Tuesday, December 12, 2017

'जिस पथ जावें वीर अनेक' -1




नुब्रा : डिस्किट, आ हुन्डर गांओ
युद्ध कें अनेक रूपें परिभाषित क सकैत छी; अधिकार प्राप्त करबाक अभियान; असत्य कें पराजित कय सत्यकें स्थापित करबाक द्वन्द ; मानवाधिकार आ लोकतन्त्रक स्थापनाक आग्रह. किन्तु, युद्ध थिकैक वर्चस्वक हेतु प्रतिद्वंदिता. एहि सब में राष्ट्र आ देशक मुखिया जितैत छथि किन्तु, सब ठाम कोनो-ने-कोनो रूपें मनुष्य हारैत अछि. हमर अगिला यात्रा डिस्किट, हुन्डर, परतापुर ,थोइस, आ तुर्तुक गांओ धरिक अछि. तुर्तुक इलाका में युद्ध बेर-बेर अंतर्राष्ट्रीय सीमाकें घुसकबैत रहलैए. अंतरराष्ट्रीय सीमा क एहि परिवर्तन सं स्थानीय नागरिक कोना प्रभावित होइछ, से देखियैक. किन्तु, से कनेक पछाति. हमरा लोकनि लेह सं (खर्दुंग-ला होइत) खलसर आयल रही. आ खलसर सं सियाचिन बेस कैंप
सयोक नदी खलसर सं पहिने

डिस्किट बौद्ध विहार
रौद खसि चुकल छैक आ थोड़बे काल में सूर्य पहाड़क पाछू चल जेताह ज्ञातव्य थिक पहाड़ी भूमि में सबठाम इजोत अन्हार सूर्योदय आ सूर्यास्तक संग नहिं होइछ .शिमला जकां पहाड़क शिखरपर बसल बस्ती में रुख-सुख समयमें सूर्योदयसं सूर्यास्त धरि रौद रहैत छैक .ओतय उगैत  सूर्यक लालिमा आ डूबैत सूर्यक गोला दुनू देखबैक. किन्तु, संकीर्ण उपत्यका में कतेक ठाम सूर्य माथपर अओताह तखने देखबनि आ सूर्य जहां कि पश्चिमक पहाड़क पाछू गेलाह कि बुझू दिनान्त भ गेल . लद्दाख़-सन शीत प्रदेशमें अबैत जाइत सूर्यक संग तापमान में गंभीर परिवर्तन होइछ .लद्दाख़क किछु इलाकाक सम्बन्धमें कहबी छैक , 'जं एहन ठाम बैसी जे चेहरा पर रौद पड़ैत हो आ पैर छायामें हो, तं, चेहरा (तेज परवैगनी किरणक कारण) झरकि जायत आ भ सकैत अछि पयरमें फ्रॉस्ट-बाइट (frost-bite) भ जाय ! एखन हमरा लोकनि हुन्डर स्थित  फील्ड एम्बुलेंस जायब. ओत्तहि रात्रि-विश्राम हेतैक. मुदा, हुन्डर सं पहिने डिस्किट अओतैक. डिस्किट नुब्राक मुख्यालय आ स्थानीय बाज़ार थिकैक. ई गाम एतुका विशाल बहुमंजिली (डिस्किट) बौद्ध विहार ले प्रसिद्द अछि.
दू टा कूबड़बाला ऊँट (double-humped Bactrian camel)
दू कूबड़बाला ऊँट ओहि विगत युगक प्रतिनिधि थिक जहिया लेह आ काशगारक व्यापारी लोकनिक कारवां अपन माल-असबाबक संग  दुनू दिस अबैत जाइत छलाह  आ भारत –तिब्बतक बीच वाणिज्य-व्यापार करैत छलाह . जलवायु विषम छलैक . बाट-घाट-नदी-दर्रा भयानक . मौसम अचानक कखन बदलि जेतैक, तकर ठेकान नहिं .तथापि मनुष्यक जिजीविषा स्वतः सब भय पर विजय क लैछ. भारतक स्वतंत्रताक समयसं ई बाट बंद अछि .आब एहि बाट परक साविकक trans karakoram व्यापार इतिहासक पन्ना में दबि चुकल अछि . तथापि, एहि ऐतिहासिक व्यापारक भग्नावशेष double-humped Bactrian camel आ दुनू दिसक लोकक बीचक  औपचारिक वा अनौपचारिक रक्त सम्बन्धकें मिटयबामें आओर बहुत समय लगतैक.  अन्यथा, मंगोल लुटेरा चंगेज खान केर अनुवांशिक पद-चिन्ह ( Genes ) एखन धरि विश्वसं विलुप्त भ गेल रहैत !              डिस्किट सं पश्चिम दक्षिण में हुन्डर गाँव अबैत छैक.  डिस्किट आ हुन्डरक बीच कनेक काल सडकपर पश्चिम मुंहे  ठाढ़ होउ .सोझ मुहें हिमाच्छादित पर्वत माला देखबैक .पहाड़क एकदम नीचा भूमिपर सयोक नदी , कखनो मंथर, कखनो घोर-मट्ठा आ, तीब्र आ तमसायल .
सयोकक तटपर सैंड ड्यून
सडक आ नदीक बीच लद्दाखी कटैया झाड़ –सीबकथोर्न-लेह बेरी- क जंगलक अवलोकन करू. सीबकथोर्न वा लेह बेरी लद्दाख़ आ नुब्राक विशेषता थिक. लेह बेरीक मटरक दानाक आकारक , नारंगी रंगक खटमधुर फल अनेक पौष्टिक तत्व- जेना,विटामिन सी , विटामिन ई , आ एंटी-ऑक्सीडेंट तत्वक-खान मानल जाइछ. एहि बेरीमें गुद्दा तं कम आ आंठीक भाग  बेसी होइत छैक . गाछक डारिपर  सक्कतसं गंथल फल ने अपने खसैत छैक आ ने भूमिपर पटकि एकरा डारिसं झाड़बे सुलभ . रक्षा अनुसन्धान विभागक लेह स्थित फील्ड रिसर्च लेबोरेटरी (FRL)  लेह बेरी पर अनेक अनुसन्धान केने अछि .फलतः , डाबर कम्पनी सीबकथोर्नक जूस कें लेह बेरीक जूसक नामसं बाजारमें बेचैछ . लेह बेरीक मसुरिक  आकारक कारी-हरियर बीआकें परिशोधित कय तेल बहार कयल जाइछ , जकर प्रयोग सौन्दर्य प्रसाधनक अनेक प्रोडक्ट सबमें होइछ .
सीबकथोर्न( लेह बेरी ) क जंगल 
ततबे नहिं , लेह बेरीक कंटइया डारिसबकें माल-जाल सं सुरक्षा क हेतु लोक खेतक आरि आ परिसरक परिधि पर सेहो रखैत अछि . लेह बेरीक कंटइया डारिसब जारनि में सेहो खूब नीक जकां जरैछ. किन्तु , एकरा चुल्हामें जरायब सुलभ नहिं . लद्दाख़में जाड़ तं जानलेबा होइछ. किन्तु, एतय घूड़-धुआंक परिपाटी नहिं छैक .
लेह बेरी लग सं : कांट आ गुणकारी फल
कारण दू : एक, घास-पात आ जारनि -काठीक अभाव ; दोसर ,एतुका शीत लहर, आ तेज बिहाडि-सन बसातमें घरक बाहर बैसब असंभव . सत्यतः, एतुका बसात ततबे कन-कन होइछ जे पारम्परिक घर सब में खिड़की-जंगला अभावृत्तिए देखबैक. जे किछु. आब पुनः , पश्चिम मुंहक परिदृश्य पर दृष्टिपात करी .   राजस्थानक मरुभूमि-जकां बालुक छोट-पैघ असंख्य टीला (sand -dunes) देखबैक. भारतक समतल भूमि में सैंड-ड्यून देखबाक हो तं जैसलमेर सं करीब चालीस किलोमीटर दूर साम गांओ जाउ, ऊंट पर चढ़ू आ ओहि इलाकाक जनजातिक मुहें ' पल्लो लटके , म्हारो पल्लो लटके .., क गीत सुनू. सामक  सैंड-ड्यून (बालुक ढेर) अपन निरंतर बदलैत स्वरुप ले प्रसिद्द अछि . 1986-87में भारतीय सेनाक प्रसिद्द युद्ध अभ्यास 'ऑपरेशन ब्रास-टैक्सक' अवधि में हम छः  मास धरि  राजस्थान में बौआइत रही. ओहि अवधिमें हम फौज़ी तामझामक संग राजस्थानक टूरिस्ट आकर्षण shifting सैंड-ड्यूनक इलाका गेल रही. किन्तु, ओकर गप्प फेर कहियो  दोसर बैसाड में . आब हमरा लोकनि हुन्डर स्थित  फील्ड एम्बुलेंस लग आबि चुकल छी .एहि युद्ध कालीन प्रतिष्ठानक हॉस्पिटल सियाचिनमें तैनात सैनिक लोकनिक हेतु निकटस्थ अस्पताल छी . हमरा लोकनिक लेहक मिलिटरी जनरल हॉस्पिटल एहि अस्पतालक रेफरल सेंटर थिक . काल्हि इएह फील्ड एम्बुलेंस भारतीय सेनाक ऑपरेशन सद्भावनाक तहत तुर्तुकमें मेडिकल कैंप आ सद्भावना रैलीक संचालन करत . आइ राति हमरा लोकनि फील्ड अम्बुलेन्सक ऑफिसर मेस में रात्रि विश्राम करब फील्ड एम्बुलेंसकेर कमान अधिकारी ले.कर्नल इन्दरजीत हजारी गयाक निवासी थिकाह.एतय  सामान्य शिष्टाचार , मित्रभाव आ आतिथ्यमें कोनो कमी नहिं. आइ लम्बा यात्रा भेलैये आब कल्याण करोट होइ.
लेखक (बामा ), पृष्ठभूमि में , बालुक ढेर,शयोक नदी आ हिमाच्छ्दित पर्वत 

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