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नव क्षेत्रमें
भाषासँ अपरिचये टा समस्या नहिं थिकैक . कखनो काल परिचितो भाषाक अपरिचित उच्चारणक
कारण, सामान्यो जानकारी बुझबा में नहिं
अबैत छैक. अस्तु, हमरा लोकनिक दरभंगा
जिलाक हिन्दी आ आगरा-मथुराक ग्रामीण लोकनिक हिंदी में, बजबाक शैलीक कारण एतेक
अन्तर होइछ जे कतेक बेर ओतुका गप्प बुझबामें नहिं आओत. हमरा एकर अनुभव पहिल बेर
आगरा में 1980 ई. में भेल छल. किछु एहने अनुभव पांडिचेरीओ में भेल. एतय तं भाषा आ
शैली दुनू अपरिचित छल : तमिल आ अंग्रेजी दुनूक बाजबाक तमिल शैली. आइ तकरे गप्प हो .
पांडिचेरी हम
सोझे नेपालसँ गेल रही. पांडिचेरी में
पहुंचिते अपन गाड़ी छल नहिं. अस्तु, पांडिचेरी शहर जयबाले, अपन कालेजक बाहर पिल्लैयारकुप्पम
बस स्टैंड पर पांच रूपयाक टिकट ल’ कय पांडिचेरीक
बस में चढ़ि जाइ. स्थान भेटल तं बैसि गेलहुँ, नहिं भेटल तं ठाढ़े रहलहुँ . 30 मिनट
केर शहर धरिक यात्रा हमरा ने भारी बूझि पड़य ने, कष्टक बोध होइत छल. कष्टक बोध जं
नहिं हो, तं, जनसाधारण बस आ ट्रेनक सेकंड
क्लासक डिब्बा में चढ़बाक एकटा अलगे आनंद छैक. समाजक असली स्पन्दनक अनुभूति ओतहि होइत
छैक. भिन्न-भिन्न प्रकारक लोक. भिन्न-भिन्न प्रकारक गप्प. जं भाषा जनैत होइ देशक वर्तमान
राजनैतिक स्थितिक जमीनी मूल्यांकन ओतहि भेटत. जनताक अनायास प्रतिक्रिया आ चिन्ता
ओतहि सुनबैक. ट्रेन-बसमें ककरो गोपनीय गप्प, अनकर सुनि लेबाक भय नहिं रहैत छैक. संगहि,
बहुतो ठाम समाज में होइत नीक आ बेजाय प्रचारक आहट ट्रेन आ बस में अनायास सुनबैक. किन्तु,
तकर गप्प फेर कहियो. आइ हम टीवी किनबा ले बिदा भेल छी.
केओ कहलनि
एकटा ‘डार्लिंग डिजिटल वर्ल्ड’ नामक एकटा स्टोर्स प्रसिद्द आ नीक छैक. ई
प्रतिष्ठान शहर में छलैक. मुदा, कतय ? ‘गूगल’ बाबाकें पुछलियनि. जवाब भेटल, विलियनूर
रोड. पहिने तं नाम सुनियो लेलासँ अपरिचित नाम एक बेर में दिमाग बैसैत नहिं छैक. अस्तु,
नोट-बुक जेबीसँ निकालि विलियनूर रोड केर
नाम नोट कयल. मुदा, विलियनूर रोड जायब कोना. ककरो पुछलियैक, विलियनूर रोड कोना
जायब. ओ कहलनि, ...........लग उतरि जाउ .
- कतय ?
-...............
किछु बुझबा में नहिं आयल. हम नहिं बूझि सकलहुँ !
कनिए कालक बस
यात्रा.भीड़. पता नहिं, कहीं स्टैंड ने निकलि जाय. अस्तु, जेबसँ नोटबुक निकालि कए देलिऐक. कहलियनि, लिखि दियअ.
सहृदय नागरिक अंग्रेजी में लिखलनि, ‘अन्तोनियार कोयिल’. आब तं एकर अर्थ बुझैत
छियैक. मुदा, ओहि दिन ‘अन्तोनियार कोयिल’ हमरा ले लैटिन-फ्रेंच-जर्मनसँ एको रत्ती
भिन्न नहिं छल. तथापि, पुछैत-पुछैत ‘अन्तोनियार कोयिल’ स्टैंड पर उतरि गेलहुँ. बससँ
उतरि, विलियनूर रोड ले शेयर्ड टेम्पो भेटत से केओ कहने छलाह. अस्तु, चौराहा पर ठाढ़
भए टेम्पो स्टैंडकें भंजियाबय लगलहुँ. देखलिऐक सामनेमें एकटा चर्च केर परिसर रहैक.
ककरो पुछलिऐक, ‘ ई भवन की थिकैक ?’ उत्तर भेटल: ‘अन्तोनियार कोयिल’. ह, ह, ह !!!
संयोगसँ ताधरि वएह शब्द परिचित-जकां लागय
लागल छल. हमरा मुसुकी छूटि गेल. आब बुझैत छियैक, ‘अन्तोनियार कोयिल’ थिकैक : सेंट एंथोनीक
चर्च’ ! दक्षिण भारत में मन्दिर आ चर्च ले एके टा शब्द, ‘कोयिल’ क उपयोग होइछ !
जे किछु, अन्ततः डार्लिंग डिजिटल वर्ल्ड’ पहुँचहुँ, आ पछाति एहिना पुछैत-पुछैत भरि मन बौएलहुँ. फलतः आवश्यक आ मनमाफिक सामान भेटि गेल. मुदा, भारी-भारी सामान संगे तं आओत नहिं. अस्तु, दोकानदारकें डेराक पता आ फोन नंबर द कए फेर बससँ डेराक रास्ता धयल. चौड़ा सड़क. बीच में डिवाइडर. दुनू कात दोकान. एकटा बेकरी पर नजरि पड़ल: कृष्णा बेकरी ! तखन मोन पड़ल, ओ आइ तं हमर जन्म दिन थिक , 21 नवम्बर ! चकित जुनि होइ हमरा वयसक आ हमर गामक लोकक दू तीन टा जन्म-दिन भेटब असम्भव नहिं; एकटा तिथि-मास-राशि-नक्षत्रक अनुसार, दोसर ओकरा अंग्रेजी तारीख, आ तेसर, जे पहिल बेर स्कूल में नाम लिखेबाकाल हमर जेठ भाई जी आ मास्टर साहेब मिलि कए जन्म तिथि निर्धारित केलनि. तथापि, गाम में जाधरि गाम में रही बर्थ-डे सुनने नहिं रहि ऐक. दरभंगा मेडिकल कालेज में एलहुँ, तं, दोस्त मित्र सब बधाई दे08 सितम्बर केए बधाई देबय लागल. शहरी मित्र म सं किछु गोटे केक सेहो खोआबथि. विवाह भेलाक बाद 21 नवम्बर कए केक सेहो काटय लगलहुँ . आब एतय पांडिचेरीमें जन्म दिन नहिं मनाएब तं पत्नी कें दुःख हेतनि. अस्तु, बससँ उतरि कृष्णा बेकरीसँ अपन बर्थ-डे केक अपने किनल. संग में एकटा बर्थ-डे कार्ड सेहो किनि लेल. कालेजवला सहकर्मी लोकनि वर्षक भीतर 08 सितम्बर कए हमरासँ केक कटबेबे करताह ! मुदा, केक किनलसँ बड़का लाभ भेल. डेरा गेला पर डांडक दर्दक बावजूद, रूपम केर ठोर पर मुसुकी पसरि गेलनि. केक तं कटबे केलैक. वस्तुतः, परिवारजनक प्रसन्नता अनमोल थिक. प्रसन्नतासँ आयु बढ़इत छैक !
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