Thursday, April 2, 2020

COVID -19 : अभूतपूर्व चुनौती आ अभूतपूर्व अवसर


COVID -19 : अभूतपूर्व चुनौती आ अभूतपूर्व अवसर

जखन मनुष्य विश्वविजेता-जकां अंतरिक्षकें फनैत मंगल ग्रह पर महानगर बसयबाक नेयार करैत छल, कि एकटा अदना, अदृश्य सूक्ष्म जीवाणु - COVID -19 – एकाएक चीन सं अमेरिका आ अफ्रीका सं ऑस्ट्रेलिया धरिक  मनुष्यक दम्भकेर बैलूनमें एकाएक, तेना ने एकटा सूई भोंकलक, जे सम्पूर्ण संसार ओकर सामने ठेहुनिया देने अस्तित्वक रक्षामें अहुरिया मारि रहल अछि, किन्तु, कोनो  सुलभ समाधान उपलब्ध नहिं छैक.जं एहि महामारीकें ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्यमें देखि तं बहुतो तथ्य सामने आओत. तें, एखन COVID -19 क संग आयल अभूतपूर्व चुनौती आ अभूतपूर्व अवसर पर विचार करी.
पृथ्वीपर मनुष्यक इतिहास बहुत लम्बा छैक. किन्तु, लिखित इतिहास, तुलनामें बड छोट. तथापि, उपलब्ध इतिहास कहैत अछि, मानव अस्तित्वपर जीवाणु-जनित रोगसं मनुष्यपर ई कोनो पहिल खतरा तं नहिए थिकैक. प्रायः अन्तिमो नहिं होइक. विश्वमें  प्लेग, चेचक, हैज़ा, इन्फ्लुएंजा, स्वाइन-फ्लू,डेंगू आ एच आइ वी संक्रमण तं सर्वविदित अछिए. किन्तु, केओ ई बिसरि सकैत अछि जे आइओ टीबी, कुपोषण, प्रदूषण, आ चिकित्साक अभावमें, प्रतिवर्ष कतेक लोक मरैत अछि.
तें, कोरोनासं पहिने भारतमें आन-आन रोगसं प्रभावित जनसंख्याक गप्प करी.
भारत सरकारक स्वास्थ्य मंत्रालयक रिपोर्टक अनुसार वर्ष 2018 में  भारत में टीबीक 27 लाख नव केस दर्ज भेल. 'लांसेट' नामक विशिष्ट पत्रिकामें प्रकाशित लेख केर अनुसार वर्ष 2017 में भारतमे मलेरियाक 96 लाख केस दर्ज भेल अछि. ज्ञातव्य जे श्रीलंका आ मालदीव मलेरिया उन्मूलन क' चुकल अछि. अनुमान अछि, भूटान, नेपाल आ ईस्ट तिमोर 2020 धरि मलेरियाक उन्मूलन क' लेत. एक रिपोर्टकेर अनुसार जनवरी 19सं अक्टूबर 2019 धरि भारतमें डेंगूक 67000 रोगीक सूचना आयल छल.  भारतमें वर्ष 2017 में करीब 21 लाख व्यक्ति एच आइ वि सं संक्रमित छथि. 17 मार्च 2020 क' स्वास्थ्य आओर परिवार कल्याण मंत्री अश्विनी कुमार चौबेक द्वारा लोकसभा मे देल बयानक अनुसार वर्ष 2020 में एखन धरि इन्फ्लुएंजा वायरस H1N1 सं संक्रमण पछिला वर्षक बनिस्बत दूना अछि ; वर्ष 2019मे स्वाइन फ्लुसं भारतमें 1218 मृत्यु दर्ज अछि. 
एखन कोरोनासं सर्वत्र हाहाकार अछि.   
प्रश्न उठैछ, जखन विश्वभरिमें एतेक संक्रमण आ कुपोषणक रोग रहैक, तखन ओकर चर्चा किएक नहिं होइत रहैक ? अहाँक पड़ोसीक घरमें उपास होइत छल, आ अहाँ सात गामक ब्राह्मणक जेबारी नोतिकय बाँहि पुजबैत रही. ओहिना जेना सबसहारा अफ्रीकाक भुखमरीसं लाखों नागरिकक मृत्यु समृद्ध देशक आम नागरिकक चेतनामें नहिं अबैत छलैक. किन्तु, आइ परिस्थिति बदलि गेलैये.  कोरोना समृद्ध आ विपन्नकेर अन्तरे टा नहिं दूर केलक अछि, संपन्न देश सब पर कोरोनाक कहर बेसी प्रबल अछि. कारण : द्रुत गतिक यातायात, आ त्वरित संक्रमण अंतर्राष्ट्रीय सीमाकें तहस-नहस क देलक-ए.  तें, विश्वमें सर्वत्र एके रंग हाहाकार अछि. प्रायः, आब लोककें क्रमशः बुझबामें आबि रहल छैक, एहि भूमण्डलीकृत गांओमें रोग देशक सीमा आ गरीब धनिकक अन्तरकेर परबाहि नहि करैछ ! आ तें, आइ जहिना तालाबंदी दिल्लीमें अछि तेहने लन्दन, न्यू यॉर्क, वाशिंगटन, पेरिस, वुहान, कैनबरा आ केप टाउनमें अछि. तथापि, जखन ई आगि एके क्षेत्र आ एके देशमें लगैक ‘तानि कमरिया पड़े रहो’ ने उचित आ ने अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्यले हितकर.
तथापि, एखन जखन सर्वत्र आगि लागल छैक, पहिने घरमें लागल आगि मिझाबी . बादमें देखबैक आगि कतय सं शुरू भेलै. अकस्मात् शुरू भेल, कि केओ जानि कय लगओलक. सेना अधिकारीक रूप में हमरा एतबा अवश्य बूझल अछि जे विष आ विषाणुक उपयोग युद्धमें  अस्त्र-जकां भेल अछि आ होइछ. किन्तु, एखन एकरा एक कात करी. समाचार पत्र आ राजनीतिज्ञ रोग आ विपदा के सेहो जाति आ सम्प्रदायसं जोड़बाक कोशिश करताह. जेना, उपनिवेशवादी युगमें सब रोगक दोष ‘ अश्वेतहिं’क माथ पर मढ़ल जाइक. किन्तु, ई विज्ञान आ समाज दुनू ले अहितकर. वैज्ञानिक दृष्टि सब समस्याक वस्तुनिष्ठ विश्लेषणक आग्रह करैछ.
आब वर्त्तमान विपदाक दोसर, पक्ष सबकें देखी. 
सर्वविदित अछि प्रत्येक सिक्काक दूटा पक्ष होइछ. कोरोनाक एक पक्ष अछि विश्वव्यापी भय आ तालाबंदी. तथापि, दोसर पक्ष जकर ने एखन चर्चा होइछ, आने तकर एखन अवसर छैक ओ थिक तालाबंदी, आ मानव उपभोगमें व्यवधानक,   ग्रह-नक्षत्रक रूपमें पृथ्वी, आ प्राणिक रूपमें मनुखक जीवनपर गुणात्मक प्रभाव. एहिपर कनेक विस्तारसं चर्चा आवश्यक.
एखनुक युगमें ट्विटर,फेसबुक, व्हाट्सएप्प, इन्स्टाग्राम-सन विविध सोशल मीडिया द्वारा नागरिक तत्काल अपन मनोभाव आ परिस्थितिए टा कें नहिं, वल्कि विश्वक विविध समस्यापर नीक-बेजाय, तार्किक-अतार्किक विचारकें क्षण भरिमें प्रसारित क लैछ. अस्तु, जखन तालाबंदी भेल, बैसल लोक अपन, अनकर, समाजक आ प्रकृतिक स्वरुपक चित्र उतारि  सब ठाम बिलहय लागल.
सबसं पहिने हमरा नजरि पड़ल.इटलीक वेनिस शहरकेर चित्रपर. सत्य वा असत्य. केओ फोटो देने रहथिन. कहब रहनि, वेनिसमें पर्यटकक आबाज़ाही बंद भेलासं शहर आ समुद्रमें प्रदूषण तं कम भेबे केलैये, वेनिसक चारूकातक एड्रियाटिक समुद्रमें लोककें एकाएक डॉलफिन (नामक स्तनपायी समुद्री जीव ) देखबामें आबय लगलैए. आनो ठामक खबरि आकृष्ट केलक; एकटा विडिओमें तेल अबीब शहरक एअरपोर्टपर बत्तकक पाँति सब रनवे नांघि रहल छल ! ई सब चित्र आरम्भिक छल. क्रमशः, लोककें आ अंतरिक्षमें स्थित अंतरिक्ष-यानसबकें आनो-आन परिवर्तन पर नजरि पड़य लगलैक. सुनैत छी, वातावरणमें बढ़ैत क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैसके कारण ओजोनकेर परतमें जे छेद भ गेल रहैक से जडिआयल घाव-जकां क्रमशः भरय लगलैए. दिल्ली आ बम्बई-सन शहरकेर हवाक क्वालिटीमें अभूतपूर्व सुधार भेलैये. हं, वातावरणमें एहि सुधारकेर फेफड़ा आ श्वासक रोगक संख्यामें केहन तात्कालिक प्रभाव भेलैए वा कहन दूरगामी परिणाम हेतैक से बुझबाले किछु प्रतीक्षा करय पडत. विश्वमें सबप्रकारक यातायात बन्न अछि. कच्चा तेलक दाम पातल पहुँचि गेले. किन्तु, भारत सरकार प्रति लिटर पेट्रोल पर पांच टाका आपदा प्रबंधनले उगाही करय चाहैछ. किन्तु, उगाही तखन ने हयत जखन गाड़ी चलत !  सुनैत छी, घरमें बंद मनुख आब बच्चा-बुतरू, घर-परिवारसं गप्पो क रहल अछि. किन्तु, तकर विरुद्ध  उपस्थित अंतिम बाधा- मोबाइल फ़ोन आ टीवी- एखनहु सब ठाम टांग अड़ओने ठाढ़े अछि. ओहि एकरा सशक्त  सोलर फ्लेयर चाही.मुदा, ई एखन दूरे रहओ.                                                                                                 
एकटा दोसर गप्प. नेपाली मूलक हमर छात्र आ इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डाक्टर युबराज सेधै अमेरिकासं फेसबुक पोस्टमें लिखैत छथि:
Where have all the regular patients gone? Why aren’t we seeing as many strokes and MIs for example? I’m starting to worry people who do need to be at the hospital are too scared to come because of COVID19.
( अस्पतालक आम रोगी कतय बिला गेल ! हृदयाघात आ लकबाक रोगी एकाएक कतय चल गेल ? हमरा भय अछि, कदाचित कोरोनाक सं भयभीत लोककें अस्पताल अयबामें भय तं नहि  भ रहल छैक !)

जवाबमें हम कहलियनि: ‘संभव छैक, परिवारक संग आ निरंतर दौड़ सं मुक्तिक  लोकक ह्रदय आ मस्तिष्क पर गुणात्मक प्रभाव भेल होइक !’ तथापि, हमरा दुनु गोटेक धारणाक अनुसन्धान अवश्य हेबाक चाही आ होइत हेतैक !
किछु गोटे लिखैत छथि, अमुक-अमुक किताब पढ़ल, अमुक-अमुक  सिनेमा देखल. हमर बहिन कोइलखसं फोन  केलनि. कहलनि: ‘अहाँके बैसल रहबाक कोन डर. लिखैत रहू !’  माने, विद्यार्थी, शिक्षक आ लेखक लोकनि बैसाड़ीओ उपयोग करथि तकर अवसर तं छैके.
किन्तु, एतबे दिनमें ई कोरोनाक संकट समाज, राजनीति, स्वास्थ्य, आ विज्ञानक अनेक फलक केर कतेको सत्यकें खोलि देलक-ए. देखल जाय:
-सिद्धिविनायक विनायक, तिरुपति, वैष्णोदेवी आ कामख्याक मन्दिर बंद अछि. मुदा, रोगग्रस्त अभिनेता ऋषि कपूरकें आवासपर शराबक डिलीवरी चाहियनि.
- जन-मजदूर आ नौकर-चाकर, जे नीक समयमें अहाँक हाथ-पयर थिक, विपरीत परिस्थितिमें कैंसर आ अछूत भ गेले. प्रवासी मजदूरक वर्तमान पराभव आ पलायन गवाह अछि. ततबे नहि, बहुतो शहरी मध्यवर्गक घरमें झाडू-पोछा, बर्तन-बासन, फुलका पकबैले प्रवासी मजदूर एखनो आबिए रहल अछि, से नित्य देखैत छी.
- मुख्यमंत्री लोकनि कहैत छथिन श्रमिकक वेतन नहिं कटिऔक. किन्तु, वेतन आ पेंशन आधा करबाक पहिल पहल तेलंगाना आ महाराष्ट्र राज्य सरकारे क’ रहल अछि. स्मरणीय थिक, राजनेता वर्ग अपन सुविधा बढ़ेबामें कखनो पयर पाछू नहिं करैत छथि. 
- तमिलनाडु प्रतिवर्ष शराबकेर बिक्रीसं 33,000 करोड़ वित्तकेर उगाही करैछ. आंकड़ाक अनुसार, विश्व स्तर पर जनसंख्याक  करीब 38  प्रतिशत नित्य मदिरा सेवन करैछ.  ताहि हिसाबे बंदीक दौरान तमिलनाडुक 6.79 करोड़ आबादी म सं नित्य शराबक उपयोग कयनिहार 2.65 करोड़ व्यक्तिक जेब में कम सं कम 1037 रुपैया प्रतिमासक बचत हेतनि, से गणित कहैत अछि. स्वास्थ्य सुधरि जेतनि आ परिवारमें शान्ति भ गेलनि तं से बोनस !
- पहिने तं अमेरिकाक राष्ट्रपति कोरोना कें हौआ कहि देलखिन. मुदा जखन परिस्थिति विपरीत भ गेलैक, तं तुरत ओ अपनाके War-time-President घोषित क देलनि. विपत्तिक तव पर रोटी सेदि लोकप्रियता बढ़ेबाक ई प्रक्रिया सबठाम जारी अछि. आँखि-कान खोलने रहू.
किछु आओर विषय पर विचार आवश्यक:                                                                                           - कोरोनाक प्रसार भेने समाजमें आन रोग ख़त्म नहि भ गेलैये. किन्तु, चिकित्साले लोक कतय आ कोना जायत ?
- मिक्सीकेर प्रयोगसं सिलौट बिला गेल. मोबाइलमें टोर्च आ कैमरा सं टॉर्च आ कैमरा दुनू बिला रहल अछि. मेडिकल क्षेत्रमें पुनः प्रयोग में अयबावला मास्क आ ग्लव्स- सं नित्य प्रयोगक उपकरणक ‘ प्रयोग करू आ फेकू’ संस्करण अयलासं एखन मास्क आ ग्लव्स केर कमी डाक्टर लोकनि ले गंभीर समस्या भ’ गेल छनि. स्मरणीय थिक कपड़ाक reusable मास्क आ reusable latex ग्लव्स आइ सं तीस वर्ष पूर्व सब अस्पताल में आम छल. आइओ जं कपड़ाक ग्लव्स बनय तं बड़का समाधान सोझाँ आओत, biomedical waste थोड़ हयत, पर्यावरणक संरक्ष्ण हयत. अर्थात्, नव आविष्कारक संग पुरनका उपकरणक उपयोगिताकें जुनि बिसरी. हं, हरेक शहरमें लोक इमरजेंसी ले हैण्ड-पम्प तं नहिए गाडि देतैक.
- एविएशन/ विमानन केर बंदीसं अन्तराष्ट्रीय विमानन सं मौसम सम्बन्धी जे जानकारी मौसम-विभाग सब निरंतर जमा करैत छल से बंद छैक. संयोग सं ओहने नहिं, किन्तु, दोसर विकल्प सब एखन उपलब्ध छैक.
सारांशमें, युद्ध आ विपदा विज्ञानक हेतु चुनौती आ अवसर दुनू होइछ. समाजक अनेको क्षेत्रमें उपयुक्त एखुनका तकनीक आ उपकरण युद्धकालक  आविष्कार थिक. एखुनको विपत्ति एकटा चुनौती छी. तथापि, एहि चुनौतीमें मानवहितक अवसर ताकब हमरा लोकनि नहिं बिसरी. संभव अछि, गाँधी सं मोदी धरिक स्वच्छता अभियान रागाणु आ रोगक प्रति जे जागरूकता सौ साल में समाजकें नहिं सिखा सकल से सम्पूर्ण विश्व कोरोना क झटकाक सौ दिनहिं में सीखि लियअ !  
 

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