केबिन
फीवर
कोरोना कांड जखन चीनमें आरम्भ भेल तं
लोक कान-बात नहिं देलक. पछाति, जखन संक्रमण चीनसं बाहर पसरय लागल तं लोक साकांछ भेल.
जखन ई रोग केरल, महाराष्ट्र होइत दिल्ली आ जयपुर पहुंचि गेल तं सरकारकें सेहो
बुझबा जोग भ’ गेलैक जे आब कान में तूर आ तेल द’ कय सुतबाक समय बीति चुकल अछि. बस
पहिने एक दिनक रिहर्सल –जनता कर्फ्यू- भेल आ तकर बाद सोझे तीन हफ्ताक देशव्यापी
तालाबंदी. ओकर बाद शहरमें
घरसं दूर, फंसल, बेरोजगार आ भूखल मजदूर चाहे तं पांव-पैदल गाँव बिदा भ’ गेल वा दूइए-
चारि दिनक बाद घर वापस जयबा ले धरना-प्रदर्शन ले सडक पर उतरि गेल. शहरी मध्यम
वर्ग तालाबंदीक पहिल दू चारि दिन तं
छुट्टी-जकां बिता देलनि. तकर बाद घरमें
बैसल लोक केर मन उबियाय लगलैक. ताहि परसं नशाबन्दी !! अस्तु, लोक वर्क-आउट विडियो, गीत-संगीतक रेयाजक फुटेज , पाक-कलाक
दक्षताक प्रदर्शन, वा वर्चुअल फोटोग्राफीमें समय बितबय लागल. आ जकरा जे इच्छा भेलैक,
फेसबुक, इन्स्टाग्राम व्हाट्सएप्प पर तमाम प्रकारक अपन फोटो, ऑडियो, विडियो पोस्ट करैत गेल . मुदा,
ब्रेड नहिं भेटतैक. बंगलोर, चेन्नई आ पांडिचेरीमें नशाबन्दी भ’ जेतैक से कल्पनाक
बाहर छलैक. मुदा, से जखन भ गेलैक तं लोक उकस-पाकस करय लागल. ओकर उपरसं विदेशसं चिंताजनक समाचार सब आबय लागल.
ब्रिटेन
केर प्रधानमंत्री कोरोना- संक्रमणकेर कारण आइ सी यू में भरती भ’ गेलाह. ई समाचार
भारतीय टेलीविजन पर आयल. मुदा, लोक अपने झंझट सं ततेक परेशान छल जे ओहि पर लोकक
ध्यानो नहिं गेलैक. पछाति,11 अप्रिल 2020 क
लन्दनसं प्रकाशित ‘डेली टेलीग्राफ ’ ई समाचार प्रसारित भेल जे सुदुक तिनिए
हफ़्ताक बंदी अबैत-अबैत ब्रिटेनमें ई
परिस्थिति भ’ गेलैये जे ओतय करीब 15 लाख नागरिक चौबीस घंटा धरि भोजन नहिं केलनि-ए.
खबरिमें आगू रहैक जे ओतय करीब 30 लाख एहन परिवार छैक जतय कम सं कम परिवारक 1
व्यक्तिकें दिनमें कम सं कम एक बेरुक भोजन छोड़य पडलनि-ए. ई समाचार लोक सब फेसबुक, व्हाट्सएप्प
पर पोस्ट करय लागल. ई पढ़ि लोक फेर चौंकल. तकर कारणों रहैक. लोकक मन में होबय
लगलैक, जखन समृद्ध देशक ई हालत तखन भारतमें की हयत, कोन ठेकान !
किछु
आओर दिनक बाद समाचारसं बुझबामें आबय लगलैक जे अपनो देशमे स्थिति नीक नहिं छैक. तकर
पहिल संकेत तेलंगाना सं आयल. ओतुका सरकार एलान केलक जे सीनियर सरकारी अफसर लोकनिकें
निर्धारित वेतनक केवल 25 प्रतिशत भाग भेटतनि. निचला तबकाक कर्मचारीक वेतन आधा भ’
जेतैक. पेंशनयाफ्ता नागरिक केवल आधा पेंशन
पओताह. एहि सूचनाक प्रसारणक पछाति केंद्र सरकारक मंत्री, सांसद,राष्ट्रपति आ उपराष्ट्रपति
धरि स्वेच्छा सं वेतनक कटौतीक सूचना प्रसारित केलनि. माने, आब आगू बज्र कतय-कतय
खसत तेकर ठेकान नहिं. केवल अपन माथ पर दुनू हाथ राखू आ त्राहि कृष्ण ! त्राहि
कृष्ण !! बंचि गेलहुं तं बुझू भगवान सूनि लेलनि, नहिं तं देह लगा कय मारू.
गोलंजर
ओहुना नीको समयमें कोरोना-वायरससं बेसी तेज पसरैत छैक. एखन तं गरमी मास छैक.एखन अफवाहक सुखायल पोआरमें लुत्ती-सन काज करैत छैक. तें, एहने परिस्थितिमें
गोलंजर उड़य लागल जे केंद्र सरकार पेंशनरकेर पेंशन आधा क’ देतैक. सरकार साकांच भ
गेल वित्त मंत्री तुरत एहि अफवाहक खंडन केलनि. मुदा, दोसरे दिन आधिकारिक सूचना प्रकाशित
भेल जे कर्मचारी आ पेंशनर केर महगाई भत्ता एखन डेढ़ वर्ष स्थगित रहत. माने लोक केर
संदेह निर्मूल नहिं छलैक.
दिल्लीक गोल्फ-लिंक इलाकामें एकटा वी
आइ पी नागरिककें एकटा अद्भुत रोग भ’ गेल छनि; अनिद्रा, अभूख आ बेचैनी- कथू में मन
नहिं लगैत छनि. असलमें पछिला चारि हफ्तासं ई सीनियर सिटिज़न ब्रिज खेलयबा ले
जिमखाना क्लब नहिं जा सकल छथि. तीन हफ्ताक तालाबंदी तं ई झेलि लेलनि. मुदा, जखन
तालाबंदीक अवधि तीन हफ्ता आओर बढ़ि गेलैक तं हिनक धैर्यक बाँध टूटि गेलनि. ताहि पर
जखन सी एन एन चैनेल पर तमसायल डोनाल्ड
ट्रंपकेर ‘ अमेरिका कें मुक्त करू’ सन आह्वान देखलखिन, तं, हिनका तर्कमें भले किछु
दम नहिं लगनि, हिनकर परेशानी दिनानुदिन बढ़इत गेलनि: अनिद्रा, अभूख आ बेचैनी- कथू
में मन नहिं लगैत छनि. आइ अंततः लॉक-डाउनक बावजूद एकटा वरिष्ठ डॉक्टरसं टेली-कंसल्टेशनक
एप्वाइंटमेंट लेलनि; डाक्टर विडियो पर गप्प करथिन आ हिनका सलाह देथिन.
निर्धारित
समय पर दुनु गोटे सम्पर्क स्थापित केलनि. डाक्टर ध्यानसं सबटा गप्प सुनलखिन. गप्प
सुनल भ गेलनि तं कहलथिन, ई तं केबिन फीवर थिक.वृद्ध पहिने तं फीवर सुनि कय कनेक घबरयलाह.
लगेमें ठाढ़ पत्नीकें तुरत दूर चल जेबाक इशारा केलथिन. किन्तु, विश्वास नहिं भेलनि.
तमसाइत डाक्टरक प्रतिवाद केलखिन. हम तं कतेक बेर थेर्मोमीटर लगा कय देखने छी. भले
माथ भरि अछि, शरीरक तापमान तं एकदम सामान्य अछि. मुदा, जखन स्थिर सं डाक्टर बुझओलखिन
जे एहि फीवर केर कोरोना-वायरसक कारण होइत ज्वरसं दूर दूर तक सम्बन्ध नहिं छैक, तं,
मोन कनेक चैन भेलनि. आगू डाक्टर पूछब शुरू केलखिन:
निन्न होइत अछि ?
रातिमें दू तीन बेर तं निन्न टूटिए
जाइत अछि.
भूख लगैत अछि ?
- ठीके-जकां, मुदा पूरा नहिं.
- तखन तकलीफ की अछि ?
- घरमें बैसल-बैसल तंग भ’ गेल छी.
- अहाँके अपन घर अछि कि ने ?
- माने ?
- माने, करीब आठ लाख भारतीयकें घर
नहिं छैक से बूझल अछि !
- हमरा ई की कहैत छी. हम केद्र सरकारक
सचिव रही. अहाँक तं जन्मो नहिं भेल छल हयत.
- तखन तं अहाँ कें इहो बूझल हयत भारतमें
प्रवासी श्रमिक-मजदूरक संख्या कतेक छैक.
- करीब एक करोड़.
- एहि म सं एखन लाखों जहां-तहां
आइसोलेशन कैंपमें फंसल अछि. ने घर केर ने घाट केर !
- बृद्धक मोन खौंझाए लगलनि. कहलखिन, हमरा
अहाँ ई की ककहरा पढ़ा रहल छी !
- डाक्टर मुसुकाइत कहलखिन: अहाँकें
तकरे काज अछि. अपन घर अछि. भोजन उपलब्ध अछि. बैंक बैलेंस अछि. आ कोनो काज नहिं
अछि. परिश्रम आ व्यायाम नहिं करैत छी. अहाँकें घर बैसल मजदूर, कैंप में फंसल
नागरिक, सड़क पर तैनात पुलिस आ सफाई कर्मी, आ अस्पताल में तैनात डाक्टर-नर्सक
परिस्थिति पर ध्यान गेले ? जाउ, एहि फीवर सं अहाँक जान नहिं जायत. हं, रहल अनिद्रा,
अभूख आ बेचैनी आ कथू में मन नहिं लगैत अछि,
से . जं, एहन विपरीत परिस्थिति अहाँ एना अनुभव करैत छी तं अहाँ सामान्य छी ! एखन एहन
परिस्थिति में जकरा एहन नहिं बूझि पड़ैक ओ असामान्य अछि, अहाँ नहिं !
सीनियर सिटिज़न केर चेहरा पर मुसुकी
आबि गेलनि आ ओ तत्काल विडियो कॉल ऑफ क’ देलखिन.
No comments:
Post a Comment
अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.