Tuesday, December 7, 2021

लाख टकाक बिल

 

लाख टकाक बिल

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वर्ष 2012 में सवा दू लाख टाका बहुत रहैक. एकेटा रोगीक हिसाब में एतेक टाकाक बकिऔताक सूचना जखन एकाउंट्स विभागसँ  अयलनि तं मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट डाक्टर रंगनाथनक तमसा गेलाह. तुरत ओ अपन सचिव कें बजौलनि आ डाक्टर कपूरकें बजयबाक आदेश देलखिन. मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्टक बजाहटि सुनि डाक्टर कपूर तुरत पहुँचलाह. मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्टक डाक्टर कपूर कें कहलखिन जे एकटा समस्या सामने अछि: एकेटा रोगीक खाता में बहुत टाका बकिऔता छैक. तकर जाँच करय  पड़तैक, जाहिसँ तुरत टाकाक असूली भए सकय. एहि काज ले अनुभवी व्यक्ति चाही. एहि हेतु अहाँसँ बेसी उपयुक्त हमरा आओर केओ नहिं बूझि पड़ैछ. केस बच्चा विभागक आइ सी यू क थिकैक.’ डाक्टर कपूर मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्टसँ जाँचक आदेश लए काज मे लागि गेलाह.  केस बच्चा विभागक आइ सी यू क रहैक. अस्तु, डाक्टर कपूर तुरत बच्चा वार्ड अयलाह आ ओतहिसँ जाँच आरंभ कयलनि. मुदा, आश्चर्यजनक रहैक जे ओहि आइ सी यू  में ओहि नामक रोगीक कोनो पता नहिं. ड्यूटी-सिस्टर लोकनिसँ सेहो किछु भांज नहिं लगलनि. केसक एडमिशन रजिस्टरसँ रोगीक एडमिशनक तारीख तकलनि. बुझबा में अयलनि जे ई केस ओतय दू माससँ बेसी पहिने भर्ती भेल रहैक. मुदा, रजिस्टर में डिस्चार्जक तारीख आ समयक खाना रिक्त रहैक. डाक्टर कपूरकें बुझबामें भांगठ नहिं रहलनि जे दीपक नामक ई रोगी एतय भर्ती तं अवश्य भेल छल, मुदा, ओकर बाद की भेल रहैक तकर रहस्य केस-शीट भेटले  पर खुजतैक. मुदा, एतबे अनुसन्धान मे डाक्टर कपूरकें एतबा तं बुझबा में आबय लगलनि जे ई केस ओहन सोझ नहिं, जेहन पहिने हुनका बूझि पड़ल रहनि. अस्तु, ओ मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट डाक्टर रंगनाथन लग पुनः गेलाह आ सब किछु फरिछा कए कहलखिन जे जाँच में किछु समय लगतैक.

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सुनामाया पोखरा-बागलुंग सड़कक  कातहिं अपन घरक कनिए टा ओसारा पर चाह-बिस्कुट-पकौड़ीक दोकान करैत छलि. ओसाराक एक कात छोट सन चूल्हि. देवाल पर मोट-मोट खुट्टी पर देल तख्ता. तख्ता पर चीनीक बासन, चाहक पत्तीक अल्युमिनियमक डब्बा, आ ताजा तोड़ल तेजपात. कात में शीशाक बोइयाम में थोड़ेक बिस्कुट. आ दोसर बोइयाम में टॉफी, चेमनचूस आ लोलीपॉप. ओसाराक कगनी लग, चूल्हाक चौखुट चबूतरा पर एक कात शीशाक गिलास सब आ दोसर दिस, दूधक बरतन, छनना आ चाह बनेबाक सॉसपैन. इएह भेल सुनामायाक दोकान.

घरक ओलती में बाटक कातहि राखल एकटा बेंच पर गहाकि सब आबि कए बैसैत छल. बरखा बुन्नी भेल तं सुनामायाक ‘बूढ़ो’, मानबहादुर, बेंचकें ओसारहि पर एक कात अंटा दैत छलैक. मान बहादुरकें जखन, जतय बोनि लगैत छलैक, मेहनत मजदूरी कए लैत छल. तीन टा छोट-छोट नेना- रत्नमाया, पशुपति, आ सबसँ छोट, दीपक. घरक पछुऐत में एकरा लोकनिक किछु धूर ज़मीन रहैक. ओहि में दुनू बेकती मिलि कए आलू रोपैत छल. एहि इलाका मे हेमजा गाँओ आलूक खेती ले ओहिना प्रसिद्द अछि जेना शिमलाक कुफरी वा नीलगिरिक ऊटी. खेतक कोलाक काते-कात मानबहादुर थोड़ेक मूर बाग़ कए दैत छलैक, आ आरि पर किछु कोबीओक गाछ रोपि दैत छलैक. गर्मी मास में एतबे जमीन में कोनो बेर दुनू बेकती थोड़ेक कोदोक खेती सेहो कए लैत  छल. ओना एहि  गाम में, गरीब वा धनिक, केओ तर-तरकारी किनि कए नहिं खाइत छल. अपना बाड़ी में जे भेलैक ओहीसँ लोक गुजर करैत छल.अन्न-पानिक बेसाह त सभक सोहाग-भाग छलैक.

रत्नमाया आ पशुपति लगेक स्कूल में पढ़इत छलैक. दीपक तं दुधपीबे छल. स्कूलसँ आबि रत्नमाया जं बरतन-बासन मंजबा मे मायक हाथ बंटबैक, तं पशुपतिकें बुआ मान बहादुरक संग हऽरक लागन धरबामें बड्ड नीक लगैक. जखन बापक मन खुशी देखैक तं पशुपति मान बहादुर कें कहैक, ‘बुआ, आब तं हम हऽर जोतिए लैत छी, अगिला साल हमरा आलू आ कोदो सेहो रोपय दिहह.’ पशुपतिक ई  गप्प सुनि मान बहादुरक थोर पर मुसुकी छिटकि जाइक. पशुपति बापक मुसुकीकें सहमति बुझि मने-मन खुशी सेहो होअए आ माए कें कहैक जे ‘अगिला सालसँ हमहू एसगरे बुआ जकाँ हऽर जोतबैक. तों, कहबें तं चाह सेहो बना देबहु. तों भरि दिन एसगरे हरान होइत रहै छें, से हमरा नीक नहिं लगैए. आ हं पैघ भेला पर हमहू लाहुरे बनबैक, हं कं जेबै !’  पशुपतिक गप्पक उत्तर में माए केवल दुलारसँ ओकर माथ हंसोथि दैक आ फेर अपन काज मे लागि जाय.ओना स्कूल आ हुच्ची-फुच्ची काजक अलावा ई दुनू भाई-बहिन दीपक कें सेहो थतमारैत छल. मुदा, एतय कहिया कोन आफत आबि जायत कहब मोसकिल. कखन पिरथी डोलि जायत, भुइकम्प भए जायत, कोन ठेकान. ताहि पर माटिक आ पाथरक घर-आँगन. कथू कें ढहैत देरी नहिं. मुदा, जाहि इलाकामें जीवन कठिन होइत छैक, लोक आफद-आसमानीसँ  डराइत नहिं अछि. आफद  अबैत छैक, चल जाइ छैक. लोक दहाइत अछि, डूबैत अछि. मुदा, हारि नहिं मानैत अछि. बरखा-बाढ़ि-अंधड़-तूफ़ान आ भुइकम्प लोककें उखाड़ि  कए फेकिओ दैत छैक तैओ लोक माटि पर राखल जिम्मरक सट्टा जकाँ फेर जड़ि पकड़ि लैत अछि.

संयोगसँ एतए एहि बेर  बेजोड़ बरखा भए रहल छल. बरखा-बुन्नीक मास मे ओहुना पहाड़ में जन-बोनिहार कें जन नहिं लगैत छैक. एतय धानो खेती सब ठाम नहिं होइत छैक. जतय भूमि थोड़ेक समतल आ चाकर छैक, लोक धान रोपि लैछ. आन ठाम कोनो खेती नहिं. घर-घरहट, पक्की सड़कक बनब आ मरम्मति बरखाक बादे शुरू हेतैक. तें, ओहि बीच मान बहादुर बेसी काल घरे बैसल रहैत छल. थाल-थाल भेल बाड़िओ में की करत. एहिना में ओहि दिन मान बहादुर दलान पर बैसल छल कि एकाएक बड्ड जोर आसमर्द भेलैक. लगलैक जेना लगक पहाड़ टूटिकय सेती नदी में खसि पड़ल होइक. ऊठि कय मान बहादुर पछुआड़ दिस गेल तं सेती नदी कें देखि किछु नहिं फुरलैक; सेतीक पानि  जे भोर खन नदीक पेन लागल रहैक से अचानक बाढ़िसँ एखन दुनू पाट धरि भरि गेल रहैक. पानिक बेगक किछु कहल नहिं जाय. ई तं किछु नहिं छल. कनिए कालक बाद लोक जे देखलक से कि कहियो लोककें बिसरतैक ! धारक गाढ़ मटियाह, उधियाइत पानि. पानि मे गाछ-वृक्ष, लकड़ी, घास-फूस, माल-महीस आ मनुक्ख. सब किछु एके संग बहैत देखि मान बहादुर ठेहुन एकाएक बेकाजक भए गेलैक. ओ ठामहि बैसि गेल. प्रकृतिक ई अचानक प्रकोप अभूतपूर्व छल. ओ ओतहिसँ सुनमाया कें हाक देलकैक. मानबहादुरक हाक सुनि सुनमाया दौड़लि आयलि. उधियाइत सेती कें देखि ओकरो आदंक ल’ लेलकैक. जं सेती मे एहिना आओर पानि बढ़लैक, तन भेलैक जे सेती कतेको घर बहाकय संगे लए जायत. भगवान-भगवान करैत  दुनू गोटे दूरेसँ अकला देवी भगवती कें हाथ जोड़ि परनाम केलक.  मुदा, पानि जहिना अचानक बढ़ल रहैक , घंटा-दू घंटाक बीच पानि तहिना घटहु लगलैक. मुदा, पानिक संग जतेक किछु बहि कए आयल छलैक, कछेर में जहाँ-तहाँ तकर ढेर लागि गेल छल. ओहि में मनुख आ मवेशीक शव, लकड़ी, कचरा, पांक आ पाथर, सब किछु रहैक. एहि म सँ  लकड़ीक तं सब के चाही. तें, जमा भेल लकड़ीक डारि-पात-सील-ढेंग जमा करबा ले लोक अपन जानक परवाहि छोड़ि सेती नदी में उतरए लागल. अनका जारनि आ लकड़ी एकट्ठा करैत देखि मानबहादुर आ सुनमाया सेहो नीचा उतरल. जतेक लकड़ी भ’ सकलैक ततेक अपन कोला में जमा केलक. भरि दिन जारनि जमा करैत-करैत दुनू गोटे थाकि कए तेना चूर भए गेल जे साँझे राति खा पीबि सूति रहैत गेल. ओहुना एम्हुरुका गाँओ में लोक साँझ होइते खा-पीबि सूति रहैत अछि. टहलनिहार सब चाह ले सुनमायाक दोकान पर भोरे साढ़े तीन-चारिए बजेसँ  जुमए लगैत छैक. सबेरे सुतलासँ सबेर उठबा मे आलसो नहिं होइत छैक.

मुदा, आइ राति केओ सुति नहिं सकल. बीचहि राति दीपक कें एके संग रद्द-दस्त शुरू भए गेल रहैक. आ से एहन जे कनिए काल में नेना बेहवाल भए गेल रहैक. दीपक केर हालत देखि सुनामाया कें किछु नहिं फुरलैक. ओ हाँई-हाँई बाहर ओसारा पर सुतल मान बहादुर कें उठौलक. हाथ छुच्छ आ दुखित नेना. ओंघयले मान बहादुर दौड़ि कय पड़ोस में गेल आ बम बहादुरकें  जा कए उठौलकैक: ‘ दाई, दीपक कें  बड्ड जोर झाड़ा-पखाला लागि गेलैए. छौड़ा  बेहोश जकाँ पड़ल अछि. किछु बुझि नहिं पड़ैए. की करिऐक ? भोरे सुनमाया दोकान खोलिते से सोचने छल. आब की करू ? ऊपरसँ  पानि झहरि रहल छैक.’

बम बहादुर भारतीय सेनाक भू.पू. ( भूतपूर्व सैनिक) छल. बेर बेगरता में ओ समाजक लग हरदम ठाढ़ होइत छल. ओ तुरत मान बहादुरक संग भेल आ दीपक कें उठाकए नेपाल टीचिंग अस्पताल लए गेल.

3

पोखरा में जखन नेपाल टीचिंग अस्पताल बनैत रहैक तं लोक सब जा कय देखय. केहन-केहन मशीन. कतेक टा कतेक ऊँच आ मकान. ताधरि पोखरा में ने कतहु सात-महला मकान रहैक आ ने केओ लिफ्ट देखने छल. इस्कुलिया बच्चा सब तं केवल लिफ्ट पर चढ़बा ले नेपाल टीचिंग हॉस्पिटल में पैसैत छल. केओ कहैक सरकार 1 रुपैया प्रति एकड़क हिसाबसँ  सेनाक जमीन इण्डियाक प्राइवेट कंपनी कें दए देलकैए; नेपालक राजनीति में इण्डिया कें मुद्दा बनैत कनिओ देरी नहिं लगैत छैक. किछु लोक कहैक, जमीन ककरो होउक, खस्ता छलैक. रुपैया ककरो होउक, एतय एक हज़ार नेपाली के रोजगार तं भेटतैक. अपन सरकार तं हमरा सब कें नौकरी देत नहिं. किछु लोक इहो कहैक, एतय टीचिंग अस्पताल भेलासँ एतुको धिया-पुता तं पढ़बे करत, एतुका गरीब-गुरबा कें मुफ्त इलाज सेहो हेतैक. आ से भेलैको, किछु अर्थ में. लोक कें रोजगार भेटलैक, स्थानीय लोकक धिया-पुता ओतय पढ़बो शुरू केलक आ बहुतो कें मुफ्तो इलाज होइक.

ओही आस पर ओहि राति सुनमाया आ मान बहादुर दीपक कें ल’ कय सोझे नेपाल टीचिंग हॉस्पिटल पहुँचल छल. संयोगसँ तखन इमरजेंसी विभाग में एकटा लगे पासक हाउस-सर्जन, डाक्टर सुदीप, ड्यूटी पर छलाह. दीपक केर हालत बड्ड खराब रहैक. लगातार झाड़ा-पखालासँ बच्चाकें देह में पानिक कमी भए गेल रहैक. ओकर शरीरक स्थिति अत्यंत  चिंताजनक रहैक. फलतः, डाक्टर सुदीप तुरत आरंभिक उपचार केलखिन आ बच्चा विभागक इमरजेंसी पर तैनात ड्यूटी-विशेषज्ञ कें बजओलनि. विशेषज्ञक विचार भेलनि जे दीपक कें आइ सी यु में भरती कयल जाय. मानबहादुर डांड में जे रुपैया अनने छल से पहिनहिं में सधि गेल रहैक. मुदा, सीनियर डाक्टर आ मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्टक मौखिक आदेश पर दीपक तुरत आइ सी यु में भरती कयल गेल;  ओकर इलाज शुरू भए गेलैक. एहिसँ सुनमाया आ मन बहादुर कें बड्ड हुबा भेलैक.  मुदा, जखन बच्चा विभागक इमरजेंसी ड्यूटी-विशेषज्ञ सुनमाया आ मानबहादुर कें कहलखिन जे बच्चाक देहसँ बहुत पानि चल गेल छैक आ बच्चाक जान पर खतरा छैक तं दुनूक मोन झूर-झमान भए गेलैक. दुनू गोटे अपना में विचार कयलक. मानबहादुर सुनमायाकें दीपक कें ल कए आइ सी यु बढ़बा ले कहलकैक. ओ अपने  मानबहादुर किछु पैसा कौड़ीक जोगाड़ ले बमबहादुरक संग हेमजा आपस गेल. मानबहादुर जाइत- जाइत  सुनमाया कें कहैत गेलैक, हम इएह गेलहुँ आ इएह अयलहुँ. मुदा,आइ सी यु में दीपक केर उपचार आरंभ भेला घंटो भरि नहिं  बितल हेतैक कि नर्स आबि कए सुनमाया कें एक कात ल जा कए कहलैक जे हमरा लोकनिक बुतें जतेक भेल केलहुँ, किन्तु, दीपक केर जान नहिं बचा सकलिऐक. ई गप्प सुनि सुनमायाक आँखिक आगाँ अन्हार भए एलैक. ओ ओतहि खसि पड़ल. होश आपस एलैक तखनो नर्स लगे में ठाढ़ रहथिन. ओ सुनमाया कें एकटा चीनी मिट्टीक कप में पीबा ले पानि देलखिन. ओम्हर मान बहादुरक कोनो पता नहिं. नर्स पुछलखिन, ‘बुढ़ो कहाँ छथि ? बजा अनियनु.’ सुनमाया तुरत मानबहादुर कें बजयबा ले गेल. ओ सौंसे अहुरिया कटलक. मान बहादुरक कोनो पता नहिं. झहरैत बरखा, अन्हार राति आ उफनैत सेती नदी. एहना में ओकरा अपनो घूरि कए नर्स लग जेबाक हिम्मत नहिं भेलैक. ओकर बाद सुनामाया कतय रहि गेल, ओकरा  की भेलैक, से ककरो बुझबा में नहिं एलैक. परात भ’ गेलैक. डाक्टर आ नर्सक ड्यूटी बदलबाक बेर भए गेलैक. सुनमाया आ मान बहादुरक तखनो कोनो पता नहिं.

4

तीन दिन धरि लगातार अनुसन्धानक बाद डाक्टर कपूर कें सब बात बुझबा में अयलनि. हुनका आइ बच्चा वार्डहिक लॉकर में पुरान केस-शीट सबहक बंडल मे दीपक परियारक केस-शीट भेटलनि. केस रिकॉर्डसँ स्पष्ट छलैक जे मानवीय आधार पर मौखिक आदेश आ बिनु टाका जमा केने दीपक भर्ती भेल छल आ ओकर उपचार भेल रहैक. मुदा, भर्ती भेलाक किछुए समयक भीतर नेनाक मृत्यु भए गेल रहैक सेहो केस-रिकॉर्ड में दर्ज रहैक. किन्तु, केस-शीटक  रिकॉर्ड एखनो अपूर्ण रहैक; रिकॉर्ड में संबंधी कें शवक सुपुर्दगीक कोनो संकेत नहिं रहैक. अपूर्ण कागजी काररवाई चकित करबा योग्य छल. एहिसँ भारी हॉस्पिटल बिलक उत्तर स्पष्ट नहिं छल.

अंततः, डाक्टर कपूर एकाएकी, रिकॉर्ड में दर्ज सब अधिकारी आ स्टाफसँ  संपर्क करब शुरू केलनि. जेना-जेना डाक्टर नर्स स्टाफसँ डाक्टर कपूरक गप्प भेलनि, पर्त-दर-परत गप्प खुजय लागल. चूंकि केस रिकॉर्ड में कतहु मृत शरीर कें माय-बाप कें सुपुर्द करबाक रिकॉर्ड नहिं रहैक, तें, नेनाक नाम सेहो हॉस्पिटल रिकॉर्डसँ काटल नहिं गेल रहैक. तखन नेना तं कतहु अस्पताले में हेतैक. अस्तु, डाक्टर कपूर अपने अनुमान पर शव-गृह गेलाह आ ओतुका रिकॉर्डक जाँच=पड़ताल केलनि. शव-गृहक रिकॉर्डसँ सब किछु अयना जकाँ झलकय लागल छल. शव-गृहक लॉकर में दीपकक शव यथावत् सुरक्षित छल ! ततबे नहिं, ओहि नेनाक शांत भेलाक बाद सुनमाया आ मान बहादुरकें  अस्पताल में घुरि कए फेर कहियो केओ नहिं देखने रहैक, सेहो गप्प पछाति जाँच में खूजल. ओहि नेनाक सुखायल शव देखि डाक्टर कपूरक मोन द्रवित भए गेलनि. सब बात स्पष्ट छलैक: बेचारा नेनाक जान नहिं बचि सकलैक. माय-बाप टाका जोगाड़ ले जे गेल रहैक, से गेले रहि गेलैक. के जानय ओकरा सबहक की भेलैक.

आब एहि नेनाक मृत शरीरक की कयल जाय से ओहि दिनक तात्कालिक समस्या छलैक. गरीब समाजक बीचक अस्पताल सब में एहन समस्या नव नहिं. जखन दुखित दीपक अस्पताल आयल छल तहिया तात्कालिक आदेश ले केस सीनियर विशेषज्ञ आ मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट लग पहुँचल रहनि, सेहो बात जाँच में खूजल. निर्णय ई भेलै रहैक  जे  कागजी कार्रवाई कें लंबित राखि नेनाकें शव-गृह में राखल जाय. सएह भेल रहैक. तथापि, ओतय स्टाफ लोकनि दिन-भरि मानबहादुरक बाट तकैत रहल छल. किन्तु, नहिं जानि कोन मज़बूरी रहैक, जे ओ सब आयल नहिं. दोसरो दिन ओकर सबहक कोनो पता नहिं. तेसरो दिन केओ जखन नहिं आयल तं निरंतर काजक दवाब में आइ सी यु क सब स्टाफ आ चिकित्सक लोकनि सेहो एहि घटनाकें बिसरि गेलाह. पछाति, मास बितलैक. डाक्टर नर्स लोकनिक ड्यूटी बदलि गेलनि. संयोगसँ  मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट सेहो बदलि गेल छलाह. अस्पताल में नव-नव रोगीक आयब-जायब चालू छल. मुदा, पछाति बाँकी बचल कागजी कार्रवाई सब किछु कें घोर-मट्ठा कए देने रहैक. बाँकी बचल कागजी कार्रवाई, बकिऔता टाका आ दीपक, सबहक स्मरणसँ निर्मूल भए चुकल छल. दोसर दिस, भले दीपक परियार कहिया ने निष्प्राण भए गेल छल, कम्प्यूटर में दीपक परियारक बिल बनिते रहि गेलैक. ओएह बिल आब जाँच आरंभ भेलाक दिन सवा दू लाख टाका भए गेल छल; जाँच पूरा होइत-होइत  तं बिल किछु अओर बेसीए भए गेल रहैक.

सबटा तथ्य मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्टक सामने अयला पर मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट डाक्टर रंगनाथन डाक्टर कपूर कें बस एतबे कहलथिन: ‘जाँच पूरा भेल. बात साफ़ भेलैक. अहाँ अपन दायित्व पूरा कयल. धन्यवाद. अहाँ जाउ. आब आगूक कार्रवाई हमर दायित्व थिक.’

सुनमाया आ बम बहादुरक संग की बितलैक से के जानय !  

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