Wednesday, December 6, 2017

सियाचिन बेस कैम्प

 नुब्रा
वीकिपिडिया के मानी तं नुब्रा भेल एहन उपत्यका जाहि में सबतरि फूले-फूल हो. तथापि  उत्तराखंडक  वैली औफ फ्लॉवर वा कश्मीर-जकां नुब्रा में बाट चलैत वनफूलकेर  जंगल वा ट्युलिपकेर बगीचा नहिं देखबैक. ने सेब, संतोला, बादाम केर बगीचा भेटत. लद्दाखमें हरियरी, फूल, आ आबादी सबकें लद्दाखक शीत मरुभूमिक परिप्रेक्ष्य में देखियौक. एतय जाड मासमें दूबि धरि सुखा कय पोआर-सन पियर भ जाइछ. ओहि दृष्टिऐं ठाम-ठाम चांगथांग (पूर्वी पठार) क बनिस्बत नुब्रामें हरियरी बेसी भेटत. ओना हरियरी आ पानिक श्रोतक संबंध एतहु ओहने छैक देना अंतय होइत छैक.
एतय पानि बेसी छैक, सयोक आ नुब्रा नदी क कारण. किन्तु, एतेक बालु आ sand dunes कतय से अयलैक से कम भूगर्भ शास्त्रीए कहताह. मुदा, एखन सयोक नदी लग आबि गेले ओकरे गप्प करी.
नदीक रूप मे सयोकक धार अद्भुत अछि. सयोकक उद्गम होइछ रिमो ग्लेशियरसं. ई ग्लेशियर सियाचिन ग्लेशियरेक उतरबरिया आंगुर जकां अछि. नुब्राक उद्गम सेहो छैक सियाचिनेसं. माने अगले-बगल. किन्तु , पूब-दक्षिण दिशा में बहैत दुनू नदीक बीच एकटा पर्वत श्रृखला अभेद्य देबाल बनि बहुत दूर धरि दुनू नदी कें दू कात केने रहैछ. एहि बीच निर्बाध नुब्रा नदी पश्चिम मुंहक बाट धरैए आ सयोक नदीकें  पूबक अलावा कोनो बाटें  नहिं.  फलतः सयोक पूब मुंहे बहुत दूर धरि चल जाइछ. अंततः पूब में जखन नदी क आगां   दोसर पहाड़क सयोकक बाट घेडि लैछ, तखन नदी हारि कय, दिशा बदलि,   नुब्रा नदी क दिशामें पश्चिम-दक्षिण दिस घूमि जाइछ . फलतः  खलसर नामक स्थान पर दुनू नदी - नुब्रा आ सयोक- क मिलान होइछ. एतय सं दुनू बहिना एक संग भ'  पश्चिम- दक्षिण दिशा में बहैत पाकिस्तान में जा कय  सिंधु में अपन जल विसर्जित करैछ. एक दोसरासं मिलबासं पूर्व सयोक नदीक एही लंबा यात्राक कारण  एकरा मारुख नदीक ( river of death ) कहल जाइछ.
मोन हयत खरदुंग-ला पार कय हमरा लोकनि खरदुंग गांओ होइत खलसर आयल रही. खलसर गांओसं सयोक  नदीकें पार करैत एकटा सड़क सियाचिन बेस कैम्प दिस, उत्तर पश्चिम मुंहे जाइछ. दोसर सड़क नदीक दक्षिणे सं, पश्चिम-दक्षिण दिशा में नुब्राक मुख्यालय  डिस्किट आ हुंडर-परतापुर होइत भारतक सीमांत गांओ तुर्तुक  धरि जाइछ. ई सड़क सयोक नदीक बामा कछेर धेने चलैछ. एतय ई स्पष्ट करब आवश्यक जे, दुनू नदी क मिललाक पछाति नुब्रा उपत्यकाक ई विशाल नदी सयोकेक नाम से जानल जाइछ.
हमरा लोकनि बेरा-बेरी खलसर सं फुटैत दुनू सडकपर यात्रा करब आ दुनू दिशा में जायब. मुदा, पहिने सियाचिने बेस कैम्प सं भ' आबी. सांझ धरि ओतयसं आपस भ हुंडर केर फील्ड एम्बुलेंस में रात्रि विश्राम हेतैक. पछाति तुर्तुक में सद्भावना रैली, मेडिकल कैम्प आ नागरिक लोकनिक आंखिक रोगक जांच  हेतैक.
खलसर सं सियाचिन बेस कैम्पक रास्ता लगभग समतल भूमि में छैक जे क्रमशः नुब्रा क उद्गम- सियाचिन- दिस जाइछ. आबादी बहुत थोड आ इलाका जनशून्य. पक्की सड़क केर अलावा दुनू कातक भूमि रोडा पाथरसं भरल. पघिलैत बर्फ आ नदीक बहाव क संग, नदीक बाट में जे किछु अबैछ नदी क संग बहैत अछि, आ नहिं जानि कतय धरि पहुंचि जाइछ. बहावक एहि प्रक्रिया में पैघ-पैघ नदी आ भूमि पाथरक आकारकें तेना तरासैत चल जाइछ जे कोनो पाथर शिवलिंगक रूप ल लैछ आ कोनो शालिग्रामक, आ किछु पाथरक पाथरे रहि जाइछ. आ वएह  पाथर-पिण्ड होइछ अंततः मनुक्ख आस्थाक प्रतीक. ओना मनुष्य सेहो नदीक वहावक  आओर अनेक प्रयोग करैत आयल अछि. कहल जाइछ, ब्रह्मपुत्र-सन लंबा नदी (जे पश्चिमी तिब्बतसं आरंभ भ' अरुणाचल क पहाड़क उपरसं होइत भारत में खसैछ) केर उद्गमसं ल कय समतल भूमि धरि ओकर बाटकें प्रमाणित करबाले तहियाक खोजी विद्वान लोकनि तिब्बतक  सांङपो नदीक धार में लकड़ी क पैघ-पैघ खंड खसबैत रहथि आ ओकरा सभ कें ब्रह्मपुत्र में तकैत रहथि. इएह प्रयोग सिद्ध कएलक जे तिब्बतक साङपो आ भारतक ब्रह्मपुत्र एके थिक. यातायात ले  नदी क प्रयोगतं आदि काल से चलिए रहल अछि. खलसर सं सियाचिन क बाटक बामा कात किछु दूर हंटि कय नुब्रा नदी हमरा लोकनिक यात्राक विपरीत दिशा ( पूब-दक्षिण) दिस बहैछ. नुब्रा उपत्यकाक एहि भागमें आबादी बौद्ध लोकनि छथि. तें गामे-गाम गोम्पा भेटत, यद्यपि लद्दाख क एहि भाग केवल चाहिए पांच टा गाम भेटत. पानामिक गाओंक गरम पानिक झरना स्थानीय लोक सबहक हेतु विशेष आकर्षण थिक.  पहाड़ी इलाका में गरम पानिक झरना कोनो अजनबी नहिं. हिमाचलक तत्तापानी- मनिकरन साहेब,  उत्तराखंड में बदरिकाश्रम, लद्दाखे में पुगा इलाका में गरम पानिक अनेक झरना देखबैक. तथापि, लद्दाख-सन शीत मरुभूमि में गरम पानिक श्रोत तं सबदुःख हरणी कोना ने मानल जाउक. गरम पानिक एहि प्राकृक्तिक संपदाक उपयोग बिजली उत्पादन आ घर कें गरम रखबा ले ( space-heating) ले सेहो कयल जा सकैछ. लद्दाख में एहि संभावना क तलाशमें एकबेर आइ. आइ. टी. बंबईक वैज्ञानिक लोकनि हमरा रहैत लेह आयल रहथि आ हमरे लोकनिक मेस में डेरा खसौने रहथि. जे किछु. पानामिकक एहि छोट-सन झरना में स्नान आ जलपान सं रोगमुक्तिक अभिलाषासं श्रद्धालु लोकनि नहाइत छथि, पानि पीबैत छथि. पानामिकक बाद ससोमा गांओ अबैछ. एतय सेनाक अनेक प्रतिष्ठान सब आ चेक-पोस्ट छैक, कारण, एहि सीमांत इलाका में सड़क निर्माण, रख-रखाव, आ सुरक्षा, सब केर दायित्व सेनाएक छैक. ससोमा सं आगू, वारसी, एहि सड़क पर अंतिम गांओ थिक. एतय गांओक अर्थ गोड पांचेक घर. वारसीक आगू, सियाचिन बेस कैम्पक लग इलाका चौड़ा भ जाइछ छैक. सड़क केर आगू सीधा ग्लेशियरक बज्र मटमैल जमल बर्फ, चौड़ा-चौड़ा दराडि, फाटल भूमि देखबैक. ओना भूमि तं ई थिकैक नहिं. ई थिक जमल, किन्तु , निरंतर बहैत नदी.
नुब्रा नदीक मुहाना
एहि गलेशियरसं निसृत नुब्रा नदी बामा दिस द'  कय  बहैछ. तें, सेनाक बेस कैम्प धरि जेबा ले नदीपर सेनाक इंजीनियरिंग कोर केर बनाओल एकटा सस्पेन्सन ब्रिज वा झूला पुल छैक.
झूला पुल
पुलक दोसर पार सेना यूनिटक मेडिकल इन्सपेक्सन रूम (MI Room ), कैन्टीन, ट्रेनिंग एरिया आ सर्वधर्म पूजा स्थल- ओ पी बाबा क मंदिर - छैक.
सियाचिनक बेस कैंपक मेडिकल ऑफिसरक( बामा सं दोसर )संग लेखक ( बामा सं चारिम)
आइ जखन देश में धर्म-संप्रदायक वाद्- विवाद जोर पकड़ने अछि आ नव देशभक्त लोकनि राष्ट्रीयताक लेबुल लगौने हर गली कूचा में बरसाती बेंग जकां बौआइत फिरैत छथि तखन एतय ओ पी बाबा क मंदिर क चर्चा सर्वथा वांछित बूझि पडैछ.
के थिकाह ओ पी बाबा आ की थिक ई सार्वजनिक पूजा स्थल ? सारांश में ओ पी बाबा थिकाह सियाचिन में शहीद एकटा सैनिक जे सियाचिन अभियानक आरंभ में कोनो ओ. पी. आउट पोस्ट (OP) पर
घटनाक दिन एसगरे तैनात रहथि. सर्वविदित अछि सियाचिन इलाका में सेना सबसं पैघ शत्रु प्रतिकूल जलवायु थिक, जकर कारण एतय सैकड़ों सैनिक अपन प्राणक आहूति द चुकल छथि. अस्तु, ओ पी बाबा सेहो अपन आउट पोस्ट से एक दिन तेना विलुप्त भेलाह जे ओकर बाद हिनका केओ घूरि कय नहिं देखलकनि. आब, निरंतर होइत भूस्खलन वा ग्लेशियरक  दराडि हिनका गीडि गेल वा ई शत्रुक  गोलाबारी क शिकार भ गेलाह, केओ विश्वास पूर्वक नहिं कहि सकैछ. किन्तु, सियाचिनक सैनिक लोकनिक धारणा छनि जे ओ पी बाबा  सैनिक लोकनि कें आसन्न खतराक पूर्वाभास दैत छथिन आ अनुशासन भंग केनिहार सैनिक कें दण्डित सेहो करैत छथिन.
अतः सियाचिन में पदस्थापित सैनिक ग्लेशियर क ड्यूटीक अवधि में खानपान आ व्यवहार क कड़ा अनुशासन पालन करैत अपन टेन्योर पूरा कय सकुशल अपन यूनिट वापस जाइत छथि. ओना सियाचिन अयनिहार सब सैनिकक मनमें शंका रहिते छैक. 1984 क अवधि में , जखन सियाचिन अभियान आरंभ भेल रहैक, हमर एकटा मित्र अपन सियाचिन टेन्योर समाप्तिक पछाति कहने छलाह, ड्यूटी तं सैनिक ले सर्वोपरि छैक. किन्तु, ओकर अतिरिक्त जं सियाचिन में पदस्थापित सैनिक मन में कोनो आओर भाव अबैछ तं ओ थिक, सियाचिन सं सकुशल वापस हेबाक अनिश्चितता ! ओ पी बाबा सैनिक सबहक मन से एही दुश्चिन्ता के भगयबामें सहायक होइत छथिन. सियाचिनक सर्वधर्म पूजा स्थलमें ओ पी बाबाक संग दुर्गा, ईसा मसीह क संग काबा क फोटो से हो भेटत. पहिल बेर भारतीय सेनाक सर्वधर्म पूजा स्थल देखनिहार ले ई आश्चर्यनक भ सकैछ, किन्तु, सैनिक ले नहिं. कारण,सर्वधर्म समभाव आ सैनिक  व्यक्तिगत धार्मिक आस्था क आदर सैनिक अनुशासनक परम्परा थिकैक.

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