Wednesday, November 10, 2021

श्रीशैलम-यात्रा

 

 श्रीशैलम-यात्रा

कलौ स्थानानि पूज्यन्ते’. ई कहावत विद्यार्थी जीवन में सुनने रही. किन्तु, पूजा नहिओ करबाक हो तँ नव-नव स्थान में सब ठाम एकाधिक रूचिक आकर्षण भेटिए जायत. एहि  बेर  मल्लिकार्जुन स्वामीक तीर्थ आंध्रप्रदेश राज्यक श्रीशैलम  यात्रा हेतैक. श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग थिकाह आ  श्रीशैलम धार्मिक महत्व छैक.

श्रीशैलम सड़कसँ देशक सब भाग सबसँ नीक जकां जुड़ल अछि. तें, हमरा लोकनि पांडिचेरीसँ अपनहिं कारसँ सोझे ओतय जयबाक नेयार कयल. हवाई जहाजसँ दक्षिणक कोनो पैघ शहरसँ , जेना, बंगलोर, हैदराबाद, चेन्नईसँ श्रीशैलम लग नहिं. यात्रा पोंगलक पछाति, 16 जनवरी 2019 क भोरे पांडिचेरीसँ आरंम्भ भेल. संग में पत्नी आ सासु रहथि. यात्रा में बारहसँ चौदह घंटा लागत. तें, अहल भोरे विदा भेलहुँ.

यात्रा में एहि बेर हमरा लोकनि परशुराम नामक स्थानीय तमिल ड्राइवर कें संग केलहुँ. परशुराम हमरा लोकनिक संग अनेक बेर चेन्नई  यात्रा तं केनहिं छलाह ओ हमरा लोकनि कें रामेश्वरम धरि ल’ कय गेल रहथि. तें, एहि बेरुक लम्बा यात्राक हेतु हुनके संग कयल. मुदा, परशुरामक शर्त रहनि जे ‘पोंगल पाबनि में ओ बाहर नहिं जायब’. तें हमरा लोकनि पोंगलक पछातिए श्रीशैलम प्रोग्राम बनलैक. ओहुना, पर्व त्यौहारक अवसर पर तीर्थाटनसँ बचबे नीक.

यात्राक पहिल चरण, पांडिचेरीसँ  वेल्लोर करीब तीन घंटा. वेल्लोर क्रिस्चियन मेडिकल कालेज अस्पताल में उपलब्ध उत्तम मेडिकल सुविधाक हेतु सम्पूर्ण देश में प्रसिद्द अछि. मुदा, वेल्लोरक संबंध में जे गप्प बेसी लोक कें नहिं बूझल छैक ओ थिक भारतक स्वतंत्रता संग्रामसँ  वेल्लोरक संबंध. तें आइ कनेक ओकर गप्प कइए ली.

वेल्लोर किला आ सिपाही विद्रोह,1806 ई.

1806 केर 10 जुलाई केर दिन वेल्लोर किला प्रायः भारतीय स्वतंत्रता संग्रामक ओ पहिल बिगुल बाजल छल जकर प्रतिध्वनि उत्तर भारत में आधा शताब्दीक पछाति 1857 में बाजल. एहि विद्रोहक अहल भोरेक आक्रमण में ब्रिटिश सेनामें कार्यरत करीब 500 सौ सिपाहीक हाथे करीब 200 ब्रिटिश सैनिक आ अफसर मारल गेल छलाह. इतिहासकार राजमोहन गाँधी कहैत छथि, ‘10 जुलाई 1806 क अहल भोरे अकस्मात् भेल भारतीय सैनिक लोकनिक ई विद्रोह ब्रिटिशक हाथें टीपू सुल्तानक पराजयक कारण उपजल असंतोषक परिणाम छल.’

मुदा, आन श्रोतसँ एहि विद्रोह आनो कारणक उद्घाटन होइछ, जाहि में मूल छल अंग्रेज शासक द्वारा सैनिक लोकनिक धार्मिक आस्था पर प्रहार. एकर अतिरिक्त, ओहि समय में फ़कीर लोकनि दल चुपे-चुप दक्षिण भारत में  जे अभियान चलबैत रहथि. हुनका लोकनिक अभियानक संदेश छल जे ‘ अंग्रेज संख्या में थोड़ अछि , हमरा लोकनिक समुदाय पैघ अछि’, अर्थात् हमरा लोकनि अंग्रेज कें पराजित कए सकैत छी,  केर असरि सेहो एहि विद्रोह आगि कें हवा देलक से इतिहासकार लोकनि मानैत छथि. दुःखद थिक, भारतक  स्वतंत्रता संग्राम में वेल्लोर सिपाही विद्रोहकें जेहन प्रधानता भेटब उचित थिक एकरा नहिं भेटैछ.

एहि विद्रोहक आँखों देखा हाल The Sydney Gazette and New South Wales Advertiser, 14 June 1842, में प्रकाशित भेल छल. वेल्लोर विद्रोहक समय वेल्लोर किलाक कमान अधिकारी सर जॉनफ फैनकोर्ट क पत्नी, एमेलिया फर्रेर, द्वारा लिखित एहि वृत्तांत में अंग्रेज द्वारा ओहि इलाका आ ओतुका सिपाही लोकनिपर कयल अत्याचारक चर्चा निर्विवाद नहिंए छैक.

वेल्लोर नगर कें तमिल लोकनि तीन व्यंग, ‘बिना राजाक किला, विना देवी-देवताक मन्दिर, आ बिना पानिक नदी’ सँ  जोड़ैत छथि. से हमर सहकर्मी डाक्टर श्रीकान्त हमरा एक बेर कहने रहथि, ‘’ सत्यतः, उपलब्ध सामग्रीक अनुसार किला केर भीतरक जलकंडेश्वर मन्दिर में बहुत दिन धरि कोनो देवता स्थापित नहिं रहथि, वस्तुतः, ओतय अस्त्र-शस्त्रक भंडार रहैक. ई बूझब कठिन नहिं. कारण, जे किला समय-समय पर विजयनगरक राजा, मराठा शासक, गोलकुंडाक नवाब, आ अंग्रेज सरकारक हाथ में जाइत रहल ओहि में शासकक आस्थाक अनुसार जं देवी-देवताक पूजास्थल  सेहो पराभवक शिकार भेल तं कोन आश्चर्य. परवर्ती शासक लोकनि ओतय अपना सुविधानुसार चर्च वा मस्जिद तं बनाइए लेलनि. ओना कारागारक मन्दिर में परिवर्तन वा मन्दिरक सभागार बनबाक उदाहरण तं भारतक प्राचीन धार्मिक ग्रन्थहु में भेटत. राजा कंसक जाहि कारागार में देवकी आ वसुदेव बंदी रहथि ओ आस्थावान ले मन्दिर थिक. आधुनिक काल में अंडमान द्वीपक सेलुलर जेल आजुक तीर्थस्थल थिक !  

आब पुनः वेल्लोर किला आबी. एखन किलाक भीतर तमिलनाडु पुलिस केर प्रशिक्षण केंद्र छैक. एहि किला में  किला परिसरक में पैसैत दाहिना दिस मैदानक आगू एकटा विशाल मन्दिर छैक. मुदा, दर्शन करबाक समय नहिं छल. तें, आब कोनो देवी देवता ओतय छथि वा नहिं, से कहब कठिन.

पुलिस प्रशिक्षण केंद्रक अतिरिक्त एतय  एकटा संग्रहालय छैक जाहि में तमिलनाडुक विभिन्न क्षेत्रक झांकीक अतिरिक्त अनेक ऐतिहासक अस्त्र-शस्त्र आ आन वस्तु सब प्रदर्शित अछि. संग्रहालयक परिसर में ढेरो टूटल-फूटल पाथरक मूर्तिक पतिआनी लागल भेटल. संग्रहालयसँ किछुए दूर हंटि कए एकटा छोट मस्जिद  आ पैघ चर्च सेहो छैक.

आब पुनः अजुका यात्रा पर आबी. आइ वेल्लोर में यात्रा कें थोड़ेक  विराम देल. ड्राइवर सेहो अहल भोरेसँ जागल छथि; यात्राक सुरक्षामें ड्राइवरक समुचित निन्न आ आराम आवश्यक थिक. नींदक अभाव दुर्घटनाक नोतब थिक.   अस्तु, एतय गाडी रुकल. हाथ पयर सोझ भेल. आर्या भवन रेस्टोरेंट में पवित्र दक्षिण शाकाहारी नाश्ता आ उत्तम कॉफ़ीक सेवन भेलैक. आ आगू बढ़लहुँ. एखन भरि दिन बहुर दूर जेबाक अछि. एखन लगभग एक चौथाईए दूरी तय भेल अछि ! आगू रास्ता दूर आ दुर्गम दुनू अछि.

वेल्लोरसँ श्रीशैलम

एखन हमरालोकनि राष्ट्रीय राजमार्ग 40 पर छी . ई सड़क उत्तम अछि. हमर अनुमान अछि, सड़कक रखरखाव में तमिलनाडु  देश में अव्वल दर्जाक हकदार अछि. यद्यपि, संभव अछि सब एहिसँ सहमत नहिं होथि. आब गाड़ी गति पकड़तैक. मुदा, गाड़ी ड्राइवर चलाबथि, वा अपने हांकी, गति सीमा सर्वदा नियंत्रित सीमा में रहय.एहि विषय पर हम कोनो समझौता नहिं करब. उपलब्ध आंकड़ाक अनुसार वर्ष 2019  में भारत में करीब डेढ़ लाखसँ  बेसी व्यक्ति सड़क दुर्घटना में मारल गेलाह. गति सीमाक उल्लंघन आ लापरवाही, मौसमक खराबी,आ मदिरापान दुर्घटनाक प्रमुख कारण पाओल गेल अछि, से भारत सरकारक आंकड़ा कहैत अछि. तें, सावधानी हंटी दुर्घटना घटी, मोन राखी. तथापि, अपन सावधानीक अछैतो दुर्घटना होइते छैक. मुदा, से पछाति.

एतयसँ  आगू हमरा लोकनि आंध्रप्रदेश केर कुरनूल दिस सोझे उत्तर मुँहे जायब. बाट में चित्तूर, कडप्पा, नन्दयाल,अत्माकुर, दोर्नाला आओत. हमरा लोकनि आगूक कुर्नूल शहरसँ पहिनहिं दाहिना दिस श्रीशैलमक बाट धरब. बीच में नागार्जुन सागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व सेहो आओत, जाहि में अनेक ठाम रहबाक आ जंगल भ्रमणक सुविधा छैक. मुदा, एहि बेर एहि अभयारण्य में रहबाक नेआर नहिं छैक.

ई इलाका खूजल मैदानी इलाका थिक. दूर-दूर धरि क्षितिज धरि कोनो अवरोध नहिं. ज़मीन अधिक ठाम बंजर. थोड़ आबादी. पानिक कमी प्रत्यक्ष छैक. सुनल छल, आंध्रप्रदेशक गुंटूर, प्रकाशम, कृष्णा, खम्मम, वारांगल आ करीमनगर जिला में लाल मरचाईक खेती होइत छैक. मुदा, से देखबाक अवसर नहिं भेल छल. बाट में एहि इलाका में मरचाईक खेती तं नहिं मुदा, सड़कक कात में सुखाइत मरचाईक पथार, आ गामे गाम पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस आर रेड्डीक मूर्ति देखल. ई नव अनुभव छल.

सड़कक कात सुखाइत मरचाई 
दिनक करीब एक बाजल हेतैक. हमरा लोकनि कुर्नूलसँ किछु दूरे रही कि अकस्मात् फोनक घंटी बाजल. अपरिचित नंबर आ अपरिचित स्वर. ई  फोन श्री कुलशेखर रेड्डी श्रीशैला देवस्थानमक कार्यालयक प्रोटोकॉल ऑफिसरक फोन छल. सुखद आश्चर्य भेल. हम तं केवल कमरा बुकिंगक हेतु एकटा ईमेल लिखि बिसरि गेल रही. मुदा, ओ लोकनि हमरा सन सेवानिवृत्त सैनिक अधिकारीक आदर करबाक कष्ट केलनि से अभिभूत केलक. सेना सेवा आ देशक नागरिक दुनू पर गौरवक बोध भेल. कहलनि, ‘धाम पर पहुंचि, हमरा फ़ोन करी. हम भेटि जायब.’ एवमस्तु. देखी, ई प्रोटोकॉल अफसर की करैत छथि.

नागार्जुन सागर श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व

नागार्जुन सागर इलाकाक एक डैम 

हाई वे छोड़ि नागार्जुन सागर श्रीशैलम टाइगर रिज़र्व दिस बाट पकड़बासँ पूर्व करीब डेढ़ बाजि गेलैक. दुपहियाक भोजनक बेर. ड्राइवर सेहो  हाथ पयर सोझ करथु. अस्तु, हमरा लोकनि एकटा गाओं में बाटक कातहि, एकटा गृहस्थक घरक आगू गाछ तर  साफ़-सुथरा  सीमेंटक बेंच पर बैसलहुँ. भोजनक डब्बा खुजलैक. पानि निकालल. ताबत् ओतुका गृहणी सेहो जलपात्रमें जल लए उपस्थित भेलीह. ओ भीतर अयबाक आग्रहो केलनि. हमरा लोकनि कें श्रीशैलम पहुँचबा में समय लागत.  तें, शीघ्रे भोजन समाप्त कए आगू विदा भेलहुँ.

सड़क थोड़ेक दूर धानक खेत बीच होइत जलाशय, आ बाँधक काते कात आगू बढ़ल. चारू कात हरियरी. खुला इलाका. शहरक प्रदूषण, भीड़, ट्रैफिक सबसँ  दूर. पछाति, सड़कक दुनू कातक हरियरी जंगल में परिवर्तित होअए गेलैक. जंगल कतहु सघन नहिं. कतहु पुरान, विशाल गाछ सेहो देखबामें नहिं आयल. सालक गाछ, नव रोप. प्रायः, पुरान जंगलक समाधि पर नव गाछ वृक्ष रोपल जा रहल छैक. कतहु-कतहु बाँस सेहो.नवे लगाओल. सड़क कतहु सोझ, कतहु घुमावदार, मुदा, भूमि समतल, कोनो चढ़ाई नहिं. जंगलक बीचसँ जाइत  वन्य जीवक सुरक्षा, आ कार-बस-आ जंगलसँ काठ ल जाइत ट्रक सबहक आवागमनक कारण प्रत्येक सौ पचास मीटर पर अजस्र स्पीड ब्रेकर. तें, गाड़ीक गति 30 किलोमीटर प्रति घंटासँ  बेसी असंभव. एहि इलाका सबसँ यात्रा में परिपूर्ण समय चाही. कारण, आरंभ में जखन कारक नेविगेशन पर दूरी डेढ़ सौ किलोमीटर देखिएक आ  गूगूल अनुमानित समय चारि घंटासँ बेसी कहय तं आश्चर्य होइत छल. मुदा, जं जं आगू जाइत गेलहुँ, गाड़ीक गति देखि गप्प बुझबा में आयल. संशय होबए लागल जे अन्हार हेबासँ पूर्व श्रीशैलम पहुँचबो करब कि नहिं. आगू बढ़ला पर  बाटक बामा कात अत्माकेर डिवीज़न केर अंतर्गत, नागार्जुन सागर श्रीशैलम टाइगर रिजर्व केर  राजीव गाँधी वन्यजीव अभयारण्यक कार्यालय आ गेस्ट हाउस देखबामें आयल. एहि स्थानक नाम प्रायः बैरलुती थिकैक. पछाति, जखन जंगल सघन भेलैक तखन गाछ वृक्षक झोंझ में हमर पत्नी कहलनि जे  ओ अचानक एकटा बाघ सेहो देखलखिन.दिन देखार बाघक नाम पर  हम  साकांछ भेलहुँ आ गाड़ीसँ उतरि ओकरा देखबाक हेतु गाड़ी कें किछु दूर पाछू कयल. सड़कसँ नीचा सेहो गेलहुँ. मुदा,बाघ ओतय किएक बैसल रहत ! तें, जं बाघ ओतय छल तं हुनका दर्शन देलकनि आ बिला गेल. अन्यथा, गाड़ी सबहक आवागमनक बीच सड़कक कात दिन-देखार बाघक हयब सामान्य नहिं; वन्य जीव कें सबसँ बड़का भय नख-दन्त विहीन ‘सभ्य’ मनुखेसँ होइछ !

किछु काल यात्रा माध्यम गति आ आनन्द में बीतल. पछाति, सड़क संकीर्ण, उबड़-खाबड़ आ तहस-नहस छलैक. सड़कक बामा कात सुरक्षा-देवाल आ ओकर बाद खाधि. जंगल में ई कहब कठिन जे खाधि कतेक गहिंड छलैक. मोन रखबाक थिक कृष्णा तुंगभद्रा नदीक इलाका थिक. एहि दुनू नदीक जल अन्ततः श्रीशैलम डैम केर बैक-वाटर में एकत्रित होइछ. श्रीशैलम डैम भारत में पनिबिजलीक प्रमुख श्रोत म सँ एक आ आंध्रप्रदेश-तेलंगानाक पेय जलक एक श्रोत थिक.

आगू सड़क आओर ख़राब.  सड़कक काते-कात भरि-भरि ठेहुन खाधि. आमने-सामने अबैत गाड़ी कें एक दोसरासँ बचबा ले ड्राइवरक कुशलता आ फुर्ती दुनू चाही. ताहि पर सामनेसँ ट्रक अयला पर कार के अनेरे खतरा. हमर ड्राइवर साकांछ छलाह. हमरा लोकनि सुरक्षित चल जाइत रही. किन्तु, एही बीच सामनेसँ अबैत लकड़ीसँ लदल एकटा लॉरी हमरा सबहक कार कें दाहिना तरफ, पछिला पहिया लग कनेक घंसैत चल गेल. प्रायः गलती ओकरो नहिं रहैक. स्थान संकीर्ण रहैक. खाधिसँ बचबाक प्रयास में प्रायः स्टीयरिंग पर नियंत्रण कनेक ढील भए गेल छलैक. हमरो लोकनि बामा सड़कक संकीर्ण आ जगह गहीड़ रहैक. किन्तु, रक्ष एतबे रहल जे गाड़ी कें कोनो तेहन नोकसान नहिं भेलैक. तत्काल कोनो मरम्मति आवश्यकता नहिं पड़ल. हमरा लोकनि सुरक्षित रही. ट्रकवला किएक गाड़ी ठाढ़ करत. ओ तं  भगिते चल गेल. एक बेर तं मोन भेल खिहारि कए ड्राइवर कें पकड़ी. कनेक दूर दौड़बो केलहुँ. मुदा, ई व्यर्थ थिक. तामससँ नोकसाने नोकसान. टाका तं इन्स्युरेंस कम्पनी दइए दैत छैक. ड्राइवर-ख़लासीसँ ओकर इलाका में झगड़ा क कए जीति नहिं सकैत छी. जीतिओ कए लाभ की. गाड़ी चलबैत अनेक बेर गाड़ी में छोट-छोट चोट-पटक लगैत, इएह दिव्य ज्ञान भेल अछि. तामस तं असल होइत छैक जे हमर गाड़ी कें नोकसान भए गेल. ताहि में नव गाड़ी में पहिल चोटक पीड़ा बेसी होइत छैक. पहिल बेर तं गाड़ी किनलाक पन्द्रह दिनुक भीतरे बंगलोर में हमरा गाड़ीक फेंडर तोड़ि देने छल. एहू बेर, तत्काल तं अपनो लोकनि आतंकित भइए गेल रही. मुदा, जखन ई बुझबा में आयल जे अपने लोकनि सुरक्षित अछि, आ गाड़ीक कोनो नोकसान नहिं भेल, तं आश्वस्त बेल रही. मुदा, ताहि में थोड़ेक समय लागि जाइत छैक. हमर ड्राइवरो चिन्हल, विश्वस्त आ निपुण छल. तथापि दुर्घटना भए गेलैक. ताहिसँ ओ अपने आओर अप्रतिभ भए गेल छल. हमरा लोकनि ओकरा जल पियाओल, भरोसा दिअओलिऐक जे अहाँक कोनो दोष नहिं. हमार एखन आओर दूर जेबाक छल. आगुओ बहुत दूर बाट ओहने रहैक. मुदा,ड्राइवर कें प्रकृतिस्थ हेबा में समय लगलैक. संगक धर्मप्राण लोकनि भगवान कें धन्यवाद देलखिन. ई प्रसन्नताक विषय छल जे गाड़ी चलैत रहि गेल. यात्रा में ई सबसँ बड़का गप्प भेल. छोट छिन  मरम्मति लगतैक, से पछाति भए जेतैक. जं  एहन ठाम गाड़ी अशक्त भेल रहैत, तखन असली पराभव. ऊपरसँ दुर्घटना-स्थल पर जं  फंसि जैतहुँ  तं अबैत-जाइत ट्रैफिक सं गाड़ी कें आओर नुकसानक भय. अस्तु,  आगुए बढ़ब उचित छल. तें, हमरा लोकनि समय कें बचबैत,जंगलसँ निकलैत श्रीशैलमक दिस बढ़िते छल गेलहुँ.

  नागार्जुन सागर श्रीशैलम अभयारण्य 

जंगली मार्ग सं निकलि श्रीशैलमसँ करीब पचास किलोमीटर दूर दोर्नाला जंक्शन नामक कस्बा पहुँचैत बेरू पहरक करीब चारिसँ बेसी भए गेल छल. दोर्नालासँ श्रीशैलम तीर्थ धरि  फेर पहाड़ी बाट छैक. ई नल्लमल्ला जंगलक इलाका थिकैक. पर्यटनक दृष्टिऍ महत्वपूर्ण एहि इलाकाक विकास एतुका सरकारक प्राथमिकता थिकैक. पर्यटन स्थानीय नागरिक आ तीर्थस्थलक व्यवस्थापक संस्थाक हेतु आमदनीक प्रमुख श्रोत थिकैक. तें, पर्यटनक हेतु महत्वपूर्ण इलाकाक विकास में सबहक हित सन्निहित होइछ.

सड़क डबल आ चिक्कन. घुमावदार. मुदा, मनोरम. जंगली इलाकाक विपरीत खोंड़ा-खुच्चा एकदम नहिं . दिनक समय रहितैक, तं कतहु-कतहु ठमकि प्राकृतिक सुन्दरताक सेवन करितहुँ, फोटोग्राफी सेहो करितहुँ. फोटोग्राफी हमर एकटा प्रधान रूचि थिक. मुदा, लम्बा यात्रा, बीच में दुर्घटना आ संझुका समय. निकलिते चल गेलहुँ . अन्ततः हमरा लोकनि जखन श्रीशैलम तीर्थ पहुँचहुँ  तं झलफल भए गेल रहैक. मुदा, श्री कुलशेखर रेड्डी, प्रोटोकॉल ऑफिसर मल्लिकार्जुन सदन में तैनात रहथि. हमरा लोकनिक हेतु दू रातिक हेतु ग्राउंड फ्लोर पर दू टा कमरा बुक छल. इन्टरनेट बुकिंग पर अपना बुते से संभव नहिं भेल छल. प्रोटोकॉल ऑफिसर  महोदय हमरा लोकनिक कमरा दिआ, दोसर दिन भोरे दर्शनक टिकट आदिक व्यवस्था कए कहलनि, ‘काल्हि भोरे छौ बजे हम मन्दिरक द्वारि पर भेटब. समय पर चल आबी.’ हमरा लोकनि कें एहिसँ बेसी कथिक आवश्यकता छल. अस्तु, भोजन भात भेलैक आ विश्राम कयल.

 ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुनक तीर्थ श्रीशैलम

श्रीशैला देवस्थानम केर अतिथि-गृह, मल्लिकार्जुन सदन मन्दिरसँ एक चौथाई किलोमीटर, मन्दिर दिस जाइत सड़कक कातहि. भोरे उठलहुँ. बाहर मल्लिकार्जुन सदनक एक कात शाकाहारी भोजनालय छैक. ओकर कतबहि में एकटा बेलक गाछ. एकटा स्थानीय भक्त बेलक गाछ ऊँचका डारि पर चढ़ि बेलपात तोड़ैत रहथि. हम कतहु जाइत छी, जखन आन गोटे आराम करैत छथि, हम भोर आ साँझ आस-पासक इलाका देखय निकलि जाइत छी. मुदा, अजुका मोर्निंग-वाक मन्दिरे धरि हेतैक. श्रीशैलम स्थान एतेक छोट छैक जे एक घंटा में पूरा नगरक दू चक्कर लगा लेब. से आइ सांझ में हेतैक.

मन्दिर परिसरक सुन्दर भित्ति चित्रक अवलोकन 

हमरा लोकनि निरधारित समय पर मन्दिरक द्वारि पर पहुँचि गेलहुँ. जयबाकाल मन्दिर परिसरक पाथरक देवाल पर उत्कीर्ण भित्ति चित्र आकृष्ट केलक. प्रोटोकॉल अफसर श्री कुलशेखर रेड्डी महोदय पहिनहिंसँ ओतय उपस्थित रहथि. हुनका ताकय नहिं पड़ल. सफाई, समयक पाबंदी, आ गुणवत्ता, उत्तर भारत में हमरा लोकनि कें जकर सेहन्ता होइछ, दक्षिण भारतक ट्रेड मार्क थिक. आब बहुतो ठाम उत्तर भारत में एहि प्रकारक परिवर्तन आबि रहल छैक. मुदा, आम नागरिकक अभाव में ई संभव नहिं. नियम तोड़ि आगू बढ़बा में गौरवक बोध आ वी आइ पी कल्चर एकर मूल में अछि. नव पीढ़ीक अनुशासन प्रिय नागरिक एहि परिपाटी कें बदलबा में निर्णायक भए सकैत छथि. नव पीढ़ीसँ बहुत आशा अछि.

दर्शनक संतोष 

श्रीशैलम  ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुनक तीर्थ थिक. एतय शिवलिंग अतिरिक्त भ्रामरी देवीक मन्दिर सेहो छनि. भ्रामरी देवीक मन्दिर सेहो शक्तिपीठ मानल जाइछ. भक्त लोकनिक आस्थाक अनुसार शिव आ पार्वती एहि स्थान पर तहिया अपन पुत्रक समीप निवास करबा ले आयल रहथि जहिया बुद्धि, ऋद्धि आ सिद्धिक श्री गणेशक संग पहिने विवाह भए गेलासँ असंतुष्ट कार्तिकेय कुमारब्रह्मचारीक रूप में क्रौंज पर्वत पर एकान्त वास में चल गेल रहथि. आरंम्भ में मल्लिका (जूही)क फूलसँ पूजित हयबाक कारण एतय शिव मल्लिकार्जुनक नामसँ  प्रसिद्द छथि. विकिपीडियाक अनुसार एतय दोसर शताब्दीसँ  मन्दिर हेबाक शिलालेखक प्रमाण उपलब्ध अछि. शैव परंपरा में श्रीशैलम कें ‘पाडल पेट्र स्थलम्’ (प्रशस्ति गान में चर्चित स्थान ) कहल जाइछ. ‘पाडल पेट्र स्थलम्’ ओ भेल जकर चर्चा  शैव परंपराक  संत नयनारलोकनिक (शिवक) प्रशस्ति गान में  अछि. 275 ‘पाडल पेट्र स्थलम्’ में श्रीशैलम सेहो अबैछ. वैष्णव परंम्परा में आड़वाड़ संत लोकनिक प्रशस्ति-गां , ‘दिव्य-प्रबन्धम’ में जाहि  108 तीर्थ स्थलक चर्चा अछि ओकरा दिव्य-देशम कहल जाइछ. श्रीशैलम मन्दिरक परिसर में पर निर्माण में समय-समय पर सातवाहन, विजयनगर, आ रेड्डी शासक लोकनिक योगदान अछि. कहल जाइछ, 1677 ई. में शिवाजी महाराज सेहो श्रीशैलम आयल रहथि आ एहि मन्दिरक उत्तरी गोपुरम( द्वार)क निर्माण हुनके द्वारा भेल छल. तें उत्तरी गोपुरम कें शिवाजी गोपुरम कहल जाइछ.

एखन एतय कोनो पर्व त्यौहारक भीड़ नहिं. भीड़ पूजा अर्चनाक पवित्रताक नाश कए दैछ. हमर विचार थिक, दर्शनक आलावा तीर्थ स्थल आत्म-दर्शनक स्थल सेहो थिक, जाहि हेतु शान्ति आवश्यक. प्रायः ओही शांतिक अन्वेषण में संत लोकनि एहन निर्जन स्थल सब में आबि साधना कयलनि. मुदा, धर्मक पहाड़ निर्माण करबाक मनुष्यक लोभ धर्म-स्थल सबकें तेहन बना देलक जे ओतय धर्म छैक कि नहिं कहब तं मधुमाछी क छत्ता में हाथ देब थिक, मुदा, जं एहि सब ठाम शान्ति खोज करब तं प्रायः निराशाए हाथ लागए, से संभव. एहि में असहमति संभव अछि. तें, हमर विचार जे अपने भ्रमण करू, मनन करू आ अपन निष्कर्ष निकालू. आइ हमरा लोकनि प्रातःकालक मृदु आ सुखद बेला में नीक जकां दर्शन कयल. बाहर आबि रेड्डी महाशय विदा लेलनि. हमरा लोकनि हुनका धन्यवाद देलियनि. हमर अपन अनुशासनक अनुसार एतुका एग्जीक्यूटिव ऑफिसर कें पत्र लिखि हम हुनकर सहायताक धन्यवाद आ श्री रेड्डीक प्रशंसा अवश्य लिखि तुरंत ईमेल कए देल. धन्यवाद देब अनुशासन थिक. प्रशंसा ककरा नीक नहिं लगैछ.

पूजा अर्चनाक पछाति हमरा लोकनि मल्लिकार्जुन सदन अयलहुँ. मुदा, कमरा में जेबासँ पूर्व रेस्तोरां में जलखै भेलैक. इडली-दोसा आ काफी. एतुका इडली आकार में खूब पैघ. चटनी-साम्पर सब किछुक स्वाद भिन्न. असल में दक्षिणक प्रत्येक क्षेत्र में समाने खाद्यक भिन्न-भिन्न स्वाद भेटत. तमिलनाडु-पांडिचेरीक साम्पर में तेत्तरि बेसी, नारिकेर चटनी में कॉच लहसुनक गंध. आंध्र में खट्टा कम, किन्तु मरचाई बेसी. कर्नाटक में साम्पर कनेक मीठ. हमर पत्नी आ हुनक माता विश्राम करतीह. हम बेरू पहर पयरे श्रीशैलम केर धांगब. ई हम कतहु नहिं छोड़ैत छी.

शिवाजी महाराज: श्री शिवाजी  स्फूर्ति केंद्र 

पैदल यात्राक क्रम में देखल, शहर खूब साफ़ सुथरा. चौड़ा सड़क. शहर केर परिक्रमा करैत हम शहरक एक कात ऊँच स्थान पर श्री छत्रपति शिवाजी स्फूर्ति केंद्र पहुँचलहुँ. एकर स्थापना छत्रपति शिवाजीक राज्याभिषेकक तेसर शताब्दी पूर्ण भेला पर भेल छल. गुलाबी रंगक पाथरसँ  निर्मित एहि केंद्रक भूमि तल पर समर्थ सभा-मंडप में श्री शिवाजी महाराज मूर्तिक अतिरिक्त हुनक राज्यसँ संबंधित किछु नक्सा-चित्रक प्रदर्शनी आ  ऊपरक तल पर दरबार हॉल छैक जे ध्यान आ मनन ले उपयुक्त अछि. एहि केंद्रक आगूक  भूमि खुला आ बेस पैघ छैक. एतयसँ सम्पूर्ण शहर आ आगूक दूरक इलाका देखबामें कोनो अवरोध नहिं. स्फूर्ति केंद्रक दाहिना दिस मन्दिर एकटा छैक. मन्दिरक बगलक सड़कक दोसर तरफ एक पाँति में आगू पर्यटकक लेल बहुत रास छोट-छोट किरायाक कॉटेज. शिवाजी स्फूर्ति केंद्र देखि मल्लिकार्जुन सदन आपस भेलहुँ.

मल्लिकार्जुन सदन सं आ आगू जे सड़क जाइछ तकर बामा दिस बाज़ार आ सोझे आगू कृष्णा नदीक कछेर पर जयबाक सीढ़ी छैक. नदीक कछेर दिस पातालगंगा रोप वे सेहो जाइछ. तकर पछाति नाओ पर कृष्णा नदी धार पर जाइत नदीक दोसर पार अक्कामहादेवी गुफा छैक. मुदा, हम एहि बेर समयाभाव में ओम्हर नहिं गेलहुँ.  बुड़बकहाक खेती अगिला साल.

श्रीशैलम नगरक एक चौराहा पर भव्य मूर्ति 

सांझ में पत्नी आ हुनक माँ कें ल कए मन्दिरक आगूक बाज़ार में कनेक टहलान भेलैक. किछु सनेस-बाड़ी किनल. पहिने जहिया दूरस्थ तीर्थ स्थल जयबाक उपाय सुलभ नहिं रहैकतं अनको ले लोक अणाची दाना आ बद्धी अनिते छल. मुदा, से इतिहास भए गेल. आब ई यात्रा समाप्त हेबा पर अछि. काल्हि भोरे आपसक यात्रा. मुदा, घुरती में एहि नगरक चौक-चौराहा पर स्थापित भव्य मूर्ति सब देखब जुनि बिसरी. चौक-चौराहा पर स्थापित देवी देवताक एहन भव्य मूर्ति हम भारत में आन ठाम नहिं देखने छी.  

 

     

 

    

 

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