नुब्रा : डिस्किट, आ हुन्डर गांओ
युद्ध कें अनेक रूपें परिभाषित क सकैत छी; अधिकार प्राप्त करबाक अभियान; असत्य
कें पराजित कय सत्यकें स्थापित करबाक द्वन्द ; मानवाधिकार आ लोकतन्त्रक स्थापनाक
आग्रह. किन्तु, युद्ध थिकैक वर्चस्वक हेतु प्रतिद्वंदिता. एहि सब में राष्ट्र आ
देशक मुखिया जितैत छथि किन्तु, सब ठाम कोनो-ने-कोनो रूपें मनुष्य हारैत अछि. हमर
अगिला यात्रा डिस्किट, हुन्डर, परतापुर ,थोइस, आ तुर्तुक गांओ धरिक अछि.
तुर्तुक इलाका में युद्ध बेर-बेर अंतर्राष्ट्रीय सीमाकें घुसकबैत रहलैए.
अंतरराष्ट्रीय सीमा क एहि परिवर्तन सं स्थानीय नागरिक कोना प्रभावित होइछ, से
देखियैक. किन्तु, से कनेक पछाति. हमरा लोकनि लेह सं (खर्दुंग-ला होइत) खलसर आयल
रही. आ खलसर सं सियाचिन बेस कैंप.
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सयोक नदी खलसर सं पहिने |
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डिस्किट बौद्ध विहार |
रौद खसि
चुकल छैक आ थोड़बे काल में सूर्य पहाड़क पाछू चल जेताह ज्ञातव्य थिक पहाड़ी
भूमि में
सबठाम इजोत अन्हार सूर्योदय आ सूर्यास्तक संग नहिं होइछ .शिमला जकां पहाड़क
शिखरपर
बसल बस्ती में रुख-सुख समयमें सूर्योदयसं सूर्यास्त धरि रौद रहैत छैक .ओतय
उगैत सूर्यक लालिमा आ डूबैत सूर्यक गोला दुनू देखबैक. किन्तु, संकीर्ण
उपत्यका में कतेक
ठाम सूर्य माथपर अओताह तखने देखबनि आ सूर्य जहां कि पश्चिमक पहाड़क पाछू
गेलाह कि बुझू
दिनान्त भ गेल . लद्दाख़-सन शीत प्रदेशमें अबैत जाइत सूर्यक संग तापमान में
गंभीर
परिवर्तन होइछ .लद्दाख़क किछु इलाकाक सम्बन्धमें कहबी छैक , 'जं एहन ठाम
बैसी जे
चेहरा पर रौद पड़ैत हो आ पैर छायामें हो, तं, चेहरा (तेज परवैगनी किरणक
कारण) झरकि
जायत आ भ सकैत अछि पयरमें फ्रॉस्ट-बाइट (frost-bite) भ जाय ! एखन हमरा
लोकनि हुन्डर
स्थित
फील्ड एम्बुलेंस जायब. ओत्तहि
रात्रि-विश्राम हेतैक. मुदा, हुन्डर सं पहिने डिस्किट अओतैक. डिस्किट नुब्राक
मुख्यालय आ स्थानीय बाज़ार थिकैक. ई गाम एतुका विशाल बहुमंजिली (डिस्किट) बौद्ध
विहार ले प्रसिद्द अछि.
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दू टा
कूबड़बाला ऊँट (double-humped Bactrian camel) |
दू कूबड़बाला ऊँट ओहि
विगत युगक प्रतिनिधि थिक जहिया लेह आ काशगारक व्यापारी लोकनिक कारवां अपन माल-असबाबक
संग
दुनू दिस अबैत जाइत छलाह आ भारत –तिब्बतक
बीच वाणिज्य-व्यापार करैत छलाह . जलवायु विषम छलैक . बाट-घाट-नदी-दर्रा भयानक . मौसम
अचानक कखन बदलि जेतैक, तकर ठेकान नहिं .तथापि मनुष्यक जिजीविषा स्वतः सब भय पर विजय
क लैछ. भारतक स्वतंत्रताक समयसं ई बाट बंद अछि .आब एहि बाट परक साविकक trans
karakoram व्यापार इतिहासक पन्ना में दबि चुकल अछि . तथापि, एहि ऐतिहासिक व्यापारक
भग्नावशेष double-humped Bactrian camel आ दुनू दिसक लोकक बीचक
औपचारिक वा अनौपचारिक रक्त सम्बन्धकें
मिटयबामें आओर बहुत समय लगतैक.
अन्यथा, मंगोल लुटेरा चंगेज खान केर अनुवांशिक पद-चिन्ह ( Genes ) एखन धरि विश्वसं विलुप्त
भ गेल रहैत ! डिस्किट सं पश्चिम दक्षिण में हुन्डर गाँव अबैत छैक. डिस्किट आ
हुन्डरक बीच कनेक काल सडकपर पश्चिम मुंहे
ठाढ़ होउ .सोझ मुहें हिमाच्छादित पर्वत माला देखबैक .पहाड़क एकदम नीचा भूमिपर सयोक
नदी , कखनो मंथर, कखनो घोर-मट्ठा आ, तीब्र आ तमसायल .
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सयोकक तटपर सैंड ड्यून |
सडक आ नदीक बीच लद्दाखी
कटैया झाड़ –सीबकथोर्न-लेह बेरी- क जंगलक अवलोकन करू. सीबकथोर्न वा लेह बेरी लद्दाख़
आ नुब्राक विशेषता थिक. लेह बेरीक मटरक दानाक आकारक , नारंगी रंगक खटमधुर फल अनेक
पौष्टिक तत्व- जेना,विटामिन सी , विटामिन ई , आ एंटी-ऑक्सीडेंट तत्वक-खान मानल
जाइछ. एहि बेरीमें गुद्दा तं कम आ आंठीक भाग
बेसी होइत छैक . गाछक डारिपर
सक्कतसं गंथल फल ने अपने खसैत छैक आ ने भूमिपर पटकि एकरा डारिसं झाड़बे सुलभ
. रक्षा अनुसन्धान विभागक लेह स्थित फील्ड रिसर्च लेबोरेटरी (FRL)
लेह बेरी पर अनेक अनुसन्धान केने अछि .फलतः ,
डाबर कम्पनी सीबकथोर्नक जूस कें लेह बेरीक जूसक नामसं बाजारमें बेचैछ . लेह बेरीक
मसुरिक आकारक कारी-हरियर बीआकें परिशोधित कय तेल बहार कयल जाइछ , जकर प्रयोग
सौन्दर्य प्रसाधनक अनेक प्रोडक्ट सबमें होइछ .
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सीबकथोर्न( लेह बेरी ) क जंगल |
ततबे नहिं , लेह बेरीक कंटइया डारिसबकें माल-जाल सं सुरक्षा क हेतु लोक खेतक आरि आ परिसरक परिधि पर सेहो रखैत अछि . लेह
बेरीक कंटइया डारिसब जारनि में सेहो खूब नीक जकां जरैछ. किन्तु , एकरा चुल्हामें
जरायब सुलभ नहिं . लद्दाख़में जाड़ तं जानलेबा होइछ. किन्तु, एतय घूड़-धुआंक परिपाटी
नहिं छैक .
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लेह बेरी लग सं : कांट आ गुणकारी फल |
कारण दू : एक, घास-पात आ जारनि -काठीक अभाव ; दोसर ,एतुका शीत लहर, आ
तेज बिहाडि-सन बसातमें घरक बाहर बैसब असंभव . सत्यतः, एतुका बसात ततबे कन-कन होइछ
जे पारम्परिक घर सब में खिड़की-जंगला अभावृत्तिए देखबैक. जे किछु. आब पुनः ,
पश्चिम मुंहक परिदृश्य पर दृष्टिपात करी .
राजस्थानक मरुभूमि-जकां बालुक छोट-पैघ असंख्य
टीला (sand -dunes) देखबैक. भारतक समतल भूमि में सैंड-ड्यून देखबाक हो तं जैसलमेर
सं करीब चालीस किलोमीटर दूर साम गांओ जाउ, ऊंट पर चढ़ू आ ओहि इलाकाक जनजातिक मुहें
' पल्लो लटके , म्हारो पल्लो लटके .., क गीत सुनू. सामक
सैंड-ड्यून (बालुक ढेर) अपन निरंतर बदलैत स्वरुप
ले प्रसिद्द अछि . 1986-87में भारतीय सेनाक प्रसिद्द युद्ध अभ्यास 'ऑपरेशन
ब्रास-टैक्सक' अवधि में हम छः
मास धरि
राजस्थान में बौआइत रही. ओहि अवधिमें हम फौज़ी
तामझामक संग राजस्थानक टूरिस्ट आकर्षण shifting सैंड-ड्यूनक इलाका गेल रही. किन्तु,
ओकर गप्प फेर कहियो दोसर बैसाड में . आब हमरा लोकनि हुन्डर स्थित
फील्ड एम्बुलेंस लग आबि चुकल छी .एहि युद्ध
कालीन प्रतिष्ठानक हॉस्पिटल सियाचिनमें तैनात सैनिक लोकनिक हेतु निकटस्थ अस्पताल
छी . हमरा लोकनिक लेहक मिलिटरी जनरल हॉस्पिटल एहि अस्पतालक रेफरल सेंटर थिक .
काल्हि इएह फील्ड एम्बुलेंस भारतीय सेनाक ऑपरेशन सद्भावनाक तहत तुर्तुकमें मेडिकल
कैंप आ सद्भावना रैलीक संचालन करत . आइ राति हमरा लोकनि फील्ड अम्बुलेन्सक ऑफिसर
मेस में रात्रि विश्राम करब फील्ड एम्बुलेंसकेर कमान अधिकारी ले.कर्नल इन्दरजीत
हजारी गयाक निवासी थिकाह.एतय
सामान्य
शिष्टाचार , मित्रभाव आ आतिथ्यमें कोनो कमी नहिं. आइ लम्बा यात्रा भेलैये आब
कल्याण करोट होइ.
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लेखक (बामा ), पृष्ठभूमि में , बालुक ढेर,शयोक नदी आ हिमाच्छ्दित पर्वत |
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