Saturday, May 20, 2023

यात्रा : भीमाशंकर, शिर्डी, त्र्यम्बकेश्वर

 

यात्रा : भीमाशंकर, शिर्डी, त्र्यम्बकेश्वर

गेलहुँ बहुतो ठाम, मुदा, देखलहुँ किछुए ठाम; कतेक ठाम बाटें-बाट गेलहुँ आ घूरि एलहुँ, वा आगू चलि गेलहुँ. श्रीनगर(जम्मू-कश्मीर) आ महाराष्ट्र एखन धरि एहने लिस्टमे छल. एहि बेर एक विशिष्ट पारिवारिक उत्सव छलैक; हमर भातिज डाक्टर पंकजक पुत्र- प्रणव- आ तेजस्विताक विवाहमे जा रहल छी. अस्तु, विवाह पुरबाक संग पर्यटन/तीर्थाटनक संयोग सेहो बनल. सेहो तीन ठाम: भीमाशंकर, शिर्डी, आ त्र्यम्बकेश्वर.

हमरा लोकनि बंगलोरसँ पूनाक फ्लाइट लेल. आगूक यात्रा टैक्सीसँ. पुणे एयरपोर्ट पर पहिनेसँ बुक कयल टैक्सी एरोसिटी मालमे भेटत. इहो नव अनुभव छल. पुछैत-पुछैत एरोसिटी माल पहुँचहुँ. बेसी दूर नहि, सटले छैक. श्रम बेसी नहि. लिफ्ट आ एस्केलेटरक सुविधा. किन्तु,  पछिला किछुए दू दशकमे अपन देश तेना बदलि गेले, जे निरंतर विकाससँ चिन्हलो स्थान, अनचिन्हार सन लगैछ; आब ओहि ले अनेक हुज्जत; कतेक मोड़, कतेक तल जे मोन हलतल भए जाएत. हएत जे ई तं चिन्हार स्थान नहि, कतय आबि गेलहुँ !

पुणेसँ भीमाशंकर

पुणे हम अनेक बेर आयल छी. मुदा, तहिया लक्ष्य भिन्न रहैत छल. भ्रमणक समय थोड़. तें देखल कम अछि. मध्य फरबरी. शहर केर बाहर गर्मी. भूमि बंजर आ बलुआह. गाछ-वृक्ष रेगिस्तान जकाँ- बबूर-कीकर आ आक. आगू जयबा साढ़े तीन चारि घंटाक यात्रा; दूरी तं केवल ११० कि. मी. किन्तु, आरंभिक ३०-४० कि, मी. बाद चाकण पहुँचैत भोजन बेर भए गेलैक; भोजन कयल आ आगू बढ़लहुँ.

सड़कक कात जलाशय

आगू नारायण गाँओसँ बाटक दिशा बदललैक तं बाट सेहो बदलि गेल; क्रमशः  लचकदार, संकीर्ण सड़क आ ऊपर-नीचा चढ़ाई-उतराई. आगूक इलाका भीमा नदीक जल अधिग्रहण क्षेत्र थिकैक. पथरीला आ लहरदार भूमि. जतय कतहु भूमि नीचा छैक आ पानिक प्राकृतिक बहावक बाट नहि छैक, ओतय अनेक छोट-पैघ झील. छोट-पैघ डैम. पेय जल आ विद्युत् परियोजना. पुणे जिलामे भीमा नदी पर बनल चासकमन डैम एहि क्षेत्रक सबसँ पैघ डैम थिक. सड़कक कातहिसँ ई डैम देखबैक. रोडक कातमे ठाढ़ होउ फोटोग्राफी करू. केवल पहाड़क कगनी पर ठाढ़ भए सेल्फी जुनि घीची. सेल्फीक कारण बहुतो गोटे, डैममे डूबि, रेलमे कटि, ऊँच बहुमंजिली भवन आ पुल सबसँ नीचा खसि व्यर्थमे प्राण गंवओने छथि. अस्तु, पर्यटन सर्वथा सुखद रहय से ध्यान राखी.

चासकमन डैम पुणे जिला 

एम्हर सड़कक काते कात आबादी थोड़ छैक. एक ठाम पैघ झील सन जलाशय देखि ठमकलहुँ. पूनासँ मोटर साईकिल पर आयल दू गोट युवक ओतय भेटलाह. ओहो लोकनि ओतय ठाढ़ भेलाह. हम कहलियनि, ‘ ई कोन झील थिक? कहलनि,’झील नहि भीमा नदी थिक’.                                                                                                  

१२ फरबरी २०२३. रवि दिन. एहन सुन्दर इलाकामे आउटिंग आ पिकनिक जे बहराएबा ले स्थानक कमी नहि. संयोगसँ एहि दिस पूना-मुंबई हाईवेसँ देहाती रास्ता धयला पर ट्राफिक सेहो बहुत थोड़. हमरा लोकनि आगुओ बाटमे एक दू ठाम गाड़ी रोकि लैंडस्केप केर फोटो घिचल. फोटो घिचब शौक थिकैक. मुदा, फोटोक एकटा आओर उपयोग करैत छी; दिन, स्थान, परिदृश्य आ घटनाकें मन पाड़बामे फोटो उपयोगी होइछ. डिजिटल फोटोग्राफीमे रील पर कोनो खर्च नहि. मोबाइल फोन आब मूलतः कैमरा आ कंप्यूटर थिक. संगे, मोबाइलसँ लोक गप्प-सप्प सेहो कए लैछ. मोबाइलमे आब एतेक मेमरी (memory) रहैत छैक, साल पूर्व ओतेक मेमरी कतेक लैपटॉपो नहि होइत छलैक. तें, परिपूर्ण फोटोग्राफी करू, आ जेना इच्छा हो उपयोग करू.

MTDC रिसोर्ट भीमाशंकर 

हमरालोकनि भीमाशंकर गाँओ पहुँचल रही तं प्रायः बेरुक पहरक चारि बजैत छल हेतैक. महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम केर होटल गाँओक शुरुएमे. खूब पैघ परिसर. रहबाक पर्याप्त कमरा. कमरा सबहक आकार पैघ. एतय डोर्मेट्रीक सुवुधा सेहो छैक. सेवा-सुविधा सरकारी गेस्ट हाउस जकाँ. फ़ोनक नेटवर्क कमजोर. होटलक वाई फाई सेहो कमजोरे. किन्तु, डेस्क स्टाफ अपन फोनकें हॉटस्पॉट कए तत्परतासँ  सहायता केलनि. तखने घुरती यात्राक टैक्सी बुक भेल.

भीमाशंकर स्थान बहुत छोट. एतय टैक्सीक आवागमन कम. बेसी लोक ग्रुपमे मिनी वैन वा बससँ अबैत छथि. लोकल टैक्सी नहि भेटैछ, से मंदिर जयबाले टैक्सी कोना भेटत से पुछलापर बुझलहुँ. ऑनलाइन  आउट स्टेशन यात्रा बुक केला पर टैक्सी पूनासँ अबैछ. तें, भाड़ा कनेक बेसी. मुदा, टैक्सी भेटि गेल, ताहिसँ अगिला यात्राक चिंता दूर भेल. आब काल्हि टैक्सीकें संपर्क करबाक हेतु पुनः डेस्क लग आबए पड़त. एहि युगमे जं इंटरनेटसँ दूर छी, तं, बुझू अहाँ कोनो द्वीप पर छी! ने संपर्क, ने बुकिंग, ने भुगतान आ ने समाचार- खबरि! एतय होटलमे रूम सर्विस नहि छैक. चाह चाही तं रेस्टोरेंट में आर्डर करिऔक आ चाहे ओतय बैसि कए पीबू वा अपने लए आउ. मेनेजर एकदम सरकारी स्थायी कर्मचारी जकाँ. लागल हॉस्पिटैलिटी शब्दसँ  अपरिचित छथि. पैरमे घाव रहनि. लंगड़ाइत रहथि. पुछलियनि की भेले. कहलनि, ‘नाश्ता करू!’ ओ ओही घाव नेने किचेनक बाहर भीतर करैत छलाह.                                                                 हमरा सब विचारने रही जे काल्हि भोरे दर्शन करब. मुदा, जखन डेस्कसँ हम पूछताछ करैत रहिऐक तं एकटा मिनी वैन ड्राइवर ओतय ठाढ़ छलाह. ओ करीब बारह-तेरह  स्त्री-पुरुषक दलकें पूनासँ अनने रहथि. यात्री सब दिल्लीवासी. हमरा ओ ड्राइवर कहलनि हमरा गाड़ीमे एखने चलू. तथापि, हम ओहि ग्रुप केर एक वरिष्ठ नागरिकसँ पुछलियनि तं ओ सहर्ष तैयार भए गेलाह. मुदा, बाँकी पराभव एखन बाँकीए छल. ताहिसँ अपरिचित रही.                                    

होटलसँ मंदिर करीब २-३ किलोमीटर. छायादार आ गाछ-वृक्षसँ भरल हरियर ड्राइव. गाड़ी दुनू भागसँ अबैछ जाइछ. ई इलाका भीमाशंकर अभयारण्य थिकैक. ई क्षेत्र अनेक स्थानीय गाछ वृक्ष आ प्राणीक विविधताक हेतु सुपरिचित अछि. विशेषतः ई क्षेत्र ( Indian Giant squirel) नामक जंतुक आवासीय क्षेत्र थिक. मराठी मे सेकरू नामसँ परिचित  ई जंतु महाराष्ट्र राज्यक राजकीय जन्तु थिक. मुदा, जतय लोकक आवागमन ओतय वन्य प्राणी कतय आओत. भोजन-पिरामिडकेर शीर्ष पर बैसल मनुष्य आदि कालहिसँ प्राणी, भैषज्य आ पर्यावरणक एतेक हानि केलक अछि जे आब कोनो जीव जन्तुकें मनुष्यकें चिन्हबामे भांगठ नहि. ओ सब मनुष्यकें देखिते लंक लैत अछि, आ भागि जाइछ.                 

हमरा लोकनि दस मिनटमे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंगक थोड़बे दूर स्थित पार्किंगमे उतरलहुँ. एहिसँ आगू सड़क निर्माण कार्य चलि रहल छल. किछु जोगाड़ी वा सरकारी अधिकारी गाड़ी मंदिरक लग धरि लए जाइत छलाह. मुदा, जनसाधारण ले तकर सुविधा नहि. किछु उद्यमी युवक सब दर्शनार्थी सबकें मोटर साइकिलहु पर नीचा लए जाइत रहथिन. मुदा, हमरा लोकनिकें एहन पहाड़ी बाटमे पैदल चलब मोटर साईकिलसँ बेसी सुरक्षित बूझि पड़ल. एही कारणसँ मुक्तिनाथ, नेपाल,मे हमर पत्नी पयर कज्जी रहितहुँ २-३ किलोमीटर केवल हुबा पर ऊपर-नीचा चढ़ि कए आपस आबि गेल रहथि. एतहु सएह भेल. नीचा मुँहे रास्ता आ दस गोटेक संगोर, ताहिमे कएक गोटे हमरहु लोकनिसँ वयासाहु रहथि. चलि पड़लहुँ.

आगू करीब २०० मीटर आगू, मुख्य ढलानसँ दहिना मंदिर दिस जयबाक नीचा दिस कच्चा ढलान. बाट पर  इंटा-पाथर आ माटि. तकर बाद कमसँ  २०० सौ सीढ़ी. सीढ़ी सबहक ऊंचाई बेसी नहि. बाट चौड़ा. ऊपर छत. एक कात पकड़बाक रेलिंग आ दुनू कात दोकान सब. आगू जा कए ई सीढ़ी बामा दिस घूमि जाइछ. तें,  एहि सीढ़ीसँ मंदिर नहि देखबैक. स्वस्थ सक्षम ले ने ई बेसी लंबा भेल आ ने कठिन; कठिन आ सुलभ वस्तुतः वयस, स्वास्थ्य आ चलबाक क्षमता पर निर्भर करैछ. तथापि, हम नीचा मुँहे लम्बा बाट  देखि कए आतंकित भेलहुँ. किन्तु, आस्थावान दर्शनार्थी कतहु आपस हो. हमरा सन लोक जे ने करय! हमरा तं ओहुना कोनो असक्तता नहि. ओहुना असली कठिनता ऊपर चढ़बामे होइछ, से भेल.

नीचा मंदिर लग पहुँचलहुँ. ओतहु निर्माण कार्य. दू चारि गाड़ीओ ओतय देखलिऐक. नहि जानि ककर रहैक. मंदिरक समीप सेहो फल-फूल आ पूजा सामग्रीक दू चारि टा दोकान. कोनो भीड़ नहि. मुदा, वर्दीधारी पुलिस कांस्टेबल सेहो टाका ल’ कए दर्शन करएबाक हेतु आगू.

कोनो पर्व-त्यौहारक दिन नहि. अनुमानतः लोक भीमाशंकर आबि दर्शन करैछ आ आपस भए जाइछ. आस-पासमे बेसी आवास-होटल देखबामे नहि आयल. एहि ठाम रहबाक प्रायः कोनो कारणों नहि. देखबाक स्थान भीमाशंकर तीर्थे टा छैक. यद्यपि, कतहु पढ़ने रही एम्हर ट्रेकिंग रूट सेहो छैक. आ जखन पहाड़ आ जंगलमे निकलि जायब तं देखबाक वस्तुक कमी नहि, केवल देखबाक आँखि, धैर्य, मनक शान्ति आ समय चाही. प्रकृतिकें देखबाक हेतु ई सब आवश्यक छैक.

भीमाशंकर पर्वत भीमा नदीक उद्गम स्थल थिक. मुदा, से देखबामे नहि आयल. कारण, मूलतः हमरा लोकनि ज्योतिर्लिंगक दर्शन ले आयल रही. दोसर, संध्या काल. ई उपयुक्त समय नहि. दिन देखार निचेनसँ घूमि फिरि, इलाका नीक जकाँ देखि सकैत छी. ओहुना सब नदीक उद्गम सेहो एक रंग नहि. संकीर्ण उपत्यकामे ग्लेशियरसँ निकलैत गंगा-यमुना-ब्रह्मपुत्र-सिन्धु सन नदीक उद्गम एक ठाम देखि सकैत छी. किन्तु, जतय ग्लेशियर नहि छैक, आ रुख-सुख समयमे पहाड़सँ जलक प्रवाह क्षीण रहैछ, ओतय एक स्थान पर नदीक उद्गमकें देखब सुलभ नहि. वस्तुतः, एहि सबठाम नदीक उद्गम एक स्थान नहि, एक क्षेत्रसँ होइछ. प्रायः तहिना भीमाशंकर क्षेत्रक एक विस्तृत क्षेत्रसँ  भीमा नदीक अवतरण होइछ, जाहिमे आने सब नदी जकाँ, जल अधिग्रहण क्षेत्रक आओर धारा सब मिलैत चल जाइछ आ अंततः समतल भूमिमे अबैत-अबैत नदी, भूमिक भौगोलिक गुणक अनुकूल स्वरुप धए लैछ.

मुदा, हमरा एतबेसँ संतोष नहि भेल. Google Earth पर खोजबीन कयल. ओहिमे स्थानक ठोस स्वरुप देखि सकैत छी. से देखलासँ बुझल जे श्रीभीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थल एहि इलाकाक सबसँ ऊँच स्थल थिक. ओहि ठामसँ जे जलधार बहराइछ जे मंदिरक पाछूक खड़ा ढलान पर दए भीमा नदीक रूप लैछ. ओतय नदी नहि देखबाक दुःख नहि. 

श्रीभीमाशंकर ज्योतिर्लिंगक गर्भगृहक सामने  
कारी पाथरसँ निर्मित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंगक मंदिर आकारमे छोट, किन्तु भव्य. मंदिरक आगू नांदी युगल तत्पर. मंदिरक बनावट ओहने जेहन उत्तर भारतमे अधिकतर मंदिर होइछ; नागरा शैलीक मंदिर. मंदिर परिसरमे कोनो भीड़ नहि, सब मिला कए गोड़ पचासेक लोक- भक्त, पुजारी आ पुलिस. साँझ होइत रहैक. गर्भगृहक केन्द्रमे शिवलिंग, शिवलिंग चानीक झाँपनसँ झाँपल. भीतर एक टा पुजारी आ एकटा कांस्टेबल. पुलिस कांस्टेबल पुजारीक सामने हमर पत्नीक हाथसँ चढ़ावाक सौ टाका बुझू छीनि लेलकनि, ताहिसँ ओ ज्योतिर्लिंगक चानीक आवरणक स्पर्श कए तृप्त भेलीह. ई बड़का तृप्तिबोध, आ यात्राक सफलता. गर्भगृहक आगूक आयताकार बरामदा पर टेबुल पर एक दू टा पुलिस सिपाही बैसल. बरामदा पर एकटा टेबुल लगा कए मंदिरक एक प्रौढ़ पुजारी बैसल दानक टिकट कटैत रहथि. जे जुरल, हमरो लोकनि प्रस्तुत कयल आ रसीद लेल. पुजारी जी एकटा लिफाफ पर हमरासँ  हमर पता लिखबओलनि.

श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर 

संकीर्णस्थान, निर्माण कार्यक मचान, लोहा-लक्कड़, सिमेंट-बालु. तथापि, मंदिरक परिसरमे एक दू टा फोटो लेल आ आपस भेलहुँ. दोसर दिन फेर ओम्हर गेलहुँ नहि.  घुरतीमे एतेक सीढ़ी कोना चढ़ब, आपस कोना हएब ताहि पर ध्यान लागल छल. समस्या नहि भेल, से कोना कहब. खैर, कोहुना आपस तं होइत गेलहुँ. जं हम कहब जे अस्वस्थ, भारी देह आ जोड़क समस्याक संग भक्त एतय नहि आबथु, तं से उचित नहि. कारण, एक तं ई आस्थाक विपरीत भेल- पंगु चढ़य गिरिवर गहन-, आ दोसर, कोन ठेकान हमर विचार धर्म-विरुद्ध आचरण आ दण्डनीय मानल जाए ! अस्तु, यात्राक योजना बनेबासँ पूर्व मंदिर परिसरक स्थिति आ जेबाक बाटक सूचना एकत्र करी आ अपन पौरूखक अनुकूल स्वयं निर्णय करी.

श्री भीमाशंकर तीर्थयात्राक करीब मास दिनक पछाति एकटा लिफ़ाफमे ‘क्षेत्रोपाध्ये उदय बालकृष्ण गवांदे (थोरले इनामदार)’ क दिससँ  भीमाशंकर महादेवक बिभूति (श्री श्री भीमाशंकरचा प्रसाद) डाकसँ आयल.

शिर्डी यात्रा

शिर्डी  आ शिर्डी साई बाबाक परिचय आवश्यकता नहि. शिर्डी महाराष्ट्रक अनेक मुख्य पर्यटन स्थलमे एक अछि. हेबनिमे साईबाबा सेहो विवादक घेरामे छलाह. विवादक संबंध साईओसँ- ओ मस्जिदमे रहथि आ नमाजो पढ़थि, आ वर्तमान आबोहवा दुनूसँ छैक.

श्रीमद्भगवद्गीताक अनुसार नीक लोक देवताकें पूजैत छथि,राजसी प्रवृत्तिक लोक यक्ष, राक्षस (आ महामानव/ सिद्धपुरुषकें) पूजैत छथि, आ तामसी प्रवृत्तिक लोक भूत-प्रेतक पूजा करैत छथि.

[यजन्ते सात्त्विका देवान्यक्षरक्षांसि राजसा:
प्रेतान्भूतगणांश्चान्ये यजन्ते तामसा जना
: ।। अध्याय १७, श्लोक ४]

विचार भिन्नता स्वस्थ समाजक लक्षण थिकैक. विचारक भिन्नता केवल परस्पर आदरक आधार पर होअए. कारण, धार्मिक आस्था मनुष्यक मौलिक अधिकार आ स्वतंत्रता थिकैक. तखन एहिमे कोन विवाद.

भक्त लोकनिक अनुसार, शिर्डी साईंबाबा सोलह वर्षक वयसमे शिर्डी (जिला अहमदनगर, महाराष्ट्रक) आबि, ओतय डेरा देलनि आ अंततः ओतहि रहि गेलाह. हुनक मृत्युक पछाति भक्त लोकनि , हुनक समाधि आ आवासकें साईबाबाक स्मारकक स्वरुप देलखिन. साईंबाबाक  आवास( द्वारकामाई मस्जिद ) हुनक समाधि आ समाधिक आसपास हुनक समकालीन-सहयोगी- समीपी भक्त लोकनिक आवास आ स्थानक कारण  शिर्डी अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल अछि. इएह स्थल एतुका ह्रदय आ पर्यटन उद्योगक मूल थिक.

साईबाबाक स्मारक आ स्मारकसँ जुड़ल आओर सब स्थलक प्रबंधन  श्री साईबाबा सेवा संस्थान ट्रस्ट, शिर्डी द्वारा संचालित अछि. एहि संबंधमे सब जानकारी https://sai.org.in पर उपलब्ध अछि. अपन उत्कृष्ट गतिविधि ले सुपरिचित, ई समाजसेवी संस्था भक्त लोकनिक विपुल आर्थिक योगदानसँ सामाजिक आ धार्मिक क्षेत्रमे अनेक महत्वपूर्ण काज करैछ. हमरा लोकनि सेहो एतय साईंबाबा समाधिए भ्रमण ले आयल छी.

शिर्डीमे हमरा लोकनि महाराष्ट्र टूरिज्म विकास निगम केर रिसोर्टमे डेरा देल. ई रिसोर्ट आ साईबाबाक समाधिक परिसर सटले अछि. ओना एहि सड़क पर होटल, गेस्ट हाउस, दोकानक कमी नहि. श्री साईबाबा सेवा संस्थान ट्रस्ट केर सेहो प्रायः हज़ार कमराक अतिथिशालाक अनेक भवन छैक.  MTDC Resorts शिर्डीक कमरा, भोजनालय आ परिसर साफ़-सुथरा आ आरामदेह लागल. पार्किंग सेहो पैघ. भोजन आ सर्विस ६/१०. हमरा होटल बुक करबाक हिस्सक अछि, तें ऑनलाइन बुक केने रही. आ कोनो असुविधा नहि भेल.

कोनो पर्व त्यौहार नहि. स्कूल खूजल छलैक. ओहुना सोम दिन; साई संस्थान सबमे बृहस्पति दिन मेला रहैत छैक. तें, हमरा लोकनि टहलैत समाधिक साइड गेट लग गेलहुँ. सीनियर सिटिज़न देखि हमरा लोकनिकें पुलिस रक्षाकर्मी ओतहिसँ प्रवेशक अनुमति दए देलनि. मोबाइल फ़ोन भीतर वर्जित छैक. अस्तु, मोबाइल फ़ोन रखबाक एवजमे एकटा दोकानसँ किछु मेवा-मिसरी किनल. ओ हमर फ़ोन राखि उपकृत केलनि. मुदा, चिंता तं खूब भेल. आइ काल्हि मोबाइल फोनसँ केओ हमर जन्मपत्रीसँ ल कए हमर बैंक अकाउंट धरि रहैत छैक. मोबाइल फोन हाथमे भेने केओ हमर अकाउंट  ऑपरेट कए सकैछ. किन्तु, हमरा आओर कोनो उपाय नहि छल.

शिर्डी साईबाबा समाधिक पाछाँ, दहिनाकात द्वारकामाई मस्जिद 

समाधि भवनक भीतर भीड़ नहि. वस्त्रसँ झाँपल साईबाबाक समाधि. फूलक माला. समाधिक पाछाँ हुनक आदमकद बैसल मूर्ति. नियंत्रित शान्त वातावरण. प्रणाम केलहुँ आ बाहर अयललहुँ. दर्शन करबाकाल भीतरमें एकटा अनेरुआ कुकुर सेहो छल. केओ कहलक जे बाबाक लग जीव जन्तु अहिना अबैत रहैत छलनि. तें, कुकुरकें एतय केओ भगबैत नहि छैक ! समाधि भवनसँ  बाहर निकलि लेंडी बाग़ नामक परिसरमे अयलहुँ. ओतय एक भवनमे छोट संग्रहालय. समीपमे नीमक गाछ. सुनैत छी, साईबाबा एहि नीमक गाछ तर अधिक काल बैसथि. कनेक दूर हंटि कए हुनक पाँच सहयोगी आ सेवक लोकनिक समाधि; एक कात एकटा मज़ार सेहो. मज़ार लग एकटा मौलवी हाथमे मयूरपाँखिक मुट्ठी रखने. धूप जरैत. लगमें एकटा धुनी सेहो.

सब किछु देखि परिसरसँ बाहर अयला पर प्रसादक दोकानसँ एक पैकेट प्रसाद लेल. साईंबाबा ट्रस्टक प्रसादक दोकान एहि शहरमे प्रत्येक सड़क, गली, नुक्कड़ पर भेटत. आब सब सब ठाम जाइत अछि. तें, प्रसाद, बद्धी आ बिभूत सनेस नहि. तैयो तीर्थमे लोक किछु किनिए लैछ.

हमरा लोकनि दोसरो दिन शिर्डीमे रही. घुमैत-फिरैत ‘द्वारकामाई’ नामसँ  प्रसिद्ध पुरान मस्जिद, चावड़ी, इत्यादि सेहो देखल.

सिद्धपुरुष लोकनिक जीवन सदासँ  लोककें प्रभावित करैछ. ताहिमें आश्चर्य नहि. मुदा, महापुरुष लोकनिक लाखों भक्त लोकनि जं संत लोकनिक जीवनक अनुकरण करैत सत्य, इमानदारी आ चोरिसँ परहेजक प्रण लए लेथि तं भारतक स्वरुप बदलि सकैछ; पूजा करब कतेक सुलभ छैक, जीवन पद्धतिकें सुधारब कतेक कठिन !               

(शनि) शिंगनापुर 

शिर्डी प्रवासक दोसर दिन हमरालोकनि (शनि) शिंगनापुर नामक  गाँओ गेलहुँ. ७५ कि. मी. दूर. देहाती इलाका. बाटमे कुसियारक अजस्र खेती. सड़कक कातमे ठमकि एकठाम गुड़ सेहो किनल.

शिंगनापुर गाम शनिक प्रतीकक हेतु प्रसिद्ध अछि. एहिसँ पूर्व असम केर दूमदूमामे आ कतहु राजस्थानमे शनिक मंदिर देखने रही.

शनिग्रहक प्रतीक 

शनि शिलाखण्डक दोसर चित्र 

एतय विशाल परिसर. भीड़ नहि. मुदा, घेड़-बेढ़ देखि लागल जे समय-समय पर भीड़ होइत हेतैक.  शनि ग्रहक प्रतीक नाम पर समेंटेड चबूतराक बीच करीब चारि फुट ऊँच, दू फुट चौड़ा,  कारी ग्रेनाइटक एक शिलाखण्ड गाड़ल. एतय लोक कडू (सरिसबक) तेल अर्घ्य चढ़बैछ.चबूतराक  एक कात, स्टैंड पर एक स्टीलक  पैघ बर्तन राखल. ओहिमे तेल ढारू. मोटरसँ, पाइप द्वारा तेल पाथर पर खसैत रहैछ. नीचा बहैत तेल   अंततः नालामे जाइछ. सुनैत छी, केओ बहैत तेलसँ उर्जा उत्पादनक विचार केने छथि. मुदा, गणेश जी दूध पिबैत छथि, ओहि दूधक कोन उपाय!

शनि शिंगनापुरसँ आपस आबि हमरालोकनि सोझे श्री साईबाबा सेवा संस्थान ट्रस्ट, शिर्डीक भोजनालयमे भोजन करय गेलहुँ. सुनैत छी, प्रति दिन हजारो पर्यटक-भक्त एतय भोजन करैत छथि. हमरोलोकनि कूपन लेल आ डाइनिंग हॉलमे सादा साकाहारी भोजन कयल. हमरा लोकनि अरविंद आश्रम पांडिचेरी आ गुरुद्वारा मणिकरण साहेब(हिमाचल प्रदेश) आ स्वर्णमंदिर परिसर, अमृतसरमे सेहो प्रसाद ग्रहण कयने छी.

एहि भोजनक संग शिर्डीक भ्रमण समाप्त भेल. हमरासँ चूक ई भेल जे एहि यात्रामें समीपहिक घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंगक दर्शन, एवं अजन्ता-एलोराक यात्रा नहि भेल. मुदा, से फेर कहियो. कारण एखन धरि भीमाशंकरक अतिरिक्त कतहु तेना भए परेशान नहि भेल रही. किन्तु, १५ फरबरी २०२३ शिर्डीसँ इगतपूरीक यात्रा ले विदा हेबाले रही कि हमरा एक बड़का उल्टी भए गेल. पछाति हमर पत्नीकें सेहो पेट ख़राब भेलनि. पछिला राति MTDC Resorts मे आबेशसँ जोवारक रोटी खयने रही. आइ भोर मे अंगूर खयने रही. आब दोषी MTDC Resorts क भोजन, श्री साईबाबा सेवा संस्थान ट्रस्ट, शिर्डीक भोजनालयक ‘प्रसाद’ वा अजुका भोरुका अंगूर छल, कहब मोसकिल. मुदा, एतबा कहबामे तं कोनो संकोच नहि जे ई पेट खराब बरिआतीक विशिष्ट भोजनक आनन्द तं हरण कइए देलक. आगुओ अगिला एक हफ्ता धरि हमरा लोकनिक संग नहि छोड़लक. रक्ष एतबे रहल जे ‘पेट खराबी’ ततेक सीरियस नहि छल. फलतः, अस्पतालमे भर्ती हेबासँ बचलहुँ, आ यात्रा-कार्यक्रम यथावत् पूरा भेल.

त्र्यम्बकेश्वर,महाराष्ट्र

इगतपुरीमे बरिआती पुरलाक बाद हमरा लोकनिक अगिला पड़ाव नासिकक समीप त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंगक नगर छल. ६० कि. मी. क दूरी. टैक्सीसँ अयलहुँ.

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्रमे तीर्थयात्री शैव लोकनिक हेतु प्रमुख तीर्थस्थल थिक. हमरा लोकनि १८ फरबरी २०२३ क शिवरात्रिक दिन त्र्यम्बकेश्वर पहुँचल रही. भक्त लोकनिक हेतु शिवरात्रि शिवालय जयबाक उत्तम अवसर थिक. किन्तु, हमरा सब भीड़सँ बचय चाहैत छी. तें, ओहि दिन दर्शन नहि कयल. एतहु MTDC Resorts मे कमरा बुक छल. एहि यात्रामे महाराष्ट्र पर्यटनक गेस्ट हाउसक गुण-अवगुणसँ परिचय करबाक नेयार छल. उत्तर भारतक स्थिति सबकें बुझले अछि. हम गुजरात, तमिलनाडु, केरल इत्यादिमे सरकारी पर्यटन गेस्ट हाउसमे रहल छी. पर्यटन विभागक गेस्ट हाउसक गुण छैक, प्राइम-लोकेशन, ऐल-फ़ैल स्थान, आ कएक ठाम तीन सितारा होटलसँ कम खर्च. किन्तु, अवगुण अनेक. साफ-सफाईक अभाव, भोजनक कमजोर क्वालिटी, कमजोर कस्टमर सर्विस आ स्टाफमे सेवा भावक अभाव. अनेक सुविधा रहितो ई सब अवगुण सरकारी उपक्रमकें हॉस्पिटैलिटी उद्योगमे प्राथमिकता सूचीमे सबसँ नीचा कए दैछ.

त्र्यम्बकेश्वर MTDC Resorts क  लोकेशन ज्योतिर्लिंगक मंदिरसँ करीब 1 किलोमीटर. सोझ रास्ता. फ़ैल स्थान, कमरा एवरेज, किन्तु, साफ़ सुथरा. किन्तु, एहिसँ आगू सब अवगुणे-अवगुण: परिसरक बीच गोड़ पचासेक युकलिप्टसक गाछ पर निरंतर लाखों पैघ-पैघ बादुर (चमगादड़) लटकल. परिसरमे सुरक्षाक देवालक अभावमे अजस्र सुगरक बेरोकटोक अबर्यात. रिसोर्टमे कैटरिंगक सुविधा नहि. फोन पर आर्डर केला पर भोजनक आपूर्ति कोनो बाहरक - पता नहि कोन- भोजनालयसँ. परिसरमे चाहोक व्यवस्था नहि. लगमे कोनो होटल-भोजनालय नहि जे जाइओ कए किछु लए आनी. कुल मिलाकए जं केवल रातिमे सुतबाक हो तं एतय डेरा ली. ताहू पर चमगादड़ आ सुगरक बीच रहए पड़त. हमरा लोकनि एतय दू राति बिताओल तें बेस असुविधाक अनुभव भेल.

एहि रिसोर्टक लगहिसँ ब्रह्मगिरिक ट्रेकिंग टूर केर बाट आरंभ होइछ. एतय बहुतो गोटेकें back पैक आ हाथमें लाठी नेने ऊपर दिस जाइ देखलिऐक.

ब्रह्मगिरि 

१९ फरबरीक अहल भोरे ज्योतिर्लिंगक दर्शनक हेतु जयबाक हेतु एकटा ऑटो १८ तारीखक दिन बुक केने रही. ऑटो ड्राइवर पाँच बजे भोरमे आयब गछने छलाह. मुदा, आधा दर्जन बेर फोन केनहुँ अयलाह. अंततोगत्वा अपनहि पयरे मंदिर धरि गेलहुँ आ ऑटो आनल.

श्रीत्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंगक मंदिर 

गर्भगृहक आगाँ 

भोरक समय. छोट इलाका. साफ़-सुथरा आ भीड़ नहि. किन्तु, शिवरात्रिक कारण मंदिर प्रवेशक सोझ द्वारक बदला लंबा रास्तासँ जाए पड़ल. खूब फ़ैल परिसर. नीक व्यवस्था. एतय स्पेशल दर्शनक टिकट मंदिरक द्वारिए लग, बीच बाज़ारहिमे छैक. मुदा, हमरा लोकनिकें टिकटक आवश्यकता नहि भेल.

मंदिरमे भक्त 

अंगनैक बीच मंदिर. दर्शन कयल. जलधरीमे शिवलिंगक कोनो प्रमाण नहि. लगैत अछि, बैद्यनाथहि जकाँ निरंतर जल प्रवाहक आघातसँ शिवलिंगक क्षरण भए गेल छनि. भीमाशंकर जकाँ एतय चानीक झाँपन नहि रहनि. एतय स्पर्श आ जलाभिषेकक मनाही छैक.

दर्शनक बाद हमरा लोकनि गर्भगृहक आगाँक मंडपमे किछु काल ले ठाढ़ भेलहुँ. फोटोग्राफीक मनाही तं सब ठाम रहिते छैक. तथापि, पुलिसक सोझाँ सैकड़ों, हं, सैकड़ों, तीर्थयात्री मोबाइलसँ फोटोग्राफी आ विडियोग्राफी कए रहल छलाह. हम ओतुका एक प्राइवेट गार्डकें पुछलिऐक, ‘हम एकटा फोटो ली ?’ ओ अनुमति देलनि तं हमहूँ मोबाइल निकालि, फोटो लेबाक सोचिते रही, कि बिजुलीक गतिसँ पुलिसक एक सिपाही हाथसँ मोबाइल छीनि लेलक. ओकर एहन अचानक फोन छिनबसँ हम स्तब्ध भए गेलहुँ. हम ओकरा मोबाइल आपस करबा ले कहलिऐक तं अनठाबए लागल. हम पहिएँ जाहि गार्डकें पुछने रहिऐक ओ ओतहि ठाढ़ छल. हम पुलिस कांस्टेबलकें कहलिऐक, ‘हिनका पुछियनु.’ ओ गार्ड जखन कहलकैक तखन हमर फोन आपस भेल. बादमें विचार कयल: बाहरी लोक आ सीनियर सिटीजन. भोरे-भोर कांस्टेबलकें किछु आमदक उद्देश्य छल होइक; लखनऊमे २००७ मे तं पासपोर्ट बनेबाक हेतु पुलिस वेरिफिकेशन ले एकटा सिपाही रम केर बोतल डेरासँ लइए गेल छल.   

एतय मंडपक नीचा, लगहि, एक सब इंस्पेक्टर सहित कएक टा पुलिस कांस्टेबल कुर्सी लगा बैसल छल. चारू कात निर्विकार फोटोग्राफी आ विडियोग्राफी चालू छल. दर्शन कयलो  पर हमर मन तिक्त भए गेल छल. भगवानक मंदिरमे बैसि भरि दिन पंडा-पुरोहित आ पुलिस सबहक सामने टाका बटोरैत रहैत अछि आ हमरालोकनि देखैत रहैत छी. किन्तु, एहि जनतंत्रमें नागरिककें एतेक हिम्मत नहि जे पुलिसकें केओ टोकय. कारण, भारतमें सरकारी तन्त्र  भ्रष्टाचारक जनक तं छीहे,  इएह नागरिकक सबसँ बड़का उत्पीड़क सेहो थिक. पुलिस-प्रशासन- आ जांच विभागक एही उत्पीड़क शक्तिक प्रयोगसँ  सत्ताधारी लोकनि विरोधीक नियंत्रण आ आ अपना ले टाका बटोरैत छथि. मुदा, ई सब एतेक सामान्य भए गेल छैक, जे जं एकरा विरुद्ध किछु बाजू तं मारि खाउ. सज्जन व्यक्ति सामने कहिऔक तं ओ अहाँकें नीक जकाँ बुझा देताह जे एना सदासँ भ’ एलैए, सब लैत छैक, इत्यादि, इत्यादि. तें, हमरा स्थान देखबामें रुचि अछि, दर्शनमे एकदम नहि. भगवानकें तकबाक काज नहि, ओ हमरा-अहाँक भीतर आ सब प्राणीमे छथि. तखन, ‘कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढे वन माहि’ ! मंदिरमे कपार फोड़बैत रहू. मूर्तिक कार्बन डेटिंग करैत रहू. एहि बेर मार्च २०२३मे, अहल भोरे चारि-पाँचक बीच, बनारस विश्वनाथक मंदिर परिसरमे दर्शन करैत श्रद्धालुक बीच,  बिना मेलाके पुलिस आ पुजारी सब मिलि तेहन रेड़ा  केने छल जे बांहिकें पसारि जं बचाव नहि केने रहितहुँ तं छातीक एक-आध पसली अवश्ये टूटि जाइत. सेहो नहि बिसरल अछि.  

त्र्यम्बकेश्वरक मंदिरमे दर्शनक पछाति बाहर आबि, ओतहि ठाढ़ भए चाह पियल. एहि ठाम आँ फल फलहरीक संग कथ बिकाइत देखलिऐक. एक ठाम दू गोट बूढ़ी पैघ-पैघ दानेदार वस्तु, गोंद कहि बेचैत रहथि. हमरा लोकनि टेम्पो पकड़ि होटल आपस एलहुँ. टैक्सी समय पर आयल. त्र्यम्बकेश्वरसँ  पुणे पाँचसँ छौ घंटाक यात्रा. बाटमे भोजन भेलैक. चारि बजे धरि पुणे एयरपोर्ट. बंगलोर डेरा पहुँचैत रातिक दस बाजि गेल. सुरक्षित दुनू गोटे घर आपस भेलहुँ से सबसँ बड़का संतोष.   

        

  

Saturday, May 13, 2023

हम्पी: विजयनगर साम्राज्यक भग्नावशेष

 

कोरोनाक भय थोड़ भेला पर हमरोलोकनिक ध्यान पर्यटन दिस गेल; एहि बेर कर्नाटक राज्यक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल, हम्पी, विजय नगर. हम्पी विश्व विरासत स्थल थिक. एतय विश्व भरिक पर्यटक अबैत छथि. हमरालोकनि हम्पी नहि देखने छी. तें एहि बेर ओतहि चललहुँ .

एतेक प्रसिद्ध साम्राज्यक गढ़ रहितो ओ नगर किएक नष्ट भए गेल, आइ वीरान किएक अछि ? इएह जिज्ञासा हम्पीमे हमर रुचिक कारण छल. एहि सबहक उत्तर इतिहासमें भेटब असंभव नहि. स्थानकें हमर प्रश्नक उत्तर तं नहि भेटत. मुदा, विगत ऐतिहासिक युगक वैभवकें अपना आँखिए देखबाक आनन्द भिन्न छैक.

रेलयात्रा बंगलोरसँ हम्पी जेबाक सबसँ सुलभ बाट थिक; बस यात्रा सेहो उत्तम. मुदा, हम टैक्सीक चुनाव कयल. Make my trip.com.  टैक्सीसँ समयक सुविधानुसार नियोजन आ टूरिस्ट स्थलमे स्थानीय टैक्सीक मोल-मोलाइसँ छुट्टी भेटल. बाटमे सेहो कोनो पर्यटन-स्थल भेटि गेल तं ओतहु देखबा-सुनबाक सुविधा. Make my trip.com क दावा करैछ जे जं  हमरासँ सस्ता दर पर बजारमे आओर कतहु टैक्सी भेटत तं पाँच गुणा टाका हर्जाना देब. अस्तु, हमरा पसिन्न भए गेल. तीन राति चारि दिन.

बंगलोरसँ भोरे विदा भेलहुँ. दूरी करीब ३८० कि.मी.  हमरा लोकनिकें यात्रामें करीब ८-९ घंटा लागल. बीचमें जलखई- पनिपियाइ आ लंच-ब्रेक. बाटमे अनेक ऐतिहासिक स्थल अबैत छैक, जेना, सिरा आ चित्रदुर्गा शहर. मुदा, कतहु विराम नहि. चित्रदुर्गा देखबाक इच्छा रहितो काते-कात निकलि गेलहुँ. मुदा, ओकर चर्चा नहि हो, से नहि.

चित्रदुर्गा आ (ओनक) ओवव्वा

चित्रदुर्गा नगर एतिहसिको अछि आ ई पर्यटनक दृष्टिऐ प्रसिद्ध सेहो. वेदवती नदी घाटीमे अवस्थित एहि नगरकें लोक महाभारत कालक हिडिम्ब आ हिडिम्बासँ जोड़ैत अछि. मुदा, जनश्रुतिक अतिरिक्त एतेक पुरान आख्यानक आओर कोनो प्रमाण पाएब असंभव; हिडिम्बाक मंदिर मनालीमे सेहो देखने छी.

विजयनगर साम्राज्यक युगमे आ ओकर पछातिओ एतय बहुत दिन धरि नायक वंशक शासक लोकनि शासन करैत रहथि, जाहिमे मत्तकरी नायक – ‘करी’ नामक मत्त हाथीकें नियन्त्रण कयनिहारक- क नाम प्रसिद्ध अछि.

इलाका पथरीला छैक. अस्तु, चित्रदुर्गामे किल्लिना कोट नामक पाथरक किला सेहो छैक; एकर निर्माण १५म शताब्दीमे भेल रहैक. नायक लोकनिक शासनकाल (१७५४ -१७७९)क ओही अवधिमे एक वीरंगना- ओनक ओवव्वा-क नाम इतिहास एहि किलाक संग जुड़ल छनि. कर्नाटक राज्यमे हुनक नाम अबक्का रानी, केलाड़ी चेनम्मा आ कित्तूर चेनम्मा सन वीरंगना सबहक संग आदरसँ लेल जाइछ. तें, दू टप्पी माता, ओनक ओवव्वा,क नाम.

जनश्रुति छैक, जखन चित्रदुर्गा किलापर हैदर अलीक सेना आक्रमण कयने छल, हैदर अलीक कोनो सैनिक किलाक देवालमे शिलाखण्ड सबहक बीच एक सेंध बाटें एक महिलाकें किलाक भीतर प्रवेश करैत देखि लेलकैक. फलतः, ओ लोकनि ओही बाटें किलामे प्रवेश करब आरंभ केलक. किन्तु, ओहि बाटें जखन आक्रमणकारी सैनिक सब प्रवेश करब आरंभ केलक, ओनक ओवव्वा ओहि समयमे इनारसँ पानि भरबा ले जाइत रहथि. ओ ओकरा सबकें अबैत देखि लेलखिन. संयोगसँ हुनका हाथमे तखन धान कुटबाक समाठ- ओनक- रहनि. बस, ओ संकीर्ण सेंध बाटें किलाक भीतर पैसैत सैनिक सबकें ओही समाठसँ मारैत चल गेलीह. किछु कालमे जखन हुनक पति भोजन क कए आपस एलखिन, तं ओ ओनक ओवव्वाकें ओतय ठाढ़ि देखलखिन. ओवव्वाक चारू कात मृत सैनिक लोकनिक ढेर लागल छल आ ओनक ओवव्वाक हाथमें शोणितायल समाठ- ओनक- रहनि. पछाति, दुनू गोटे मिलि अओरो सैनिक सबकें मारि खसओलनि; ओवव्वा पति तं किलाक प्रहरीए रहथिन. किन्तु, आक्रमणकारी सब सैनिककें मारि फेकबाक संगहि ओवव्वा स्वयं सेहो प्राण त्यागि चुकल छलीह.

चित्रदुर्गा किलाक ओ ऐतिहासिक सेंध आ किलाक भीतरक इनार आइओ हुनकाक वीरताक स्मारक जकाँ सुरक्षित अछि. ओवव्वा उचिते एतुका जनमानसमे वीरंगना जकाँ पूजित छथि.

‘होम-स्टे’क पहिल अनुभव

बहुतो ठाम अनेक प्रकारें यात्रा कयने छी. एहि बेर विचार भेल ‘होम-स्टे’ कें अनुभव करी. booking.com पर नीक ताकि, ९/१० रेटिंग वला होम-स्टे ताकल. कार तं ओतय पहुँचि गेल छल. यद्यपि, रास्ता संकीर्ण, कच्चा सन आ कचरा आ अनेरुआ कुकूर सबसँ भरल रहैक. डेरामे जयबाले सीढ़ी चढ़य पड़ैत. डेरामें भोजनक कोनो व्यवस्था नहि. भीतर आवास तं ठीके रहैक. मुदा, हमरा लोकनिकें थकमकाइत देखि युवक गृह-पति कहलनि, ‘ हमर घर अहाँ लोकनिक हेतु उपयुक्त नहि.’ अस्तु, हमरा लोकनि जे डेराकें अस्वीकार करितियैक से गृह-पति अपनहि केलनि आ हमरा लोकनिक समस्याक समाधान भए गेल. मुदा, एहि बेर ई अनुभव भेल जे जे website पर जतेक फ़िल्टर रहैत छैक, जेना, स्थानसँ दूरी, वातानुकूलित आवास, रूम सर्विस, वाई फाई, फ्री पार्किंग, फिटनेस सेंटर, जलपान, फ्री कैंसलेशन, आ हाई स्टार रेटिंग, इत्यादि, रहितो, भए सकैत अछि होटल/ होम-स्टे अहाँक हेतु उपयुक्त नहि हो. ई अनुभव सितम्बर २०२२ मे बनारसमे सेहो भेल छल. मुदा, टाकाक कोनो नोकसान नहि भेल.

फलतः हमरा लोकनि पुनः booking.com पर होटल क्लार्कमे कमरा बुक कयल आ ओतहि डेरा देल. कमलपुर संग्रहालयक ठीक सामने ई होटल, एहि इलाकाक सबसँ साफ़ सुथरा आ हम्पी भग्नावशेषक सबसँ लग अछि. एतेक लग जे टहलि कए घूमि आबि सकैत छी. संयोगसँ होटलमे कमरा खाली रहैक. सर्विस सेहो उत्तम.

हम्पी

हम्पीकें पम्पा-क्षेत्र, किष्किन्धा-क्षेत्र आ भास्कर-क्षेत्र सेहो कहल जाइछ. पम्पा ‘पार्वती’ पर्याय थिक. धारणा छैक जे जखन कामदेवक वाणसँ जगओलाक पछातिओ शिव पार्वतीकें सोझे स्वीकार नहि केलखिन, तं, पार्वती योगिनीक रूप धए पम्पा क्षेत्रक हेमकूट पर्वत लग आबि तपस्या करए लगलीह जाहिसँ  ओ शिवकें गृहस्थक जीवन स्वीकार करबाक हेतु  प्रेरित कए सकथिन. समीपक धार तहिया नदी पम्पा नदी कहबैत रहैक. आब पम्पा नामक नदी ओतय नहि भेटत. पम्पा अंततः पहिने हम्पा भेल, आ पछाति हम्पी भए गेल, जे एहि इलाकाक वर्तमान नाम थिकैक.

होटलमे डेरा देलाक बाद कनेक काल आराम भेलैक. साँझुक पहर हम पयरे सड़क पर निकलि गेलहुँ. हमरा जनैत जं कोनो पर्यटन स्थल लग छी, आ इलाका बड्ड पसरल नहि छैक, तं स्थानक नाड़ी  परीक्षाक हेतु सबसँ नीक पयरे आरामसँ चलब. पयरे गेलासँ स्थानकें नीक जकाँ देखल जा सकैछ. मुदा, आइ-काल्हि पयरे चलब बड़का खतरा मोल लेब थिक. अजस्र गाड़ी आ ड्राइविंग अनुशासनक अभाव. तखन कतय, के ठोकर मारि देत, कहब कठिन. बड़का शहर हो वा गाँओ सन पर्यटन स्थल, आइ-काल्हि पैदल चलबाक स्थान कतहु नहि भेटत. आधा सड़क पर पार्किंग. फुट-पाथ, जं होइक, तं खाधि-इंटा-पाथर आ ऊपरसँ कपड़ा-लत्ता, लटकेना  आ भोजन-जलपानक दोकान. पैदल चलनिहार अपन पयर माथ पर राखथु आ चलथु ! तें, पैदल यात्रीकें अत्यंत सावधानी चाही.

हम्पी एखनो गाँओ जकाँ अछि. मुदा, दू पहिया आ चारि पहिया वाहनक ट्रैफिक छलैक. रोड समतल, मुदा, विश्व विरासत स्थल दिस ऊपर नीचा आ घुमावदार.

होटलक लगहि बस स्टैंड. ओतहि भारतीय पुरातत्व विभागक कार्यालय. कार्यालयक परिसरकें ओगरैत तुंदिल गणेश जी. थोड़बे दूर आगू पाथरक देबालक अवशेष आ ओकर बीच हम्पी विश्व विरासत स्थलीक प्रवेश द्वार. कहियो एहि द्वार पर सैनिक रहैत छल हएत. जनसाधारण द्वारकें भयसँ देखैत दूरहिसँ प्रणाम करैत छल हएत. मुदा, आब से नहि. बिना टिकटकें राजाक डीह पर जाउ आ हुनकर चूल्हि-चिनबारक अवशेषकें धांगि आउ. कारण: सिकंदर भी आए, कलंदर भी आए. न कोई रहा है न कोई रहेगा !

तं चली आब राजाक परिसर( royal enclosure )मे प्रवेश करी.

राजाक परिसर( Royal enclosure )

ऐतिहासिक परिसरक ई भाग लोहाक गजाड़ा आ द्वारसँ घेड़ल अछि. प्रवेश निःशुल्क छैक. यद्यपि, द्वारपाल ओतय ठाढ़ रहथि, जाहिसँ लागल जे प्रतिबंधित क्षेत्रमें प्रवेश कए रहल छी. हं, ई परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित अछि. एखन धरि कोनो राजा वा सुल्तानक केओ वंशज एहि पर अधिकारक दावा नहि केने छथि.

सबसँ पहिने भीतर जाइत चौड़ा कच्ची सड़कक दाहिना भाग बेस पैघ स्नानागार- हमाम- छैक. देखलेसँ ई भवन इस्लामी वास्तुक नमूना लगैछ. बाहर अनेको खुला जंगला. भवनक  भीतर पानिक कुण्डक चारूकात बरामदा. बीचमे कमसँ कम आठ-दस फुट गहिंड़, वर्गाकार, सुखायल, सीमेंटसँ पाटल कुण्ड. लगमें कोनो आओर भवन नहि. तखन ई हमाम एतय फूट किएक, कहब असंभव. भए सकैत अछि, आवासीय परिसर ढहि ढनमना गेल होइक.

गेटसँ सोझे भीतर सोझे उत्तर मुँहे आगू बढ़ला पर  बामा कात राजकीय परिसर आरंभ होइत छैक; ऊँच-ऊँच पाथरक देबाल. मुदा, देबालक भीतर भवनक कोनो अवशेष नहि. लम्बा देबालक काते-कात कच्चा सड़क छैक. ओहि देबालक भीतर सबसँ पहिने खूब ऊँच- कमसँ  कम दू महल ऊँच- चौकोर चबूतरा- महानवमी तल (Mahanavami platform). पश्चिम दिससँ  चढ़बाक पक्का सीढ़ी. ऊपर चढ़लहुँ. लगैत अछि, ई चबूतरा असलमें मुख्य राजभवनक भग्नावशेष थिकैक, आब केवल ओकर आधार शिला मात्र बचल छैक. एहि चबूतरा पर ठाढ़ भेने सम्पूर्ण परिसरक ३६०°  व्यू देखल जा सकैछ. पैघ चबूतरा सन एहि आधारशिला पर पश्चिम मुँहे ठाढ़ भेला पर परिसरक अनेक भग्नावशेष देखल जा सकैछ.  दहिना दिस सड़क केर ओहि पार इस्लामिक भवन सब आ मीनारक दोसर परिसर. पछाति ओम्हर जायब.

महानवमी टिब्बा दहिना भागक विशाल, ऊँच चबूतरा 

बामा कात  दू टा जलाशय छैक, जाहिमे एकटा अष्टकोणीय जलाशयमे राजस्थानक बावड़ी जकाँ चारूकात सीढ़ी छैक. बावड़ीमें पानि अनबाक हेतु, भूमिसँ कमसँ चारि-पाँच फुट ऊँच, पाथरक बनल लम्बा नाला. रोमकेर एक्वाडक्टक बच्चा. रोम एक्वाडक्ट विशाल आ अनेको माइल लंबा छैक. ई सौ-दू सौ मीटर धरि हेतैक. ऊँचाई कम. मुदा, उद्देश्य एके. नगर वा किलाक भीतर पानि अनबाक व्यवस्था.

जलाशय आ पृष्टभूमिमे पानिक अनबाक लंबा नाला 

किछु आगू एकटा भूमिगत कमरा. बाट संकीर्ण. छत टूटल. एहिसँ  आगू एकटा आओर पैघ भवनक भूमि तल- पैघ चबूतरा.

आगू बढ़ैत सड़क दहिना दिस घूमैछ. कनिए दूर आगू बामा कात हज़ार राम मंदिर छैक.

हज़ार राम मंदिर

हज़ार राम मंदिर रामक मंदिर भेल. मंदिरक भीतरक मूर्ति तं गायब छैक. किन्तु, बाहरी देबाल परक असंख्य भित्ति कलाकृति, जाहिमे विष्णु आ भगवती छवि छनि, से दर्शकक हेतु प्रमुख आकर्षण थिक.  मंदिरक बाहरी देबाल पर अनेक समानांतर पट्ट पर रामायणक आख्यान आ लव-कुश कथाक कन्नड़ भाषामे वर्णनात्मक अंकनक आ अजस्र कलाकृतिक कारण एहि मंदिरकें हज़ार राम मंदिर कहल जाइछ. एकर बहरी डबल पर देवी-देवताक  हाथी, घोड़ा, सैनिक, नागरिक, नर्तक-नर्तकी, गायक-वादकक पतिआनी सेहो देखबैक. ई कलाकृति सब एहि मंदिरक विशेषता थिकैक.

हज़ार राम मंदिर बाहरी देबाल पर कलाकृति 

मंदिरक बाहरक प्रवेश मंडपक चारि स्तंभ पर विभिन्न देवता लोकनिक चित्र उकेरल छनि. मंदिरक भीतरक एक देवाल पर एक जैन तीर्थंकरक छवि सेहो छनि. हज़ार राम मंदिरक बामा भाग आ परिसरक पाछू देवालसँ कनेक हंटि कए, पाथरक भरि डांड ऊँच देवाल जकाँ सीमाबद्ध अनेक परिसर. लगैत छैक, भिन्न-भिन्न युगमे एतय राजपरिवारक आओर अनेक व्यक्ति वा पीढ़ीक आवास छल होइक. एहि परिसरमें कतहु टूरिस्ट गाइड नहि, ककरा पुछितिऐक ! 

एहि मंदिरक सामने एकटा मैदान सन इलाका छैक. एक दू टा छोट भग्न भवन आ ओकर आगू पाथरक एक बेस पैघ स्तंभ छैक. मैदानक आरंभहिमे शिलापट्ट पर पान-सुपारी बाज़ार लिखल छैक. हज़ार राम मंदिरसँ आगू बामा भाग पुरातत्व विभागक परिसरमे संग्रहालय आ कार्यालय छैक. परिसरहुमे फूटल-भांगल मूर्तिक ढेर.  किछु आगू बढ़ि कए दहिना दिस, किला सन परिसरक प्रवेश ले टिकट लगैत छैक. एहि परिसरमे  खज़ानाक भवन, सिपाही सबहकक आवासक ऊँच आ लंबा बैरक, रानीक महल तथा हथिसार छैक. बैरककेर बरामदा पर सेहो अनेक भग्न मूर्ति.

रानीक महल ,कमल महल, हथिसार, आ सैनिक बैरक 

दहिना दिस कमल महल, आ छोट सुखायल जलाशय छैक. एहि जलाशयमे भए सकैत अछि, पहिने कमल प्रभृत्तिक फूल लगाओल होइक. एहि परिसरक पूब दिसुका द्वारिक आगाँ जंगलाह परिसरमे जैन मुनिक मंदिर देखल. ओतय सुरक्षाकर्मी तं रहैक, किन्तु, कोनो मंदिरमे मूर्ति नहि. मंदिरक सामनेक भाग पर लिंटलसँ ऊपर जैन तीर्थंकरक छोट-छोट आकृतिसँ मंदिरक मूल प्रकृतिक अनुमान भेल. आपस भेला पर किलाक ऊँच देबालक बाहर आओर मंदिर सबहक परिसर रहैक. किछु हवा-बसात, पानिक कारण जर्जर आ किछु अपवित्र  भेलाक कारणें परित्यक्त.

कमल महल 

सोचबाक थिक, ईश्वरक छवि कल्पनाक विषय थिक. अपन आस्थाक अनुकूल जाहि समयमे जकर कल्पनामे ईश्वरक जे स्वरुप आएल, बना गेल. मुदा, जनिक ईश्वर निराकार छथिन, हुनका परिसरक कोन काज? भवन किएक चाहियनि? अनकर प्रतीककें तोड़बाक कोन काज ? प्रायः ई अपन अहंकारक प्रदर्शन थिक, जे देखियनु देवी-देवताक हाथ-पयर तोड़ि देलियनि आ ओ असक्त छथि. मुदा, मूर्ति आ ईश्वरक परिसरक भग्न हएब किछु प्रमाणित नहि करैछ, ने ईश्वर अस्तित्वक वा अस्तित्वक अभावक. ई मनुष्यक मूर्खताक प्रमाण थिक. कारण जं ईश्वर छथि, तं सर्वव्यापी छथि. नहि छथि, तं तखन हुनकासँ द्वन्द कोन?

एही प्रश्नक उत्तर हम बनारसमें पैसठ वर्षीय एक टैक्सी  ड्राइवरक मुँहे सुनल. ओ कहलनि, ‘ सर, मंदिर-मस्जिद, विश्वनाथ-ज्ञानवापीक सत्य ककरोसँ छिपल नहि छैक. हमहू बुझैत छियैक, अहूँ बुझैत छियैक. मुदा, जं एक ठाम बैसि सब गोटे सुलह कए लेतैक तखन राजनीतिक की हेतैक !

ई सदातनिसँ होइत एलैए. तें एहि पर माथ नहि खपाबी. पर्यटक थिकहुँ. भग्नावशेष देखू, आगू बढ़ू.

कडलेकलु गणेश विरूपाक्ष मंदिर आ तुंगभद्रा नदी

राजकीय परिसरसँ बहराकए पुनः सड़क पर अयलहुँ. एक आध किलोमीटरक आगाँ सड़क घुमावदार आ ऊपर-नीचा होबए लगलैक. सड़कक कातमे पैघ-पैघ शिलाखंड. बामा कात मंदिर परिसर. आगूमे पाथरक बनल बड़का मंडप. भीतर अंगनैक आगू पूब मुँहे गणेश जीक मंदिर. हिनक नाम थिकनि, कडलेकलु गणेश. कारण, हिनक पेट साधारण चनाक दाना सन छनि. कन्नड़मे काबुली चनाक दानाकें कडलेकलु कहैत छैक.

आक्रामक सब गणेशजीकें धूरा बनेबामे सफल तं नहि भेल, मुदा, हुनक सूंढ़कें क्षतिग्रस्त देने छनि. संयोग एहन जे ओहि बाहुबली लोकनिक तं एतय आइ  नामोनिशान नहि छनि, मुदा, एतय जे अबैत अछि, ओकरा सबहक समक्ष बीतल दिनक कुकृत्य मूर्तिमान भेल चिरस्थायी भेल अछि ! जेना कहैत छैक, कीर्तिः यस्य सः जीवति. तहिना किछु कुकृत्य सेहो चिरस्थायी भए जाइछ, आ एहन शासक वा सैनिकक कुकृत्य स्वयं शिलालेख बनि जाइछ!

गणेशजीक मंदिर लगसँ पर्यटक लोकनि मेला बढ़य लगलैक.  स्थानीय पुलिस गाड़ीकें आगू जेबासँ मना करैछ. मुदा, हमरा सेनाक अधिकारी बूझि आगू जेबाक अनुमति देलक. धन्यवाद. ओहिसँ करीब आध माइलक पैदल यात्रासँ बचलहुँ. शरीर जं स्वस्थ नहि हो, तं प्रत्येक डेग भारी पड़ैत छैक.

 विरूपाक्ष मंदिरक समीप तुंगभद्रा नदीक घाट 

आगू तुंगभद्रा नदीक कछेर छैक. मुदा, भूमि पैघ-पैघ शिलाखण्डसँ  भरल. भूमि समतल नहि तें नदी देखबामे नहि आयल. सड़क बामा दिस मोड़ लैछ आ नदीक समानांतर भए विरूपाक्ष मंदिर दिस जाइछ. मंदिरक द्वारि धरिक चौड़ा बाटक दुनू कात पाथरक बनल मंडप सबहक लंबा पतियानी. अवश्य ई दोकान दौड़ीक परिसर छल हेतैक. कारण, विजयनगर अपन उत्कर्षक युगमे राष्ट्रीय आ अंतर्राष्ट्रीय व्यापारक प्रसिद्ध केन्द्र छल

विरूपाक्ष मंदिरक बाट आ समीपक ऐतिहासिक बाज़ार 

विरूपाक्ष शिव थिकाह. देखबामे विद्रूप. शिव ओहुना image concious नहि छथि. हुनका आवेशसँ  देवता लोकनिक हिप्पी कहि सकैत छियनि. मुदा, एहि मंदिरक शिवक की विद्रूपता छनि से एखन देखब बाँकी अछि. मंदिरक गोपुरम खूब ऊँच. भव्य. परिसर पैघ. बानरक आधिक्य. मंदिर परिसरक दहिना कात पाथरक बीच पैघ पोखरि. नीचा करीब सौ सीढ़ी उतरि तुंगभद्रा नदी. एखनि एतय बाढ़ि नहि. लोक यत्र-तत्र नहाइत छल. नदीक बीचमे विशाल शिलाखण्ड  सब पर अनेक शिवलिंग आ नांदी. एहि ठामसँ दक्षिण तुंगभद्रा पर बड़का डैम छैक, अस्तु, पानिक बहाव नियंत्रित छैक. जाहि ठाम नदीमे पानि बहाव बाधित होइछ, ओतय पानिक प्रदूषित हएब निश्चित. तथापि, नदीमे पयर धोअल. जलक स्पर्श कएल. ई हमरा लोकनिक सांस्कृतिक बानि थिक. ऊपर आबि विरूपाक्ष मंदिर देखल. मंदिरक भीतर एकटा रोचक वस्तु देखल; एक व्यक्ति कहलनि जे भीतर कमरामे जाउ, गोपुरमक छवि देखबैक. सत्ये, Pin-hole कैमराक असरिसँ पुबरिया गोपुरमक उलटा छवि देखल.   परिसरक भीतर आ तुंगभद्रा नदी दिस जाइत बाट पर मे अओरो अनेक देवी देवताक माध्यम आकारक मूर्ति सब छनि.

विरूपाक्ष मंदिर परिसर 

तुंगभद्रा नदीक दोसर पार, अनेगुड़ी नामक गाँओ धरि जयबाक हेतु एतयसँ किछु दूर, कमलपुर होइत एकटा पैघ पुल- बुक्कासागर अनेगुड़ी पुल- छैक. पुलकेर दोसर पार, सड़कक काते-कात चाकर समतल भूमि, धानक हरियर कचोर खेती, ताहिसँ हंटि कए  आगू छोट पहाड़ी आ नारिकेरक गाछ  सब. पिक्चर पोस्टकार्ड जकाँ. सड़कक बामा कात बाटें अंजनेय पहाड़ पर चढ़बाक बाट. जनआस्थाक अनुसार प्रायः ओएह पहाड़ हनुमानजीक जनस्थान थिकनि.

लगैत अछि, पहाड़ पर चढ़बा आ उतरबा लेल  दिन भरिक कार्यक्रम चाही. अस्तु, हमरा लोकनि अंजनिपुत्रकें दूरहिसँ प्रणाम कयल. एहिसँ आगू अनेगुड़ी गाम छैक. आबादी थोड़. सेहो सड़कक काते-कात. बाँकी हरियर कचोर धनखेती, आ नारिकेरक गाछ सब . बीच-बीचमें बाँस आ काठसँ बनल घर सब. मुदा, कतहु वाणिज्य-व्यापार आ पर्यटकक चाल नहि. सुनल छल, एम्हरुका इलाकाकें हिप्पी द्वीप कहैत रहैक. पहिने हिप्पी द्वीप माने, आनन्दहि, आनन्द. मुदा, आब लगैत अछि, स्थानीय लोकक दवाब पर एम्हर पर्यटकक आवास आ मनोरंजनक व्यवस्था पर रोक छैक.  ओना हम्पीक इलाका आ विरूपाक्ष मंदिर दिससँ लोक पहिने विशाल पथियाक आकारक बाँससँ नाओ (coracle) पर नदी पार कए एम्हर अबैत छल. मुदा, एखन से नहि देखलिऐक. नदीमे पानि एकदम कम. नदीक पेटमे पैघ-पैघ शिलाखण्ड. बीच-बीचमे घास आ झाड़-झंखाड़क जंगल जकाँ. डैम नदीकें  नाला बना दैछ. भए सकैत अछि, कतहु कतहु बाँससँ नाओ चलितो होइक. मुदा, ओहि पर चढ़ब हमरालोकनिक प्रोग्राममे नहि अछि. अस्तु, टैक्सीसँ अनेगुड़ी गाँओ गेलहुँ. इलाका देखि लेल. दूरहिंसँ  अंजनेय पहाड़क फोटो घिचल आ आपस भए गेलहुँ.

उग्र नरसिम्हा

उग्र नरसिम्हा मूर्तिक परिसर एतुका तेसर आकर्षण थिक. उग्र नरसिम्हाक बाटमे, रास्ताक दुनू कात कुसियार आ केराक खेती. पाथरसँ भरल एहन भूमि आ ताहिमे कुसियार आ केराक खेती. भूगर्भक आन्दोलनक कमाल; बड़का-बड़का पाथरक बीच माटियो छैक. ओना जे आइ माटि अछि, हज़ारों वर्ष पहिने पाथर छल हो. वा आइ जे गाछ आ माटि अछि, हज़ारों साल बाद पाथरमे परिवर्तित भए जाय. केवल तापमान, दवाब, वायु आ पानिक योग वा अभाव पृथ्वीक स्थानीय स्वरुप निर्धारित करैछ. पृथ्वीक ओही स्वरुप, गुण आ उत्पादकें देखि मनुख कतहु बसैत गेल, कतहुसँ उजड़ि गेल. फल आँखिक आगूए अछि: गौरवमय विजयनगर साम्राज्यक राजधानी आइ मात्र भग्नावशेष अछि. आस-पासक इलाका छोट-सन शहर अछि. मुदा, तुंगभद्रा ओहिना बहैत छथि. हुनके बले दूर-दूर धरि जीवन पलि रहल अछि. जले ले मारि भए रहल अछि.

उग्र नरसिम्हा 

नरसिम्हा मंदिर धरि जेबा ले, मंदिरक आगू करीब २०० मीटर लम्बा सोझ मार्ग छैक. भए सकैत अछि पहिने एहि बाट पर आश्रय जकाँ छल  होइक. नरसिम्हाक मूर्ति सेहो परवर्ती विजेताक रोषक शिकार भेल अछि. हाथ पयर टूटल. मूर्ति पर लागल करिखा आगि लगबाक प्रमाण थिक. मूर्तिक टूटल अंग सबकें जोड़ि मरम्मतिक हेतु हाथ-पयरक बीच पाथरक बन्हन लगाओल छैक. मुदा, मूर्ति एतेक पैघ आ पाथर एतेक बज्र सन छैक जे आक्रामक मूर्तिकें तोड़बाक प्रयास तं केलक, मुदा, हारि मानि लेलक; मूर्ति यथावत् देखबैक.

श्री विजय विट्ठल (विष्णु) मंदिर आ गरुड़ मंडप

श्री विजय विट्ठल (विष्णु) मंदिर एतुका पैघ मंदिर सब म सँ  एक थिक. एकर निर्माण पन्द्रहम शताब्दीक थिक. पछाति, कृष्णदेवरायाक अमलमे एहि मंदिरक विस्तार भेल छल. एहि मंदिरक वर्तमान स्वरुप ओही समयक थिक.

हमरा लोकनिक संगे आयल टैक्सीकें विट्ठल मंदिरसँ करीब १ मील दूर सवारी पार्किंगमे छोड़ए पड़ल. ओहिसँ आगू बैटरी पर चलैत गोल्फ-कार्ट पर चढ़ू आ आगू जाउ. नीक व्यवस्था. पतिआनीसँ चढ़ू, ओहिना उतरू. एके टिकट पर जयबाक आ अयबाक. मदिरक दर्शनक पछाति गोल्फ-कार्ट स्टैंड पर गाड़ी भेटत, कार-पार्किंग धरि आपस आउ.

मंदिरसँ पहिने करीब एक किलोमीटर लंबा दो बगली बाज़ार, सुनैत छी, पहिने ई विट्ठल बाज़ार कहबैत छल . पाथरसँ बनल. सुनैत छी पहिलुका युगमें विजय नगरमें दूर-दूर प्रदेश, आ समुद्र पारसँ व्यापारी सब विजयनगर अबैत छल जाहिमे पुर्तगाल आ अरब धरिक व्यापारी आबथि. वस्तु जातक व्यापारक अतिरिक्त एतय अरबी घोड़ा सेहो अबैत छल. संभव अछि, एहि मंदिर बाज़ारक अनेको आश्रय घोड़सार छल हो. भीतर मंदिरक देबाल पर घोड़ा बेचैत विदेशी व्यापारी लोकनि चित्र सेहो उकेरल अछि.

श्री विजय विट्ठलमंदिरक एक फलक 

ई मंदिर सुंदर तं अछिए, प्रसिद्ध सेहो अछि. मंदिरक अतिरिक्त एहि परिसरमे अनेक मंडप- महामंडप (सभा मंडप), रंग मंडप, कल्याण मंडप, उत्सव मंडप- आ पाथरक एकटा पैघ रथ अछि.   मुदा, विट्ठल मंदिर परिसरक रथ एतुका सबसँ बेसी प्रसिद्ध स्थापत्य थिक. पूर्वी  गोपुरम बाटें मदिर परिसरमें प्रवेश करिते सबसँ पहिने पाथरक विशाल रथे आकृष्ट करत. पाथरक ई विशाल रथ हम्पीक प्रतीक जकाँ विश्वभरिमे प्रसिद्ध अछि. वस्तुतः ई रथ- गरुड़ मंडप-  सेहो एकटा छोट मन्दिर थिक जाहिमे गरुड़ स्थापित छथि. रथक पहिया सब सेहो पाथरहिसँ निर्मित अछि. समयक संग होइत नोकसानक कारण रथमे प्रवेश वर्जित छैक. भारतमे कोणार्कक सूर्य मंदिर आ महाबलिपुरम मे सेहो पाथरक रथक स्थापत्य छैक, से देखल अछि.


गरुड़ मंडप, गोपुरम, आ रंगमंडप  

मुदा, श्री विजय विट्ठलक मंदिर मूर्तिक बिना उदास अछि. कारण, कें दोहरएबाक कोन प्रयोजन. एहि ठाम एक टा गाइडकें संग केने रही. हज़ार टाका लेलनि. ज्ञान किछु नहि भेल. किन्तु, कहलनि जे एतुका विट्ठलक मूर्ति आइ-काल्हि महाराष्ट्रक पंढरपुर मंदिर मे छनि. एहि तथ्यक जांच-पड़ताल करए पड़त.

श्री विजय विट्ठल मंदिर आ आगाँक हॉल जर्जर छैक. सुनैत छी एतुका सभा मंडपक स्तंभ पर प्रहार केने सा-रे-गा-माक ध्वनि बहराइत छैक. मुदा, एखन ओहिमे पुनर्निर्माण चलि रहल छैक. स्तंभ पर प्रहार सेहो वर्जित छैक.

 मंदिरक सोझाँ ठाढ़ भेला पर बामा कात एकटा पैघ मंडप छैक. मंडपक स्तंभ सब पर अनेक हाथी आ एतुका प्रसिद्ध यालीक मूर्ति देखबैक. याली ओ काल्पनिक जन्तु थिक जकर मुँह सिंह जकाँ आ शरीर घोड़ा जकाँ होइछ.

एहि परिसरमें गुलेंच (Plumeria) फूलक एक पैघ गाछ  देखल. लगैत अछि, ई बूढ़ा बड्ड पुरान छथि. मुदा, कतेक पुरान से वनस्पति वैज्ञानिके कहि सकैत छथि.

एहि ठाम हम्पीक मंदिर सब पुरान छैक. मुदा, विरूपाक्ष मंदिरक अतिरिक्त आन ठाम पूजा पाठ नहि होइछ. तें एतय पंडा पुरोहितक मेला नहि. खरीद बिक्रीक सामान नहि. ओ सब वस्तु प्रायः शहरमे क्युरियो आ एम्पोरियम मे भेटैत होइक. हमरा लोकनि यद्यपि पुरातात्विक अवशेषक लग डेरा देने रही, तथापि, शहरक बाहर छी. एम्हर क्युरियो आ एम्पोरियम सेहो कतहु नहि देखलिऐक.

हम्पी पुरातत्व संग्रहालय

क्लार्क होटलमे रहने सुविधा जे एतुका संग्रहालय होटलक ठीक सामने छैक. हम ओतहु गेलहुँ. संग्रहालय मोटा-मोटी परिचयात्मक थिक. प्रवेश करिते पहिने कृष्णदेव राया(राजा)क परिवारक आदमकद मूर्ति सब. बामा कात पुरातात्विक अवशेषक वीथी. आगू अस्त्र-शस्त्र, आभूषण, मुद्रा इत्यादिक संकलन. एहि भवनक बीचक छोट अंगनै सन मंडपमे हम्पी क्षेत्रक भौगोलिक मॉडल, जकरा सेनामें सैंड-मॉडल कहैत छैक. एहि मॉडलसँ हम्पी क्षेत्रक भूगोल-नदी-पर्वत- आ मुख्य-मुख्य अवशेष स्थलक- परिचय भए जाइछ. तें, नीक ई जे होटलमे डेरा दितहि पहिने एहि संग्रहालयक एहि भौगोलिक मॉडलकें देखी आ तखन समय आ रुचिक अनुकूल भ्रमण करबाक योजना बनाबी.

उपसंहार

कोनो पर्यटन स्थलक भ्रमणक करब आ ओकरा कतेक देखि आ बूझि सकैत छी, से रुचि, समय, पौरुष आ विषयक ज्ञान पर निर्भर करैछ. हमरा इतिहासमे रुचि अछि. मुदा, इतिहासक ज्ञान सीमित अछि. समय सीमित छल. शरीरें स्वस्थ छी. स्थापत्य, कला, संगीत, चित्रकला आ वास्तु विज्ञानक ज्ञान नगण्य अछि. अस्तु, विजयनगर सन वैभवशाली स्थलकें सीमित समयमे पर्यटक जकाँ संक्षेपमे देखल. मुदा, हमर देखल स्थान सबहक वर्णन एतुका ऐतिहासिक स्थलक चतुर्थांशोक विवरण नहि. ई प्रमुख स्थल सबहक संक्षिप्त विवरण थिक. तें, नीक तं ई जे कतहु जेबासँ पहिने स्वयं ओहि स्थानक विषयमे पढ़ी-गुनी. थोड़ बहुत अध्ययन तं हमरोलोकनि करिते छी. मुदा, से पर्याप्त नहि. विजयनगरक वर्णन ऐतिहासिक पर्यटक इब्न बतूता, आ १६म शताब्दीक पुर्तगाली व्यापारी-पर्यटक डोमिन्गो पेस (Domingo Paes) एवं फ़र्नाओ नुनिज़ ( Fernao Nuniz) क वृत्तांतमे तं अछिए, विजयनगरक विषयमे एखनो लेखक लोकनिक रुचि थोड़ नहि भेलनि-ए. सलमान रुश्दीक नवीनतम उपन्यास Victory City (विजयनगर) विजयनगर पर नवीनतम उपन्यास थिक. अस्तु, समय भेटने हम्पीकें अपना आँखिए देखी आ अनुभव करी आनन्द उठाबी. किन्तु, देखी अवश्य.    

Saturday, April 22, 2023

समाङ (लघु कथा) : विश्व पृथ्वी दिवस पर विशेष ( पुनर्प्रकाशन )

समाङ

अपन बाड़ीमे, विशाल सिनुरिया आमक गाछक ठाम पैघ खाधि देखि कय दुखमोचनकें तेहने पीड़ाक अनुभव भेलनि , जेहन पीड़ा लोककें कोनो आप्त व्यक्ति क साराक नव माटिपर रोपल तुलसिक गाछ देखिकय होइत छैक. कतय चल गेलैक विशाल , चतरल आमक गाछ , ओकर सघन छाया आ बसातक तरंगपर हिलकोरैत डारि ? सिनुरिया आमक गाछक वार्षिक जीवन-चक्र , नान्हिएटा सं दुखमोचनले ऋतु-परिवर्तन , आनन्द-उल्लास , आशा-निराशाक कारण बनैत छलनि .   गाममे वसंत ऋतुक आगमनक सूचना सिनुरिया आमक मज्जरे दैत छलैक . सरस्वतीक पूजा हेतनि , पूजामें मज्जर हेबेक-टा चाही , विहित छै . मुदा भेटत कतय ? सब वर्ष , दुखमोचने अपन गाछक नमरल डारिसं चोरा-नुका कय मज्जर तोडि संस्कृत पाठशालापर पहुँचबैत छलाह . केओ चेतन देखितथिन , दमसबितथिन - हां, हां , सबटा मज्जरे  उजाडि लेबै तं आम कतयसँ  फड़तै ? मुदा दुखमोचन ले धनि सन !आखिर भक्तिक सवाल रहै , गुरु आ सरस्वती दुनूक .गुरूक इच्छा शिष्यक कर्तव्य . सरस्वतीक  पूजा विद्यार्थीक धर्म .                                

सुन्नबाड़ी आ भकोभंड अंगनाक कोनटा लग दुखमोचन अकस्मात ठमकि गेलाह, आ ओत्तहिसँ चारुकात अखियासैत , एखुनका दृश्यकें  अपन बाल्यकालक स्मृतिसँ पर-दर-परत मिलबय लगलाह . अंगनाक पछ्बरिया-उतरबरिया कोनटा लगक दड़िम्मा लतामक गाछ . पछ्बरिया बाड़ीक शरीफा सबहक गाछ , आ दलानपर आमक गाछपर लतरैत , पानक अजस्र लत्ती . सबटा तं बिला गेल छलैक . मुदा तें की ? गाममे आओर बहुत किछु तं बदलि चुकल छलैक. माय-दादा, लाल काका ,काकी लोकनि , आ किछु संगी-साथीसब  सेहो .केओ गाम छोडि देलनि , केओ दिवंगत भए गेलाह . मुदा सब किछु दुखमोचनकें मोने छनि . मुदा, एतेक दिनक पछातिओ सिनुरिया आमक गाछक ठाम खाधि देखिकय जतेक विस्मय आ कचोटक अनुभव भेलनि-ए , ततेक कथूसँ नहि .सिनुरिया आमक गाढ़ हरियर रंग आ नकुब्बा आकृति , पकैत कालक , ओकर उपरका दिसुका सिनुरिया लाली आ पेन  दिस, सरिसबक दाना सन पीयर रंगमे मिझड़ायल हरियरी , जखन दुखमोचनकें मोन पड़लनि तं लगलनि , जेना सुपक्क सिनुरिया आमक एक कतरा अनायासे केओ खोआ देने होइनि . मुदा, से तं स्मरण मात्रे छलनि ; सत्य छलैक , सिनुरिया आमक गाछक ठाम मुँह बओने खाधि ! तथापि ,दुखमोचन मोने-मोन सोचय लगलाह , ओ तं सिनुरिया आमक गाछ छलैक , परिवारकसमाङतं नहिं .तखनि कथीक पीड़ा ? आखिर , मनुष्यो तं एक दिन मरिए जाइछ . तहिना गाछ-वृक्षहु तं  सुखाइत अछि , खसि पड़ैत अछि , कदाचित ओहिपर ठनका खसि पड़ैत छैक . अक्तेको वर्ष भ’ गेलैक , दुखमोचन सिनुरिया आमक एको कतरा कहाँ खेलनि-ए . गामोमें कतेको तं चिन्हल जानल , परिचित गाछ छलै - आमक गाछ , बड़क गाछ ,पाकडिक गाछ , पीपरक गाछ . जेना , उलुआ पाकडि. बाटक कातेमें तं रहैक . ओकर छाहरि में कतेक बैसाड आ बात-विचार भेल हेतैक . मुदा कतय गेलै ककरा मोन छै ? ठेंगीझा गाछीक लडूबबा , नकुब्बा ,केरबी , मिश्री भोग , बम्मैया ,धुमनाहा , पीरी ,सुरसुरहा , सब तं कटि गेलैक . बड़की नरै में ट्रेक्टर चलइए . भोलीबाबूक गाछी आब ओही गृहस्थ सब टाकें मोन छनि जनिकर ओतय खेत-पथार छनि .बोनही गाछीक नाम , टोल-पड़ोसक मौगीसब श्रापे टा दैले लैछ ; 'बोनही गाछीमें डाहि एबै'. आब गाममें तकनहु , जर्दालू , दोफसिला , राढ़ी , कतिकी , सीपिया, सुकुल कतय पाबी ? सब बिला गेलै.

कमला कातक बड़का तेतरिक गाछ .जेठ बैसाखक रौदमें कतेक हरबाह -चरबाह आ इसकुलियासब तेतरिक छायामें सुस्ताइत छल . तेतरिक गाछकें कमलाक धार बहाकय ल गेलीह कि केओ काटिकय डाहि-जारि लेलक , ककरा मोन छै !कतय गेलैक बन-बहेड़क गाछ सब ? कतय गेल बकुलक गाछ ? अंगनाक कोनटा लग ठाढ़े-ठाढ़ दुखमोचनकें मनकथा लागि गेलनि . सोचय  लगलाह , सिनुरिया आमक गाछसँ हमर कोन सम्बन्ध ? मनुक्खक संग तं सोणितक सम्बन्ध होइत छैक , सामाजिक सम्बन्ध होइत छैक , दोस्ती-दुश्मनी होइत छैक , कुटमैती होइत छैक . मुदा ई कोन सम्बन्ध थिक जे आमक गाछ्ले हमरा उद्वेग लागि रहल-ए; आ हम एना व्याकुल भए रहल छी .

टखने मोन पड़लखिन दिवंगत माता , आ हुनकर काग-भुसुंडी ! माय कहने रहथिन , एकटा कुआ , नित्तः चूल्हि में पजार पडिते ओसरापर आबिकए बैसि जाइत छलनि . माता , संल चिक्कसक एकटा लोइया उठाकय ओसाराक कगनी पर राखि दैत छलखिन . कौआ चिक्कसक लोइयाकें लोल में लैत छल आ उड़ि जाइत छल . भोर आ साँझ, नित्तह  एके बानि . कतेक वर्षक पछाति , एकाएक , ओहि कौआक आयब बन्न भ गेलनि . नहि जानि , कतेक दिन धरि माता कें कौआक उद्वेग लगनि . माय कहने रहथिन , ' बौआ , एकठाम रहने , चिड़ै-चुनमुनी सेहो चिन्हार भए जाइत छैक .सीता बौआसिन कहने रहथि, भनसा घरक चारक मधुमाछिक छत्ता सेहो हुनकर पड़ोसिया भए  गेल रहनि . मधुमासक पछाति जखन कड़ोडिया सब , छत्ता काटिकय मधु निकालि दैत छलनि आ मधुमाछीसब जहिं -तहिं , दहो -दिस उडि जाइत छलै तं बौआसिनकें कछ्मछी होमय लगैत छलनि . तें पछाति ओ ककरो मधुमाछिक छत्ता काटय नहि देथिन .

दुखमोचनकें , क्रमशः , आब अपन कछ्मछीक उत्तर भेटि रहल  छनि .                   

एक वर्ष, जखन दुखमोचन छोटे रहथि , बाडिक सिनुरिया आमक गाछ खूब मजरल रहै. सबहक मोनमे उत्साह ; खूब आम फड़त. फडबो कलै. अजस्र . मुदा बशाखहिं मासमें तेहन ने पानि -बिहाडि-बिजलोका भेलै , आ पाथर खसलैक जे गाछकें टिकुले झाड़ि कय सुन्न कए देलकै. ओहि बरखा बिहाडिक पछाति सिनुरिया आमक गाछतर झडल टिकुलाक पथार लागि गेल रहै .दुखमोचन तहिया नेने रहथि .भोरे उठलाह तं अनायास , गाछतर टिकुलाक पथार देखिकय मोन हुलसि उठलनि . कहलखिन - माय , कतेक आम ! माय कहलखिन - बस , भ’ गेल . खेबा ले आब किछु नहि रहलह . की पकतै, आ की खयबह ! मायक गप्प सुनिते , दुखमोचन हँसिते , हँसिते कानय लागल रहथि . माय कहलखिन -'बताह छह ! ने पोखरि कहियो माछसं सुन्न होइत छैक , आ ने आमक गाछ आमसँ . किछु फल तं हेबे करतै .

-सत्ते ?

-सरिपहुं .

दुखमोचनक लटकल मुँहपर क्षणहि में मुसुकी छिटकि आयल रहनि , जेना, घनगर मेघक बीच एकाएक रौद आबि गेल होइ . कहलखिन - ' माय, तखन तं काल्हि मचकी अबस्से लगेबै. मुदा गाछक नीचाक जंगल तं छिलबहि पड़तउ . माय कहलखिन -' बड बढ़िया . मुदा एखन चंग नहि करह .'

किछुए दिनक पछाति आर्द्रा नक्षत्रमें  भगवतीक पातडि पड़ल छलनि . सब केओ भरि-पेट खीर सरपेटि कय दुपहरियामें लोट-पोट करैत छलाह . मुदा, दुखमोचनक आँखिमे निन्न कतय ! सिनुरिया गाछक डारि आ मचकीएमे जान बसैत छलनि . अकस्मात , भट-दए  एकटा आम खसलै. बिछल आम हाथमें नेने माय लग दौगलाह - 'माय आम काटि दे .'

माय कहलखिन- 'किन्नहु नहि . कौआक खोधल आम कतौ खाइ .' दुखमोचनकें मन पड़ैत छनि, अपन मुँह लटकि गेल रहनि . माय बूझि गेल रहथिन .कहलखिन- 'बताह छह ! ख़ुशीक गप्प बुझलहक ? '

-की ?

-'सिनुरिया आम पाकब शुरू भ गेलै !हप्ता-दस दिन में भरखरि भ’ जेतैक . कतेक खेबह !'

-सत्ते ?

-तं, की ! आ दुखमोचन हाथक आमकें ओसारहि पर छोड़ि  , दोस्त-महिमक हाक पर , खेलेबाले भागि गेल रहथि . दुखमोचनकें सबटा मोने छनि. दूसरा वर्गमे पढ़इत रहथि . हिन्दीक पोथीमे एकटा पाठ  रहै , 'पेड़-पौधे भी हँसते-रोते हैं '. दुखमोचन स्कूल सं घूरिकय अयलाह  तं मायकें पुछलखिन - 'माय, सत्ते गछो-बिरिछ कनै-हँसै छैक ?'

-त !

-तखन लोक गाछ बिरिछ किएक कटै छै ?

-की करतै ? जारनि-काठी तं चाहियै. लोक घरो-घरहट कोना करत ? मुदा गाछ कटैमें लोककें मात्सर्य तं लगिते छैक . देखै नै छहक ,गाछ कटबासँ पहिने कुड़हरिबाह सब गाछकें गोड लगैत छैक . बड-पीपर तर लोक पूजा करैये. बड-पीपर-पाकडि-धात्रीक जारनि नहि डाहइए .असलमे गाछो-वृक्ष तं मनुक्खेक भाई-बहिन थिकै; ओकरे बालें तं लोक जिबैये .

दुखमोचनकें भेल रहनि माय बेजाय तं नहि कहैये . कहलखिन , 'तखन तं हमहूँ जे सिनुरिया आमक डारिमे मचकी लगौने छियैक तहू सं गाछक डारि कनकनाइत हेतै ? मायकें हँसी लागि गेल रहनि . कहलखिन -'नहि .तों नेना छह , फूल सन  हल्लुक. हमरा कान्हपर चढ़इत छह तं हमरा नीके लगइए किने.' दुखमोचन कहलखिन- 'तं , कन्हापर चढ़ा ले.' आ स्वयं छरपि कए मायक कान्हपर चढ़ि गेल रहथि .

अंगनाक कोनटालग  ठाढ़े-ठाढ़ , दुखमोचनक स्मृतिक जेना एकाएक खूजि गेल रहनि . मोन पड़लनि , जेना-जेना अपने बढ़इत आ पढ़इत आगू बढ़इत गेलाह , सिनुरिया आमक गाछ बुढ़ाइत गेल छलै . ताहि परसँ बरखे-बरख कमलाक बाढ़ि गाछक सिरसबकें जगा जाइत छलै . पहिलुका गुदगर सिनुरिया आम , आब, ढेर सोनाः होमय लागल छलै. तखन फेर जखन काज करतेबता होइक , जारनिक काज होइक , तं सबसँ लग तं सिनुरियेक गाछ . एक डारि काटि लाउ ; आमक जारनि काँचहु जरैत छैक . फलतः , गाछ ठूठ होइत गेलै आ फल थोड़ .सिनुरिया आम गाछ जेना गामक कोनो बुढ़ा होथि ; बेर-बेगरतामे आवश्यक, मुदा, मोटा-मोटी अकार्यक ! क्रमशः दुखमोचनकें गाम छूटि गेलनि . दोस्त-मित्र ,काकी-भौजी , बहिन-भाइक प्रीति जकाँ सिनुरिया आमक फल सेहो बिसरैत गेलनि . पछाति , भाइ-भैयारीमे जखन डीह-डाबरक बंटवारा भेलनि तं ककरो हिस्सामे कटहरक गाछ पड़लै तं ककरो शीशो-जामु . दाड़िम-नेबो-लताम तं सुन्न अंगनासँ लोक पहिनहि उजाड़ि नेने रहैक . सिनुरिया आमक गाछ भले किनको हिस्सामे पड़ल छलनि , दुखमोचन कतेक बेर मोनहिं-मोन निआरने हेताह , एक बेर , नवगछुली कलमबाग़क आम खयबाक लाथे गरमी छुट्टीमे अपन सन्तान लोकनिकें गाम अनताह . सिनुरिया आमक गाछतरक जंगल छिलाकय , मचकी लगबौताह आ शहरू धिया-पुताकें आमक गाछक डारिसँ मचकी झुलौताह आ कहथिन -' देखह, सिनुरिया आमक डारि आ मचकी . मुदा , से नेआर कहियो सफल नहि भए सकलनि.

एहिबेर कतेक वर्षक पछाति , संयोगहिसँ , गाम अयलाहे तं खाधि देखिकय क्षुब्ध भए गेलाह . पयर लोथ भए  गेलनि . सुन्न अंगनाक दरबज्जापर मोटरगाड़ी लागल देखि पड़ोसिया कुशेश्वर अंगना पैसि आयल छलाह .दुखमोचनकें एकहि ठाम ठमकल देखि पाछूसँ हाक देलखिन - 'दुखमोचनजी ?'

दुखमोचन पाछू उनटिकय  देखलथिन तं बाल-सखा कुशेश्वर ठाढ़ रहथिन . दुखमोचनक मुँहसँ हठात्  प्रश्ने बहरयलनि - ' सिनुरिया आमक गाछ कटि गेलै ? कतेक मचकी झुलइत रही, कतेक आम बीछैत रही हमरा लोकनि .'

-'हँ , ठूठ गाछ , हद्दे बुढ़ा गेल रहै . दू-चारि टा फड़ितो छलैक तं सुरुंग पर . ताहिपर मारि घोड़नकेर छत्ता . के चढ़त, आ के तोड़त आम . बौआ कहै छलाह जे ऐ गाछमे जे किछु फड़ितो छलैक , कौए-लुक्खीकें पटि होइत छलै . आब तं , की कहू , कुम्हारो गाछ नहि चढ़इत छै . हमर अपन आमक गाछ सबपर जहत्तर-पहत्तर बाँझी छारि देने छै . मुदा, कटैले केओ तैयार नहि . पहिने तं कुम्हारसब बाँझी कटैले ओदौद करैत रहै छलैए . मुदा आब तं बोनियोपर केओ तैयार नहि हयत .आब तं किछु नहि रहलै पहिने जकाँ . कुशेश्वर जखन सब किछु कहि  गेलाह तं दुखमोचन बजलाह - से तं ठीके . मुदा सिनुरिया आमक गाछ तं हमरा लोकनिक बाल-सखा छल , बूढ़-पुरान आ घरक समाङ जकाँ छल . नेनपनक कतेक गप्प सुनने हयत , आ कतेक रहस्य-रोमांचक सहभागी छल .'

-ठीके. मुदा से आब लोक सोचतै तं लोककें पार लगतै . देखै नै छियैक , बड़का छौ-लेन रोड, हनुमानी मिसरक पोखरि तं भरिए देलकैक संगहि नरनाथबाबूक कलम कें सेहो गीड़ि  गेलै. आ गाछ-बिरिछक कोन छै. जखन मनुक्खेक जीवनक कोनो ठेकान नहि, तखन गाछ-बिरिछले  लोक कतेक झखत. मूड़ी उठायक दुखमोचन , कुशेश्वर मुँह दिस दृष्टि घुमौलनि तं भेलनि जेना अनचिन्हार मनुक्खक मुँहे कोनो अनटोटल गप्प सुनि रहल होथि .मुदा, कुशेश्वर निर्विकार भावें , भावशून्य जकाँ गप्प द’ रहल छलाह. 

साभार: मिथिला दर्शन, कोलकाता   

  

Wednesday, April 5, 2023

मणिमेखलै महाकाव्य: मादवि आ मणिमेखलैक असमाप्त कथाक समापन

 

मणिमेखलै महाकाव्य  

मादवि आ मणिमेखलै

तमिल महाकाव्य शिलापत्तिकारम् मे वर्णित कन्नगी कोवलनक कथा दुखान्त छैक. किन्तु, कन्नगीक चरित्र समाज मे हुनका देवी बना देलकनि. वणिक् कवि सत्तनसँ कन्नगीक जीवन-वृत्त सुनि, सर्वप्रथम सम्राट् सेंगुट्टवन हिमालय प्रदेशसँ पाथर आनि कन्नगीक मूर्ति बनबओलनि आ एक भव्य मंदिर मे ओकर स्थापना केलनि. पछाति आनो ठाम हुनक प्रतिमा स्थापित भेल, मन्दिर बनल. ई सिलसिला एखनो धरि जारी अछि. फलतः, तमिल जनमानस मे कन्नगीक चरित्रक एक स्थायी स्थान बना लेलक आ कन्नगी सत्ताक विरुद्ध नारी विद्रोहक अग्रदूत जकाँ समादृत होइत छथि. मुदा, विख्यात कलापारंगत  मादवि? मादवि, कन्नगी-कोवलन आ काड़ाक कथा मे मुख्य पात्र जकाँ अबैत तं छथि, मुदा, अनेक अर्थ मे उदात्त चरित होइतो काड़ाक कथाक अंतक संगहि ओ कथा-पटल परसँ लुप्त भए जाइत छथि.

सत्यतः, कन्नगी-कोवलनक कथाक संग ने मादविक जीवनक अंत होइत छनि आ ने हुनक कथाक अंत. तखन मादविक की भेलनि ? मादवि आ कोवलन कन्या- मणिमेखलै-क की भेलनि? एहि सब विषयक उद्घाटन होइछ मणिमेखलै नामक काव्य ग्रन्थ मे. असल मे मादविक असमाप्त कथा पुनः एही काव्य ग्रन्थ मे अभरैत अछि. आ ओतय मादवि अभरिते टा नहि छथि, बल्कि, मणिमेखलै महाकाव्यहि मे  मादवि आ मणिमेखलैक कथाक समापन होइछ. मणिमेखलै महाकाव्य मे मणिमेखलै प्रथमतः आ मादवि पुनः उदात्त चरित्रक रूपमें उगैत छथि, जकर समानांतर कथा सुदूर वैशालीमे, आम्रपालीक जीवनमे देखबा मे अबैछ. तथापि, आम्रपाली आ मादवि आख्यानक बीच कोनो एकटा अंतर नहि. दुनूक बीच अनेक शताब्दीक  दीर्घ कालखण्ड  छैक. मुदा, समयक दीर्घ अंतराल, समाज पर महात्मा बुद्धक प्रभावकें निष्क्रिय नहि कए पबैछ. अस्तु, कन्या मणिमेखलैक कथा  मूलतः मणिमेखलैक आ  मादवि जीवनक असमाप्त कथाक अगिला कड़ी थिक, जाहि मे महात्मा बुद्ध केर शिक्षासँ प्रभावित भए दुनू माए-बेटी अपन आगूक मार्गकें कोना सार्थकता प्रदान करैत छथि तकर रोचक कथा छैक. ई कथा कोवलन-कन्नगीक कथासँ एको मिसिया कम रोचक नहि.

Saturday, February 25, 2023

गप्पक भूखलि

गप्पक भूखलि

आइ बूढ़ी माँ कें देह में चैन नहिं रहनि. भोर सं बेटी लोकनिक फ़ोन नहिं आयल रहनि. दुलारि बेटी नबका फ़ोन में फेस-बुक द’ देने छथिन. फ़ोन में देवनागरी अक्षर रहिते छैक, फोटो आ विडियोकें भाषासं कोन सरोकार. जे अबैत रहैत छनि,निरंतर देखैत रहैत छथि. ताहि पर जखन कखनो, भारत वा चीन-जापान में बनल हास्य-विनोदवला विडियो अबैत छनि, विडियो देखि- देखि कय बुढ़ी एसगरे ठहक्का लगबैत रहैत छथि. हंसैत-हंसैत जखन पेट दुखाय लगैत छनि, कोठलीसँ बहरा कय विडियो आ फोटो बेटा-पुतहु- खर-खबासनी सबकें देखेबाक मोन होइत छनि. मुदा, ढन-ढन करैत बड़का हवेलीक  अनेक कोठली  आ खाली अंगना देखि एसगरे ओसारहिं पर एक-दू चक्कर लगबैत छथि आ अंगनाक कोन परहक वृद्ध, फलहीन आमक गाछकें अखियासैत छथि. देखैत छथिन,एहि जनशून्य अंगनाक  एहि  फलहीन गाछपर आब कोनो चिड़इक खोंता नहिं. किन्तु, लुक्खी सब एखनहु आस नहिं छोड़लक-ए. ओ सब एखनहु एहि अंगनामें  आ ओहि आमक गाछ पर पहिनहिं-जकां नूड़ि  तनैत रहैए. बुढ़ी माँकें कखनहु आश्चर्यो होइत छनि- एहि गाछपर एहि लुक्खी सबकें की भेटैत छैक ! मुदा, एकाएक लुक्खी परसँ मन अपना दिस अबैत छनि.’ एहि घर आ अंगनाकें ओगरि कय हमरा की भेटैए ! किन्तु, अचानक फोनक गनगनाइत अछि आ माँ केर मौलायल मुँह पर एकाएक चमक आबि जाइत छनि, जेना कि माघ मासक कुहेसकें फाड़ि कय एकाएक रौद उगि गेल हो !

‘ की हाल-चाल ?’

सब दिन तं बेटी सबसं बेरा-बेरी गप्प होइते छनि. नित दिन कोन हाल-चाल बदलतैक; ओएह रामा, ओएह खटोला ! मुदा, एहन गप्प कहिकय माँक मन दुःखयबाक ककरो साधंस नहिं होइत छनि, आ बेटी लोकनि शुरू भ’ जाइत छथिन.

-जलखै भ’ गेलै ?

- की हेतै ! आइ पूजामें ततेक ने अबेर भ’ गेल. लाइन कटल रहैक. पानि गरम नहिं भेल छल. पछिला जाड़में, मोन नहिं अछि, एके दिन ठरल पानिसँ  नहायल रही तं केहन कफजारा ध’ नेने छल. आइ जखन दस बजे लाइन एलै, तं पानि सुसुम कयल आ नहयलहु. मुदा, जावत पूजा-पाठ सम्पन्न भेल, भूखे मरि गेल; सबटाकें एकटा बेर होइ छैक, किने. एखन तं अंही लोकनिक फ़ोनक बाटा-बाटी तकैत रही. 

- तें की . आब भूखल नहिं रहू.

- ठीके तं कहैत छी. जहिया कनेको एको रत्ती अबेर भ’ जाइए, बुझले अछि,पेटमें गैस तानि दैए.मुदा, आइ तं लगैए, जेना, भूखे ने अछि. अहूँ कें तं सएह होइए. गैस तं परेशान केनै रहैए ने. हं, भने मोन पड़ल. सोचने रही, अहूँकें कहब. फेसबुक पर देने छलैए, तामक बासन में राखल पानि जं पीबी तं बड गुण करैत छैक .

- तामक बासनमें ? लोक तं कहैत छैक, तामक बासनमें पानि नहिं पीबी.

-अहूँ तं अतत्तः  करै छी. तामक बासन में पानि पीबा सं मना करैत छैक ने. पानि राखू तामक बासन में, आ जै में मोन हो, ढारि-ढारि कय पीबू.

- अच्छा ! बेटी, मायकें हुनक गप्प के नीकसँ  बुझबाक बोध करबैत छथिन. जेना, माय दस हज़ारक बात कहने हेथिन ! बेटी सेहो मने-मन बिहुँसैत छथि.  भले तं, माँ सेहो आब ‘फेसबुक-डाक्टर’ भेल जा रहल अछि.  फेसबुक आ व्हाट्सएप्प पर आयल सत्य-झूठकें आइ-काल्हि ओतबे महत्व छैक जतेक कहियो प्रमाणिक पोथीमें छपल ज्ञानके रहैक. तें, एखन जकरा जे किछु फुरैत छैक लिखैत अछि आ बेचैत अछि. एहिसँ  ककरो लाभ होइछ, ककरो हानि होइत छैक आ ककरो घरमें कलह होइत छैक. सांए- बहु में बजा-भुकी धरि बन्न भ’ जाइ छैक. फेसबुककें गामक माइनजनक दर्जाक एहि युगमे, फेसबुक पर अजीबो गरीब रोग आ फेसबुक पर देल उपचारकें पढ़ि-पढ़ि अपन उपचार केनिहार आ अनका सलाह देनिहारकें  गौरी ‘फेसबुक-डाक्टर’ कहैत छथिन !

माँ पुनः गप्पक सूत्र पकड़इत छथि: ‘ हं, एहिसं कफ, पित्तक समन तं होइते छैक, सुनैत छियैक, तामक बासनमें राखल पानि वायुनाशक  सेहो होइ छैक.’

बेटीकें फेर हंसी लागि जाइत छनि. मुदा, हंसी कें रोकैत छथि. हंसीकें रोकैत कहैत छथिन, ‘जलखै क’ ले.’

-अच्छा. एकटा गप्प तं कहबे ने केलहुँ ; गीतामायकें सासु-पुतोहुक बीच एखन फेर बाजा-भुक्की बन्न छनि. सासु मोने-मोन खौंझाइत रहैत छथि. देखबनि तं चिन्हबनि नहिं. बुढ़ी कंक-कंक भ’ गेलीहे. 

-से की ? गौरी रस लैत छथि.

-फुसियाहीक गप्प. हमरो केओ कहलक. हम तं सरि भ’ कय बुझबो ने केलियैक. सुनलियै, आइ-काल्हि घरमें किदुन,  किछु ‘वाइफी’ होइ छै. ओही पर मोबाइल सबमें फोटो-विडियो, खीसा अबै छै, कम्प्यूटर चलै छै. बुढ़ीके तामस जे निचेन भेला पर जखन ओ अपन फ़ोन खोलै छथि, हुनकर फ़ोन में किछु चलिते नहिं छनि. एसगरे भनभनाइत रहै छथि. के सुनत. एकदिन पोताकें पुछलखिन. दादी ओकरा खूब आबेश करै छथिन. ओ कहाँदन कहि देलकनि, ‘बुझलियैक नहिं, माँ, हमर सिंगापुरवाली मौसी भोरेसँ  मेसेजिंग शुरू भ’ जाइत छथिन. मम्मी सेहो उठिते देरी  बिछाओने पर व्हाट्सएप्प विडियो देखय लगै छै. तें, अहाँक मोबाइलमें विडियो नहिं चलइए.’ बस, सासु- पुतहुमें बजरि गेलनि. पुतहु कानय-बाजय लगली. हम अपने केबुलबला रामबाबूकें पुछ्लियै. कहलक,’ बाबी अहाँ ओहि सूरज पर विश्वास करै छी. ओ नान्हि टा छौंड़ा. महाग छट्ठू अछि. छौंड़बा अपने सुतली राति में भरि-भरि राति कम्प्यूटर पर हवाई-जहाज हँकैए आ नाहक सासु-पुतहुमें झगडा लगा देलकनि. ओ अपने ककरो ले डाटा छोड़ै छैक. हम से बाबीकें कहबो केलियनि.’ 

मुदा, गीतामाय कें रामबाबू पर विश्वास नहिं भेलनि. हुनका तं, पुतहुसँ टेना-बानी सोहाग-भाग छनि.रामबाबू कहलक, ‘ आब बाबीक छोटका बेटा सोझे दिल्लीएसं बाबीक फ़ोन में डाटा भरा दैत छथिन.’ हम पुछ्लियैक, अंए हौ, रामबाबू, ई डाटा की होइ छैक ? तै पर रामबाबू हंसय लागल. कहलक,’ बाबी की कहू. आब की छोटका, आ की बड़का. सबहक घरमें चाउर-दालिसं बेसी  डाटाक खर्च छै. देखियौ ने, टोल पर. सबकें मोबाइल फ़ोन छै. नबकी कनिया सब भरि-भरि राति मोबाइल पर सिनेमा देखैत रहैए. बाबी, आब तं बाज़ार में कहबी छैक, वाइफ कें बिना रहि सकैत छी, ‘वाइ-फाइ’ बिना नहिं’. वाइ-फाइ एखन धरि माँ कें जीह पर नहिं चढ़ल छनि. गौरीकें पुछ्लखिन ‘अंए अइ, बाऊ, ई वाइफी कोन लुत्ती छियै, जे घर में आगि लगा दैत छैक ?

बेटी ठहक्का मारि कय हँसय लगलखिन. माँ गप्प नहिं बुझलखिन. मुदा, बेटीक संग ओहो ठहक्का मारि कय हँसय लगलखिन. सत्ते, अपन धिया-पुताक हँसीमें बड्ड स्वास्थ्यवर्धक लसेढ़ होइत छैक. मुदा, एहि युग में हवाक प्रदूषण आ पानिक किल्लतक संग मनुखक हँसी सेहो बिला गेलैये. लगैए, ई प्रदूषण हँसी सेहो हरि लैत छैक. एखन जखन माय-बेटीक बीचक हँसीक तरंग ठमकलैक तं माँ फेर पुछलखिन, ‘अंए अइ, बाऊ, मधुबनीक सौरभ झाकें ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में पचास लाख टाका भेटलनि, से देखलौं ?’

-कहाँ देखलियैक. ओहि दिन हमरा लोकनि कतहु आन ठाम चल गेल रही.

-एह, हमरा तं आँखिमें नोर आबि गेल छल. बेचारा सौरभक बाप बूढ़ छथिन. मति-विपर्यय भ’ गेल छनि. स्त्री-बेटा-पुतहु धरिकें नहिं चिन्हैत छथिन. मुदा, अमिताभ बच्चनकें देखि बुढ़ा टनटनाक उठि कय ठाढ़ भ’ जाइत छथिन. बापक एहन हालत. तथापि, बेटा कहैत रहथिन,’ जीवनमें केहनो दुःख-दोख होअय, जं माथपर माय-बापक हाथक छाया हो, तं, आओर किछु नहिं चाही.’ कहैत कहैत माँकेर कोंढ़ फाटय लगलनि.

बेटीकें  लगलनि माय विह्वल भ’ रहल छथि. गप्प बदलैत कहलखिन, ‘तों तं से सुनलें. मुदा, अमिताभ बच्चन आओर की सब कहैत छै, से सुनलिही ? कि, तं, ‘ कौन बनेगा करोड़पति’क  विजेता खिलाड़ी सब जे मोटा-माल कमा कय घर जाइत अछि तकरा पर ठकहारा सब गिद्ध-जकां टूटि पड़इए. लोककें नाना प्रकारक लोभ दैत छैक; कि, तं, बरखे भरि में टाकाकें दूना-तिगुना क’ देब. ताहिमे कतेको ठकल गेले. आ ठक सब नेहाल भ’ रहल अछि.’

-‘किएक ने . जतेक लोभ ततेक क्षोभ.’ 

ताबते बुढ़ी कें एकटा आओर नव गप्प मोन पड़लनि: ‘एकटा कहब तं बिसरिए गेल. आब झंझारपुर तक बड़ी लाइन चालू भ’ गेल. आब झंझारपुरमें गाड़ी में बैसू आ सोझे दिल्ली उतरू .’

बेटी कें फेर हंसी लागि गेलनि: ‘तोहर सबटा खबरि बासिए रहै छौक.’ जखन सब धिया-पुता कहियो एकठाम जमा होइत छथिन, बुढ़ीक बासि गप्प आ पुरान वस्तुकें जोगबैत रहबा पर खूब हंसी-मजाक होइत छैक. मुदा, धिया-पुता सब मीलि जखन मायकें लक्ष्य कय हंसी- विनोद करैत छनि, तं बुढ़ीकें जतबे आनंद होइत छनि ओ ततबे खुलि कय हंसैत छथि. बेटी फेर शुरू भ’ गेलखिन, ‘ तों कोन  दुखें ट्रेन सं दिल्ली जेबें. आब दरभंगामें हवाई-जहाज में बैस आ सोझे दिल्ली. से सुनलें ?’

-मुदा, से जखन शुरू हेतैक, तखन ने. एहन खबरि बहुत बेर सुनलियैके.

- मुदा, ई तं नहिं सुनने हेबही, ‘ मोदी है, तो मुमकिन हैं.’ सत आ झूठ हम की जानय गेलियै. प्रधानमंत्रीक पार्टी कार्यकर्त्ता सब तं इएह नारा दैत छनि. मुदा,लोकक अनुमान छैक हवाई-सेवा आब जल्दीए शुरू भ’ जेतैक.’

बुढ़ी कें पुरान कहबी मोन पडि अयलनि :  ‘सूरदास घी दैत छी.’ ‘से, तं, गड़गडेनहिं बूझब’. मुदा, गप्पक एहि सुखद सेशन में हुनका एकटा आओर नव गप्प मोन पडि अयलनि. आ माँ गप्प करबाक एहि मौकाकें हाथसं ससरय नहिं देबय चाहैत छथि. कहलखिन, ‘अंए अइ, गौरी, सुनै छियैक, दू हज़ार टाकाक नोट फेर उठि जेतैक. गाम में इहो हल्ला छैक, आब सरकार घरमें राखल सोना पर सेहो टैक्स लगओतैक.’ गौरीकें मायक जीके सामान्य ज्ञान पर छ्गुन्ता लागि गेलनि. ओ खुलि कय हँसय लगलीह. पुछलखिन, ‘ के कहै छौ ई गप्प सब ?’

-‘फेसेबुक पर ने अबै छैक. हमरा आओर के कहत.’ माँ अखबार नहिं पढ़इत छथि. मुदा, ओ फेसबुकक परायण ओहिना करैत छथि, व्हाट्सएप्पक मेसेज आ फोटो-विडियो ओहिना मनोयोगसँ  देखैत छथि, जेना, हुनकर नानी-दादी लोकनि चंदाझा क ‘मिथिला रामायण’ आ मनबोधक ‘कृष्णजन्म’ बंचैत रहथिन. फेसबुक आ व्हाट्सएप्प एखुनका  खबरी आ ‘मैला आंचल’क  बेतार अछि. एहि सब सोशल मीडिया पर अनरसा बनायब आ तिलकोड़ तरबाक विधिसँ ल’ कय गायक थनसँ दूध दुहबाक हेतु गायक टांग छनबाक धरिक सचित्र वर्णन भेटत. बेटी पुनः हंसैत कहलखिन, सोना राखि क’ की करबें ! दान-पुण्य कर. रहलै दू हज़ारक नोट, से दू हज़ारक नोट जमा नहिं कर. काज जोकर आने नोट राख. मुदा, आब जो. बड्ड बेर भेलै. जलखै कर ग’.’

- हं. माँ केर गप्प केर अजुका कोटा पूरा हयबापर रहनि. आ ठीके माँ कें भेलनि, आब आइ हुनका मन्दाग्निक हेतु कोनो औषधि नहिं खाय पड़तनि. बेरू पहर जं जेठकी आ छोटकी दुनू बेटीक फ़ोन आबि गेलनि तं आइ राति पाचन ले ‘यूनिइन्जाइम’ गोटी सेहो नहिं फांकय पड़तनि. आ कल्हुका गप्प, काल्हि देखल जेतैक ! कहलखिन,’ ठीक छै. अहूँ जाउ.’                                                       


अविश्वसनीय आ अविस्मरणीय

 

२५ फरबरी १९८३

अविश्वसनीय आ अविस्मरणीय

२५ फरबरी १९८३. ओ घटना ओहि दिन जेहने अविश्वसनीय छल, आइओ ओ ओहने अछि. मुदा, थिक तं अविस्मरणीय.  

जाड़ नीक जकाँ फाटल नहि रहैक. मिथिला विश्वविद्यालय मे बी.ए.क परीक्षा जारी रहैक. मुदा, राजा-दैवक कोन ठेकान. एकटा परीक्षार्थीके २४ फरबरीक रातिएसँ प्रसव-पीड़ा आरंभ भए गेलनि.

तहिया मिथिलांचल आ नेपालक तराई क्षेत्र मे दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पतालक प्रतिष्ठा रहैक. गरीब आ धनिक सब ओतहि इलाज ले जाइत छल. अस्तु, आसन्न-प्रसवा परीक्षार्थी ओतहि अस्पताल मे भर्ती भेलीह आ २५ फरबरीक भोरे सामान्य प्रसवसँ कन्याक जन्म देलनि.

मुदा, कन्याक जन्म की देलनि, एकटा समस्या ठाढ़ भए गेल: जे प्रसूति बी. ए. ऑनर्स आ अंग्रेजी पपेर्क अतिरिक्त पास कोर्सक कुल पेपरक परीक्षा दए चुकल रहथि, से ओहि दिन निर्धारित अंग्रेजीक पेपर मे कोना सम्मिलित होथु. मुदा, परीक्षार्थीक दृष्टि मे ओ कोनो समस्या नहि छल. ओ तं कृत-संकल्प रहथि. हमरा मन पड़ैत अछि, हमर सहपाठी डाक्टर मुसर्रत हुसैनक संग सेहो किछु अहिना भेल रहनि: ओ मैट्रिकक परीक्षा देबा ले विदा भेल रहथि, आ अकस्मात् अस्पतालसँ पिताक मृत शरीर द्वारि पर पहुँचि गेल रहनि. मुदा,  ओहू दिन मुसर्रत हुसैन परीक्षा देलनि आ पहिने प्रयास मे  प्रतियोगिता परीक्षा पास कए दरभंगा मेडिकल कालेज मे नाम लिखओलनि.

जे किछु. २५ फरबरी १९८३क भोर मे नारि आ प्रसूति विभागक तत्कालीन विभागाध्यक्ष  डाक्टर गौरी रानी सिन्हा जखन प्रातः-कालीन राउंड पर वार्ड अइलीह तं हुनका एकटा अभूतपूर्व परिस्थितिक सामना करए पड़लनि: सामान्यतया अस्पतालक बेड पर सूतल प्रसूति रोगी, हुनका समक्ष  विश्वास पूर्वक ठाढ़ि छलखिन. हुनका कुतूहल भेलनि. प्रसूतिक सोझ निवेदन हुनका आओर चकित केलकनि: कि तं हम परीक्षा देबय जायब. डाक्टर गौरी रानी सिन्हा जतबे वरिष्ठ आ दक्ष रहथि ततबे सहृदय. प्रसूतिक संकल्प देखि हुनका हँसी लागि गेलनि. कहलथिन,’इस कमरे में चल कर दिखाओ.’

ई कोन कठिन काज. तुरत कोठली मे चलबाक प्रदर्शन सफल भेल. आ जे प्रसूति आइए भोर पौने आठ बजे करीब एकटा छोट शल्य-चिकित्सासँ बच्चाक जन्म देने रहथि, एम्बेसडर कार केर पछिला सीटमे बैसलीह आ करीब पाँच किलोमीटर दूर  सी एम आर्ट्स कालेज परीक्षा केन्द्र जा दस बजे आरंभ होइत अंग्रेजीक परीक्षा मे जा कए सम्मिलित भए गेलीह.

ओहि परीक्षा केंद्र पर पदाधिकारी लोकनि जतय बैसल रहथि, रोगीक परिचारकक रूप मे हमहू एक कात ओतहि किछु काल बैसल रही. ओतय हम तखने  एकटा वरिष्ठ शिक्षककें अपन सहकर्मीकें कहैत सुनलियनि: ‘You know, there is girl appearing here today. She has just this morning given birth to a child!’

प्रोफेसर साहेबकें नहि बूझल रहनिजे ओ साहसी परीक्षार्थी हमर पत्नी श्रीमती रूपम थिकी, आ नवजात शिशु हमर कन्या, सुष्मिता !       

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