Sunday, May 2, 2021

कोरोना-संकट 2021 : समस्या, सीख, आ समाधान,

 

कोरोना-संकट 2021 : समस्या, सीख, आ समाधान

पछिला वर्ष जखन अस्कस्मात कोरोनाक संकट आयल तं सम्पूर्ण विश्व स्तब्ध भ’ गेल. जखन प्रधानमंत्री जी घोषणा कयलनि जे ‘जं, अगिला एक्कैस दिन घरसँ  बहरयहुं  तं भारत कें हमरा लोकनि  21 वर्ष पाछू कय देबैक’, तं, हमरा लोकनि प्रधानमंत्रीक आह्वानकें ब्रह्मवाक्य मानि भारतके बचौलहुँ . ओहि प्रयासमें ककरा केहन पराभव भेलैक से भले समाज बिसरि गेल, भुक्तभोगी कें सबटा ओहिना मोन छैक .

एहि बेर जखन जनवरीमें कोरोनाक विरुद्ध टीकाकरण चलल, सुविधाक अछैतो केओ टीका लगबओलनि, केओ दुबकि रहलाह. स्थिति ई भ’ गेलैक, जे मार्चक मध्य धरि पांडिचेरी-सन छोटो केन्द्रशासित प्रदेश में टीकाकरणक केवल  छौ प्रतिशत लक्ष्य पूरा भेल रहैक. अन्ततः, ओतुका लेफ्टिनेंट गवर्नर कोरोनाक विरुद्ध टीकाकरणकें व्यक्तिगत चुनौती-जकां ल’ कय टीकाकरण अभियानमें गति अनबाक निर्देश देलखिन, तं, देखल गेलैक जे स्वास्थ्यकर्मीओ लोकनि म सँ  अधिकाँश टीका नहिं लेने रहथि !

पछाति, जखन क्रमशः टीकाकरण आरम्भ भेलैक तं उपलब्ध संख्याक विपरीत, राजनैतिक  संकेत एहन आबय लगलैक जे भारत कोरोनाक विरुद्ध युद्ध जीति गेल ! भारत विश्व भरि में उदाहरण प्रस्तुत कयलक-ए !! यद्यपि ई सत्यक विपरीत छल. तकर प्रमाण  आँखिक सोझाँ अछि ; राजधानी दिल्ली, भारतक सिलिकॉन वैली बंगलोरमें मंत्रीओ लोकनिक अपन सर-सम्बन्धी रोगी लोकनि ले अस्पतालमें सीटक व्यवस्था करबामें असफल साबित भए रहल छथि !

प्रश्न उठैछ एहन परिस्थितिमें हमरा लोकनि कोना पहुँचलहुँ  ?  प्रत्यक्षतः, एकर जवाब एकेटा अछि – पैघ स्तर पर कोरोनाक संक्रमन पसरि गेले, आ कोरोना संक्रमितक संख्या उपलब्ध सुविधासँ  बहुत बेसी अछि. मुदा, एहि प्रश्नकें कनेक विस्तारसँ जाँची. संभव अछि, एहि जांच-पड़तालसँ हमरा लोकनि एहि संकटसँ  उबरि सकी आ भविष्यक हेतु राष्ट्रकें मार्गदर्शन भेटैक. मुदा, एहि विषयकें जंचबा ले हम एखनुक समस्या-सन महामारीक स्थिति में, आ दिन-प्रतिदिनक हेतु सामान्य स्वास्थ्य सेवाक क्षमता आ दुर्बलता दुनूक अनेक विन्दु पर फूट-फूट विचार करी. एहि हेतु किछु उदहारण देब आवश्यक अछि.

विगत वर्षक अमेरिकाक उदहारण कें देखी. जनवरी 2021 में अमेरिकामें प्रतिदिन कोरोना पीड़ितक मृत्युक संख्या 3000 सँ  बेसी रहैक. ई संख्या आइ करीब मात्र 700 अछि. एकर विपरीत भारत में फरवरीक अंतमें कोरोनक कारण मृत्युक संख्या केवल 100 क करीब छल. आइ ई संख्या 3000 प्रतिदिन सँ  बेसी बढ़ि चुकल अछि ! दोसर दिस, जं, टीकाकरणकेर संख्या देखी, तं , अमेरिका में फरवरी 2020क अंत धरि केवल 2.4 करोड़ नागरिककें कोरोनाक विरुद्ध टीकाकरण पूरा भेल रहनि. आइ ई संख्या करीब 10  करोड़ पहुंचि चुकल अछि ; ई संख्य कुल जनसंख्याक 30.4 प्रतिशत थिक. एकर विपरीत भारतमें आइ धरि भारतमें केवल 2.5 करोड़ व्यक्तिक टीकाकरण सम्पन्न भेले ; ई संख्या भारतक जनसंख्याक केवल 1.9 प्रतिशत थिक. तथापि, एहि सबहक बीच जीवन-यापन आ हमरा व्यवहार क बाध्यताक अतिरिक्त पांच राज्यमें चुनाव आ कुम्भ-स्नान सब किछु भेले. माने, भरोस तं केवल भगवाने ने, विज्ञान ताख पर राखल गेल आ कोरोना अपन तांडव नचैत रहल. ज्ञातव्य थिक, कोरोना कालसँ  पहिनहुँ  विकसित देशमें प्रतिवर्ष फ्लू सब बंचावक हेतु  लोक टीका लगबिते छल . ई सब हमरा लोकनि एहि महामारीक अछैतो बिसरि गेलहुँ. मोन रखबाक थिक, राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान केर अंतर्गत टीका द्वारा नियंत्रित रोगक विरुद्ध टीकाकरणक अभियानकें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन केर अंतर्गत केंद्र सरकार अपना जिम्मा रखने अछि. मुदा, कोरोना-सन महामारीक परिस्थितिओ में केंद्र सरकार एकरा केंद्र सरकार, राज्य सरकार आ प्राइवेट उद्यमक बीच बंटैत एहि तीनू म सँ  जिम्मेदारीक मामलाकें पूर्णतया अस्पष्ट क देलकैक. भारत सरकार कोरोनाक विरुद्ध टीका सम्बन्धी अनुसन्धानमें निवेश, वा टीका उत्पादक कम्पनी सबकें अगुबार टीका खरीदक हेतु करार वा ओहि हेतु निवेशक कोनो व्यवस्था नहिं केलक.एकर चर्चा राष्ट्रीय दैनिक सबमें पछिले वर्षसँ चलि रहल अछि. एकर  परिणाम सामनहिं अछि . 

आब हमरा लोकनि एहि विपत्तिक परिस्थितिमें रोग निवारणक हेतु दोसर विन्दु, उपलब्ध स्वास्थ्य संरचना, पर नजरि घुमाबी.

भारतीय संविधानमें स्वास्थ्य-सेवा राज्य केर लिस्टमें अबैछ. अर्थात् नगरिकक स्वास्थ्य-रक्षाक भार राज्य सरकारक थिकनि. नियमानुसार एहि हेतु सरकार सब अपन-अपन राज्यमें प्राथमिक स्तरसँ, रेफेरल आ विशेषज्ञक सेवा धरिक व्यवस्था करबाक हेतु जिम्मेवार अछिओ, आ  नहिओ अछि. कारण, यद्यपि भारतीय संविधानक अंतर्गत नागरिकक जीवन-रक्षाकें मूलभूत अधिकारक दर्जा भेटल छैक, मुदा, ओहि में निःशुल्क स्वास्थ्य-रक्षाक गारंटी नहिं छैक ! तें, अपन दायित्वक रूपमें प्रत्येक राज्यमें स्वास्थ्य सेवाक विभाग आ व्यवस्था छैक. तथापि, स्थानीय स्तर पर आ व्यवहारिक  दृष्टिऐ राज्य सबहक बीच स्वास्थ्य-सेवामें गुणात्मक दृष्टिए  बहुत अन्तर छैक. एक दिस जं स्वास्थ्य केर आधारभूत आ रेफरल एवं स्पेशलिस्ट संरचनामें दक्षिण भारत उपेक्षाकृत सुदृढ़ अछि, ततय उत्तर केर बहुतो राज्यमें स्वास्थ्य-सेवाक स्थिति अत्यंत लचर छैक. किएक ? ताहि प्रश्नकें एखन छोड़ि दी. किन्तु, नीक वा बेजाय, उपलब्ध चिकित्सा सेवा एखन कोरना कालमें किएक  टूटि रहल अछि  ताहि दिस देखियैक. एकर उदाहरण हम सेनाक स्वास्थ्य सेवाक संग तुलनासँ  करी.

सेनाक सब विभागक संरचना नीचासँ ऊपर धरि, पिरामिड-जकां होइछ. बटालियन, जे सेनाक आधारभूत इकाई थिक, ओहि स्तर पर केवल एकटा डाक्टर आ एकटा नर्सिंग-सहायक रहैत छथि. ई लोकनि कखनो एक यूनिट वा लग-लग में स्थापित एकसँ  बेसी यूनिटक स्वास्थ्यक जिम्मेवारी उठबैत छथि. ओतय सामान्य स्थिति में केवल ओ पी डी सेवा उपलब्ध होइछ. किन्तु, आकस्मिक परिस्थितिमें किछु काल धरि रोगीक हेतु इमरजेंसी प्राण-रक्षक सेवाक हेतु सुविधा-सामग्री आ दक्षता रखैत छथि. समय पड़ला पर रोगी ओहिसँ  अगिला स्तर वा विशिष्ट स्पेशलिस्ट सेवा ले ओहूसँ ऊपर पठाओल जाइत छथि. संगहि, सामान्यतया रोगी कखन स्पेसिलिस्ट सेवा ले अगिला स्तरक स्पेशलिस्ट सेवा ले आगू जायत तकर  प्राथमिकताक निर्धारण आ निर्णय  बटालियन लेवल केर डाक्टर करैत छथि.  मुदा, अहम गप्प से नहिं. अहम बात थिक जे जाहि स्तर पर जे सुविधा हेबाक चाही से होइत छैक, से प्रशासन सुनिश्चित करैत अछि.

असैनिक सेवामें  प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रक आधारभूत स्तर भेल. एतय असैनिक सेवा हारि जाइत अछि. अनेक ठाम सुविधा आ व्यवस्था पूर्णतः फोंक छैक. सरकारी योजनामें एहिसँ उपर भेल रेफेरल अस्पताल. ओकरो स्थिति सर्वविदिते अछि. रेफरलक हेतु रोगीकें एक स्तरसँ  दोसर स्तरक स्पेशलिस्ट सेवा ले रेफरलक नियम नहिं. जकरा जतय मोन भेलैक चल गेल. ओहुना, स्वास्थ्यकर्मी आ नेता लोकनि मिलि कय एकरो कोनो काजक नहिं छोड़ने छथिन. लोक एहिसँ ऊपर जायत तं कतय ? मेडिकल कालेज. ओकर स्थिति सबहक सामने अछि. दरभंगा मेडिकल कालेज-सन लगभग सौ साल पुरान कालेज आइ खंडहरमें परिवर्तित भ’ चुकल अछि. तें, गामक दरिद्र सेहो रोग भेला पर सोझे दिल्ली जाइत अछि, बम्बई जाइत अछि. माने, जे संरचना, सेवा, सुविधा आ दक्षताक जाल भरि देश में पसरल होइतैक से आइ महानगर टा में अछि , आ सेहो मुफ्त नहिं !! मुदा, ओतहु जनसंख्याक अनुकूल आधारभूत सेवा थोड़ पडैछ. फलतः, आमसँ ल कय अत्यंत बीमार रोगी सब सोझे बड़का अस्पताल जाइछ. ताहि परसँ  कोरोनाक रोग में अधिकतर रोगीकें ऑक्सीजन केर आवश्यकता एकटा नव चुनौती थिक. मुदा, ई समस्याक केवल एकेटा पहलू भेल.

तें, मानि ली जे आइ PL-480 क गहूम-जकां सम्पूर्ण भारतमें अजुका सबसँ बेशकीमती वस्तु ऑक्सीजन सिलिंडर-कंसेंट्रेटर- ऑक्सीजन प्लांट सब ठाम बाँटिओ देल जाइक तैओ उचित रखरखाव, निरंतर मरम्मत, आ प्रशिक्षित सेवा कर्मीक बिना ओहिसँ  ककर उपकार हेतैक. हमरा सब मेडिकल कालेज में रही तहिया 1977 में सत्तामें आयल जनता पार्टीक सरकारक काल में प्रायः देशक सौ टा मेडिकल कालेजकें, सब सुविधासँ लैस बड़का बस केर आकारक उज्जर रंगक मोबाइल बस भेटल रहैक. आओर सब किछुक अतिरिक्त ओहि विशाल गाड़ीमें गाड़ीमें जनरेटर आ छोट-छोट ऑपरेशनक सुविधा सेहो रहैक. मुदा, दरभंगा मेडिकल कालेजक संग आनो बहुतो ठाम ओ मोबाइल बस ,जकरा लोक निंदामें सफ़ेद हाथी (white elephant) कहैत छलैक, पड़ल-पड़ल सड़ि गेल ! बहाना ई जे ई गाड़ी कोन  रोड पर चलत ! एहि गाड़ीक ड्राइवर, आ पेट्रोल के देतैक ? मरम्मति कोना हयत ! माने, स्थानीय संकल्पक आभावमें एकटा अनुपम उपकरण नष्ट भए गेल. सरकार तं खर्च केबे केलक.   

आब एकटा दोसर गप्प. 'कुरल' में तिरुवल्लुवर कहैत छथि:

रोगी, वैद्य, सेवक, उपचार

चारि खाम्ह पर रोग-विचार I

कुरल,950

अर्थात् रोग केर चिकित्सा हो वा  शमन, नागरिक वा रोगीक दायित्व प्रथम होइछ . अज्ञानता वा लापरवाही,  भले कथूसँ होइक, पसरैत अगड़ाही, भगवानो-भगवतीक परवाहि नहिं करैछ. कोरोना-सन संक्रामक रोग ककर परवाहि करत. कुम्भ-स्नान हो वा चुनाव स्वार्थ लोककें लापरवाह बना दैत छैक; सामाजिक दूरी राखि संक्रमणक पसारकें रोकबा ले पछिला पूरा वर्ष बाल-वर्गसँ ल’ कए विश्वविद्यालय धरिक छात्र लोकनिक पढ़ाई ऑनलाइन-विडिओ पर भेलैक. किन्तु,आइ जखन टी वी घरे-घर पहुंचि चुकल अछि, चुनाव प्रचारक रैलीमें हजारों ठाम लाखों लोक तेना जमा कयल गेल जे कलकत्तामें एक ठाम प्रधानमंत्री धरि चकित होइत बजलाह, जे, ‘एहन जनसमूह हम कहियो देखने नहिं छी’ ! सरिपहुं, जनिका ले वर्चस्व दांव पर लागल होइनि से ककर परवाहि करताह. जनता सेहो एहन महाकुम्भमें अपन पेट भरबा ले, वा वैचारिक प्रतिबद्धता ले ‘ महाजनो येन गताः सः पन्थाः ‘ कें चरितार्थ केलक. फलतः, बंगलोर, बम्बई आ दिल्ली में राजनेता लोकनि अशक्त भेल पड़ल छथि. आ ककरो किछु फुरि नहिं रहल छनि, की करी !

आब अंतिम विन्दु : एहन परिस्थितिसँ  कोना उबरब ? सत्यतः, एहि ले कोनो रामबाण नहिं . हमरा लोकनिकें विज्ञानक शरण लेबहिं पड़त; देशव्यापी टीकाकरण करहिं पड़त. सामाजिक दूरी आ मास्क लगबहिं पड़त. आखिर पोलियो आ स्माल-पॉक्सक उन्मूलन कोना संभव भेल !  दीर्घकालीन संकल्पक अंतर्गत, स्वास्थ्य जीवनक अधिकारक अंतर्गत मौलिक अधिकार थिक, से संविधान में निहित हो.  चिकित्सा क्षेत्र में सकल राष्ट्रीय उत्पादक दस प्रतिशत तक सरकारी निवेश हो. राज्य सरकार सब स्वास्थ्य सेवाक, आधारभूत स्तरसँ विशेषज्ञ सेवा धरिक संरचनाकें सुदृढ़ करय. एकर निगरानीक जिम्मेवारी प्रत्येक स्तर पर  नागरिक अपन हाथमें लियए आ सरकारसँ  पर ई सुनिश्चित करबाबथि जे नियमानुसार उपलब्ध सम्मग्री उपलब्ध होइक, ट्रेन्ड स्टाफ उपलब्ध होथि, आ रेफरलक कड़ीक अनुपालन हो जाहि सबसँ एखन-जकां उच्च स्वास्थ्य सेवाक हेतु नियत संस्थासब प्राइमरी सेवाक भारसँ मुक्त रहय. सत्यतः, राजनैतिक नियंत्रण सैद्धांतिक रूपें नागरिके नियंत्रण थिक. किन्तु, व्यवहारतः ई नियंत्रण स्थानीय स्वशासनक हाथ में हो, जाहिसँ  उपलब्ध सुविधा सर्वदा स्थानीय नागरिकक स्वास्थ्यक दैनिक आ आकस्मिक दुनू आवशयकता पूरा करबा में सक्षम रहय .हं, जं, समाज पंचायतक नियंत्रण मुखियाक स्थान पर मुखिया-पतिकें दए  देनि तं हमरा लोकनि ककरा दोष देबैक !

तथापि, एखन एहि महामारीसँ  राष्ट्रक आ विश्वसँ उपलब्ध उपलब्ध सामग्री, विश्व स्तरपर  उपलब्ध सब ज्ञान, देशमें उपलब्ध समस्त कार्मिकक सहायतासँ लड़ीं, जाहिसँ कोरोनाक ई तांडव पर नियंत्रण हो. बिसरबाक नहिं थिक, जे राष्ट्रीय विपदाक निवारणमें सब पक्षकें सम्मिलित करब सरकार दायित्व थिक.  

        

No comments:

Post a Comment

अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.

मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान

कीर्तिनाथक आत्मालापक पटल पर 100 म  लेख   मैथिलीकें जियाकय कोना राखब: समस्या आ समाधान  कीर्तिनाथ झा वैश्वीकरण आ इन्टर...

हिन्दुस्तान का दिल देखो