Wednesday, December 13, 2017

'जिस पथ जावें वीर अनेक '-2



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परतापुर / थोइस, आ तुर्तुक
अहल भोरे तैयारी , जलपान आ मेडिकल टीमक संग तुर्तुक ले विदा भेलहुँ .संगमें ले.कर्नल इन्दरजित  हजारी आ ले.कर्नल अखिल राठौड़. तुर्तुक पहुँचैत दस बाजि जेतैक हमरा लोकनि ओतय पहुंचब तखने रैली , कैंटीन आ मेडिकल कैम्पक उद्घाटन हेतैक. लेह में रहैत हमरालग तुर्तुक सं अनेक रोगी अबैत अछि . पछिले मास में हम तुर्तुकक एकटा दस वर्षक रोगिक आँखिमें लेंस लगौने  छियैक आइ ओहो एबे करत . हुन्डर मिलिटरी अस्पताल में मेडिकल स्पेशलिस्ट आ सर्जन केर सुविधा छैक. किन्तु , सम्पूर्ण लद्दाख़ में मिलिटरी विभागमे एकमात्र लेह जनरल हॉस्पिटल में आंखिक इलाजक सुविधा छैक. सोनम नोर्बु अस्पताल में एकटा नेत्र चिकित्सक छथि . किन्तु , सुविधा- सहूलियतक कारण अधिक लोग मिलिटरी अस्पताल में अबैत अछि. किन्तु, लेह जनरल हॉस्पिटलक अनुभव फेर कहियो .एखन सयोक नदीक बामा कछेर धेने आगू बढ़ी .एहि बाटपर हुन्डरसं आगां THOISE एयरफील्ड अबैत छैक.एतय छोट-सन गाम सेहो छैक. थोईस Transit Halt OIndian Soldiers Enroute (to Siachen) केर संक्षिप्त रूप (acronym) थिक. नुब्राक इलाकामें एकमात्र चाकर-चौरस भूमि ई एयरफील्ड सियाचिन आ सम्पूर्ण नुब्रासं संचालित सैनिक अभियानक संचालनले तं महत्वपूर्ण अछिए , नुब्राक इलाकामें ई मात्र सिविलियन एअरपोर्ट थिक. ज्ञातव्य थिक, एहि इलाका दोसर मिलिटरी एयर स्ट्रिप दौलत बेग ओल्डी नामक स्थान में छैक जतय आवश्यकतानुसार भारतीय वायु सेनाक उतरैत अछि. किन्तु, ओम्हर ने आबादी छैक आ ने पर्यटनक अनुमति आ सुविधा. गर्मीक मासमें दिल्ली सं लेह आ परतापुरक सिविल फ्लाइट पर्यटक सब सं भरल रहैछ. किन्तु, लद्दाख़ अनेक अर्थमें अजूबा अछि. भ सकैत अछि , अहाँ ट्रिप बनाबी , टिकट ली , आ मौसमक बदलिक जाइक आ अहां लद्धाख जा नहिं सकी . एतुका मौसमक कोन ठेकान, दुलारि संगिनी-जकां हिनक कखन मूड बदलि जेतनि , के कहत ! दोसर , लेह आ परतापुर पहुँचि गेलहुं तैयो आपसी में सेहो बाधा भ सकैत अछि . एहि ठाम गर्मी मास में जखन तापमान बढ़इत छैक तं विरल वायु ( low atmospheric pressure ) क कारण हवाई जहाजक वजन उठेबाक क्षमता ( payload lift ) कम भ  जाइछ . अस्तु , भ सकैत अछि , हवाई जहाज में बहुतो सीट खाली होइक आ अहाँकें लेह वा परतापुर में दोसर दिनक फ्लाइट ले प्रतीक्षा करय पड़य . तें ,लेह एवं परतापुरक फ्लाइट चंडीगढ़ आ दिल्लीसं अहल भोरे करीब 5 बजे धरि उडि जाइछ, जाहि सं रौद तेज हेबा सं पहिने वापसीक फ्लाइट उडि सकैक. आब पुनः बाटपर आबी. डिस्किटसं आगू तुर्तुक केर सड़क भारत -पाकिस्तानक सीमाक समीप छैक. तें , पहिने एम्हर पर्यटक केर अवर्यात नहिं रहैक. किन्तु, हाल-सालमें पर्यटक केर आमदरफ्त बढ़लइ-ए. पर्यटक सब मोटामोटी तुर्तुक जाइछ. बीचमें चलुंका नामक   गाम अबैछ . किन्तु, ओतय पर्यटकक दृष्टिऐ कोनो तेहन आकर्षण नहिं. थोइससं तुर्तुक केर  सड़क मोटा -मोटी समतल भूमि में चलैछ, आ बेसी ठाम नदीसं दूर.
किन्तु, कतहु-कतहु सड़क नदीक तलसं ऊँच चढ़ि जाइछ आ नदीक कछेर सडकक एकदम लग सहटि अबैछ. ताहिपर बामा कात 75-80 डिग्री खड़ा पहाड़क बलुआह फलक. आ सडकक दाहिना तरफ़ गहिंड नदी.  एहन सब स्थानमें  बालु-माटिक आ मलवा कखन हहरि क सड़क पर आबि जायत आ सड़क बंद क देत वा चलैत गाड़ी-घोड़ा कें ल क नदी में विलीन क देत कोन ठेकान. तथापि, राष्ट्रीय सुरक्षाक दृष्टिएं महत्वपूर्ण एहि सड़कके सीमा सड़क संगठनक निरंतर चालू रखने रहैछ , आ बस-मोटर कार आ सैनिक साज सामन सं लदल  भारी वाहनक यातायात चालू रहैछ . पहिलुका युगक घोड़ा-खच्चर आ ऊँट कारवां तं आब इतिहास भ गेल अछि. तें, ओ सब आब कतय पाबी .एहि इलाकामें दाहिना तरफ बाटें-बाट सैनिक चौकी , तोपखाना , आ नदी पार करबाक सैनिक पुल सेहो देखबा में आओत . स्थान सबहक नाम स्थानीय जनता आ सैनिके लोकनि बूझैत छथि . कारण, जं गाम नहिं तं स्थानक नाम की ? एहि बाट पर चलैत-चलैत  चाकर -चौरस नदी , बलुआह-रोड़ाह मरुभूमिमें जं एकाएक हरियरी, आडूक गाछ , मटरकेर लत्ती , जौ-गहूमक खेती , टमाटर -मूर-गाँठ गोभीक खेत नजरि आबय लागय तं बूझि लिअय , तुर्तुक पहुँचइ बला छी . किन्तु, गाम सं पहिने सड़कक बामा कात सबसेक्टर हनीफ़में कारगिल युद्ध में अपन प्राण उत्सर्ग केनिहार पहिल सैनिक , जाट रेजिमेंटक लान्स नायक खड़ग सिंह , सेना मेडल , आ ओहि युद्धमें शहीद कप्तान हनिफुद्दीन , वीर चक्र केर स्मारक आकृष्ट करत.


हमर विचार जे गाओं में प्रवेशसं पूर्व एहि हुतात्मा लोकनिक स्मरणमें एक क्षण मौन आ एकटा नमन. देशक सर्द वीरान भूभाग में प्राणक बलि देनिहार ई युवक योद्धालोकनि, देशक हृदयस्थलमें अपन घरमें सुरक्षित , निस्संक सूतल नागरिकक आ ब्लैक -कैट कमांडोक घेरामें दिल्लीमें चलनिहार राजनेताक दृष्टिपथ पर नहिं अबैत छथिन . किन्तु, जं अहाँ कोनो सैनिककें सद्यः देखने छियनि ,तं , एतबा धरि जुनि बिसरी , जे , घर परिवारक संग प्रसन्नमुख सैनिक एहनो निर्जन प्रदेश आ विषम जलवायुमें में घर-परिवारकें बिसरि निरंतर देशक सुरक्षाक लागल रहैछ. मन में एके सुर आ एके राग, स्वर्गीय कप्तान विक्रम बत्रा, परम वीर चक्रक  शब्द में , 'चाहे तं शत्रुक छाती पर राष्ट्र ध्वज कें फहरायब, वा राष्ट्रध्वजक परिधानमें हमर पार्थिव-शरीर वापस आओत '. अतः ई 'जिस पथ जावें वीर अनेक' बाट थिकजाहिपर फेकल जयबाक ‘अभिलाषा’, फूल स्व.माखन लाल चतुर्वेदी अमर कविता ‘पुष्प की अभिलाषा में ‘ व्यक्त कयने अछि . स्वतंत्रता संग्रामक युगमें लिखल ई कविता आब विस्मृत भ गेल अछि तें हम एकरा एतय उद्धृत करैत छी :
'चाह नहिं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहिं सम्राटोंके शव पर हे हरि, डाला जाऊं
चाह नहिं देवों केर शिरपर चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊं
मुझे तोड़ लेना बनमाली उस पथपर देना तुम फेक ,
मातृभूमि पर शीश चढ़ानेवाले , जिसपथ जावें वीर अनेक
हमरा लोकनि तुर्तुक पहुँचि चुकल छी . करीब दस बाजि गेल छैक . समयसं पहुँचबाक धुनि में ने कतहु चाह-पानि आ ने दम मारबक फ़ुरसति. एडवांस पार्टी रैली एवं मेडिकल कैंपक व्यवस्था केने अछि . सैनिक लोकनिक अपना स्टालपर मुस्तैद छथि . आर्मी यूनिटक गेट पर लागल हरियर फीता कटलैक आ भ गेल उद्घाटन.
किन्तु , ओहि सं पहिने तुर्तुक गामक परिचय . तुर्तुक गाम सयोक उपत्यकामें बाल्टिस्तानी मूलक मुसलमान लोकनिक गाम थिक. भारतक विभाजनसं पूर्व ई गांओ सम्पूर्ण भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेशक भूमि-जकां भारतेमें छल. विभाजनमें ई गांओ पाकिस्तान में पडि गेल. अस्तु, एतुका कतेक नागरिक  पाकिस्तानी प्रशासनक अमलमें पाकिस्तान सरकारक सेवा कयलनि .किन्तु , भूमिपर मनुष्य द्वारा खींचल डांरि पर पृथ्वी हंसैछ. वस्तुतः,प्रकृति वा मनुष्य द्वारा पृथ्वीपर पाडल कोनो सीमा नियमिकी नहिं . विश्वकेर अनेक भाग में राष्ट्र सबहक निरंतर बदलैत सीमा एखनहु देखिये रहल छी. तहिना 1971क भारत –पाक युद्धमें भारतीय सेना पाकिस्तान सेनाके तुर्तुक सं खेहारि सयोकक पछ्बरिया पार पहुंचा आयल. तहियासं पाकिस्तानी सेनाक अनेक उपद्रवक वावजूद तुर्तुक भारतक अंग अछि . स्पष्ट छैक , एहन परिस्थितिमें सामान्य नागरिकक मनमें शंका उठब उचिते छैक. एतुका बहुतो नागरिकक सर-सम्बन्धी एखनहु पाकिस्तान में छनि , आ ओलोकनि पाकिस्तानी सरकारक दमन-उत्पीड़न सहैत छथि. तथापि एतुका लोक पाकिस्तानी ख़ुफ़िया संस्था आई एस आइ क प्रभाव में नहिं आयल अछि , से एतुका लोकक विवेक, आ भारत सरकार व्यवस्थाक सफलताक  प्रतीक थिक. तुर्तुकक लोकक दुविधाक विषय पर हमर कथा ‘ अब्बास अली बताह छथि ‘( जखन तखन , वर्ष ) में चर्चा भेल अछि. वययोवृद्ध साहित्यकर पंडित गोविन्द झा एहि कथाकें पढ़ि कहने रहथि, 'हम एहन अओर कोनो कथा नहिं पढ़ने छी . नीक लागल'.  
आइ हमरा लोकनि दिनभरि रोगिक जांच कयल. हमर पहिलुक रोगी बालक रहमत अली हमरा देखि खूब प्रसन्न भेल. मोतियाविंदुक ऑपरेशनक बाद ओकर आंखि आब नीक जकां सुझैत छैक. ओ आब ओहिना स्कूल जाइछ जेना आंखिमें सीबकथोर्न कांट गडबा सं पहिने जाइत छल.
ओकर पिता हमराले एक शीशी खुबानीक तेल अनने छथि. ग्लौकोमा अमीना बेगमक दुनू आंखिकें निपट्ट क देने छनि , तथापि हमर चकित्सासं आब आंखिमें पीड़ा नहिं छनि.
. तें, ओहो प्रसन्न छथि . डाक्टरी सलाह समाप्त भेलापर अमीना बेगम, लजाइत अपन खोंइछसं प्लास्टिकक एक टा पैकेट निकालैत छथि .पैकेटमें एक आंजुर सुखायल खुबानी छैक. हम ककरोसं हठे उपहार स्वीकार नहिं करैत छियैक . किन्तु, एहन शुष्क प्रदेश आ आवेशक एहन आर्द्रता ! हम एहि उपहारकें कोना अस्वीकार करिऐक ! शहरी छल-छद्मसं अपरिचित एहि सुदूर सीमान्त प्रान्तक परिचिताक मन कोना दुखा सकैत छियैक.
एहि दुनू रोगी आलावा आन कतेक नव-पुरान रोगी हमरा लग, आ हमर आन सहकर्मी लग आयल अछि.  ओना तं बुझू एखन भरि गाओं उनटि कय  कैंप में आयल अछि . ई एहन दूरस्थ गांओ ले स्वाभाविके. अस्तु, जतय जे सुविधा छैक, लोक लाभ उठौलक. आब  दिनान्त भ रहल छैक स्टाफ सब वस्तु-जात बान्हि गाड़ी में रखलनि . हमरा लोकनि वापस जा रहल छी . गामक बाहर दाहिना दिस वीर शहीद लान्स नायक खड़ग सिंह , आ शहीद कप्तान हनिफुद्दीनक स्मारकक ओहिना तैनात अछि सेना सैनिक अपन चौकी पर मुस्तैद रहैछ. बाटक कातमें गाछक डारि आ फूल सबहक गुच्छासब संझुका वायुमें डोलि  रहल अछि .मने कहैत हो :
मुझे तोड़ लेना बनमाली उस पथपर देना तुम फेक ,
मातृभूमि पर शीश चढ़ानेवाले , जिसपथ जावें वीर अनेक
सरिपहुं इएह तं थिकैक ओ पथ 'जिस पथ जावें वीर अनेक’ !

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