यूनिट-मन्दिर सैनिक
लोकनिक पूजा-स्थल थिक. यूनिट (सैनिक इकाई) छोट हो वा पैघ, बहुसंख्यक सैनिकलोकनि
हिन्दू , मुसलमान,सिख, इसाई वा बौद्ध होथि समुचित पूजास्थल अवश्ये भेटत. हँ,
यूनिटमे मन्दिर, गुरुद्वारा, मस्जिद वा गिरिजा, कि बौद्ध मन्दिर -गोम्पा हेतैक ,
से बहुसंख्यक सैनिकलोकनिक धार्मिक आस्थापर निर्भर होइछ. पंडित-पादरी-लामा-मौलवीक
बहालीसेहो पूजा-स्थलेक अनुकूल हेतैक ने. एकरा एना बुझू, परिवार छोट हो वा पैघ
गोसाउनिक घरक बिना कोना निमहता हयत ? सैनिक यूनिटक देवी-देवता सेहो कुलदेवी वा कुल
देवता थिकाह. एहि पूजास्थलसबमें अपन घरे-अंगना जकां, एकेठाम अनेक देवी-देवताक समावेश
होइछ, जाहि सं विभिन्न मताबलंबी अपन आस्थाक अनुकूल " प्रभु मूरति "क
दर्शन करथि . तें युद्ध हो वा शान्ति, पड़ाव स्थायी हो वा निरंतर गतिमान, सर्वदा,
सबतरि कुलदेवी-कुलदेवता संग रहबे करताह ; सौभाग्य वा दुर्भाग्यमें, युद्ध आ शान्तिमें देवी-देवता आ धर्मगुरुक उपस्थिति सैनिकक
आत्मबलकें सुदृढ़ करैत छैक.
सियाचिन बेस कैम्पक लगक सर्वधर्म मन्दिर |
सियाचिन बेस कैम्पक लगक सर्वधर्म मन्दिर |
केहन होइत छनि सैनिकलोकनिक पूजा स्थल ? कोना होइत छैक दैनिक
पूजा ? धर्मगुरु लोकनि बहाली कोना होइत छनि? युद्ध आ शान्तिमें, जन्म-मरण आ
धार्मिक अनुष्ठानक समय धर्मगुरुलोकनि अपन
दायित्वक निर्बाह कोना करैत छथि ? विभिन्न धार्मिक मताबलम्बी नगरिक्क एहि देशक सैनिकक बीच कोना होइछ धर्मनिरपेक्षताक निर्बाह ? ई सब
किछु जनसामान्यले कौतुहलक विषय भ सकैत
अछि. तें एहि लेखमें सैनिक यूनिट-पूजाक स्थल, सैनिक पण्डित-पुजेगरीक बहाली आ
कार्यकलापक संग सैनिक मन्दिर आ आन पूजास्थलसभक दैनिक
गतिविधिक संक्षिप्त झलक भेटत. एहि सबहक विवरण हमर सैनिक जीवनक अनुभवक माध्यम सं सुनू .
1983 इसवी . जनवरीक
मास . जाड़काला . दरभंगा सं दानापुर गेल रही . सैनिक अस्पताल, दानापुर में योगदान
केलहुं . ई अस्पताल अपन स्थापनाक दिन सं आइ धरि ओत्तहि अछि. अर्थात स्टैटिक यूनिट
थिक. 1983 क जनवरी सं अप्रैलक आरम्भ धरि
ओतय रही . सैनिक अस्पताल दानापुरमे यूनिट मन्दिर रहैक किन्तु, एहि अवधिमें कोनो
सार्वजनिक पूजा-पाठक अवसर आयल रहैक तेना किछु मोन नहिं अछि . मुदा एतबा अवश्य मोन
अछि जे अस्पतालक सूबेदार धर्मगुरु आ निकटस्थ बिहार रेजिमेंटल सेन्टरकेर धर्मगुरु
लोकनि यदा-कदा दुपहरिया वा सांझकय वार्डसबमे आबथि आ रोगी सैनिक लोकनिक हाल -चाल
पुछथिन, सांत्वना देथिन. तहिये बुझलियैक, दुःखसुखमें सैनिक लोकनिक मनोबलकें अक्षुण
राखब सेहो धर्मगुरुए लोकनि काज थिकनि .
किछुए दिनक पछाति
हमरा लोकनि, नव बहाल अफसर लोकनि , (अफसर ट्रेनिंग स्कूल) लखनउ गेल रही. अफसर
ट्रेनिंग स्कूल आ सेना चिकित्सा सेवा कोर केर स्कूल सेनाक बड पैघ इकाई थिकैक .
विभिन्न धर्माबलंबी, हजारों सैनिक आ सैकड़ो अफसरक संस्था . ओतय पंडित , पादरी ,
ग्रंथी आ मौलवी सब रहथि. हमरा लोकनिक ट्रेनिंग करीब दस हप्ता चलल छल . ट्रेनिंगकेर
पछाति हमरा लोकनि भारत आ भूटानमें भिन्न-भिन्न स्थानपर, नव-नव यूनिट में योगदान
केने रही . मुदा ट्रेनिंग समाप्त हेबासं पूर्वक शपथ-ग्रहण कोना बिसरत. एकदिन
निर्धारित समय हमरा लोकनिसब गोटे क्लासमें एकत्र भेल रही . पंडित , पादरी , ग्रंथी
आ मौलवी सब गोटे अपन-अपन धार्मिक-ग्रन्थ ल कय आयल रहथि. धर्मगुरु लोकनि आ हमरा
लोकनि बेर-बेरी पवित्र धर्म-ग्रन्थ सबपर हाथ रखा हमरालोकनिक शपथ-ग्रहण करौने छलाह. पछाति ट्रेनिंग
समाप्त हेबासं पूर्व रंगरूटक , कसम-परेडसेहो ओत्तहि देखलियैक.
लखनऊ सं हम चकराता गेल रही . ओतुका
सैनिक लोकनि बहुधा बौद्ध रहथि . पूजास्थल गोम्पा कहबैत छलैक . धर्मगुरु लामा कहबैत
छलाह . सैनिक लोकनिमें हिन्दू-मुसलमान-सिख-इसाई-बौद्ध सब रहथि . मुदा, रवि दिनक' हमरालोकनि
नियमतः सामूहिक पूजामें सम्मिलित होइ. बुझबाक थिक, सामूहिक पूजामे उपस्थिति सैनिक जीवनक रीति आ सबहक हेतु अनिवार्यता थिक . वैयक्तिक पूजा-अर्चना वैयक्तिक
थिक, जेना मोन हो करू, नहिं करू. केओ नहिं पूछत. इएह थिकैक सैनिकक जीवनक अनुशासन. चकरातासं हम सोझे असम गेल रही. आगामी तीन वर्षक
अवधिमे हमरा अरुणाचल प्रदेशमे विस्तृत भ्रमणक अवसर भेटल छल. मुदा मधुर अनुभव
सबदिन मधुर कहाँ रहि पबैत छैक. मोन अछि,
हमरा लोकनिक तैराकी-प्रशिक्षक अरुणाचलक सियांग नदीमें डूबिकय मूइल छलाह. एहि दुःखद
अवसरपर पाहिले बेर देखलियैक, सैनिक जीवनक सम्बन्ध-बन्ध
कहन दृढ़ होइत छैक; ओहि प्रशिक्षकक मुखाग्नि कमांडिंग ऑफिसर स्वयं देने रहथिन आ
अन्त्येष्टिक कर्मकाण्ड यूनिट लामा द्वारा
सम्पन्न भेल रहै . एहि अभूतपूर्व अनुभवक चर्चा हम अपन कथा 'येनास्य पितरो
याता' * में सेहो केने छी . कहैत
छैक, उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे , राजद्वारे श्मसाने च
यस्तिष्ठति सः वान्धवः ( उत्सव, व्यसन, अकाल,श्मसान जे सबतरि, सर्वदा संग दियअ सेह वन्धु-वान्धव थिकाह !) आरंभिक तीन वर्षक नौकरीक पछाति हमर पोस्टिंग हरियाणाक
चंडीमंदिर नामक स्थानमे भेल छल . चंडीमंदिर गेलाक किछुए दिनक पछाति कृष्ण-जन्माष्टमीक
पर्व आयल रहैक . सर्वविदित अछि, कृष्ण-जन्माष्टमीक पूजा मध्यरात्रि धरि चलैत छैक .
हमरा लोकनि सब गोटे पूजामें सम्मिलित भेल रही . मुदा वर्कशॉपकेर प्रभारी अफसर मेजर अल्ताफ़ हुसैन सेहो नवजात कृष्णकेर झूला
झुलौने रहथि. हमराले ई अनुभव तहिया आश्चर्यजनक छल आ आब अविस्मरणीय अछि ! धार्मिक
मतभेदक वातावरणमें निस्संदेह भारतीय सेना धार्मिक सहिष्णुताक बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुतकरैछ.
सैनिक जीवनक साम्प्रदायिक एकटा धर्मिक उदाहरण
हमर राष्ट्रीय एकताकें सुदृढ़ करैत अछि , एहि तथ्यक प्रचार हेबाक चाही.
वर्ष 1986-87 भारतीय सेनाक वृहत्तर युद्ध-अभ्यास' ब्रास-टैक्स प्रायोजित भेल
रहैक. तहिया हम चंडीमंदिरमे एकटा फील्ड यूनिटमें पदस्थापित रही. किछुए वर्ष पूर्व
दानापुरमें एहि यूनिट स्थापना भेल रहैक. दानापुरमे नियत तीन वर्षक कार्यकालक पछाति
ई यूनिट हालहिंमे चंडीमन्दिर आयल छल . ओत्तहिं सं हमरा लोकनि युद्ध-अभ्यास 'ब्रास-टैक्स' में हिस्सा लेबाले हरियाणा-पंजाब होइत राजस्थान गेल रही. सौ-दू सौ टेन्ट-तम्बू,
माल-असबाब, गोटेक हज़ार सैनिक,सौ-डेढ़-सौ ट्रक , गोटेक सौ जीप, ओतबे वायु-रक्षक तोप
आ गोला बारूद, यूनिट वर्कशॉप, आ अनगणित विविधा. हमरा लोकनि सब किछु ल कय, चंडीमन्दिरसं
एके संग विदा भेल छल. चलैत-रुकैत, पड़ाव आ युद्ध-अभ्यासमें तीन मास सं बेसी अवधि
लागि गेल रहैक. जखन कतहु पड़ाव होइछ, सैनिक
लोकनि एकेठाम सैकड़ों तम्बू खसाबथि तं राता-राती
मरुभूमि जीवंत भ उठैक . फेर कूच होइछ तं सब किछु हठात उसरि जाइक . एहि अति वृहत
अभियानमें सब किछुक बीच हमर मेडिकल डिस्पेंसरीक गाड़ी (
रेड-क्रॉस पताका वाला ) आ मंदिरक गाड़ी ( लाल-पताका वाला ) सबठाम संगहिं-संग चलैक ; मंदिरक गाड़ी आगू-आगू, आ डिस्पेंसरी सबसं
पाछू, कदाचित ककरो आंग-स्वांग भेलैक तं तकर देख-भाल तं चाही. प्रतिदिनक यात्रा सं
पूर्व सैनिक, जे सी ओ, आ अफसर, अहलभोरे, पड़ावस्थलमें मन्दिरक गाड़ीक निकट सब एकत्र
होथि. कमांडिंग अफसर पूजा करथि, आ यूनिटक
पंडितजीक आरती करथि. गर्मा-गरम प्रसादक वितरण होइ आ माता शेरंवालिक जयजयकार सं हमरा
लोकनि कूच करी . राजस्थानमे, युद्ध-अभ्यासहिं में देखलियैक, यूनिट जतहिं रहैक मन्दिर, मस्जिद -गुरुद्वाराक समावेश ओतहिं होइ. जेना
सम्पूर्ण यूनिटक समावेश टेन्ट आ तम्बूमे होइक,तहिना
मन्दिरक देवी-देवता लोकनि सेहो टेन्टहिंमे
बैसाओल जाथि. इएह थिक यूनिट मन्दिरक रीति. छोट यूनिटमें सरकारी व्यवस्थाक अनुकूल ,
नियमिकी पंडितक पोस्टिंग नहिं होइछ. किन्तु, सैनिक लोकनि बेर-बेरी, अपन रुचिक
अनुकूल, मन्दिरमे पूजा-अर्चना आ दैनिक सेवाक भार उठबैत छथि . एहिसबमे सैनिक लोकनिके मोने लगैत
छैक , आपत्ति किएक हेतैक.
कदाचित, कहियो जं सियाचिन ग्लेशियरक मुहाना वा बेस-कैंप में जयबाक मौका लागय, हनुमाजी
आ तिरुपति बालाजी , गुरुनानक देव आ शिव , काबाक छवि आ ईशा कें एके पतियानीमे बैसल देखबनि.
ने कोनो विरोध , ने कोनो भतबरी . एकेसंग सबहक पूजा होइत छनि, सबकें एके संग माला चढ़ाओल जाइत छनि. राम-रहीम-ईशा-आ
मूसा, सबहक सम्मिलित उपस्थिति सैनिक सबकें सब देवी-देवताक संचित बलक बोध छनि . आ ओएह संचित शक्ति देशक सीमाकें अभेद्य बनबैत
अछि आ अपरिचित सैनिककें देशक सर्वमान्य नागरिकक ओहदा प्रदान करैछ. तें, तं, युद्ध
हो वा शान्ति , बाढ़ि हो वा भूकंप सबहक ठोर पर एके गप्प, सेना कें बजाउ !
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* कीर्तिनाथ झाक कथा-संग्रह ' किछु नव गप्प, किछु पुरान गप्प ' प्रकाशन वर्ष 2005
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अहाँक सम्मति चाही.Your valuable comments are welcome.