Tuesday, June 2, 2020

दोसराति


दोसराति


- सब ठीक छैक ने ?

- हं. अहाँक फ़ोन आयल छल. यावत् अयलहुं, कटि गेल.

- कोनो बात ने. आब गप्प भ’ जायत.

- हं. सब ठीक छैक ने ? बहुत दिन सं अहाँ सं गप्प नहिं भेल छल. एहि बेर गाम में आम केहन ?

- आम नहिं छैक. जे किछुओ दू-चारि टा टिकुला भेलो छलैक तकरा, बिहाडि शुद्ध क’ कय झाडि देलकैक. अहाँ कहू .

- हमरा सब कें तं आम भेटैत अछि. किन्तु, एम्हुरका. अपना दिसुक आम एम्हर नहिं अबैत छैक. लीची तं बरख पाछु कइओ लैत छी, यद्यपि महग बड्ड. किन्तु, सपेता, बम्बई वा दशहरी कतय पाबी.

- गाममें तं सोझ बात. जं फड़लैक तं बिकाइतो छैक. जं फसिल नागा चल गेलैक, तखन बाहरक आम ने एम्हर अबैत छैक, ने लोक किनत तकर एतुका लोककें उपाय छैक. हं, कोरोनाक हाल कहू.

- की हाल कहब ! आयल अछि तं रहबे करत. हमरा लोकनि हैजा-चेचक-टीबी सब देखनहिं छी. एखन कोरोनाले लोक मुँहमें जाबी लगौने चलैये. मुदा, टीबीओ तं स्वासहिं सं पसरैत रहैक.

- पसरैत तं रहैक, मुदा, भय रहितो लोक एतेक भयभीत नहिं रहैत छल. यद्यपि सेहो खराबे.

- हं, यौ, सुनलहु, प्रदीप मैथिलीपुत्र मरि गेलाह ?

- त्त ! वयसो रहनि . आ बड्ड कष्टमें रहथि.

- बड्ड पुरान गप्प थिकैक. हम एक बेर कतहु सं अबैत रही तं प्रदीप जी कें लोहना रोड स्टेशनपर देखने रहियनि. कल पर हाथ मुँह धोइत रहथि. प्रायः दरभंगाबाली गाड़ी सं उतरल रहथि. गाम जेबा ले हुनका तं लोहने उतरय पड़ैत रहनि. हमरो लोकनिक टीसन वएह. हम प्रदीप जे कें ओहि सं पहिने वा ओकर बाद फेर कहियो नहिं देखलियनि.

- कतय देखतियनि. गाम में आउ. कवि सम्मेलन-कथा गोष्ठीमें चलू. सब सं भेंट भ’ जायत.

- हं, यौ ठीक मोन पाड़ल. एहि बीचे एकटा महानुभाव मैथिली लेखक-साहित्यकार लोकनिक डायरेक्टरी बनेबाक सूचना देलखिन-ए. ओहिमें बहुत रास सूचनाक अतिरिक्त लेखक लोकनिक जाति आ वृत्तिक सूचना सेहो मंगने छथिन. जाति आ वृत्ति ल’ कय की करताह ?

- आहि  रे ब्बा ! की करताह . बेरोजगार लेखककें लेखकक कोटा म सं नौकरी दियौथिन आ कोन ठेकान साहित्य अकादेमीमें पुरस्कारक हेतु आरक्षणक मुहिम सेहो उठय !

- अहो भाग्य ! किन्तु, ओहिमें  भूतपूर्व सैनिक लोकनिक कोनो चर्चा नहिं छैक !

एहि पर फोन पर दुनू दिस बड़का ठहक्का भेलैक.

- भले एही डायरेक्टरीमें भूतपूर्व सैनिक लोकनिक चर्चा नहिं हो, तैयो जं  साहित्यकारक नाम पर साल में एको बेर अकादेमीक सौजनिया भोज में नोत आबि गेलनि तं कतेक गोटे नेहाल भ’ जेताह.-----  आ एक बेर फेर ठहक्का भेलैक. मुदा, गप्प जारी रहल.

-भोज-आ नोत जे खेता से खाथु, हमरा तं सुगर आ बी पी दुनू अछि. मुदा, एकटा दोसर गप्प पुछैत छी. सुनैत छी, एखन जे प्रवासी सब क्वारंटाइनक पछाति  सेंटरसं बाहर भ' कय गाम पर अबैत अछि, तं सरकारक दिससं किछु बिदाई सेहो भेटि रहल छैक !

-एहिमें कोन आश्चर्य. आ उचिते. चुनाव लगिचायल छैक. सरकार एतबो तं करय ! फेर गौआंक पार पांच बरखक बादे ने !

- ठीके बात. हं यौ, सुनलहु, मधुबनीक डी एम कें कोरोनाक बीमारी भ’ गेलनि. दरभंगामें सेहो एकटा पुलिस पदाधिकारी कोरोनाक  चपेटमें आबि गेलाह.

- ठीके सुनलियैक. मुदा, कोन आश्चर्य. जखन ब्रिटेनक प्रधानमंत्री आइ सी यु में रहथि, आ रूसक प्रधानमंत्रीकें कोरोना ध’ लेलक तखन जकरा जे ने होउक.

- उचिते ने. जएह बहरायत तकरे ने संक्रमण हेतैक. तें, डाक्टर-नर्स-कम्पाउण्डर- सफाई कर्मी मरि रहल अछि. आ टीवी पर जबानी कुश्ती केनिहार नेता-अभिनेता आ पत्रकार बम-बम करैत छथि.

ताबते दासजीकें पाठकजीक फोन पर कोनो दोसर फोन अयबाक टोन सुनबामें अयलनि. पाठक जी कहलखिन, ‘एक छन थम्हू, दासजी. देखैत छियैक ककर कॉल थिक. कहीं अस्पताल सं बजाहटि नहिं हो’. कहैत पाठकजी, दास जीक कौल कें होल्ड पर द' देलखिन आ दोसर कॉल खत्म करैत, पुनः दास जी सं गप्प करब शुरू  फोन केलनि. ‘हं आब कहू.

-आब किछु नहिं. सबटा गप्प बूझिए गेलियैक. टहलैत-टहलैत हमरो डेरा आबिए  गेल. एकटा गप्प कहू ? एहि कोरोना काण्ड में मनुखकें घरक बहार   देखैत कहां छियैक. टहलबा काल एकदम सुनसान सड़क पर एसगर  मन नहिं लगैत अछि. तें, टहलैत काल जं ककरो सं फोन पर गप्प भ’ गेल तं लगैत अछि, संगमें केओ दोसराति भेट गेल, एसगर नहिं छी. आब जाउ अहूँ कें कतेक काज हयत !


2 comments:

  1. बहुत नीक लिखलहुँ।कोरोनासँ लोक बहुत डरा गेल अछि।

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  2. भोगल यथार्थ थिक. आभार.

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अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.

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