संकल्प
ने कोनो मसीहा, ने कोनो संत
संविधान देने अछि संभावना अनंत
तें, ने ककरो आगाँ ठेहुनिया
ने कतहु पेटकुनिया I
करब अपना संकल्पें
हम अपन मनोरथ पूर
थिक स्वतंत्रता, समता, आ भाईचारा
सब किछु ले अनुकूल I
स्वतंत्रता दिवसक दिन
करी सब गोटे
अपन सोचकें स्वतंत्र
आ ढाही संकीर्ण विचारक देवाल I
जुनि बिसरी
सदासँ करैत रहलहुँ
हमरा लोकनि भिन्न-भिन्न मत
आ विचारक स्वागत
तें कहबैत अछि महान भारत !
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