Saturday, October 31, 2020

डायबिटिज रोगी आँखिक ज्योतिक सुरक्षा कोना करथि

 

डायबिटिक रेटिनोपैथीसँ आँखिक सुरक्षा कोना करी

डायबिटीज विश्व स्तर पर एकटा प्रमुख समस्या थिक. उपलब्ध आंकड़ाक अनुसार वर्ष 2020में भारतमें करीब सात करोड़ सत्तरि लाख नागरिक डायबिटीजसं पीड़ित छथि. ई संख्या भविष्यमें बढ़त. ज्ञातव्य थिक, डायबिटीजक  दुष्प्रभाव शरीरक अनेक भाग पर पड़ैत छैक. आँखि सेहो ओही सब म सं एक थिक. बुझबाक इहो थिक जे विकासितो देशमें 20-74 वर्षक आयुक नागरिकमें डायबिटीज अन्धताक एक प्रमुख कारण थिक. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्लीक हाल केर एक अध्ययनक अनुसार अनुमानित अछि, भारत वर्षमें डायबिटीजसं पीड़ित व्यक्ति लोकनिमें फी सदी लगभग 17 व्यक्तिक आँखि जांच कयलासं आँखिमें  डायबिटीजक  दुष्प्रभाव (डायबिटिक रेटिनोपैथी) देखबामें आएल. ई संख्या थोड़ नहिं. अस्तु, एहि समस्याक  हेतु हमरा लोकनिके डायबिटिक रेटिनोपैथीक विषयमें मोट-मोट बातक जानकारी आवश्यक, जाहिसं आँखिक ज्योतिकें डायबिटिक रेटिनोपैथीक दुष्प्रभावसं बंचाओल जा सकय.

एहि लेखमें लोक-स्वास्थ्य आ लोकहितक हेतु एही विषयपर जानकारी देब हमर लक्ष्य अछि.एकरा हम एतय सामान्यतया पूछल गेल प्रश्नोत्तरीक रूपें प्रस्तुत करैत छी. एकर अतिरिक्त हम सहर्ष प्रश्नोत्तरीक हेतु प्रस्तुत छी.

आरम्भमें कहि दी,  तीस वर्षक वयससं पहिने होबयबला डायबिटिज ( type 1 diabetes mellitus ) तीस वर्षक वयससं बाद होबयबला डायबिटिज ( type 2 diabetes mellitus ) एक होइतहु मूल स्वभावमें  भिन्न-भिन्न थिक. तें आब आगू एहि दुनूक चर्चा भिन्न-भिन्न नामें हयत.

की प्रत्येक डायबिटिक के रेटिनोपैथी हेबे करतनि ?

अमेरिकामें एक समुदायमें डायबिटिजक किछु रोगी लोकनिक लम्बा अवधिक देखभालसं किछु तथ्य सामने आयल अछि जे नीचा देल अछि:

1. type 1 diabetes mellitus में 20 वर्षक रोग बाद 99 % रोगीमें  में रेटिनोपैथी देखल गेलैक  

2. type 2  diabetes mellitus में 20 वर्षक रोग बाद  60 % रोगीमें रेटिनोपैथी देखल गेलैक

यद्यपि आँखिक रोशनी खराब हयबाक सम्भावना एहि म सं किछुए प्रतिशत रोगीमें  मानल गेलैये.

डायबिटीजक आँखिकें कोना प्रभावित करैछ  ?

डायबिटीज मूलतः शरीरक सूक्ष्म रक्त नली सबकें प्रभावित कय रक्तक बहाव, आ रक्तक लाल कोशिकासं रेटिनाक बांकी कोशिका धरि आक्सीजनक बहावकें बाधित करैत. एकर अतिरिक्त डायबिटीजमें रक्त आ लाल रक्त कोशिकामें सेहो किछु आओरो विपरीत परिवर्तन रक्तक बहावकें बाधित करैछ. रक्तक केशनली सब बाटें रक्त बहाव बहावक इएह समस्या आँखिक संवेदी परत, रेटिना,क स्वास्थ्यक अहित करैछ. फलतः, जहाँ-तहाँ रेटिनाक भीतर शोणितक जमाव, शोणितक नव-नव आ हानिकारक केशनलीक बनब, आँखि भीतर रक्तक थक्काक जमाव आँखिक रोशनीकें खराब करैछ. डायबिटीजमें रेटिनाक भीतरक एही सब परिवर्तनक संकलित स्वरुपक नाम थिक डायबिटिक रेटिनोपैथी. डायबिटिक रेटिनोपैथीक  अतिरिक्त डायबिटीजमें मोतियाविंदु आ ग्लौकोमा ( काला मोतिया ) क संभावना सेहो बेसी होइछ. अंततः, सब किछु मिलि डायबिटीजक रोगीक आँखिक ज्योतिमें बाधाक सम्भावना बढ़ि जाइछ.

डायबिटिक रेटिनोपैथीक खतरा कोना बढ़इछ ?

1. डायबिटीजक अवधि डायबिटिक रेटिनोपैथीक हेतु सबसँ मूल खतरा थिक, जकर चर्चा ऊपर भेल अछि. किन्तु, एकर उपाय नहिं. बढ़ैत उम्रक संग डायबिटिक रेटिनोपैथीक खतरा बढ़ब स्वाभाविक थिक.

2. ब्लड सुगर केर परिमाण डायबिटिक रेटिनोपैथीक दोसर मूल खतरा थिक.

3. हाई ब्लड प्रेशर

4. रक्तमें वसा (Lipid)केर अधिक मात्रा

5. नस्लगत ( यूरोपीय आ एशियाई ) खतरा, गर्भाधान, तमाकूक सेवन  (smoking)

डायबिटिक रेटिनोपैथीसँ बचाव कोना करी ?

1. डायबिटीजक पकड़में अबिते आँखिक विशेषज्ञ द्वारा आँखिक पुतलीक आकारकें बढ़ाकय आँखिक परदा (रेटिना)क जांच हो आ पछाति आँखिमें डायबिटिक रेटिनोपैथीक लक्षण नहिओ हो तं प्रतिवर्ष आँखिक विशेषज्ञ द्वारा आँखिक पुतलीक आकारकें बढ़ाकय आँखिक परदा (रेटिना)क जांच हो.

2. ब्लड सुगरकेर नीक कंट्रोल रहय. रक्तमें Hb1Ac कमात्रा 7 % सं कम रहब  रेटिनोपैथीसं,  आ आँखिक रोशनी ख़राब हयबा सं बंचबैछ.

3. ब्लड प्रेशरकें कंट्रोल में राखी.

4. ब्लडमें वसा (Lipid)केर  नियंत्रण ले तेल-घी सं बंची. आवश्यकता भेला पर डाक्टर औषधि (statin tablet ) सेहो लिखताह.

5. सिकरेट-बीड़ी-तमाकूसं बंची.

6. डायबिटीजक महिला जं गर्भ धारण करथि तं आरम्भमें आँखिक जांच हो. पछाति आँखिक डाक्टरक सलाह अनुसार देखबैत रही.

7. आँखिक रोशनीमें शिकायत भेला पर आँखिक डाक्टरसँ तुरत सलाह ली.

सारांशमें सुगर, बीपी, वसाक नियंत्रण, आँखिक नियमित जांच आ तमाकू-बीडी सिकरेट सं बंचावसं डायबिटीजोमें आँखिक ज्योतिक रक्षा संभव छैक.

       

2 comments:

  1. से त हमरो अछि..तमाकू सेहो खाइ छी..लेख पढि भयभीत भेल छी..आँखि क रोशनी नहि रहने..बड मोसकिल छै..मुदा लेख ग्यान वर्धक थिक..धन्यवाद

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  2. ई लेख जनसामान्यक जानकारीक हेतु थिक.भयभीत जुनि होइ. हम चाहैत छी, प्रश्नोत्तरक सिलसिलासँ जानकारी बढय. मिथिलांचल मे आँखिक अस्पतालक अभाव छैक.
    बहुत दिन पहिने गोविंद बाबू कहने रहथि, 'अहाँ आँखिक रोग पर एकटा पोथी लिखू.'किन्तु, बाजार आ मांग केर अभाव लेखककेँ हताश करैछ.काल्हि अपन शास्त्रक परायण कालमें जनसामान्य ले किछु लिखबाक इच्छा भेल.अस्तु.

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