण जाड़क समय में सड़क संचार छिन्न-भिन्न भ जाइछ. फलतः दुनू देशक सेना सदाय सं जाड़में ऊँच स्थानक अपन-अपन पोस्ट छोडि कम ऊँचाईक क्षेत्रमें चल जाइ छल. गर्मी अयलापर पुनः दुनू सेना अपन-अपन भूमिपर कब्ज़ा करैत छल. 1998-99 में पकिस्तान एहि परम्पराकें तोडि भारतक खाली पोस्टकें चुपचाप हथिया लेलक, आ बेखबर भारतीय सेना  गर्मीक प्रतीक्षा क रहल छल. एहि बीच पाकिस्तान हालहिंमें हथियाओल ठेकाना सब पर सं श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर निरंतर गोलाबारी सं द्रास-कारगिल-लेहक यातायातकें छिन्न-भिन्न कय कश्मीरकें लद्दाख़सं तोडि देबाक सामरिक मंसूबा बनौलक. अचानक आयल इएह चुनौती सूतल भारत सरकार आ भारतीय सेनाकें जगौलक आ अंतत भारतीय सेनाक कारगिल अभियान आ अनेक अंतर्राष्ट्रीय भर्त्सनाक फलस्वरूप भारत अपन भूमि पर कब्ज़ा केलक आ श्रीनगर-लेह राजमार्ग आ लद्दाख़क इलाका पुनः सुरक्षित भेल. एहि युद्धमें भारतकें कोन मूल्य चुकबय पडलैक आ भारतीय सेना केहन वलिदान देलक से इतिहास विदित अछि. आइ हमरा लोकनि कारगिल सं द्रासकेर यात्रा पर छी. एतय सड़क पहिने सुरु नदीक दछिनबरिया कछेर धेने पश्चिम मुँहे चलैछ. पछाति जखन सुरु नदी सोझे पाकिस्तान दिस आगू बढ़इछ तं सड़क सिंगो-द्रास नदीक कछेर ध लैछ. सीमा क्षेत्रक एहि इलाकामें  पग-पग पर शहीद स्मारक, तोपखानाक गन केर जाल  भेटत. कारगिल सं कनिएक पश्चिम आ छनिगुंड सं पूब गुरुंग पुल देखबैक. इहो गुरुंग एहि सुदूर प्रदेशमें अपन शोणित सं मातृभूमिक हेतु तर्पण केनिहार वीर थिकाह. अस्तु, एक क्षणक विराम ,एक क्षणक मौन आ नमन. अंततः शहीदकें आओर की कामना ! गुरुंग पुल सं आगां छनिगुंड गाओं अबैछ. एहि गाओं सं आगू दाहिना कात नदीक दोसर पार, ऊँच पहाड़पर पाकिस्तानी पोस्ट सब एहि सड़क पर निरंतर निशाना सधने रहैछ जाहि सं भारतक नागरिक आ सामरिक क्षति होइछ. अस्तु, एहि सड़क पर अनेक ठाम स्थायी बोर्ड देखबैक, ' दुश्मन आपको देख रहा है .' अस्तु, एतय ठमकू जुनि, आगू बढ़इत रहू. एतय छी तं मन पड़ैत अछि एकटा दुखद प्रकरण. प्रायः 2000-2001 क घटना थिकैक. हम लेह में रही. सांझुक पहर रहैक. एकटा गाड़ी एयर फ़ोर्सक एकटा सेवारत सार्जेंटक शरीर ल कय आयल. संगमें विधवा युवती. ई दम्पति अमरनाथ यात्राक पछाति हवाई जहाज पकड़बाले लेह अबैत रहथि. छनीगुंडक इलाकामें महिला ओंघाकय कारक सीट में पडि रहल छलि. सार्जेंट पति अलर्ट सीट पर बैसल छलाह. अचानक आयल पाकिस्तानी स्नाइपर फायर हुनका ओत्तहि ढेर क देलक. ज्ञातव्य थिक, ई घटना शान्ति कालक थिक. एहि सड़क पर भारतीय सेना सेहो स्थान-स्थान पर मोर्चा लगा, नियत पाकिस्तानी ठेकाना सबकें अपन निशाना पर रखने अछि, जकरा समय अयला पर क्षण में भूमिसात कयल जा सकैछ. ज्ञातव्य थिक भारत-पाकिस्तानक बीच ने युद्ध, ने शान्तिक एहि परिस्थितिमें नित्तह द्वन्द चलिते रहैछ. हँ, सेना सब किछु करैत अछि, किन्तु, जखन आवश्यकता होइत छनि राजनेता अपन छाती ठोकैत छथि. सेना नित्य अपन काज चुपचाप करैछ. प्रचार सेनाक ने आवश्यकता थिकैक आ ने संस्कृति. प्रचार सैनिक अभियान ले सेहो उचित नहिं. थोड़बे  दूर आगू संकीर्ण पहाड़ी इलाका थोड़े चाकर नमछर  उपत्यका में बदलि जाइछ. माने, आब हमरा लोकनि द्रासमें छी. एतय गांओ सं पहिनहि सड़कक दाहिना कात कारगिल युद्ध में शहीद हुतात्मा लोकनिक पैघ स्मारक छनि. एखन शान्ति काल थिक. हिनका लोकनिक उद्दात्त कीर्ति आ अपूर्व शौर्यक बलें राष्ट्र सुरक्षित अछि. हमरा लोकनि सड़कक कातहिं गाड़ी ठाढ़ कयल. शहीद लोकनिक सम्मानमें पयरे चलैत स्मारक धरि गेलहुं आ समानधर्मा  सैनिक लोकनिक स्मरण करैत मौनसं श्रद्धा-सुमन अर्पित कयल. 
द्रास में एखन खूब रौद छैक. बाटक काते-कात नदीक कछेर पर गहूमक खेती उपत्यका कें हरियर केने अछि. जहां-तहां वनफूल बसात में डोलि रहल अछि. वायु शर्द छैक. तथापि, एखन गर्म कपड़ा नहिं चाही. द्रासमें ई अद्भुत भेल ! कमरामें तं खूब नीक गर्म कपड़ा ( Arctic wear ) क बिना काज नहिं चलत. थोड़ेक दूर आगू सड़क कातहिं में द्रासक रिकॉर्ड तोड़ बर्फ़बारीक साइन बोर्ड देखबैक. किछुए कालमें ऑफिसर मेस में पयर देल तं भोजनक बेर भ गेल रहैक. गर्म भोजन भेलैक. किन्तु, अपन कोठलीमें  मोटगर ओढ़ना तानि जहां पड़लहु कि, बुम ! बुम !! बुम !! क ध्वनि सं सम्पूर्ण उपत्यका दलमलित भ गेल. ओढ़ना एककात राखि उठलहु. आँखिपर चश्मा चढ़ाओल आ बाहर बरामदा पर आबि उपत्यकाक दक्षिण, दूर क्षितिजक नीचा पहाड़ दिस दृष्टि केन्द्रित केलहुं. शान्त वातावरणक नीरवताकें चिरैत एकटा आओर गर्जन: बुम ! क्षण भरिक पछाति दूर पहाड़पर माटिक ढेप-सन, मटमैल, एकटा छोट-सन, क्रमशः ऊपर उठैत विन्दुपर नज़रि गेल जे क्रमशः पैघ गुबार/ गोबरछत्तामें परिवर्तित भय आकाश दिस उठैत गेल. निमेष मात्रमें फेर, बुम ! धुआं आ ध्वनिमें समयक ई अंतर प्रकाशक आ ध्वनिक गतिक अंतरक द्योतक थिक. हमरा बुझबामें भांगठ नहिं रहल जे ई पाकिस्तानी सेनाक तोपखानाक टारगेट प्रैक्टिस छी. हँ, जं ई पाकिस्तानी सेनाक तोपखानाक टारगेट प्रैक्टिस थिक तं ओकरा सबहक निशाना आ प्रैक्टिस दुनू दोषपूर्ण छैक. आ एहि गोलाबारी सं एतय केओ डेरा जायत से सोचबो व्यर्थ. अस्तु, हमहू कोठलीमें वापस आबि सूति रहलहु. किन्तु, सूतब सम्भव नहिं भेल. शीघ्र हमरा लोकनिक स्थानीय आर्टिलरी ब्रिगेड सेहो अपन फायरिंग आरम्भ केलक. संकीर्ण उपत्यकामें लग सं होइत फायरिंग ता धरि चलैत रहल जाधरि पाकिस्तानी लोकनि सटक ! सीताराम कय शान्त नहिं भ गेलाह. डायरेक्ट आर्टिलरी फायरिंगक नीचा सुतबाक ई अनुभव हमरा नीक लागल. 

     

No comments:

Post a Comment

अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.

मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

कीर्तिनाथक आत्मालापक पटल पर 100 म  लेख   मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान  कीर्तिनाथ झा वैश्वीकरण आ इन्टर...

हिन्दुस्तान का दिल देखो