मुँह बान्हल भगवती: चिदंबरम्, तमिलनाडुक तिल्लै काली
उत्तर भारतमें काली पूजक आ शाक्त लोकनिक बीच कालीक छवि अनचिन्हार नहि; एक हाथ में खड्ग,दोसर हाथ में नरमुण्ड, गरदनि में मुण्डमाल, आ डांडक नीचा, काटल बाँहि सबकें गाँथिकय बनाओल घघरीक अतिरिक्त नग्न शरीर. तथापि, कतहु कालीक मुँह बान्हल नहि देखबनि. किन्तु, भयानक कालीक संहारक भयसं कतहु कालीक मुँह कपड़ासं कसि कय बान्हल होइनि तं से अजगुत लागत कि नहि ? अवश्य. किन्तु,एहन अजगुत देखबाक हो तं आइ चलू हमरा संग, तमिलनाडुक चिदंबरम् नगरक तिल्लै काली अम्मन- काली कें देखि आबी. ज्ञातव्य थिक, चेन्नई सं करीब सवा दू सौ किलोमीटर, समुद्रक पूर्वी तटक समीपे बसल चिदंबरम् शहर नटराजक मन्दिर ले विश्वप्रसिद्द अछि. एहि ठाम समुद्रक तट दिस पानिमें सदाबहार जंगल छैक जकर गाछसबकें तमिल भाषामें तिल्लै कहैत छैक. कहल जाइछ, पहिने एहि शहरमें एहि गाछक बहुलता रहैक. आ एखनो एहि शहरक समीपक पिच्चावरम mangrove forest लोकप्रिय पर्यटन स्थल थिक. एहि हेतु एतुका प्रसिद्द शिव मन्दिर तिल्लै नटराज मन्दिर आ काली मन्दिर तिल्लै काली मन्दिरक नाम सं जानल जाइछ. आब शहरक गप्प छोडि एतुका कालीक गप्प करी आ सुनी हिनकर मुँह किएक एतेक निर्ममतासं बान्हल छनि.
किंवदंति छैक एक बेर शिव आ पार्वती (शक्ति) में बजरि गेलनि जे दुनू म सं के पैघ. मन राखी, मनुखे-जकां, सर्वगुण संपन्न देवता लोकनि इर्ष्या, द्वेष, अहंकार-सन मानवीय अवगुणसं परे नहि छथि. अस्तु, निर्णय भेल जे, शिव आ पार्वतीक बीच के पैघ तकर निर्णय, ब्रह्मा, विष्णु आदि देवता लोकनिक समक्ष, तमिलनाडुक चिदंबरम् नगर स्थित नटराज शिवक मन्दिरक परिसर में आयोजित शिव आ शक्तिक बीच नृत्य-स्पर्धा सं हो. जे हारल से नगर छोडि नगरक बाहर बास करथि. धारणा छैक, एहि नृत्य-स्पर्धामें नटराजक नामसं विभूषित, नृत्यमें पारंगत शिवक पराजय लगभग निश्चित भ’ चुकल रहनि. अपन आसन्न पराजयकें देखैत शिव स्पर्धाक नियमक प्रतिकूल एकाएक उर्ध्व-तांडव नृत्य, जाहिमें एक पयरकें माथ धरि उठयबाक मुद्रा ग्रहण करय पड़ैत छैक, आरम्भ क’ देलनि.
नारि सुलभ अनुशासनक अनुकूल, पार्वतीकें उर्ध्व तांडवक नृत्यक ई मुद्रा अवांछनीय बूझि ओ क्रोधमें हारि मानि लेलनि. फलतः, पूर्व निर्धारित निर्णयक अनुकूल पार्वतीकें नगर त्यागि नगरक बाहर जाय पड़लनि. किन्तु, शिव द्वारा कयल छद्म हुनका हेतु असहनीय भ' गेलनि आ रोषमें पार्वती एहन विनाशकारी विकराल स्वरुप धारण केलनि जे सब भयभीत भय गेल. अंततः, ब्रह्मा कहुना वेद पाठ आ प्रशस्ति गानसं हुनका संतुष्ट तं केलिन, किन्तु, हुनक एहन भयानक स्वरुप कारण विनाशक भय सं भयभीत भक्त लोकनि हुनक मुँहकें साड़ीक अन्नेक भत्तासं नीक-जकां निमुन्नक कय बान्हि देलकनि. चिदंबरम् नगरमें प्रसिद्द नटराज मन्दिर सं थोड़बे दूर, ओही शहरक एक भाग स्थित तिल्लै काली मन्दिर में शक्तिक चारि टा स्वरुप म सं एक टा स्वरुप-काली-पार्वतीक कुपित स्वरुप थिक. कहल जाइछ शिव आ शक्तिक बीचक स्पर्धामें शक्तिक पराजय शिव-भक्त तमिलनाडुमें शक्ति-पूजा, जे तमिलनाडु में कहिओ गौड़ प्रदेशसं आयल छल, केर सांकेतिक पराजय आ तमिलनाडु सं शक्ति-पूजाक निष्कासनक प्रतीक थिक.
संयोगसं
लेह, लद्दाखमें हवाई अड्डा लग स्पितुक गोम्पाक कालीक छवि सेहो साल भरि झाँपल तं
रहैत छनि, किन्तु, साल में केवल दू-तीन दिन भक्त लोकनिक दर्शनले हुनकर मुँह उघाडल
अवश्य जाइ छनि.
बहुत रोचक आ ग्यानवर्धक! हार्दिक बधाई, शुभकामना!
ReplyDeleteअनेक धन्यवाद. अपने सर्वदा हमरा प्रोत्साहित करैत छी.
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