Thursday, August 11, 2022

धुत्तोरी के ! एतबे गप्प ?

 

धुत्तोरी के ! एतबे गप्प ?

प्रायः १९७९क गप्प थिकैक. हाथीनगर मे सत्तासीन राष्ट्रीय पार्टीक स्वर्ण जयन्ती समारोहक आयोजन बहुत धूमधामसँ भेल छल. पार्टीक सत्ताक चौदह वर्ष पूर हेबा पर रहैक. चारू कात सरकारी तंत्र  दासो दास छल. लाखो लोक जमा भेल छल. सैकड़ों करोड़ टाका खर्च भेल. सम्पूर्ण शहर लाल-लाल भए गेल छल. सब ठाम सब तरहक सजावट. मुदा, चेहरा आ  कटआउट केवल मुख्यमंत्री आ प्रधानमंत्रीक रहनि. आयोजन खूब सफल भेल. राष्ट्रीय पार्टीक स्वर्णजयन्तीक समाचार, बाँकी समाचारकें समाचार पत्र सबसँ ओहिना धकेलि देने छल जेना, सत्ताधारी पार्टी विपक्षकें संसद आ विधान सभासँ.

समारोह समाप्त भेल आ ओकर दोसरे दिन एकटा अजगुत घटनाक कारण तेलीरामक फोटो दैनिक समाचारपत्र सबहक मुखपृष्ठ पर छल. बेचाराकें बड्ड मारि लागल रहैक. नौकरीसँ निलंबित भेल से फूटे. तेलीरामक कुटाईक विडियो टीवी चैनल सब पर सेहो आयल. यद्यपि एहि विषय पर कोनो चैनल वाद विवादक आयोजनक हिम्मत नहि केलक.

बेचारा तेलीराम. मुनिसिपैलिटीक कचरा उठओनिहार सरकारी कर्मचारी. ओकर काजे ओकर अपराध भए गेलैक. एक तं स्वर्णजयन्तीक कारण पसरल कचराक ढेरक भार, आ दोसर दिस पिटाई आ सस्पेंशन. साँझुक पहर बेचारा मुँह बिधुऔने अपन दलान पर बैसल छल. आ कि  बहु आबि कए फज्झति करए लगलैक: ‘एकरा अक्किल छै. मार बाढ़नि, कहिया अक्किल अओतै एहि मनसाकें !’

जखन बहु फज्झति कए चल गेलैक, तं ओसराक दोसर कात केथरी मे मोटरी बनि पड़ल, तेलीरामक बाप, बेनीराम पुछलकैक, ‘ की कहै छौ ? की भेलै ? ओना, ...... जनि जातिक गप्प कान देब कोन बुधियारी ? मुदा, तो केलही कोन अपराध, जे एतेक मारलकौ आ  सस्पेन क’ देलकौ? हमहू तं निस्पैल्टीए मे चालीस साल खटलौं.’

तेलीराम भोकारि फाड़ि कानए लागल. कहलकै, ‘ हम कोन अपराध करबै, बाबू ? हम तं भरि जनम कचरा उठौलहुँ. आइओ सैह केलहुँ . तोहों सैह केलह. मुदा, आइ काल्हि  किछो होइ छै, अलेल माला टंगै छै, गेट बनै छै, फोटो लगा दै छै. पाछू, काज खतम भेल, फेर सबटा समेटि कए कचराक ढेर क’ दै जाइ छै. कचराक ढेर मे हम की जानए गेलिऐ, के, कोन मुनिस्टर छियै, कए कोन बड़का नेता छियैक. हमर दोख एतबे जे, बलू, हमर ठेला पर, कचरा मे सबसँ बड़का मंत्री आ मुख्यमंत्रीजीक फोटो छलनि. हम तं ओहिसँ पहिने कतेक खेप ओहन-ओहन फोटो  सब गदौस मे फेकि आएल रही. मुदा, ओहि काल मे वाड कमिशनर जाइ छलै. ओकर नजरि हमर ठेला पर पड़ि गेलैक. आ ओकरा हरलै ने फुरलैक, हमरा लतियाबए लागल. कि त, बलू, फोटो को कचरा मे फेकेगा! हम की करबै, बाबू. कचरा हम बनबै छियै हौ ? हमरा तं जे आगा पड़ैए उठा लै छी. हमर एतबे अपराध. आब तोहीं कहह?’

तेलीरामक गप्प सुनि बुढ़बा बेनीराम ठहाका द’ कए हँसय लागल. कहलकै, धुत्तोरी के ! एतबे गप्प ? वाड कमिशनर. एखन, बंहि, नेना अछि. जनमिए क त ठाढ़ भेले. आइ ने काल्हि सार अपने बूझि जेथिन. तों दुःख नहि कर. ओकरा एखन बुझल कहाँ छै ने, आइ ने काल्हि, सब नेताके लोक कचरा मे फेकिए दै छै !  हमहू तं भरि जीवन कचरे उठौलहुँ.                

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