Sunday, October 13, 2019

मिथिलांचल शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त अछि


अवाम 2019: एकटा कोलाज
अवाम, दुर्गापूजा 2019: ऋचा-पाठ
प्रतिवर्ष दुर्गापूजामें अपन गाम अवाम यात्रामें स्थानीय ग्रामीण सबहक आँखिक जांच आ चिकित्सा हमर एकटा प्रमुख उद्देश्य रहैत अछि. पछिला वर्ष एहि अभियानमें पिंडारूछ सेहो गेल रही. एहि बेरुका बाढ़ि सडक यातायातकें बहुतो ठाम बाधित केने छैक, तें गामहिं छी. आइ भोरमें हमर ग्रामीण, आ महादेव पूरन टिबरेवाल हाई स्कूल, झंझारपुरमें हमरा सं दू वर्ष आगूक तहियाक छात्र आ आजुक सेनियर सिटिज़न श्री मायानन्द झा हमरा ओतय आँखि देखबय आयल छथि. हम पुछ्लियनि, ‘गामक की हाल ?
‘हालत ई जे..’ हमर कुर्ता-पायजामा पोशाककें लक्ष्य करैत कहलनि, ‘..... गाम में जं एखन दसो बीघा जमीनक मालिक छी, तं, एहन कुर्ता-पायजामा नहिं पहिरि सकैत छी !’
‘ कारण ?’
‘सरकारी नीति. एखन गाममें खेतिहर मजदूरक दिन भरिक न्यूनतम मजदूरी छैक 275/ 300 टाका. माने सरकारी दर पर एतबा टाकामें 75 किलो चाउर-गहूम भेटैत छैक. तें, एक तं एतय खेतमें जन देबाले लोक नहिं छैक, आ जे अछि तकरा काज करबाक बाध्यता नहिं छैक. सब बाहर चल गेल अछि.’
खेती पर आयल पराभवक हुनकर ई निदान आ तार्किकता असंगत. किन्तु, खेती पर पराभव छैक, ताहि पर केंद्र सरकारकें छोडि, एतय सब सहमत अछि. एहि बेरुका बाढ़िमें तं धानक लागल बीया सेहो डूबि गेलैक. बाढ़ि घटला धरि जं किछु बीया बंचलो रहैक, तं, बड महग. ताहिपर आन गामसं बीया गाड़ी पर लादि कय आनू. ताहूमें एहि गाम सोनाक टुकड़ा ‘सोनम चौरी’ एहि बाढ़िमें चौर में परिवर्तित भ गेले. नवका बड़ी लाइन पानि कें बहय नहिं देलकैक.
अवाम 2019: सोनाक टुकड़ा धानक खेतकें कमलाक बाढ़ि  जलकर बना देलक
किन्तु, गाम परस्थितिपर सरकारी हस्तक्षेपक सकारात्मक परिणाम सेहो भेलैये:
स्व. बौकू कामति हमरा लोकनिक दरभंगा मेडिकल कालेजक दिनक सेवक छलाह: हॉस्टलक गार्ड. हुनकर पत्नी पोखरभिड़ा बाली हमरा सबहक भेंट करय आयल छथि. पुछलियनि, ‘ राशन भेटैत अछि ?’
‘ हँ’
‘आ बृद्धावस्था पेंशन ?’
‘सेहो भेटैए. तीन मासपर मिस-कॉल अबैत छैक. बैंक सं टाका ल अबैत छी.’
‘केओ टाका सेहो मंगितो अछि ?’ ‘नहिं. ’ बाढ़िक सहायता में सेहो सोझे सबहक खातामें छौ-छौ हज़ार टाका एलैये. एकटा गौआं कहलनि, ‘एहि गाम में करीब 297 गोटे बैंक खातामें इंदिरा आवास योजनाक टाका एलैये.’ से आनो कहलनि. लोक सब कें गैसक कनेक्सन आ गैस चूल्हा सेहो भेटलैए. गाम में दू टा गैस एजेंसी सेहो खूजल अछि आ गैस भेटितो छैक. ई क्रांति थिकैक. डिजिटल बैंकिंग बिचौलियाकें दूध महक मांछी-जकां निकालि फेकलक अछि. सरकारी प्रयास सं गौआंके सरकारी योजनाक लाभ सोझे भेटि रहल छैक, से सब मानैये. किन्तु, किछु भ्रष्ट आचरण एखनो छैक. एकटा ग्रामीण कहलनि, ‘राशनक चाउर-गहूम पर डीलर एक रूपया प्रति किलो उपरसं लैत छैक आ पंद्रह किलो अन्नमें एक किलो अन्न काटि लैत छैक. मुदा, चाउर-गहूम उत्तम रहैत छैक.’ ई बड़का परिवर्तन थिक. केवल स्वास्थ्य-सेवाक दृष्टिऍ गाओं बेलल्ला अछि.
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गाओंमें सार्वजनिक शिक्षा ध्वस्त अछि. नाम: स्वेता कुमारी, वर्ग 10. एम पी टी हाई स्कूल, झंझारपुर में पढ़इत छथि. पढ़बा काल आँखि दुखाइत छनि. एम पी टी हाई स्कूल, झंझारपुरक नाम सुनि हमरा एकाएक एहि कन्यासं जुड़ावक अनुभव भेल; हमहूँ ओत्तहि मैट्रिक  धरि  पढ़ने छी.
‘हेडमास्टर के छथि ?’
‘चुप्प !’
आँखि जंचयबाले  प्रतीक्षामें बैसलि पितामही गप्प कें उपरे लोकि लेलनि.’ की कहत ! स्कूल जाइ छै ? नहिं पढ़इए.’ हमरा गप्प बुझबामें आबि गेल ; ई कन्या स्कूलमें नाम लिखौने मात्र छथि. पछाति एकटा हाई स्कूल-टीचर सं गप्प भेल . कहलनि, ‘ नवम आ दशम वर्गमें कन्या सबकें प्रतिवर्ष 1800 रुपैया स्कॉलरशिप भेटैत छैक. साल में नैपकिन अलाउंसक 300 सौ रुपैया सेहो भेटैत छैक. ताहि ले सब केओ स्कूल में नाम लिखौने अछि. स्कूल केओ नहिं जाइत छैक.
‘तखन तं शिक्षाक बड हानि होइत छैक ?’
‘हं. किन्तु, सरकारी स्कूल कें तकर कोन परबाहि. केवल सरकारी अनुदान पर आश्रित स्कूल सबमें विद्यार्थी अबैत छैक आ पढ़ाईओ होइत छैक. कारण, ओहि सब स्कूलसं जतबे विद्यार्थी दसवांमें उत्तीर्ण होइत छैक, ओतबे कें नवां वर्गक वृत्ति सेहो भेटैत छैक.’
‘आ विद्यार्थीक हेतु उपस्थितिक न्यूनतम प्रतिशतक बाध्यता नहिं छैक ?’
‘ताहि हेतु ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर प्रति विद्यार्थी स्कूल सबसं बिनु 10 टाका असूलने उपस्थितिकें सत्यापित नहिं करैत छथिन !’  - एकटा हाइस्कूल टीचर कहलनि।
अर्थात् सक्षम गार्डियन अपन नेना कें प्राइवेट स्कूल में पढ़बैत छथिन, आ सरकारी स्कूलक होसगर विद्यार्थी ट्यूशन पढ़ि परीक्षाक तैयारी करैत छथि. ई अन्याय थिक ! नहिं जानि, समाज कें की भ गेलैये ! लगैत अछि, धन्य पहिलुका समय, नहिं तं हमरा लोकनि तं मूर्खे रहि गेल रहितहु.
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प्रवेश: राकेश कुमार झा वर्ग: बी ए , एक्स वाई जी कालेज, भैरवस्थान (मधुबनी). ई सम्बन्धमें हमर भातिज थिकाह.
‘की सब पढ़इत छी ? इतिहास आ सोशियोलॉजी.’
‘रोज कालेज साईकिल सं जाइत छी ? बड्ड दूर छै. ’
विद्यार्थी गुम्म भ जाइत छथि. कनेक रहि कय कहैत छथि ‘हप्तामें एक दू दिन जाइत छी .’
 आ पढ़ाई ?
‘नहिं होइ छै.  ....... केवल एक-दू टा विद्यार्थी अबै छै.’
‘तखन जनता कालेज, झंझारपुरमें किएक ने नाम लिखाओल ? ओ तं बड्ड पुरान छैक.’
‘ओतहु पढ़ाई नहिं होइत छैक !’
हम क्षुब्ध छी ! हमरा वैज्ञानिक-साहित्यकार योगेन्द्र पाठक वियोगीजी उक्ति  मन पडि अबैत अछि; सोचैत छी,  मिथिलांचलक शिक्षा ‘बिनु जडिक गाछ’ थिक ! किन्तु, समाजक की हेतैक !
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हमर पड़ोसक दू गोट होसगर छात्रक हम गौआं ‘बाबा’ छियनि. ई दुनू बालक झंझारपुर में एकटा प्राइवेट स्कूल में पढ़इत छथि. एहिबेर सनेस में हिनका लोकनिले हम वैज्ञानिक-साहित्यकार योगेन्द्र पाठक वियोगीजीक पोथी ‘ विज्ञानक बतकही’ क दुनू खण्ड अनने छियनि. किन्तु, अंग्रेजी माध्यम स्कूलमें पढ़निहार ई बालक लोकनि ने एकरा सरि भ कय पढ़ि सकताह आ ने विषयकें बूझि सकताह, ताहि पर तं हमर ध्यानो नहिं गेल छल. लगैत अछि, मिथिलांचल में आब मातृभाषामें शिक्षा असम्भव छैक. तें, एतहु बिनु जडिक गाछ; मैथिलीमें घुन लगैत प्रतीत भेल. जं, सरकार मैथिलीमें प्राथमिक शिक्षा आरम्भो केलक तं गार्डियन लोकनि अंग्रेजी माध्यम छोडि अपन-अपन छात्रकें मैथिली माध्यम में पढ़य देथिन, कि नहिं, से बड़का प्रश्न थिक !
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किन्तु, सुनबामें आयल गाम सब में किछु आओर नव-नव परिवर्तन भेलैये. एहि में दू टा प्रमुख: एक, तं मरल माल-जालकें उठओनिहार आब केओ नहिं आ ने मरल पशुकें कतहु फेकबाक स्थान बंचल छैक. तें, अपन मरल माल कें अपने उठबाउ  आ अपने खेतमें खाधि खुनि ओकरा गाडू. दोसर, गाय पोसब तं पोसू. किन्तु, बाछा भेल तं तकर कोनो मोल नहिं ! हम एक गोटेकें पुछलियनि, ‘ तखन बच्छा ल क की करब ?’
‘बुद्धि-बधिया करू !’हुनक उत्तर छलनि. हम निरुत्तर छी.
एकर अर्थ अहाँ स्वयं निकालू. हमरा मारि खेबाक अछि !
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आभार : वैज्ञानिक-साहित्यकार योगेन्द्र पाठक वियोगीजी, 'बिनु जडिक गाछ'  उक्तिक प्रयोगक  हेतु 

                  

2 comments:

  1. गामक शिक्षा-व्यवस्था रसातल मे चलि गेल अछि। स्कूल मे कोना पढ़ाइ होयतै तकर चिंता मिथिलाक कोनो गामक ग्रामीण जन केँ प्रायः नइँ रहलनि अछि। सरकारी पाइ आ मिड डे मील मे कमीशन लेल सब जेना उताहुल रहै छथि तेना नेनाक पढ़ाइ लेल नइँ। मिथिला शिथिला भ' गेल, जनसंघर्षक कतहुँ कोनो स्थिति बनैत नइँ देखाइत अछि।
    ईर्ष्या, डाह बड्ड बेसी। अहाँक निःशुल्क इलाज करब धरि पर केओ शंका कर'वला भ' सकै छथि जे कहीं चुनाव लेल जमीन तँ नइँ तैयार क' रहल छथि!... भने अहाँ संग व्यक्तिगत एना नइँ भेल होअय, मुदा कैक ठाम एहन सन स्थिति देखबा मे आओल अछि।
    गामक शिक्षा व्यवस्था, पारस्परिक सौहार्द सन मारते रास बात-विचार मे जे ह्रास देखाइत अछि, ई बड्ड पीड़ादायक भ' गेल अछि।
    तथापि अहाँ गाम सँ जुड़ल रही, से आग्रह करब। संगहि निवेदन जे कहियो हमरो गाम अयबाक आमंत्रण स्वीकार करी।

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  2. अहाँ अपन विचार देल, आभारी छी. हमरा अपनहुं ई अपराध बोध होइछ जे परिस्थिति पर खेद व्यक्त करबाक अतिरिक्त व्यक्तिगत रूपें हम किछु नहिं क पबैत छी. हमरा लोकनि जे शहरमें छी, चिंतित छी, जं छोटहु स्तर पर किछु क सकी तं समाजक उपकार हेतैक. किन्तु, की आ कोना करी से हमरा लोकनि सोची आ डेग आगू उठाबी.

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अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.

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